तन्वी के लिए.......
उबाकर सुलाने के लिए
आप भी शब्द सुझाएँ तो आभारी रहूँगी।
लालू भालू कालू है
खाता ये तो आलू है
बोता ये कचालू है।
लालू भालू कालू है
ये तो कितना चालू है
पीता ये तो पालू है।
लालू भालू कालू है
जबसे खाया आलू है
चिपका इसका तालू है।
लालू भालू कालू है
ये तो कितना टालू है
तोड़ता ये हिसालू है।
लालू भालू कालू है
ओढ़े ये तो शालू है
खोदे ये रतालू है।
लालू भालू कालू है
सर पर इसके बालू है
फूला इसका गालू है।
लालू भालू कालू है
कितना ये गुस्सालू है
बातें करता भड़कालू है।
लालू भालू कालू है
कितना ये शंकालु
ये बहुत झगड़ालू है।
घुघूती नानी
बासूती नानी
तन्वी की नानी
कचालू व रतालू= कन्द
पालू= दूध, तेलुगु में
हिसालू= एक पहाड़ी जंगली फल
शालू= मराठी में बढ़िया रेशमी साड़ी।
गालू= गाल
वाकई उबाऊ है :)
ReplyDeleteनींद आ रही है , बाद में बताउंगा !
हाहाहा,फिर तो प्रयास सफल रहा. आभार.
Deleteघुघूतीबासूती
प्रयास वाकई सफल रहा
Deleteनानी कितनी दयालु है
ReplyDeleteकरती मुझको प्यालू है :)
आपने बच्चों के लिये कितनी सुंदर कविता रच दी, हमारी नातिन भी अभी पिछले महिने रह कर गई थी, कहानियां सुनाने के लिये इतना आग्रह और जिद्द की...बस पूछिये मत. आपकी यह कविता उसको फ़ोन पर सुना दी,,,बस उसे तो मजा आगया...बहुत आभार आपका.
ReplyDeleteरामराम.
बहुत ही सुन्दर कविता है।
ReplyDeleteयह कविता है या
ReplyDeleteमुठ्ठी से फिसलता बालू है!
सचमुच सुन्दर और मासूम सी लोरी बधाई
ReplyDelete.
ReplyDelete.
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कल मोबाइल पर इसे देखा था, तभी से टिपियाने के लिये बेताब था... आपकी लोरी में तो कुछ नहीं जोड़ूंगा पर अपनी लोरी बताउंगा, जिसे गा गाकर अपनी दोनों बिटियाओं को सुलाया है मैंने... बड़ी तो अब आठ साल की है, अलग सोती है पर ढाई साल की छोटी पर यह लोरी कभी नाकामयाब नहीं होती...
सैटिंग है... बैड पर मैं, मेरे सीने पर अपने पेट के बल लेटी बिटिया... उसका बाँया कान ठीक मेरे दिल के ऊपर... बिटिया का पेट भरा हुआ... और शुरू होती है कुल सात लाईनों वाली मेरी लोरी... हर लाईन में चार थपकी... कुल अठ्ठाइस थपकियाँ, एक बार की लोरी सुनाने पर... आज तक कभी पाँच बार से ज्यादा इसे गाने की जरूरत नहीं पड़ी... यानी १४० थपकियाँ, और बच्ची तो बच्ची, उसकी माँ भी सो जाती है...
लोरी है... आपके संदर्भ में...
पहली लाइन...
तन्वी को (१) निन्दी (२) आsssरी (३) है (४)
यह अंक थपकी मारने का समय इंगित करते हैं... बेसुरा, मोनोटोनस गाना होगा और थपकियों के बीच का अंतराल एकदम बराबर होना चाहिये और थपकी पर्याप्त वजन लिये हो...
पूरी लोरी इस प्रकार है...
तन्वी को निंदी आ री है
उसकी आँखें भारी हैं
नानी की तन्वी प्यारी है
नटखट राज कुमारी है
बच्ची सबसे न्यारी है
कितनी सुन्दर सच्ची है
यह तो मेरी बच्ची है
आप इस्तेमाल करियेगा और बताइयेगा कि मेरी लोरी ने काम किया या नहीं... :)
...
प्रवीण जी, आज तक पाई टिप्पणियों में जो सबसे अधिक भाईं यह उनके शीर्ष में है. संजोकर रखने वाली है. सच में नेट ने क्या आभासी नाते जोड़े हैं! जो आपने शेयर किया वह बहुत ही आत्मीय है. मैं भी तन्वी पर आजमाऊँगी. बहुत बहुत अच्छा लगा.
Deleteघुघूतीबासूती
मैंने भी अपनी नवासी के लिए लोरी लिखी थी, शायद पोस्ट भी की थी। लिंक ढूंढकर बताती हूं। आपको बधाई।
ReplyDeleteसुन्दर मनभावन बाल कविता।
ReplyDeletebahut sunder.......
Deleteजो बड़ों के लए उबाऊ हो वो बच्चों को बहुत आनंद दे जाता है ... उन्हें सप्न्प्न मिएँ ले जाता है ...
ReplyDeleteखूब मजेदार है
ReplyDeleteKavita Rajneetik 'put' liye hai ?
ReplyDeleteya phir main zyaada soch raha hoon !
मजेदार.... पढ़कर सब नींद भाग गई ...
ReplyDeleteमुझे बाल गीत बहुत अच्छे लगते हैं. श्री रूपचन्द्र शास्त्री जी के बाल गीत बहुत चाव से पढ़ती हूँ. ये लोरी तो बहुत प्यारा बालगीत है :) उबाने से बेहतर, मैं कहुँगी, "शिथिल करने वाली" लोरी है :) और अलग अंदाज़ में गाई जाए तो मस्ती करने के लिये भी बहुत अच्छी है :)
ReplyDeleteमैंने भी अपने छोटे से बेटे के लिये एक पॅरोडी बनाम लोरी लिखी थी. कभी पोस्ट करूँगी.
आपकी इस पोस्ट की लिंक मैं अपने फेसबुक पेज, "मैं हिंदी भाषी हूँ" पर साझा कर रही हूँ, सूचनार्थ :)
अक्सर आपकी रचनाएं पढ़ती हूँ. आपसे एक निवेदन है. दरअसल मैं बहुत लेखिकाओं के संपर्क में नहीं, न ही मेरे जानने वालों में शुद्ध हिन्दी पढ़ने वाले अधिक लोग हैं (खासकर स्त्रियां). क्या समय मिलने आप कृपया मेरी ये कविता पढ़ इसके बारे में अपने विचार बताएंगी? मुझे बहुत खुशी होगी
http://uvassociates.in/hindi-blogs-n-articles/kavya-kosh/mein-saksham-hun-mein-shikshit-hun
अनूषा