हाँ, टाइम्स औफ इन्डिया अहमदाबाद की मानें तो मनीषा भराड नामक इस बच्ची ने गुजरात बोर्ड की बारहवीं कक्षा की अपनी सारी उत्तर पुस्तिकाएँ आउटसोर्स करवाईं। अब वह जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चल रही थी और बोर्ड उसे सजा देने पर तुला है। वह इतनी समझदार निकली कि सभी विषय की उत्तर पुस्तिकाएँ एक ही व्यक्ति से आउटसोर्स नहीं करवाईं। वह प्रत्येक विषय के लिए अलग अलग विशेषग्य का उपयोग कर रही थी। अब इसे कहना चाहिए समझदारी व सबसे बेहतर माल की खरीददारी करना। यह भी क्या कि जूते, कपड़े, प्याज सभी एक ही दुकान से खरीदे जाएँ? सोचिए, बड़ी होकर वह क्या बढ़िया खरीददार बनेगी !
उसने ८०% अंक भी पा लिए। परन्तु उससे एक गलती हो गई। बच्ची है ना ! उसने कुल मिलाकर सात विषयों के लिए आठ उत्तर पुस्तिकाएँ जमा करवा दीं। बोर्ड ने उसे बुलावा भेजा परन्तु वह बोर्ड के सामने उपस्थित नहीं हुई। अब कयास लगाया जा रहा है कि वह ये उत्तर पुस्तिकाएँ बाहर बैठे किसी (हर विषय के लिए अलग)व्यक्ति से लिखवा रही थी। शायद स्वयं भी अन्दर बैठकर लिखती थी और अपने लिखे को जमा नहीं करवाकर दूसरे के लिखे को जमा करवा देती थी। किसी एक विषय में (बिजिनेस मेनेजमेंट,और क्या मेनेजमेंट किया परीक्षा के बिजिनेस का ! मैं तो शतप्रतिशत अंक उसे दे देती इस विषय में !)गलती से अपना लिखा व विशेषग्य का लिखा दोनों ही जमा करवा आई!अब बच्ची है गलती तो हो ही जाती है। वैसे भी सुना ही होगा कि मनुष्य गलतियों का पुतला है। मुझे तो उससे बहुत सहानुभूति है। वैसे उसपर गर्व भी है। सारा संसार आउटसोर्सिंग पर हल्ला करता है। यह है आज के जमाने की जमाने के साथ कदम मिलाकर चलने वाली बच्ची !
घुघूती बासूती
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यह कहेंगे इसको पढ़ कर कि आने वाले भारत का भविष्य उज्जवल है ...:)
ReplyDeleteघुघूती जी उस बच्ची को मेरी तरफ से भी शुभकामनाएं दे देना.. आईडिया अच्छा दिया है. वैसे मेरे भी एक मित्र ने १२वि के accounts के एक्साम में चरों सेक्शन कर डाले थे जबकि करने केवल दो ही थे :P . उसने भी २०० अंकों का एक्साम कर डाला.
ReplyDeleteइतनी सोर्स फुल लड़की !! हमें शर्म आनी चाहिये , रात रात भर जाग कर , आंखें फोड़ कर पढे और अब भी सोर्स और कॉंटेक्ट्स के मामले मे ज़ीरो हैं :-(
ReplyDeleteउत्तरोत्तर मेधावी होते जा रहे हैं बच्चे। यह तो चूक हो गयी गणना में - ७ के बदले आठ। पर अन्तत: भारत का भविष्य बेहतर प्रबन्धकों के हाथ होगा।
ReplyDeletebechari jyada josh me aa gayi aor ek galti kar baithi...
ReplyDeleteकोई संदेह नहीं कि भारत का युवा वर्ग बेहद "प्रतिभाशाली" है, बस इस प्रतिभा को देशहित में मोड़ने की जरूरत है…
ReplyDeleteमुझे भी उस प्रतिभाशाली बच्ची पर गर्व है. उसके नायाब प्रयासों को नमन - शायद उनके अभिभावक उससे भी ज्यादा प्रगतिशील होंगे... ऐसी ही खबर छत्तीसगढ़ से भी आई थी.
ReplyDeleteसब एम टी वी रोडीस का कमाल है.. बच्चे चालक होते जा रहे है
ReplyDeleteजमाने के कदम से कदम कहाँ, बहुत आगे जा रही है. उसे पाकिस्तान में भारत का राजदूत बना कर भेजा जाये.
ReplyDeleteबहुत अच्छा कार्य किया है बच्ची ने वह समय के साथ वो भी भारत मे रह कर अमेरिका के समय के साथ चल रही है. उसे इस साल का भारत रत्न मिलना चाहिये जी. वैसे नदीम जी आपके दोस्त की बात अलग थी हमने भी कई बार गणित मे पूरा परचा हल कर बाद मे लिख मारते थे कि कोई से पाच चैक करले :)
ReplyDeletekya gazab bacchi hai, lekin thori si kachhi hai......
ReplyDeleteइसी को कहते हैं राज्य और राज्य में फर्क़. यूपी में बहनजी नकल विरोधी अध्यादेश वापस लायीं और हाई स्कूलों में बेचारे पंद्रह लाख आत्मविश्वासी मनीष कुमार भदर-भदर बेसोर्स होकर फेलियर की पदक प्राप्त किये, परिवार और राज्य के नाम को चार चांद लगाये. जबकि गुजरात की मनीषा ने आउटसोर्सिंग की अवधारणा को नयी ऊंचाई दी?!
ReplyDeleteयही तो है भारत उदय, इंडिया शाइनिंग,
ReplyDeleteअब अपना भारत बनता है.
बच्चे तेज होते जा रहे है. कैसे किया होगा? कमाल है!
ReplyDeletebachhe waqyi tez hote jaa rahe hain
ReplyDeletevishvaas nahi hota ???????
ReplyDeletesachmuch budhhimaan bachchi hai....bina mehnat ke paas hone ka achcha tareeja khoja...aage kya hua uska?
ReplyDelete3 लाइनों तक तो मैं बच्ची की प्रतिभा पर मुग्ध हो गया था।
ReplyDeleteबच्चे हमारे अहद के होशियार हो गए हैं....उन्हें थाली में चाँद दिखा कर बहलाया नही जासकता....
ReplyDelete्बिल्कुल नया तरीका , हम भी कायल हो गये इस बच्ची के खुराफ़ाती दिमाग के
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