Thursday, December 18, 2008

निःसारता

एक उम्र गुजर जाती है
उम्र गुजरने का एहसास होने में,
सब कुछ बिखर जाता है
बिखराव का एहसास होने में ।


रेत सा फिसल जाता है जीवन
देर हो जाती है समझ आने में,
हाथ हो जाता है खाली बिल्कुल
निःसारता की समझ आने में ।


घुघूती बासूती

28 comments:

  1. बहुत गहरी बात। ...क्या सचमुच ऐसा होता है?
    एक उम्र गुजर जाती है
    उम्र गुजरने का एहसास होने में।

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  2. बहुत गहरी बात कही है आपने

    जिन्दगी का सार शायद यही है

    इसीलिए खाते है की जिदगी सिखाती है कुछ

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  3. सच है, जब तक ज़िन्दगी की समझ आती है..
    टाइम इज़ अप का घंटा बजने को होता है !

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  4. गिनने लगें उपलब्धियां तो यही होगा
    हाथ आएगी रेत ही
    हम देखें मुहँ बाएं खड़े हैं काम
    तो नजर आने लगेगा जीवन आगे भी
    और पीछे भी।

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  5. रेत सा फिसल जाता है जीवन
    देर हो जाती है समझ आने में,
    हाथ हो जाता है खाली बिल्कुल
    निःसारता की समझ आने में ।



    बहुत गहरी बात!!!!!!!!1

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  6. रेत सा फिसल जाता है जीवन
    देर हो जाती है समझ आने में,

    सही है अभी तक भी समझ नही आया है ! जिस पल लगता है कि अब समझ आगया , यही जीवन है उसी समय लगता है कि नही अब भी पहला ही दिन है ! शायद जितना समझने की कोशिश करो उतना ही रहस्य बढता जाता है !

    राम राम !

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  7. बहुत ऊँची बात कह दी. याद आ रहे हैं इस गीत के बोल "सब कुछ लुटा के होश में आए तो क्या हुआ"

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  8. very nice poem mam and true to every word . life needs to be lived but we dont and then at the fag end of the life we realise the foly

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  9. सब कुछ बिखर जाता है
    बिखराव का एहसास होने में ।
    " " भावनात्मक अभिव्यक्ति शानदार"

    Regards

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  10. रेत सा फिसल जाता है जीवन
    देर हो जाती है समझ आने में,
    हाथ हो जाता है खाली बिल्कुल
    निःसारता की समझ आने में ।

    सच बात कह दी जी।

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  11. हाथ हो जाता है खाली………। बहुत सुंदर्।

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  12. भावपूर्ण गम्भीर चिन्तन..........

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  13. बहुत अच्छा भावपूर्ण लेखन.
    नहीं लिख पा रहा हूं- निःसारता सामने खड़ी हो गयी है .

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  14. यथार्थ यही है...सही कहा है आपने.....

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  15. सच्चाई तो यही है .बहुत सुंदर कविता

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  16. गहरे दर्शन से परिपूर्ण कविता

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  17. जीवन का सारांश !

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  18. बहुत ही गूढ़ बात
    रेत सा फिसल जाता है जीवन
    देर हो जाती है समझ आने में
    बहुत खूब।

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  19. behad gahri baat, aur badi khoobsoorti se kaha hai.

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  20. यही सार है और
    भाव बोध भी
    सुँदर कविता !

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  21. इन दिनों कबीर को पढ रही हैं ? उलटबांसी और दर्शन का अद्भुत मिश्रण है ।

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  22. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति के लिये बधाई

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  23. Anonymous3:21 pm

    आप ही की कविता की पंक्तियों का कोलाज -

    उम्र गुजरने का एहसास हो जाता है
    निःसारता की समझ आने में

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  24. एक उम्र गुजर जाती है
    उम्र गुजरने का एहसास होने में,
    सब कुछ बिखर जाता है
    बिखराव का एहसास होने में ।

    वाह जी बहुत ही खुबसूरती से अपनी बात बोली है आपने थोडे शब्‍दों में बहुत कुछ बोल गए हो बहुत ही अच्‍छी अभिव्‍यक्ति के लिए बारम्‍बार बधाई एवं शुभकामनाएं

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  25. रेत सा फिसल जाता है जीवन
    देर हो जाती है समझ आने में,
    हाथ हो जाता है खाली बिल्कुल
    निःसारता की समझ आने में ।

    क्या खूब लिखा है भाई या बहन ?? घूघूती बासूती वाह रेत सा फिसल जाता है जीवन वाह

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  26. रेत सा फिसल जाता है जीवन
    देर हो जाती है समझ आने में,
    हाथ हो जाता है खाली बिल्कुल
    निःसारता की समझ आने में

    I wrote something similar a few years ago:

    Time Runs out
    Days turn into Years
    Decades into Millenia
    Eras have already gone
    A new year's eve
    or a birthday morning
    Reminds me that
    another year is gone forever
    I do not grow in height any more
    I grow wider though
    Have been standing for long
    Now, its time to go!

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  27. bahut sundar rachna . man ko chooti hui ..
    sach hi to hai , ek umr gujar jati hai , sab kuch aur bahut kuch samjhne mein ..

    badhai..

    pls visit my blog for some new poems.

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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