मन तो बहुत होता है कि टिप्पणी दूँ, बहुत बार लिख भी देती हूँ, परन्तु पोस्ट नहीं कर पाती। जैसे ही 'टिप्पणी दो' पर क्लिक करती हूँ , 'यह पेज दिखाया नहीं जा सकता' आ जाता है। समस्या यह है कि यदि टिप्पणी लिख ली होती है तो जब तक वह अपने सही ठिकाने पर नहीं पहुँचती तब तक चैन नहीं आता। अब पता नहीं कि मेरा कम्प्यूटर नाराज है या मेरा नेट कनैक्शन। वैसे कभी कभार दस बीस बार कोशिश करने पर सफल भी हो जाती हूँ। वैसे जैसे स्थान पर मैं रहती हूँ वहाँ बैठकर नेट पर जा पाती हूँ यही संसार का आँठवा आश्चर्य है व भारत की प्रगति का सबसे बड़ा सबूत !
कुछ दिन पहले अनाम बन्धुओं ने कई ब्लॉग्स पर न जाने कैसी कैसी टिप्पणियाँ देना आरम्भ किया कि कई मित्र एक दूसरे को सलाह देने लगे कि टिप्पणी मॉडरेटर लगा दो। मैंने भी चुपचाप लगाने में ही भलाई समझी। मैं सदा से इसके विरुद्ध रही थी, सो बड़े बेमन से मॉडरेटर लगा तो दिया परन्तु जब अनुमति देने का समय आया तो अनुमति देना असम्भव हो गया। अनुमति पर क्लिक करते ही 'यह पेज दिखाया नहीं जा सकता' आ जाता। ब्लॉगर.कॉम पर जाने का यत्न भी लगभग व्यर्थ ही जाता है। आज तक मनुष्यों को एक्सपायर करते देखा सुना था परन्तु मेरा कम्प्यूटर तो जिस तिस पेज को भी 'एक्सपायर हो गया' कहता रहता है। मैं भी कुछ दिन अफसोस मनाती रही परन्तु अब आदत हो गई है सो कोई पेज या कोई ब्लॉग या टिप्पणी का पृष्ठ एक्सपायर हो जाए या स्वयं को दिखाने से मना कर दे, मैं सहज भाव से( 'आया है सो जाएगा,राजा,रंक फकीर' गुनगुनाते हुए ) सह लेती हूँ। वैसे याहू मैसेंजर भी नहीं खुलता व शायद वहाँ के मित्र सोचते हों कि मैं ही एक्सपायर कर गई !
अब तो यह हालत है कि यदि कभी बिटिया, उसका पति या मेरा कोई मित्र नेट पर मिल जाता है तो उससे ही कह देती हूँ कि जरा ये टिप्पणियाँ तो मॉडरेट कर देना। या फिर यदि जिसके ब्लॉग पर टिप्पणी करनी हो वह मिल जाए तो उस ही से कह देती हूँ कि भाई/बहन( बेटा/बिटिया) यह रही तुम्हारे हिस्से की टिप्पणी ! कई भले मानस तो जाकर अपने ब्लॉग पर चिपका आते हैं, कई नहीं। जब ब्लॉग नहीं खुलते तब भी यही होता है। मैं बता देती हूँ कि भलेमानस, तुम्हारा ब्लॉग खोलने की चेष्टा में हूँ। अच्छे व सहायक प्रवृत्ति के बच्चे अपना लेख ही गूगल टॉल्क पर चिपका कर पढ़वा देते हैं। शेष तो 'हम क्या करें' जैसा शायद मन ही मन बुदबुदा कर निकल जाते हैं।
वैसे कुछ दिनों में यह समस्या सुलझ जाएगी या फिर मैं स्वयं ही सुलझ जाऊँगी और ब्लॉगजगत को नमस्कार कर नेट से विदा ले लूँगी। देखिये कौन सुलझता है। फिलहाल तो मैं ब्लॉगर.कॉम को मनाने जा रही हूँ। शायद मान जाए और मेरी यह दुख भरी चिट्ठी/आप तक ले जाए।
रूठे रूठे ब्लॉगर.कॉम मनाऊँ कैसे..... गुनगुनाते हुए बाय ।
घुघूती बासूती
पुनश्चः इसका अर्थ यह नहीं कि आप टिप्पणी ना करें। सोचिये,मैं लोगों से टिप्पणी मॉडरेट करने को कहूँ और वे कहें,'कैसी टिप्पणी? यहाँ तो एक भी नहीं है।'बड़ी बेइज्जती खराब हो जाएगी। :(
घुघूती बासूती
Monday, June 02, 2008
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मजेदार लिखा है. आपके कीबोर्ड से हमेशा कुछ धीर गंभीर सा ही पढ़ा है. वो भी अच्छे होते हैं और यह भी अच्छा है. कौन सा कनेक्शन है??? कही आप बाबा आदम ज़माने के Dial Up का तो नही उपयोग कर रही हैं??
ReplyDeleteहमारे चिट्ठों पर न तो टिप्पणी पर मॉडरेशन है, और न ही शब्द पुष्टिकरण। सब मजे में चलता रहता है। वैसे तो अपने चिट्ठे पर हम भी ब्लॉगर के मेहमान हैं। दूसरों को क्यों रोकें।
ReplyDeleteह्म्म, लोचा तो आपके नेट की स्पीड का है। पर किया भी क्या जा सकता है, आप खुद ही कह रही है कि आप जहां हैं वहां नेट है यही बहुत है भले ही स्पीड स्लो हो!
ReplyDeleteअरे- अरे ब्लॉगजगत को विदा मत कहिये ।
ReplyDeleteदेखिये हम टिप्पणी कर रहे है।
नेट एक्सेस नहीं हो पा रहा........... कनेक्शन स्पीड काफ़ी धीमी है......... अगर आपके एरिया में सी.डी.एम्.ए मोबाइल की सुविधा है तो उसके द्वारा एक्सेस करने पर कुछ बेहतर स्पीड मिलेगी........ अगर आप खर्चे का मुंह न देखें तो
ReplyDeleteमानस पुत्रियाँ मानस मातायें ........ एक रिले रेस
ReplyDeletelijiye ji.. ham bhi hain.. aapko nirash nahi hone denge.. :)
ReplyDeleteyakeen janiye...kitni mushkilo se tipiya raha hun ,mai hi janta hun,har bar servor eroor dikha raha hai,khas taur se blogvani par...
ReplyDeletefir bhi aapka lekh padhkar maja aa gaya...himmat na hariye ,juti rahiye....post kar du isse pahle ki servor fir sar nikal kar khada ho jaye...
वास्तव में नेट स्पीड बड़ी समस्या है और बड़ा समय खोटा होता है उससे। आज तो स्लो स्पीड के चलते मैं जतन करता रहा कि पेज लोड हो। उस चक्कर में एक मीटिन्ग में बीस मिनट लेट हो गया।
ReplyDeleteआपकी बात समझ सकता हूं।
शायद वहाँ के मित्र सोचते हों कि मैं ही एक्सपायर कर गई !
ReplyDelete-इसका मतलब याहू मेसेन्जर पर भी ब्लॉगर्स जैसे ही लोग हैं. :)
अरे, अब समय निकालिये थोड़ा/
bahut hi mast,aap tipiya nahi sakti koi baat nahi,magar blogjagat nahi chodna,aapko padhna,sundar tasverein dekhna bahut bhata hai man ko,aapki kalam yuhi chalti rahe,nirantar.
ReplyDeleteमाफ़ कीजीये मै भी आज टिपिया नही सकता, एक तो नेट की रफ़तार कम है दूसरे मोडरेटर को कष्ट ना हो तीसरे यहा कोई ऐसा वाकया भी नही है जिस्मे मै घी ना डालू तो कोई फ़रक पडेगा. तीसरे मेरे दाये हाथ की बाये से तीसरी उंगली दरद कर रही है चौथे मेरा मन नही है ,तो लब्बो लुबाव यही है कि मै आज टिपिया नही सकता जी :)
ReplyDeleteहमारे साथ भी ये समस्या लगभग रोज़ होती है....आपकी ब्लॉग छोड़कर जाने वाली बात पसंद नहीं आई! जल्दी अपने शब्द वापस लीजिये...:-)
ReplyDeleteअरे ...आशा है, आप ये गीत जल्दी ही गायेँ कि, " दुख भरे दिन बीते रे भैया बहना अब सुख आयो रे"
ReplyDeleteटिप्पणी , सर्वर, बिजली, कनेक्शन सब चलता रहे ..यही कामना है ..
घूघूती जी,
ReplyDeleteपोस्ट लिखती रहिये, टिप्पणी प्राप्ति की चिन्ता न करिये ।
वैसे मैं एक डायग्नोसिस बना पा रहा हूँ कि आपके ब्राउज़र रज़िस्ट्री
में ट्रोज़न हार्स का पैठ हो गया है । स्कैन करके इसको निकालें, या
बेहतर हो कि रि-फ़ारमेट कर लें । ब्राउज़र को रिसेट करें, कैचे का
साइज़ बढ़ायें । कंप्यूटर तो आपका गुलाम है, आप क्यों परेशान हैं ?
अरे आपने ये क्या झमेला कर दिया| वैसे ही ब्लोग कि दुनिया भूल-भुलैया लग रही है और आपके ब्लोग पर कहीं भी क्लिक करो तो वो नेविगेट होकर कहीं और ही ले जाता है मुझ गरीब को. संजीत जी से आपके बारे में बात हुई थी. घुघुती-बासूती करती थीं मेरी माता जी मुझे बचपन में. याद ताज़ा हो गयी.
ReplyDeleteआया है सो जाएगा राजा रंक फकीर
ReplyDeleteवैसे ही
दुःख भरे दिन बीते रे भइया.
कुछ भी करे पर ब्लॉग-जगत से जाने की बात ना करे.
सब ठीक हो जायेगा.
आज स्लो है तो कल फास्ट भी होगा.
"सब दिन होत ना एक समाना"
अरे घुघुतीजी, ब्लौग जगत छोडने की सोचियेगा भी नही,आप तो हम नौसिखियों की प्रेरणा हैं.हम तो आपकी हर पोस्ट का बेसब्री से इन्तज़ार करते हैं और टिपियाते भी हैं.
ReplyDeleteLeaving blog world is not allowed.
ReplyDeleteyahan aana aasan hai , jaana mushkil, specially for Ghughuti Basuti like blogs. No Permission for stoppation. :)
देखिये भूले भटके हम भी आ पहुंचे... टिप्पणी मिले न मिले... दें न दें पर जाने का न सोचिये ......
ReplyDeleteदुबई से दमाम आए तो सोचा था जी भर कर लिखेंगे और पढेंगे ...
लेकिन यकीन मानिए यहाँ तो आपके वहाँ से भी बुरा हाल है.....
कभी भी .. किसी भी लिंक को
खोलने पर Blocked URL आ जाता है ...