Monday, December 22, 2008

अमूल्य

जब कुछ
पाने का
देना पड़ता है
बहुत अधिक मूल्य
जैसे पसीना,
ढेरों आँसू,
बहुतायत में आहें
या अपना स्वाभिमान।


तब वह वस्तु
या वह व्यक्ति
अमूल्य बन जाता है,
न भी हो
बहुत कुछ उसमें ऐसा
तो भी हम कुछ यत्न
कुछ कल्पना कर
बना देते हैं उसे अमूल्य ।


न बनाएँ तो
जीवन मिथ्या गंवाया
सा लगने लगेगा ना
अपना इतना सब
यूँ ही
खोने देने की
पीड़ा भी तो
कुछ अधिक होगी ।


सो मानने लगते हैं
कि अमुक वस्तु या व्यक्ति
था और है
और रहेगा अमूल्य
अन्यथा अपने आँसुओं,
पसीने, आहों और
टूटे स्वाभिमान का
हो जाएगा अवमूल्यन ।


घुघूती बासूती

22 comments:

  1. जीवन तो बड़ा ही अमूल्य है |
    शायद इसी लिए कीमत सिर्फ़ भावनाओं की लगती है |
    बहुत सुंदर |

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  2. आपकी कविता पर तो मैं यह भी नही कह सकता बहुत खूब क्योंकि मेरा स्तर इतना नही की मैं सूर्य को दिया दिखा पाऊं . हां आपके लेखो से प्रेरणा जरूर लेता हूँ

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  3. जी बिल्कुल !

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  4. बहुत ही बहुमूल्य विचार!

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  5. सुंदर्।

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  6. घुघूती जी, नमस्कार.

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  7. क्या बात है....
    अन्यथा अपने आँसुओं,
    पसीने, आहों और
    टूटे स्वाभिमान का
    हो जाएगा अवमूल्यन

    वाह !

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  8. लाजवाब रचना !

    रामराम !

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  9. न बनाएँ तो
    जीवन मिथ्या गंवाया
    सा लगने लगेगा ना
    अपना इतना सब
    यूँ ही
    खोने देने की
    पीड़ा भी तो
    कुछ अधिक होगी ।
    'लाजवाब"
    Regards

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  10. Anonymous11:54 am

    अवमूल्यन से मंहगाई ?

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  11. न बनाएँ तो
    जीवन मिथ्या गंवाया
    सा लगने लगेगा ना
    अपना इतना सब
    यूँ ही
    खोने देने की
    पीड़ा भी तो
    कुछ अधिक होगी ।

    बहुत सुंदर बात कही आपने इस रचना के माध्यम से .

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  12. Anonymous2:52 pm

    ओ मां,
    आपने तो ग़ज़ब ढादिया,
    जो कुछ जीवन मे होता है
    आपने अपने मीठे शब्दों मे बयान करदिया

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  13. सही है जी - हम भी बहुधा सोचते हैं ऐसा।
    यह तो कॉण्ट्रेरीथिंकिंग की चाहत उल्टा सुचवाती है यदा कदा।

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  14. क्या बात है....! प्रशंसा को शब्द ढूँढ़ने पड़ रहे है....! बहुत खूब..! उत्तम...!

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  15. बहुत ही सुन्दर कविता, सच

    -------------------------
    http://prajapativinay.blogspot.com/

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  16. यह शब्‍द आपके अनुभव की कहानी कह रहीं हैं...बहुत खूब

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  17. bahut khoob kha...sach hai jisse pyaar ho jata hai...use ham hi amoolya bana dete hai aur phir wo amoolya vyakti khud ko mahanga banaker Dil ko gareeb hone ka ehsaas karwa jata hai

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  18. bahut hi bahumuly vichar!

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  19. अमूल्य बात कह दी आपने -

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  20. badi kamaal ki baat lagi hume to...itni aasani se kuchh sikhaa diya

    hasy-vyang mein ek koshish:
    http://pyasasajal.blogspot.com/2008/12/blog-post_5104.html

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  21. prathmikta tay karne ki chhoot to shayad hai!
    aise samvad kyon ubhar rahe hain, jahan samvad ki gunjaish n ho? punarvichar nivedniy.

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