गुजरात का मन
चुनाव के परिणाम आ चुके हैं । भा ज पा को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है । अब बहुत से लोग इस जीत के कारण ढूँढेगे । गुजराती जनता के भा ज पा में विश्वास तो एक कारण रहा ही होगा, परन्तु मुझे लगता है कि एक कारण यह भी रहा होगा कि पत्रकारों ने गुजरात और मोदी का राक्षसीकरण सा कर दिया था । गुजरात शब्द को गाली सा बना दिया गया था । जिसे गुजरात की स्वाभिमानी जनता ने पसन्द नहीं किया होगा । भारत का कौन सा राज्य यह कह सकता है कि वहाँ दंगे नहीं हुए ? काश्मीरी पंडितों के लिए क्यों आँसू नहीं बहाए जाते ? यह पूछने पर लोग कहते हैं कि यहाँ पर शासन ने भी दंगों को नहीं रोका या बढ़ावा दिया । परन्तु उनका यह गुस्सा दिल्ली के १९८४ के शासन पर नहीं निकलता है ?
क्या हमारे सिख नागरिकों का खून पानी था ? या काश्मिरी पंडितों का पानी है ?
इसका मतलब यह नहीं कि किसी भी नागरिक की हत्या दंगों या किसी और कारण से होनी चाहिये ।
परन्तु यह कि किसी भी एक प्रान्त के पीछे पड़ जाना हानिकारक ही सिद्ध हो सकता है । आशा है कि अब गुजरात में ऐसी कोई भी बात नहीं होगी ।
घुघूती बासूती
Sunday, December 23, 2007
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बिल्कुल सटीक कहा आपने,गुजरात की जीत छद्म धर्म निरपेक्षता पर राष्ट्र वाद की जीत है,दंगे कहीं भी हों बिल्कुल गलत है पर जिस तरह पेश किया गया कि सिर्फ गुजरातियों ने ही ऐसा किया लोगों को ठीक नहीं लगा और परिणाम सामने है,यदि हम चाहते हैं कि देश का धर्मनिरपेक्ष वातावरण बचा रहे तो ये चश्मा लगाकर देखना बंद करना होगा
ReplyDeleteआपकी सोच बहुत सुलझी और ईमानदार है ।ऐसा सोचने वाले लोग कम हैं ।
ReplyDeleteवैसे ऊपर चित्र बहुत खूबसूरत है ,कहाँ का है ?
सिख विरोधी दंगों के बाद राजीव गाँधी ने बहुसंख्यक की साम्प्रदायिकता का काड खेला।रा.स्व.सं ने भी उस चुनाव में हिन्दू हित की पार्टी कांग्रेस को माना और फलस्वरूप भाजपा लोकसभा में २ प्रतिनिधि ही भेज पाई । क्या ऑपरेशन ब्लू स्टार का संघ ने विरोध किया था , यह जरूर है कि भिण्डरावाले का चित्र हरमन्दर साहब मे पिछले दिनों लग रहा था तब भाजपा और अकाली दल साथ हैं ।
ReplyDeleteपूरे देश में संघ के दिशा निर्देश पर उसके कार्यकर्ताओं ने 'हिन्दू हित' में कांग्रेस का साथ दिया था। गुजरात में भाजपा के विरोध में पड़े सभी वोट गैर हिन्दू नहीं हैं - यह देश और गुजरात का सौभाज्ञ है। गुजरात में साम्प्रदायकीकरण ज्यादा लम्बा और व्यवस्थित चलने के बावजूद समाज पूरा बँट नहीं पाया है।
सटीक!!!
ReplyDeleteहेडर चित्र ने मन मोह लिया।
बहुत सटीक लिखा है।
ReplyDeleteअति दम्भी मीडिया और तीस्ता सीतलवाद जैसों का सालों से डंण्डा ले कर गुजरात के पीछे लगे रहना बूमरेंग कर गया।
ReplyDeleteजीत गया गुजरात. :)
ReplyDeleteफोटो बहुत सुन्दर है। लिखा तो बिल्कुल सही है।
ReplyDeleteघुघूती जी,
ReplyDeleteआप की व्यथा के साथ हम हैं लेकिन चीजें सरलरेखा में नहीं होतीं जैसा आप देख रही हैं। इनकी गहराई में जाने की जरूरत है। एक की वजह से दूसरे को सही ठहराना अति सरलीकरण हैं। सांपनाथ हो या नागनाथ दोनों विष ही फैलाते हैं।
http://khucee.blogspot.com/2007/12/blog-post_23.html
हम तो अब चुप ही रहेंगे... :)
ReplyDeleteआप लिखते ठीक-ठाक हैं. लेकिन आपका यह कहना कि अगर सरदार पटेल नहीं होते तो
ReplyDeleteआपका राज्य पाकिस्तान में होता; मुझे आपके दिमाग का भोलापन दर्शाता है. कम से कम यह तो समझिए कि गढ़वाल रेजीमेंट ने इस देश के लिए क्या-क्या किया है.
विजयशंकर जी, मेरा राज्य नहीं, वह स्थान जहाँ मैं रहती हूँ अर्थात जूनागढ़ पाकिस्तान का हिस्सा होता । वैसे मैं 'लिखती ठीक ठाक हूँ' न कि 'लिखते ठीक ठाक हूँ' क्योंकि मैं स्त्री हूँ पुरुष नहीं । गढ़वाल रेजिमेन्ट हो या कुमाउँ रेजिमेन्ट या फिर कोई और इन सबकी मैं आभारी हूँ ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती