यह संवाद किसी वृद्ध दंपत्ति के बीच हो तो चलेगा तो क्या दौड़ेगा। किन्तु जब ऐसी स्थिति सुहागरात को आई तो संवाद का चाहे जो हुआ दुल्हन तो भाग ली।
जी हाँ, देखभाल कर चुने गए इस वर से कई बार मिलने पर भी दुल्हन या उसके परिवार वालों को जरा भी शक नहीं हुआ कि दूल्हे मियाँ नकली चीजें फिट करवाकर ही इतने टिप टॉप नजर आ रहे हैं।
सुहागरात को सबसे पहले दूल्हे ने अपना विग उतारकर रखा। दुल्हन ने सब्र कर लिया। सोचा होगा देर सबेर लगभग सभी पति गंजे तो हो ही जाते हैं तो चलो आज ही सही। किन्तु जब उन्होंने अपने नकली दाँत भी निकाल डाले तो उसने वहाँ से भाग निकलने में ही अपनी भलाई समझी।
दुल्हन ने जिस युवा से सगाई की थी वह कुछ क्षणों में ही दंत व बालविहीन प्रौढ़ में परिवर्तित हो जाएगा इसकी तो उसने स्वप्न में भी कल्पना नहीं की थी। उसने अपने घर जाकर माँ को पति के इस मैटामोर्फिसिस के बारे में बताया और फिर पुलिस में धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज करा दी।
वैसे दूल्हे की उम्र २७ साल बताई गई थी और जब दूल्हे के पिता की उम्र ५३ साल है तो फिर समझ में नहीं आता कि बेचारा किस विपत्ति का मारा है जो नौबत विग व नकली दाँतों तक आ पहुँची। अब दूल्हा व उसका पिता गिरफ्तार कर लिए गए हैं। शायद ऐसी ही किसी हृदयविदारक स्थिति को देककर कहा गया होगा,'आए थे हरि भजन को ओटन लगे कपास'जैसा कुछ।
सोचने की बात यह भी है कि क्या स्त्रियों को भी भावी पति को बताना होगा कि वे वैक्सिंग करती हैं, भवें ठीक करवाती हैं, ऊपरी होंठ के ऊपर के बाल हटवाती हैं आदि आदि? या फिर क्या अधेड़ उम्र लोग जब विवाह करें तो बताएँ कि उनके गाल, ठोड़ी या ललाट बोटोक्स के इंजेक्शन के दम पर झुर्री विहीन हैं, या बाल डाई किए हुए हैं। आज यह कहना कठिन है कि शरीर का कौन सा हिस्सा स्वाभाविक है और कौन सा सर्जन या ब्यूटी पार्लर ने निखारा है।
एक युवती जो बचपन से कुछ अधिक ही स्वस्थ थी, विवाह से एक साल पहले डायटिंग करने लगी। पति ने छरहरी युवती को देखा और छरहरी युवती से विवाह रचाया। विवाह के बाद छरहरेपन से अधिक स्वाभाविक रूप से भोजन खाना श्रेयस्कर समझ युवती वापिस ८० किलो की हो गई। मुझे तब भी लगता था कि शायद यह धोखा है। बहुत से पुरुष भी कुछ महीनों के लिए जिम जाकर सिक्स पैक वाले बन जाते हैं और विवाह के बाद वापिस तौंदू बन जाते हैं।
मुझे तो लगता है कि जैसे लोग दहेज की सूची बनाकर देते हैं वैसे ही दूल्हा दुल्हन को असली नकली की सूची भी बनाकर एक दूसरे को दे देनी चाहिए और हाँ, साथ में अपने पिछले कुछ सालों का वजन भी लगे हाथ लिखकर दे देना चाहिए।
घुघूती बासूती
Wednesday, December 09, 2009
प्रिये, सोने से पहले जरा मेरे नकली दाँत संभाल देना!
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बाकी मेन्टेनेन्स रिलेटेड इश्यू तो समझे..मगर ५५ साल को २७ साल का बताकर शादी तो खुले आम धोखाधड़ी है. विग और नकली दांत भी बता देने में ही अच्छाई है..
ReplyDeleteलेकिन तौंदू?? इसमें क्या बताना जी..ये तो जैसा बीबी खाना खिलाये..हा हा!!
मुझे तो लगता है कि जैसे लोग दहेज की सूची बनाकर देते हैं वैसे ही दूल्हा दुल्हन को असली नकली की सूची भी बनाकर एक दूसरे को दे देनी चाहिए और हाँ, साथ में अपने पिछले कुछ सालों का वजन भी लगे हाथ लिखकर दे देना चाहिए।
ReplyDeleteअच्छा लपेटा है जी!
यह प्रयोग भी करके देखना चाहिए!
सोने से पहले
ReplyDeleteकिंवा
सोना लूटने से पहले
दांत निकालकर रख लेंगे
तो कुछ सोना आंखों के जरिये
मुंह में भी समाएगा।
आपसे नहीं मिल पाए
अच्छा नहीं लगा
चल दिए हैं वापिस
आपसे मिलने के अरमान बसाए।
जीवन भर साथ बिताने के मामले में धोखा, कहाँ जा रहे हैं हम?
ReplyDeleteविवाह पूर्व ,भावी वर वधु के जीवन परिचय / चरित्र वृत्तान्त / खानदानों के विवरण लिए जाने और खोज परख की परंपरा तो है ही , इसके बावजूद अगर धोखे हो जायें तो स्पष्ट है की इनमें से एक पार्टी बेहद शातिर थी ! आपकी ये बात सही है की जिस्म का कौन सा पार्ट अस्वाभाविक है, यह तय करना मुश्किल हो गया है , पर यह तो उभयपक्ष पर लागू होने वाली बात है ना ? मेरे ख्याल से वर वधु के जिस्मों की अनैसर्गिकता / अस्वाभाविकता ही क्यों , हमारा समाज तो पारिवारिक / खानदानी मामलों में भी ऐसे ही अस्वाभाविक पैचवर्क और यत्नों का महारथी है ! आपका आलेख एक स्वाभाविक प्रवृत्ति की अस्वाभाविकता को उजागर करता है अतः साधुवाद !
ReplyDeleteऔर हाँ एक गहरी काली रात में सुनसान सड़क पर मेरे मित्र मिश्र जी स्कूटर की हेड लाईट की दम पर कुछ खोजने का यत्न कर रहे थे , उनके साथ मित्र वर्मा जी भी हैरान और परेशान से खोज प्रक्रिया में शामिल थे ! संयोग वश मैं वहां से गुजरा और उन दोनों की इस हरकत को देख कर रुक गया ! हुआ कुछ यूँ की मिश्र जी स्कूटर ड्राइव कर रहे थे और वर्मा जी पीछे बैठे थे ! दोनों में गपशप चल रही थी ! मिश्र जी की किसी बात पर वर्मा जी नें इतना जोरदार ठहाका लगाया की उनकी बत्तीसी सड़क की ओर लपक ली ........!
जीबी , रात अँधेरी जरुर थी पर उन दोनों को कोई धोखा भी नहीं हुआ था ! वे इस अस्वाभाविकता से पूर्व परिचित थे ना !
"लंगूर के हाथ में हूर" कहावत भी शायद ऐसी ही किसी घटना के कारण बनी होगी।
ReplyDeleteha ha ha ha ...majedaar !!!!
ReplyDeleteसमय के साथ साथ सब कुछ बदलता जाता है...वैसे मजेदार लगा लेख।
ReplyDeleteआप अपना सर्वाधिज निकट का साथी चुनते है तब आपकी सभी बातें उसे ज्ञात होनी ही चाहिए. धोखा गलत है जी.
ReplyDeleteइस तरह धोखा देना नैतिक रूप से भी ग़लत है और क़ानूनी रूप से भी.
ReplyDeleteअच्छा लेख है.
कौन कम है यहाँ ..
ReplyDeleteजवानी का ढोंग कौन नहीं लड़ना चाहता ..
अच्छी पोस्ट शुक्रिया ..
विवाह का उम्र से सम्बन्ध होने की बजाय स्वास्थ्य से होना चाहिये । गम्भीर बात यह है कि इस तरह की धोखाधड़ी नही होना चाहिये । क्या वृन्दावन की विधवाओं का उदाहरण पर्याप्त नहीं है ?
ReplyDeleteये तो "मैं का करूँ राम, मुझे बुड्ढा मिल गया" टाइप सिचुएशन हो गयी.......
ReplyDeleteवैसे कहते हैं कि विवाह जैसे पवित्र बंधन की नींव विश्वास पर रखी जाती है....... अब इस तरह की धोखा-धड़ी के बाद विश्वास कहाँ रह गया......."एक गन्दी मछली पूरे तालाब को गन्दा कर दे" तो मन का आहत होना स्वाभाविक है. ऐसे ज़लील हमें हर देश, हर समाज में मिल जाएँगे......."बग़दाद में गधे नहीं पाए जाते क्या?" वाली कहावत इन्हीं लोगों को चरितार्थ करती है.
साभार
प्रशान्त कुमार (काव्यांश)
हमसफ़र यादों का.......Humsafar Yaadon Ka
ओहो यहाँ तो सीधे सीधे हर उस काम के लिये मनाही की गई है जिसके लिये लोग जाने जाते हैं, और सच्चाई उजागर की गई है :)
ReplyDeleteविचित्र है यह । क्या छुपाना सब कुछ खुलना ही है बाद में - और वह भी जीवन-निर्वाह जिसके साथ होना है उससे छुपाना ।
ReplyDeleteसुन्दर आलेख । आभार ।
हा हा हा हा...बहुत रोचक और सच्ची पोस्ट...आप का लेखन कमाल का है...
ReplyDeleteनीरज
aaj bahut khatra utha kar aapke blog par aayi hun :D ye message aaya blog ka link kholne par, yahan de rahi hoon taki iska kuch upay ho to kiya jaa sake.acche bhale blog ko padhne walon ke raste mein aisi dhamki thode dete hain :) koi error hoga, rectify kar lijiye.
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मजेदार प्रसंग।
ReplyDeleteवैसे आपकी सलाह सही है।
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शानदार रही लखनऊ की ब्लॉगर्स मीट
नारी मुक्ति, अंध विश्वास, धर्म और विज्ञान।
मजेदार प्रसंग । आजकल दिकावा ही दिखावा है सब जानते हैं कि लडकी के खूबसूरती में प्रकृती से अधिक ब्यूटी पार्लर का यौगदान है । पर आदमी भी ये सब.......। आब तो पत्नी को बाल खींच कर और जबडा हिला कर फिर विवाह के लिये हां करनी होगी ।
ReplyDeleteइस तरह की वारदातें अनजान वर या वधू की पूर्ण जानकारी न हो पाने के कारण हो जाती हैं. कूर्मांचल में ऐसे वाकये होने की सम्भावना कम रहती है क्यूंकि वहाँ लोग प्रायः विवाह पूर्व बड़ी गहरी और विस्तृत जानकारी लिया करते हैं. वैसे इस मामले में जितना आपके लेख से पता चला है वर बेचारे ने केवल अपनी आयु से कम आयु का दिखने का ही अपराध किया है. महिलाओं के लिए इस प्रकार का अपराध क्षम्य है.
ReplyDeleteमेरे चैनल में ये स्टोरी आई थी.. मैंने इस पर आधे घंटे का बढ़िया सा शो बनाया था.. दूल्हे मियां की ज़बरदस्त क्लास ली थी.. प्रोग्राम का नाम था.. दुबई.. दूल्हा और दग़ाबाज़ी
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