२२ फरवरी को हमारे समाचार पत्र, टाइम्स औफ इंडिया, में समाचार आया 'बेकारी की मारी अध्यापिका ने अपनी ही चिता जला ली!'
स्वाभाविक है सबको सहानुभूति हुई। खबर थी कि सन्जी या सजनू डाँगर नामक २१ वर्षीया युवती ने तीन साल तक अध्यापिका की नौकरी न मिलने से परेशान होकर अपने जीवन का इस दुखद किन्तु विचित्र तरीके से अन्त कर लिया। जब उसके परिवार के लोग सो गए तो वह अपने परीक्षा परिणाम के प्रमाण पत्र लेकर श्मशान गई। उसे ८० प्रतिशत अंक मिले थे किन्तु नौकरी नहीं। उसने अपनी माँ के लिए भी एक पत्र लिखा कि नौकरी न मिलने से वह अपने जीवन का अंत कर रही है।
प्रमाण पत्र और अपनी चप्पलें उसने चिता से कुछ दूर रखीं और फिर लकड़ियाँ चिता पर रखी और खुद भी उस पर बैठी और आग लगा ली।
परिवार भी दुखी, सारा गाँव भी दुखी, पाठक भी दुखी।
२८ फरवरी को खबर थी कि वह चिता की राख से प्रकट हो गई है।
पुलिस को शक तब हुआ जब राख में से एक भी हड्डी नहीं मिली। उसके फोन रिकॉर्डस में पुलिस को एक नम्बर मिला जिसपर एस एम एस व फोन किए गए थे। उस नम्बर पर फोन मिलाने पर कमलेश पटेल से बात की गई। सजनू ने कुछ समय उसके साथ स्कूल में पढ़ाया था। उसने कहा कि वह सजनू को अच्छी तरह नहीं जानता।
तीन दिन बाद सजनू ने अपने घर फोन करके बताया कि उसने कमलेश के साथ विवाह कर लिया है।
पढ़कर समझ नहीं आया कि हँसे या मूर्ख बनने पर दुखी हों।
पता नहीं गाँव वाले व उसके माता पिता भी इसी पशोपेश में हैं कि नहीं।
घुघूती बासूती
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
समाचारों के सत्यापन एवं प्रमाणिकता की जब तक कोई सुदृण निति नहीं बनाई जाती, ऐसे समाचारों से साबका पड़ता ही रहेगा.
ReplyDeleteअच्छा ही किया। विवाह करके भी चिता पर ही जाएगी। बस साठ सत्तर साल बाद ही सही। दुनिया को तब भी कोई फर्क नहीं पड़ा होगा और अब भी नहीं पड़ेगा।
ReplyDeleteदुखद पर रोचक!
ReplyDeleteदोनों खबरें सही थीं। या फिर दोनों गलत। कई बार अखबार वाले इस तरह की खबरें टेबल पर बैठ कर गढ़ भी लेते हैं।
ReplyDeleteयह विडम्बना ही है कि मनचाहा विवाह विवाह मात्र करने के लिये युवाओं को कैसे-कैसे नाटक करने पड़ते हैं। पर थोड़े साहस और समझदारी से काम लिया होता तो शायद और भी बेहतर तरीके हो सकते थे। ख़ैर; अन्त भले तो सब भला।
ReplyDeleteसमाचार पत्र के अनुसार दोनों ही खबरें अपनी तरफ से सही थीं। पहली खबर तब दी गई जब लोगों को चिता के पास लड़की की चप्पलें व प्रमाण पत्र मिले। लड़की ने माँ को पत्र भी लिखा था कि वह आत्महत्या कर रही है। स्वाभाविक है यह खबर सारे में फैली होगी और समाचार पत्र में भी छप गई।
ReplyDeleteदूसरी खबर भी सही है। पुलिस ने राख आदि फोरेंजिक लैब में भेजी। उन्हें खुद भी कोई भी अवशेष राख में नहीं मिले थे। फोरेंजिक लैब को लकड़ी की राख के अलावा कुछ नहीं मिला। तब उन्हें शक हुआ और उन्होंने उसके मोबाइल से पते ढूँढे। यह तो संवाददाता व समाचार पत्र का भला हो जो उन्होंने दूसरी खबर भी छाप दी।
मुझे तो केवल आश्चर्य उसके उर्वरक मस्तिष्क पर है। ऐसा जबर्दस्त विचार उसको आया कैसे होगा?
घुघूती बासूती
खबर जब बिना तथ्य के छपती है तो ऐसी ही सनसनी होती है.
ReplyDeleteघुघुतीजी, साल-दो साल पहले मध्य प्रदेश में एक जैन साध्वी ने भी कुछ इसी तरह का जलने का नाटक किया था, दो दिन बाद जांच में पुलिस को मालूम चला की वह मठ के एक सेवक के साथ भाग चुकी है. ऐसी ही घटना उत्तर प्रदेश के जेपी नगर में भी घट चुकी है, जहाँ एक शिक्षिका ने अपने ही परिवार के सात लोगों का कत्ल कर दिया था. यह तरीका पुराना पड़ चुका है, अब तो या लुगदी साहित्य में भी इसकी पूछ नहीं रही.
ReplyDeleteआजकल के युवाओं के खोपडी में उर्वरक ही भरा पड़ा है. हमें तो मजा आया. आभार.
ReplyDeletekuch log bade vikshikpta tarika apnate hai jeevan mein,dukh ki bat hai.unke parivarwalon pe kya biti hogi.
ReplyDeleteमियाँ बीवी राजी तो क्या करे समाजी ..
ReplyDeleteचलिये....all that ends well ...
शादी मुबारक हो नव दँपति को
- लावण्या
यह नाटक नहीं
ReplyDeleteसमाज की कुरीतियों पर
जोरदार टक टक है।
आपको टकटकाया जाए
उससे पहले आप खुद ही
कुरीतियों से मुक्त हो जाएं
नए समाज की जरूरत को समझें
पहचानें जानें और मन से मानें।
अंत सुखद अतः खूश हो लें.
ReplyDeleteखुद चिता पर लेट जाना और खुद आग लगा देना बड़ा अस्वाभाविक सा लगता है. भारत इतनी घनी आबादी वाला देश है, ऐसे में किसी का वहां पर मौजूद न होना या फिर मौजूद होने के बावजूद उसे न रोकना भी अस्वाभाविक लगता है.
ReplyDeleteखैर, बिना किसी जांच-पड़ताल के इस बात को अखबार में छाप देना अस्वाभाविक नहीं लगता. आखिर हम सनसनी को ही तवज्जो देने वाले समाज में रहते हैं. वैसे, यह ख़ुशी की बात है कि सारा मामला विवाह का था. वर-वधू को हमारी तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं.
ghughuti ji, aisa vichar kambakht ishk ke karan aaya hoga...pyaar jo na karwaye :)
ReplyDeleteआपकी यह पोस्ट तीन बातें उजागर करती हैं-
ReplyDelete(1) हमारी असावधान पत्रकारिता।
(2) बढती बेरोजगारी। और
(3) प्रेम विवाहों के प्रति हमारा सामाजिक असहिष्णु भाव।
बडी अजीब बात है !
ReplyDeleteघुघुतीजी
ReplyDeleteयहाँ भी होली वाले दिन नवभारत टाईम्स में शुरू के दो पेजों पर बड़ी ही सनसनीखेज खबरें आयीं- जैसे कि भाजपा और कांग्रेस में गठबंधन, यूपी और हरियाणा के छः जिलों को मिलाकर बनेगा नया राज्य, दिल्ली में मेट्रो सेवा चौबीस घंटे, ईटीसी.
satya aur asata ka maya jaal hai jeet hamesha satya ki hi hoti hai....
ReplyDelete....jane is baat main kitni satyata hai?
:)
Lekin sun ke phir bhi khushi hui ki stri zinda hai....
Ghiguti Basuti.
क्या कर सकते हैं?
ReplyDelete---
गुलाबी कोंपलें
apke blog main follower wala widget nahi mila to blogroll kar rah hoon...
ReplyDeleteकितना सही ?और कितना गलत ?
ReplyDeleteमैं तो ये कहूँगा कि लड़की में दिमाग है. मजेदार है... इसपर मालगुडी कि तर्ज़ पर एक कहानी बन सकती है.
ReplyDeleteमैं तो यहाँ समाज को कोसता हूँ.
ReplyDeleteराम राम ऎसे नोटंकी वाज की ओलाद केसी होगी ... बाप रे बाप, अब पता नही गांव वालो ने ओर मां बाप ने सर धुना या सर पटका.अप्नी खोपडी मे तो कुछ भी समझ नही आ रहा क्या कहे.
ReplyDeleteधन्यवाद
बढिया आइडिया- कभी काम आएगा:)
ReplyDeleteऐसी उर्वरा बुद्धि कुछ सकारात्मक करने में लगती तो नौकरी ढूँढने की जरूरत नहीं पड़ती.
ReplyDeleteअजीबोगरीब वाकया है ।
ReplyDeleteआजकल लड़के लड़कियों का दिमाग इन्ही बातो में ज्यादा चलता है!इतना दिमाग नौकरी के लिए लगाया होता तो अध्यापिका बन ही जाती!खैर शादी तो कर ही ली...
ReplyDeleteबड़ी ही रोचक घटना सुनाई आपने। बहरहा, जब दोनों राजी हैं तो ठीक ही है। अब इसमें मॉरल पुलिसिंग की कोई गुंजाइश नहीं है।
ReplyDeletemajedaar hee hai, aur ant sukhad rahaa.
ReplyDeletejaise bhee ho ladakee ne himmat dikhaayee, apanaa jeevan saathi chunane kee.
sach me samajh me nahi aa raha ki hanse ya murkha banane par dukhi ho.n...!
ReplyDeleteदेर से पढ़ी...पर रोचक खबर....क्या प्रतिक्रिया दें...सर खुजा रहे हैं...
ReplyDeleteनीरज