इक्कीस और पैंतीस होता है छप्पन। बड़ी दी और दी तुम दोनों ने तो मिलकर छप्पन अध्याय लिखे और चलती बनीं मुझे छोड़कर। एक मैं हूँ कि आज सत्तावनवा अध्याय समाप्त कर रही हूँ जीवन का। पता नहीं, मेरे जीवन की पुस्तक में कितने और अध्याय जुड़ने शेष हैं।
अध्यायों का जुड़ना तो ठीक है। हर अध्याय में ३६५ पन्ने और हर अध्याय में हमारे जीवन की वर्ष भर की कहानी। हम दर्ज करना चाहें या नहीं, ये लिखी जा रही हैं, यह कहानी तो जादुई कलम से लिखी जा रही है। हर दुख, हर सुख, हर नई अनुभूति को दर्ज करती हमारी जीवन पुस्तक या कहिए फिल्म की कहानी पल पल लिखी जा रही है।
अध्यायों का यूँ उम्र बढ़ने के साथ जुड़ता जाना तो ठीक है किन्तु जब वे अध्याय लगभग कोरे हों तब? क्या तब भी ये अध्याय जिए जाने चाहिए?
कोई समय ऐसा था कि एक पन्ना उस दिन की घटनाओं को दर्ज करने को कम पड़ता था। अब समय ऐसा है कि इस अध्याय के न जाने कितने पन्ने कोरे ही रह गए। तो क्या अब नए अध्याय लिखे जाने चाहिए? या फिर पुस्तक को बन्द कर चलते बनना चाहिए?
वे भी दिन थे जब अध्यायों में पन्ने लिखे जाते थे, खेल में मिली ट्रॉफीज़ को लेकर, मनभावन स्कूल कॉलेज में दाखिले, नई सखी, मित्र, उसपर पड़ी नजर, अचानक अपने जेंडर के प्रति जागरुक होने, पहले लगाव, फिर प्यार, नदी में आई बाढ़, विवाह, नए घर संसार, नई संतान, संतान मोह, नौकरी आदि को लेकर।
बच्चे बड़े हो गए। पति व माँ के अतिरिक्त कोई उत्तरदायित्व नहीं बचे। तो फिर क्यों ये कोरे कागज वाले अध्याय दर्ज किए जाएँ?
देश का जो हाल है उसमें जीना, एक स्त्री का जीना, बिना लड़े जीना, एक लज्जाजनक बात लगता है। हर पल भय सताता है कि जो सुदूर हो रहा है कल यहाँ भी होगा। खाप की खप्प (शोर ) हर जगह सुनाई देगी। मेरे कान में रूई डाल लेने से दूर से बजते ये ढोल वहीं न रुक जाएँगे। ये बढ़ते जाएँगे, मेरी तरफ, मेरी बेटियों की तरफ, तुम्हारी तरफ, तुम्हारी बेटियों की तरफ और हमारी अजन्मी नातिन, पोतियों की तरफ। इनके हौसले बुलन्द हो रहे हैं क्योंकि तुममें, मुझमें साहस ही नहीं है। वोट बैंक भी ये ही हैं सो कोई भी सरकार जब तक आत्मघात न करना चाहे इनका विरोध नहीं करेगी। सो तैयार रहो, अजगर की तरह ये हमें जकड़ लेंगे। तब हमारा चिल्लाना व्यर्थ होगा। अभी जब आवाज शेष है हम चिल्ला नहीं रहे।
एक छोटी सी, हल्की सी विरोध की आवाज मैं उठा रही हूँ। मोटी होने के बाद पहली जीन्स खरीदी हैं। उन्हे सही लम्बा करने के लिए दुकान पर छोड़ा था। कल घुघूत वे ले आए। आज मैं उन्हें पहनूँगी। क्या विरोध के रूप में हम सब जीन्स दिवस मना सकते हैं? मंहगा पड़ेगा उनके लिए जो पहनते नहीं हैं। किन्तु कैसा रहेगा जब नानी दादी भी विरोध में जीन्स पहन लें, एक दिन के लिए ही सही? बैन करने वालों की अम्मा, दादी, नानी ही यदि जीन्स पहन लें तो? किन्तु यदि स्त्रियों में इतनी ही एकता होती तो क्या हमारी यह गति होती?
हममें एकता हो तो कैसे हो? हम तो डाली से टूटे पत्ते हैं जिन्हें पवन उड़ा कर कहीं भी पहुँचा देती है। फिर हमें यह बताया जाता है कि हममें से जो जितनी स्वामीभक्त होगी वह उतनी ही स्वामी की प्रिय होगी। अन्तःपुर पर शासन करेगी। सो अलग अलग पेड़ों, अलग अलग शाखों की जबरन तोड़ी गई ये पत्तियाँ क्या एक होकर कुछ कर सकती हैं? हममें सिवाय स्त्री होने के, स्त्री होने की प्रताड़ना झेलने के क्या साँझा है? न रक्त साँझा, न बिरादरी सी कोई बहनादरी। आम, नीम, बरगद, इमली के पत्तों को जबरन एक जगह इकट्ठा कर देने से अपनापन तो न हो जाएगा, जुड़ाव तो न हो जाएगा। फिर एक ही पेड़ पर, एक ही शाख पर उगे पत्ते हमें कहते हैं कि स्त्री ही स्त्री की शत्रु है। एक घर के सारे जमाताओं से तो कहो कि मिलजुल कर रहें, साँझा व्यापार करें। फिर देखें कि कितना भाईचारा होता है।
खैर वर्ष बीत गया, एक अध्याय खत्म हुआ। लगभग कोरा। बेटियों, जवाइयों ने रात बारह बजे फूलों के तीन बुके, केक, चॉकलेट भेजे। खाली खाली साल भर सा गया। मेरा घर फूलों से सज महक गया।
कहना चाहती हूँ, बेटियों, समय रहते देश छोड़ भाग जाओ। उसपर और फिर कभी।
अठ्ठावनवाँ वर्ष लगने को है मन अठ्ठावन मन भारी है। मुम्बई में हृाल ही में एक वकील स्त्री ने अपना जन्मदिन मनाया था। पार्टी से भाई व मित्रों के साथ लौटते समय पुलिस ने पकड़ लिया। परमिट होने पर भी इनडीसेन्सी के लिए पकड़ लिया, पीट दिया। वैसे तो स्त्री होना ही इनडीसेन्ट है। फिर इस अधम जन्म में, जन्मदिन की खुशी मनाने जैसा है क्या? बस यह चिन्तन सा कुछ है। जन्मदिन की शुभकामनाएँ घुघूती।
घुघूती बासूती
जन्मदिन की अनेकों शुभकामनाएं....
ReplyDeleteपूरा यकीन है कि जींस पहन कर प्यारी लगेंगी...
जीवन में और सुन्दर अध्याय जुड़ते जाएँ ऐसी कामना..
सादर
अनु
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए आभार। अब दिक् तो जो रही हूँ देखने वाले को उसी से काम चलाना पड़ेगा. :)
Deleteघुघूती बासूती
हार्दिक शुभकामनायें
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनाएं....
ReplyDeleteजन्म दिन पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !
ReplyDeleteजीन्स पहनने पर मन द्विधा-ग्रस्त क्यों हो!
आज के जीवन की दौड़ में जो पोशाक अधिक अनुकूल लगे वही सही है.एस्केलेटर पर,ट्रेन आदि पर चढ़ते-उतरते साड़ी के घूम हाथ से पकड़ कर फंसने से बचाये रखना,या पल्ला और चुन्नी कहीं अटक न जाये ,रिक्शे पर हवा से उड़ती साडी साधते-साधते एक्सीडेंट .सलवार कुर्ते के फैलाव और चुन्नी की उड़न से कितनी अप्रिय घटनायें.अपने कपड़ों को ही सँभालती समेटती महिलायें.गर्मी में पसीने से सील कर जब पांवों में चिपकने लगती हैं तो पग आगे बढ़ाना कठिन हो जाता है.
नारी के लिये ही इतने पूर्वाग्रह क्यों ?अपनी सुविधा और सुरक्षा देखना भी ज़रूरी है .
प्रतिभा जी, दुविधाग्रस्त नहीं मोटापाग्रस्त! मेरा विश्वास हे कि बड़े माप के कपड़े बनवाने से वजन कम करने की प्रेरणा भी कम हो जाती है। स्टेरॉइड्स का प्रभाव कम होने को नहीं आता । मैं नए माप के जीन्स व ट्राउजर्स बनवाने से बच रही थी ताकि पुरानों में समाने की चेष्टा जारी रहे। पति ने सोचा बहुत हुआ। नए लिए ही जाएँ। लगता है मैं मोटापे से युद्ध हार गई।
Deleteघुघूती बासूती
जन्मदिन पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ... आभार
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक बधाई।
ReplyDeletehappy birthday.
ReplyDeletereg jeans day - decide the date and put an ad in local news papers - i am sure majority will wear jeans if they know / given sufficient time to buy it ..
we regularly have a jeans day during the college day celebrations every year. for just student though, not staff. it is displayed on the NB's in advance.
Thanks Shilpa. Sounds like a good idea.
Deletegb
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Delete:) now i know it is the acronym of the lovely free birds name :)
Deletehappyyyyyyy bdayyyy again gb ji :)
जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाये !
ReplyDeleteकिसने कहा की नारी में एकता नहीं होती है देखीये कैसे सभी नारियो ने मिल का जींस के खिलाफ उसकी होली जलाई , अब ये ना कहियेगा की उन्हें बकरियों की तरह हांक कर वहा बुलाया गया था और पहले ये समझाया गया था की देखो गुवहाटी कांड देखो , इज्जत के नाम पर हुई हत्याए देखो यदि अपना हाल ये नहीं चाहती हो तो जींस से दूर रहो, क्योकि सभी मुसीबत की जड़ बस यही जींस है ,क्योकि हमारे यहाँ तो पुरुष संत ही पैदा होता है , वो तो लड़कियों के कपडे है जो उन्हें रावण बना देते है , पता नहीं हरन होने से पहले सीता माता ने क्या पहना था , पता नहीं चिर हरन के पहले द्रौपती ने क्या पहना था , मुझे तो शक है जींस ही पहना होगा , वरना पुरुष तो संत ही पैदा होता है और हा बस तीन बरस और रुकिये ये सारे संत आप के ऐसे लेखो को एक नया नाम देंगे :)
अंशु जी आपसे सहमत हूँ। किन्तु जानती हैं कि बहुत समय पहले इटली के एक जज ने क्या कहा था। उनका कहना था कि जीन्स पहने स्त्री का बलात्कार हो ही नहीं सकता जब तक वह सहयोग न करे। आपको नहीं लगता कि वे पूर्व जन्म के भारतीय रहे होंगे।
Deleteपराधीनता की चरम यही होती है जब पराधीन स्वामी को ही सही माने और माने कि वह पराधीन होने के योग्य ही है। सो होलिका दहन वाली कौन रही होंगी सोच सकती हैं।
मैंने तो कुछ लड़कियों को टी वी पर यह भी कहते सुना कि मोबाइल क्यों चाहिए? जरूरी बात करनी होगी तो भैया या पापा से फोन माँग लेंगे। बिन भैया वाली लड़कियाँ क्या करेंगी? पापा काम पर या बाहर गाँव गए हों तो? तब तो राशन बिना ही रहना होगा। सो माँ को भैया तो पैदा करना ही होगा।
घुघूती बासूती
Janamdin kee anek shubh kamnayen!
ReplyDeleteAchha laga ki bachhon ne aapko phool aur chocolates bheje.
Khalipan kee baat samajh saktee hun. Mai usee daurse guzar rahee hun....barson se! Chahke bhee wyast nahee ho pa rahee.
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए आभार।
Deleteक्षमा जी, मेरी बेटियों को भी घर से गए हुए पन्द्रह वर्ष हो गए. किन्तु बच्चों को उड़ना हमने इसीलिए सिखाया था ताकि लम्बी उड़ान भर सकें.
घुघूती बासूती
जन्मदिन की ढेरों बधाइयाँ एवं शुभकामनाएं....
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनाएं!!!
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत शुभकामनायें !
ReplyDeleteबुके , नई जींस , चॉकलेट के साथ ऐसे कई अध्याय मुबारक हो !
जन्म दिन की अनंत शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteदीप से दीप जलाते जाने में दीवाली होती है।
जन्म दिन पर हार्दिक शुभ कामनाएँ !
ReplyDeleteजन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें .... मेरा मानना है कि कोई भी अध्याय कोरा तो नहीं ही रह सकता ... विचारणीय पोस्ट
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए आभार।
Deleteसंगीता जी, सही कह रही हैं आप. किन्तु बहुत बार जो किया वह ऐसा होता है कि उसे किसी अध्याय में जगह देने को मन नहीं करता. अब दाल बनाई या सब्जी, या रोटी बनाई, पति व माँ के लिए अलग अलग बनाई, चाहे जीने के लिए ये आवश्यक हैं किन्तु इसे उपलब्धि मानने का भी मन नहीं होता.
घुघूती बासूती
Happy birthday, Ghughuti. Have a wonderful day. Those flowers looks beautiful. Hope you enjoy the chocolate and the cake. Love always.
ReplyDeleteHi Unknown. Thanks for your good wishes.
Deletegb
जन्मदिन बहुत बहुत मुबारक हो GB
ReplyDeleteबस इन्ही फूलों से महकते रहें
आपके आने वाले साल के दिन और हर रात...
आपको देख कर तो हमें हौसला मिलता है...अपनी बात यूँ साफगोई से कहने की कला है आपमें...
बस राह दिखाती रहिए...हमें भी उनपर ही चलना है..
जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए आभार रश्मि। राह तो क्या दिखाऊँगी, मुझे तो लगता है कि अपनी धुरी पर ही घूमना हो रहा है आगे बढ़ना तो नहीं हो रहा।
Deleteघुघूती बासूती
जन्मदिन की अनेकों शुभकामनायें। जो भी पहने, आनन्द में रहे।
ReplyDeleteजन्मदिन मुबारक।।
ReplyDeleteहम हाल में चालीस के हुए हैं आप छप्पन की, 'घुघूत' सर को याद दिलाएं कि टाईम स्पेस का अंतर बुहत अधिक न था :))
चिंताए हैं किंतु जीना नहीं छोड़ा जा सकता...मेरी मिष्टी तो अभी नौ ही की है...किंसी कमबख्त खाप की खप्प के लिए उसकी उड़ान पर रोक कैसे व क्यों लगाने दूँ।
जींस पहने केक काटते एक तस्वीर तो बनती है :) हमारी ओर से फिर जन्मदिन मुबारक।
जन्मदिन की शुभकामनाएं....
ReplyDeleteहूं ...सत्तावन पार , तभी कहूं कि आप मुझसे इतना दबंगई से कैसे बात कर लेती हैं :)
ReplyDeleteमेरा ख्याल था ये बात आपको याद नहीं रही होगी कि अट्ठावन शुरू हुआ अगर बेटियां बुके ना भेजती तो :)
आपके जन्म दिन पर मेरी अशेष दुआयें !
जन्मदिन की शुभकामनाएं और ऐसे मंथन और मनन के लिए भी आपका शुक्रिया... शोचनीय विषय...
ReplyDeleteRespected घुघूती जी,
ReplyDeleteजन्म दिन की बहुत बहुत बधाईयां|
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
ReplyDeleteअच्छी और संवेदनशील टिप्पणी....ऐसा सोचने वालों के अध्याय कोरे कतई नहीं होते..
ReplyDeleteजन्म दिन मुबारक
घुघूती जी,
ReplyDeleteजन्म दिन की बहुत बहुत बधाईयां|
जन्म दिन की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteजादुई कलम से लिखी जा रही है जीवन के हर पृष्ठों पर एक कहानी। यह हमारे पर है कि हम उसे बुके से सजायें या फिर बिन सजाये, बिन पढ़े गहरी नींद में सो जांय।
जन्म दिन मुबारक
ReplyDeleteजन्मदिन की शुभकामनायें।
ReplyDeleteएक मैं हूँ कि आज सत्तावनवा अध्याय समाप्त कर रही हूँ जीवन का। पता नहीं, मेरे जीवन की पुस्तक में कितने और अध्याय जुड़ने शेष हैं।
ReplyDeleteMay God Bless You With A Book That Has Uncountable Pages
Love And Good Wishes To A Person Who Happens To Be Born On The Same Day As Me But Few Years Ahead Of Me
Which Makes Her Elder To Me But Yet There Is No Gap In Thoughts
:)
ReplyDeleteHappy Birth Day!
पश्येम शरदः शतं
जीवेम शरदः शतं
श्रुणुयाम शरदः शतं
प्रब्रवाम शरदः शतं
अदीनाः स्याम शरदः शतं
भूयश्च शरदः शतात्!
अपको जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई। अब तो मै आपको आशीर्4वाद दे सकती हूँ न???????? हमेशा खुश रहो सुखी रहो।
ReplyDeleteविलम्ब से सही ,जन्म दिन पर ब्लॉगर-रहनुमा घुबा को सप्रेम शुभ कामना।
ReplyDeleteमैं भी लेट हो गई, आपको जन्मदिन की बधाई व शुभकामनाएँ...लेकिन मुझे भी चॉकलेट चाहिए...:-)
ReplyDeleteबहना को जन्म दिवस पर (वो क्या कहते हैं - बिलेटेड) हार्दिक शुभकामनाएं. ५८ मन का एक बुके हमारी तरफ से भी.
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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आज केवल जन्मदिन की शुभकामनायें...
आपने भारी मन से महज अठ्ठावन नहीं अनेकों मन के अनेकों मनों को कोंचते सवाल उठाये हैं, पर उन पर फिर कभी...
...
देर से ही सही जन्म दिन की अनेक शुभकामनाएं । एक ये कि आज जरूर जीन्स पहन कर मार्केट जायें । इस नये अध्याय का आज एक पन्ना लिखें । कुछ डिफेन्सिव टेक्टिक्स सीखें (कोई कोर्स करें) ताकि कोई आपको उम्रदराज जान कर कमजोर समझे तो उसको सबक सिखाया जा सके ।
ReplyDeleteप्रकाश और शक्ति का मुख्य स्रोत, सूरज, प्रत्येक दिन पूर्व में उग पश्चिम में लगभग औसतन १२ घंटे बाद डूबता प्रतीत होता है, जबकि वैज्ञानिक कहते हैं कि वो एक स्थान पर ही स्थित रहता है! और, इसके पीछे हाथ होता है हमारी ही गंगाधर पृथ्वी का, जिसने हमें ही नहीं असंख्य अन्य प्राणी आदि को भी साढ़े चार अरब वर्षों से धरा हुवा प्रतीत होता है!!!...
ReplyDeleteऔर गीता में दूसरी ओर योगेश्वर कृष्ण कह गए कि यह सब उन के द्वारा रची गयी माया है!!! हरेक को स्थित्प्रज्ञं रहना चाहिए दुःख में और सुख में एक सा!!!
इसके अतिरिक्त, योगी, सिद्ध आदि के अनुसार सत्यम शिवम् सुन्दरम वाले परमात्मा, योगेश्वर विष्णु/ शिव तो शून्य है - शून्य काल और स्थान से जुड़े नादबिन्दू अनंत ब्रह्माण्ड के केन्द्र में संचित शक्ति रूपा (देवी)/ रुपी (विष्णु, विष + अणु)!!!
वैज्ञानिक कहते हैं कि ब्रह्माण्ड एक फूलते गुब्बारे समान है जो बिग बैंग के बाद फूलता ही चला जा रहा है और इसके भीतर समाई असंख्य तारों आदि से बनी असंख्य गैलेक्सियां भी आकार में निरंतर बड़ी होती जा रही हैं... और कृष्ण कहते हैं सम्पूर्ण सृष्टि उन के भीतर ही समाई हुई है, अर्थात अनंत शून्य, विष्णु/ शिव वो ही हैं, किन्तु मया से वे ही सबके भीतर दिखाई देते हैं!!!...
जन्म दिन की शुभ कामनाओं सहित!!! जय श्री कृष्ण!
DEAR GHUGHUTIBASUTI,
ReplyDeleteMY BEST WISHES TO YOU
I REALLY ENJOY YOUR ARTICALS,
REGARDS
NKP
DEAR GHUGHUTIBASUTI,
ReplyDeleteMY BEST WISHES TO YOU
I REALLY ENJOY YOUR ARTICALS,
REGARDS
NKP