मैंने अपनी पिछली पोस्ट में घुघूता जी की तबीयत खराब होने की बात कही थी। जब मेरे एक स्कूल के मित्र को यह पता चला तो उसने तुरन्त फोन किया। फोन घुघूता जी ने ही उठाया । उनसे उनका हालचाल पूछने के बाद उसने मुझसे बात की। कहाँ दिखाने के लिए ले जा रही हूँ पूछा। अहमदाबाद बताने पर कहा कि यदि मेरी आवश्यकता है तो निसंकोच बता दे। मैं कल तुम्हारे वहाँ पहुँचने तक वहाँ पहुँच जाऊँगा। अपने को अकेला मत महसूस करना। मेरे न कहने पर बोला, ठीक है, वहाँ जाकर हालचाल बताती रहना व जब भी लगे कि किसी की आवश्यकता है तो मुझे बुला लेना। उसने यह भी कहा कि हमारी कक्षा का एक दूसरे सेक्शन का सहपाठी एक बड़े हस्पताल में हृदय रोग विभाग का हैड है, यदि कहो तो उसके पास ले चलेंगे।
अहमदाबाद जाकर यहाँ के डॉक्टर के कहे अनुसार सी टी एन्जिओ करवाया। उसमें बहुत सारे ब्लॉक नजर आए। हृदय रोग विशेषग्य के पास गए तो उन्होंने एन्जिओग्रेफी करवाने को कहा। सी टी एन्जिओ से तो यही लग रहा था कि बाइपास ही करवाना होगा। सो अहमदाबाद के सबसे अच्छे हृदय सर्जन की खोज आरम्भ हुई। मधुमेह भी बढ़ जाने के कारण उसके विशेषग्य से भी मिले। एन्जिओग्रेफी करवाई तो डॉक्टर बोले बहुत अच्छा समाचार है केवल दवाइयों व जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता है। यह कहकर वे चले गए। जब रिपोर्ट मिली तो उसमें लिखा था जल्दी बाइपास करवाया जाए। हृदय का एक चित्र बना था जिसपर यहाँ १००%,वहाँ ७०% तो कहीं फिर १००% तो कहीं और ३०% ब्लॉक दिखाए गए थे। मैंने हाउस सर्जन से जाकर पूछा कि रिपोर्ट आपने तैयार की है तो वह बोला हाँ। तो बाइपास करवाना है क्या? वह बोला हाँ। मैंने कहा कि मुझे तो विशेषग्य ने कहा था कि उसकी आवश्यकता नहीं है। वह बोला नहीं मुझे कहा गया है कि सर्जरी का दिन निश्चित करना है। अब मैं परेशान ! कहा कि विशेषग्य को फोन करके पता करो। कुछ समय बाद वह एक नई रिपोर्ट लेकर आया। बोला कि पहली रिपोर्ट में गलती से किसी और के बाइपास की बात लिख दी थी। आपका नहीं होगा। फिर भी १००%,वहाँ ७०% तो कहीं फिर १००% तो कहीं और ३०% ब्लॉक तो मुझे नजर आ ही रहे थे सो विशेषग्य को फोन किया। वे बोले अभी मैं समय नहीं दे सकता फोन पर ही बता सकता हूँ कि सब ठीक है। मेरे समय माँगने पर अगली शाम का समय दिया।
अगली शाम तक इस स्थिति में प्रतीक्षा कर पाना कठिन था। सो घुघूता जी के अहमदाबाद दफ्तर जाकर सब रिपोर्ट्स के ज़ैरोक्स तैयार करवाए व अपने डॉक्टर व एक मित्र के पुत्र डॉक्टर के पास भेजने लगी। तब तक मित्र का फोन आ गया। अपनी समस्या बताई तो उसने कहा कि तुरन्त सब रिपोर्ट्स ई मेल से डॉक्टर सहपाठी को भेजो। वह उसे फोनकर देखने को कहेगा। वही किया। उससे पहले कि हमारे भेजा कुरियर किसी अन्य को मिलता उस सहपाठी जिसको मैं पहचानती भी नहीं थी का रात को संदेश आया, सब ठीक है। इलाज व दवाइयाँ भी। मित्र का भी फोन आया कि वह सहपाठी के पास जाकर सब बात करके आया है और चिन्ता की बात नहीं है।
अगले दिन जाकर विशेषग्य से मिले तो उन्होंने सबकुछ समझाया। खैर,जिसका काम उसी को साजे...।
परन्तु सोचती हूँ कि रिपोर्ट देते समय वे स्वयं रहते तो अकारण चिन्ता नहीं करनी पड़ती। परन्तु जितने मरीज आजकल हैं तो डॉक्टरों के पास समय ही कहाँ है?
विशेष बात यह है कि यह मित्र मुझे ३५ साल बाद दो साल पहले दिल्ली में मिला था। स्कूल छोड़ने के बाद पहली बार ! हमारा स्कूल रियुनियन था सो उसने मेरी उस एकमात्र स्कूल की सहेली जिससे मैं अब भी सम्पर्क में थी मेरा फोन नम्बर लेकर बात की। फिर दिल्ली में मिलने आया और लगता ही नहीं कि अब हमें स्कूल छोड़े ३७ साल हो गए हैं। वही स्कूल के दिनों का स्नेह है। जहाँ हम स्कूल को छोड़कर आए थे लगता है जैसे उतने वर्षों में कुछ नहीं बदला । अब बहुत से स्कूल के मित्रों व सखियों से सम्पर्क बन गया है। स्कूल के मधुर व मासूम दिन याद आते हैं। बस बाल सफेद हो रहे हैं,चेहरे प्रौढ़ हो रहे हैं, हम वैसे के वैसे ही हैं।
एक और मित्र जिसके लिए आना लगभग असंभव था वह भी यदि आवश्यकता हो तो आने को कह रहे थे। एक बच्चा जो नेट पर ही मुझे मिला और कई साल से मुझे माँ कह रहा है वह भी लगातार पता करता रहा। वह भी हर प्रकार की सहायता करने को कह रहा था।
मुझे बहुत से ब्लॉग जगत के मित्रों के संदेश व पति के स्वास्थ्य लाभ के लिए शुभकामनाएँ पिछली पोस्ट पर मिली थीं। मैं उन सबकी बहुत आभारी हूँ। कठिन घड़ी में यह स्नेह ही सबसे बड़ा सम्बल होता है।
घुघूती बासूती
Wednesday, June 25, 2008
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सच कहा आपने... कठिन घड़ी में मित्रो और स्वजनों का स्नेह सम्बल मिल जाए तो मुश्किल आसान लगने लगती है.. घुघुताजी जल्दी स्वास्थ्य लाभ करें , यही कामना है.
ReplyDeleteMeri taraf se bhee Bhai sahab se kehna, jaldee achche ho jayen ...walk per jana shuru kijiyega aur khoob dhyaan rakhiyega.
ReplyDeleteAap dono ko itne achche doston ka sath humesha milta rahe eesi sad asha ke sath, bahut sneh ,
Lavanya
काम की व्यस्तता में पिछली पोस्ट पढ़ ही न सका था। घुघुता जी शीघ्र स्वस्थ हों, यही कामना है।
ReplyDeleteकाम की व्यस्तता से हुई त्रुटि ने आप को हलकान कर दिया। कमाने की होड़ में उत्पन्न हुआ यह दोष सभी स्थानों पर बढ़ता जा रहा है। एक बार सफल होने के बाद लोग अपनी प्रोफेशनल गुणवत्ता की ओर ध्यान देना बंद कर देते हैं। यही इस का कारण है। मुनाफे पर आधारित हमारी व्यवस्था का यह एक आवश्यक परिणाम है। इसे हमें तब तक भुगतना होगा जब तक यह व्यवस्था बरकरार रहेगी।
जो दु:ख ्को छोटा कर दे
ReplyDeleteखुशी को दे दे विस्तार
दोस्त वही सच्चा
उसी से ख़ुशनुमा है संसार
इन सब से बहुत संबल मिलता है...एक बड़ा परिवार सा हो गया है सब. घघुता जी जल्द स्वास्थय लाभ प्राप्त करें यही मनोकामना है. अनेंको शुभकामनाऐं.
ReplyDeleteढ़ेर सारी शुभकामनायें....आपकी परेशानी समझ रही हूँ....मम्मी पापा भी कई बार डॉक्टरों के पास यूँ ही परेशान हो कर लौटते हैं...
ReplyDeleteदुआ है आप दोनो स्वस्थ और प्रसन्न रहे ...
हमें तो पता ही आज चला है कि आपकी यानि घुघुती जी की तबियत खराब है, घुघुती जी जल्दी से स्वास्थ्य लाभ करें यही कामना है। शुभकामनायें
ReplyDeleteghughuti basuti ji,aapke ghughuta ji ki tabiyaat dawaon aur routine dincharya mein change se thikk ho sakti ha ye sunkar bada achha laga,lots good wishes he gets well soon.
ReplyDeleteaapke itne purane sehpathi se baat,mulakat,aur sahayata bhi bahut achhi baat rahi,aaj kal to sage rishteywale bhi nahi puchte,aap sab ki dosti yuhi bani rahe,sab ek dusre ke sukh dukh kaam aaye yahi dua hai.
aur ek salami aapke liye bhi ke ,u hv lots courage inside,to face bodly any problem which comes in life,bahut kum logo ke paas hota hai.
god bless all u loving caring family members and ur wonderful friends.
शीघ्र स्वास्थ होने की कामना करता हूँ.
ReplyDeleteमुश्किल वक़्त में परिवार ओर दोस्त ही संबल बढाते है....आपका स्वास्थ्य ठीक हो प्रभु से यही कामना करते है .एक अच्छे डॉ की यही पहचान है की वो सभी मरीजो को उचित समय दे ......आपके दोस्त ओर बाकि लोग साधुवाद के पात्र है....
ReplyDeletekahte hai duao me bada asar hota hai.......
ReplyDeletehamaari bhe subhkaamanai hai ghughuta je ke liye....
घुघुता जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना है
ReplyDeleteummid hai jald hi ghughuta ji thik ho jayenge..
ReplyDelete"कठिन घड़ी में यह स्नेह ही सबसे बड़ा सम्बल होता है।" बिल्कुल सही कह रही है आप.
ReplyDeleteघुघुता जी शीघ्र ठीक हो प्रभु से यही कामना है
आप ज्लद ठीक हों।
ReplyDeleteप्रभु से यही कामना है,आप ज्लद ठीक हों।
ReplyDeleteस्कूल-कालेज के दिन वे दिन होते हैं कि आप कितना भी आगे निकल जाएँ वे वहीं खड़े आपका इंतज़ार करते हैं और जब आप उनके पास लौटते हैं तो यह यूँ होता है जैसे आप टाईम-मशीन में बैठकर वहां गये हों।
ReplyDeleteपूरे ब्लोगजगत की शुभकामनाएँ आपके साथ हैं। मगर आपने घुघूत जी को घुघूता जी क्यों बना दिया? मैं उन्हें घुघूत जी ही कहूंगा।
शुभम।
आशा है घुघुता जी अब पहले से बेहतर होगें
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