Saturday, June 10, 2023

टपका

 टपका


शहरों में रहते हुए बहुत कुछ छूट जाता है, जैसे प्रकृति, खेत, फलों के बाग। सो शहरों के पास के किसानों ने अपनी आय का एक नया साधन ढूँढ लिया है। किसी ने फार्म हाउस बनाकर उसे किराए पर देना शुरू किया है, किसी ने आम के मौसम में आम पार्टी रखना शुरु किया है।

पहले से पैसे देकर आप आम पार्टी में जा सकते हैं। आम के बाग में आपका स्वागत होता है। वहाँ आप घूम फिर सकते हैं। चाय, जलपान, खाना पीना खरीदकर कर सकते हैं। आम तोडकर उन्हें तुलवाकर खरीद सकते हैं। फलों के जैम, मुरब्बे, अचार खरीद सकते हैं। कुछ फार्म में आप जानवरों को खिला पिला भी सकते हैं। 

हम भी अपनी नतिनी और उसके माता पिता के संग गए। नतिनी को लम्बे से डंडे से पेड़ से फल तोड़ना सबसे अधिक अच्छा लगा, उसके बाद उसे जानवरों को खिलाना पसन्द आया।

मैंने नतिनी को टपके आम के बारे में बता रखा था कि उससे अधिक स्वाद कोई भी आम नहीं हो सकता। किन्तु दुर्भाग्य से हमें वहाँ टपका आम नहीं मिला। टपका आम वह आम होता है जो पूरी तरह से पेड़ पर ही पकता है और फिर पकने के बाद अपने आप पेड़ से टपक जाता है। अन्यथा किसान जब आम पूरी तरह से बड़ा हो जाता है तो उसे तोड़कर पाल में पकाता है। पाल अर्थात किसी बन्द जगह जैसे पेटी आदि में पुआल आदि रखकर उनके बीच आमों को रखकर बन्द कर देना। फिर फल की अपनी गर्मी से फल पक जाते हैं। हमारे बचपन में हमने पिताजी को पुआल की जगह अमलतास के पत्ते उपयोग करते देखा था। हम भी पति की नौकरी के समय बड़े बगीचों वाले घरों में रहे ओर ऐसे ही आम पकाते रहे। 

इस फार्म यात्रा के बाद नतिनी माता पिता के साथ घूमने यात्रा पर चली गई। टपका आम खिलाना रह गया। उनके वापिस आने से पहली शाम जब हम पति पत्नी सैर कर रहे थे, तो अचानक बहुत जोर से कुछ गिरने की आवाज आई। हम रूककर क्या गिरा देखने लगे। अचानक पति की नजर पास के आम के पेड़ पर पड़ी जिसपर काफी आम लटक रहे थे। समझ आया कि आम गिरा है। पास खड़ी एक कार की छत पर एक बड़ा सा आम पड़ा हुआ था। मन टपका कहकर बल्लियों उछलने लगा। हम उस आम को घर लाए। वजन किया तो वह ६८४ ग्राम का निकला। वह पूर्णतया पका हुआ था। 

अगले दिन बच्ची ने जीवन का पहला टपका आम खाया। वह किसी विशेष प्रजाति का नहीं था। कभी किसी गुठली से अपने आप उगा एकदम ठेठ देसी आम था। उसका स्वाद भी उसकी तरह से ही ठेठ उसका निजि एकदम अलग था।

घुघूती बासूती 

6 comments:

  1. Anonymous7:54 am

    टपका आम का स्वाद अलग ही होता है। कोई मीठा कोई खट्टा। एक जमाने में बाल्टी भर कर सब लोग मिल कर खाते थे।

    धीरेंद्र वीर सिंह

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    1. जी,बिल्कुल. पूरी तरह से पेड़ पर ही पकने के कारण फल में स्वाद की जो भी सम्भावना होती है वह पूरी तरह से हमें मिलता है. पेड़ से एकदम कच्चे आम तोड़कर बलात पकाए जाते हैं तो स्वाद पूरा नहीं मिलता.

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  2. बहुत बढ़िया

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  3. Hm log Aaj kal Roz hi ek tapka aam kha rhe hain 😄😄

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    1. आप भाग्यवान हैं. :)

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