जीवन की अन्धियारी राहों में
तुम जुगनू बनकर आते हो,
जीवन की उजियारी राहों में
तुम नजर कभी नहीं आते हो ।
पल पल मेरी हर उलझन में
तुम साथ निभाए जाते हो,
पर मन की हर सुलझन में
अपना नाम नहीं लिखवाते हो।
मेरे दुःस्वप्नों में तुम आकर
झट बाहर मुझे ले आते हो,
मधुर स्वप्नों को तुम केवल
मेरे नाम ही कर जाते हो ।
जब भी पीना होता है हाला
तुम साथ मेरे आ पीते हो,
अमृत की जब आती बारी
मेरे हाथ थमा तुम जाते हो ।
चलती हैं जब भी काली आँधी
थामे हाथ मेरा तुम होते हो,
शीतल बयार जब भी बहती
तुम साथ मेरे ना होते हो ।
फँस जाती हूँ जब काँटों में
आँचल मेरा बचा ले आते हो,
होती जब फूलों भरी फुलवारी में
तुम जाने कहाँ चले जाते हो ।
घुघूती बासूती
Tuesday, March 11, 2008
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जीवन के इस लंबे सफर मे काश ऐसा हमराही सबको मिलता।
ReplyDeleteयानि फिर से जनावर की पोस्ट, छोटा हुआ तो क्या हुआ आखिर जुगनू है तो उसी समुदाय का। जुगनू की चमक और कविता में शब्दों का समा दोनो ही पसंद आये।
ReplyDeleteसिर्फ कठीन समय के साथी???
ReplyDeleteगहरी है बात!!
jugnu ki upama,bahut hi sundar.
ReplyDelete्बहुत भावपूर्ण सुन्दर रचना है।
ReplyDeleteचलती हैं जब भी काली आँधी
थामे हाथ मेरा तुम होते हो,
शीतल बयार जब भी बहती
तुम साथ मेरे ना होते हो ।
फँस जाती हूँ जब काँटों में
आँचल मेरा बचा ले आते हो,
होती जब फूलों भरी फुलवारी में
तुम जाने कहाँ चले जाते हो
सुंदर!
ReplyDeleteवरिष्ठ चोखेरबाली का यह रूप और भी बढ़िया लगता है!!
उत्तम विचार. उत्तम रचना. क्या बात है ..... Utopian though, but classic.
ReplyDeleteबेहद पसंद आई आपकी आज की कविता।
ReplyDeletelikhti rahe...achhi lagi aapki kavita.
ReplyDeleteआप (और हम…:)) लक्की हैं जो ऐसे जीवन साथी पाएं हैं सबके ऐसे होते तो ये नारीवाद का झगड़ा ही नहीं रहता न। बहुत सुंदर कविता
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