चाहती हूँ
चाहती हूँ कि
नतिनी को
कभी बोझ न लगे
उसका स्त्री होना,
उसके कदम न रोक ले
उसका स्त्री होना,
हँसी पर पहरा न लगा दे
उसका स्त्री होना,
चेहरा छिपाने को मजबूर न करे
उसका स्त्री होना,
उसके विकल्प न सीमित करे
उसका स्त्री होना,
उसका नाम न बदलवा दे
उसका स्त्री होना,
उसका काम न तय करवाए
उसका स्त्री होना,
उससे काम न छुड़वा दे
उसका स्त्री होना,
उसकी खुशियों पर न डाका डाले
उसका स्त्री होना,
उसे जमाने से ज्ञान न दिलवाए
उसका स्त्री होना,
उसके पहनावे पर न हावी हो जाए
उसका स्त्री होना,
चन्द नैसर्गिक खुशियों के बदले न जीवन गिरवी रखवाए
उसका स्त्री होना,
उसकी उड़ान न रोके
उसका स्त्री होना,
उसे आभासी पक्षी ही बन सन्तोष न करवाए
उसका स्त्री होना।
घुघूती बासूती
आभासी पक्षी* जैसे घुघूती बासूती नाम रख पक्षी होने का आभास पाना।
घुघूती बासूती
आमीन !!
ReplyDeleteआपकी नतिनी को तो कभी बोझ नहीं लगेगा,
पर जब तक देश की हर नतिनी को ऐसा न लगने लगे, कैसे सेलिब्रेट करें आज का दिन या कोई भी और दिन
आपकी शुभेच्छायें और आशीर्वाद में नतिनी का जीवन उज्जवल है।
ReplyDeleteजब उसके पास आप जैसी नानी है तो उसे किसी भी बात की चिंता करने की आवश्यकता ही क्या है , उसे कभी भी अपने स्त्री होने पर अफसोस न होगा ।
ReplyDeleteहार्दिक शुभेच्छा
ReplyDeleteआप जैसी नानी हो तो नातिन को क्या गम :).
ReplyDeleteबस दुनिया की हर नातिन को आप जैसी नानी मिल जाए.
एक दिन वह भी आयेगा.
ReplyDeleteऐसा ही हो..... सुंदर भाव, शुभकामनायें
ReplyDeleteबेहतरीन और मौजूं प्रस्तुति विश्व महिला दिवस पर
ReplyDeleteइतनी सजग नानी हैं जिसकी ,उस नातिन को नारी होने की विडंबना नहीं झेलनी पड़ेगी.
ReplyDeleteहमारी बेटी तक काफ़ी कुछ बदला ,अब नातिन तक काफ़ी बदलाव आ चुका है-बदलाव की गति हर जगह एक सी नहीं है.हमारे देश में भी कहीं 21वीं शती है और कहीं अभी 19वीं ही चल रही है.सम पर आने में समय लगेगा पर आयेगा ज़रूर !
हमसे बेहतर ही मिलेगा उसे... जीते जी तो उतना करने की कोशिश कर रहे हैं हम...
ReplyDeleteपुनः पुनः बधाई हो!
ReplyDeleteसमय बदला भी है, आगे और भी बदलेगा ...
ReplyDeleteज़रूर .
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति,बधाई
ReplyDelete.
ReplyDelete.
.
सबसे पहले तो बधाई !
अब कविता में कुछ और जोड़िये...
वह आंकी जाये...
एक स्त्री की तरह नहीं...
किसी भी दूसरे इंसान की तरह...
लैंगिक विभेद से परे...
वह आवाज उठाये...
एक स्त्री की तरह नहीं...
किसी भी दूसरे इंसान की तरह...
लैंगिक विभेद से परे...
उसके मुद्दे हों...
केवल स्त्री के नहीं...
हर इंसान के...
लैंगिक विभेद से परे...
याद रहे सिर्फ उसे...
वह इंसान है बस...
हर दूसरे की तरह ही...
लैंगिक विभेद से परे...
घुघूती जी, आपकी तीसरी पीढ़ी है वह...अब यह सीढ़ी भी उसे चढ़नी ही चाहिये... वह भी हमारे रहते ही... :)
...
आप की इच्छा उत्तम है। लेकिन इस इच्छापूर्ति की राह में अनेक रोड़े हैं। उन रोड़ों से निपटने के लिए नातिन को सशक्त और सक्षम बनाइये।
ReplyDeleteआपकी नतिनी को आशीर्वाद ,उसे उन्मुक्त जीवन मिले
ReplyDeletelatest postमहाशिव रात्रि
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Achhi sarthak abhiwayvkti
ReplyDeleteयाद रहे सिर्फ उसे...
ReplyDeleteवह इंसान है बस...
हर दूसरे की तरह ही...
लैंगिक विभेद से परे...
अब चाहना खुद बोलती है..
ReplyDeleteनातिन के जीवन की मंगलमय कामना के साथ !!
ReplyDeleteस्थिति आज की बीते कल से बेहतर है इसलिए भविष्य के साथ आशाएँ बंधी हैं.
ReplyDeleteआमीन! वह दिन अवश्य आएगा...
ReplyDeleteइन सब चीजों से आगे नानी के उत्तम विचारो के साथ आगे बढ़ेगी हम सबकी नातिन ।
ReplyDeleteबधाई ।
आमीन ... ऐसे दिन की कितनों को प्रतीक्षा है ...
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी।
ReplyDeletevery beautiful poem hope our girls will find the world we are wishing for them.
ReplyDeletevery good poem, hope our girls will the get the world of your thoughts, and I will do anything for that and I hope god will give me courage to make a difference.
ReplyDeleteसुन्दर भविष्य की कामना करती सार्थक अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteआप को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति...नतिनी को आशीर्वाद...
ReplyDeleteउसको अपने हिस्से का स्त्री होना खुद ही भुगतना होगा।अपनी देश कल और परिस्थितियों के हिसाब से।अभी कितनी ही पीढ़ियों को भोगना बाकी है कौन जाने
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