अदेखाई
एक शब्द है गुजराती में
छोटा सा है शब्द पर
मन में है उसने जगह बनाई
कहते हैं लोग उसे अदेखाई ।
कुछ कुछ ईर्ष्या से
यह मिलता सा है
कुछ कुछ जलन सा
यह जान पड़ता है ।
पर इस शब्द के अर्थ
हैं मेरे लिये कुछ और
यह ना पड़ोसी की सुन्दर
पत्नी से है मेरी ईर्ष्या ।
यह नहीं है किसी की
पदोन्नति से पैदा हुई जलन
ना किसी की बड़ी कार देख
पुरानी कार से मिलती पीड़ा ।
ना दूजों के ज्ञान से
उपजी यह मेरी उलझन
ना देख सहकर्मी के बंगले को
मेरे मन की बढ़ती धड़कन ।
यह तो है गुजराती में
बोले जाने वाला तेरा प्रिय
वह शब्द जिसको हम
सब कहते हैं अदेखाई ।
जो होती है फूल से, देखूँ
जब तेरे बालों में लगे उसे ,
देख तेरे माथे की बिन्दिया
हो जाती है मुझे अदेखाई ।
तेरे गले में चमकता आभूषण
जब भी देता है मुझे दिखाई
मन में उमड़ता घुमड़ता है
तब एक ही शब्द अदेखाई।
घुघूती बासूती
Tuesday, December 11, 2007
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वाह, इस अदेखाई शब्द ने अदेखाई कर ली!
ReplyDeleteबेजोड़! सुंदर!
ReplyDeleteएक शब्द की ऊपर इतनी अच्छी कविता लिखी है आपने.
सचमुच अदेखाई!
सुंदर!!
ReplyDeleteकितने गहरे जाकर सोचती हैं आप।
प्रारंभ से ही ऐसा है या पिछले कुछ बरसों में ऐसा हुआ है?
एक शब्द को इतनी गहराई तक सोच कर लिख डाला आपने यह्।
धन्यवाद पाण्डेय जी, बाल किशन जी व संजीत ।
ReplyDeleteसंजीत, शब्द मुझे बहुत लुभाते हैं , कुछ वैसे ही जैसे बच्चों को खिलौने व युवाओं को नए नए मोबाइल, नई टेक्नॉलॉजी आदि । हाँ मैं सदा से शब्दों और जीवन के हर पहलू में गोते लगाती रही हूँ ।
घुघूती बासूती
कविता अच्छी है.. यह मैं अदेखाई की भावना से ऊपर उठ कर कह रहा हूँ..
ReplyDeleteआपकी अदेखाई में अदेखी खूबसूरती अदोख है.
ReplyDeleteघुघूती जी कविता बहुत अच्छी है,अदेखाई श्ब्द अच्छा लगा.
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