सुलगते तनमन पर
सावन की भीगी हवाओं सा,
तपती मरु पर
वर्षा की बूँदों सा,
पैरों पड़ी बेड़ियों के घावों पर
शीतल मरहम सा,
स्वाति नक्षत्र में
बोता सीप में मोती सा,
चिर प्रतीक्षा कराता
दिन २९ फरवरी सा ।
घुघूती बासूती
Saturday, October 18, 2008
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निकाला काँटे से काँटा कभी कभी हमने।
ReplyDeleteचुभते तो दोनों मगर एक मेहरबान ठहरा।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
दिन २९ फरवरी सा...चार साल में एक बार याने कम आता है तो महत्वपूर्ण हो लिया है जी..वो ही आपके साथ हो रह है..आजकल इतना कम कैसे??
ReplyDeleteभाई जी की तबीयत का सुना था..आशा है अब फिट फाट होंगे. कोशिश करके सूचना दे दिजियेगा.
आप की कविता बहुत अच्छी है
ReplyDeleteबाकी सब ठीक हो यही आशा है
अक्टूबर मे फरवरी की स्मृति? लगता है आप के लिए कोई खास दिन है?
ReplyDeleteसुंदर कविता।
ReplyDeleteसुंदर कविता
ReplyDeleteअच्छा है ..
ReplyDeleteउसका साथ
ReplyDelete;
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चिर प्रतीक्षा कराता
दिन २९ फरवरी सा ।
दिल को छूती हुई सी बात ..अच्छी लगी यह
कविता समझता कम हूँ,
ReplyDeleteमहसूस ज्यादा करता हूँ.
अच्छी है. प्रतिक्षा को बेरन भी कह लें....
बहुत दिनो बाद आपको देखकर अच्छा लगा.. एक छोटी मगर सुंदर रचना के साथ..
ReplyDeleteएक छोटी सी कविता मगर गहरे भाव ...
ReplyDelete२९ फ़रवरी !! जो प्रिय हो वह बहुत इन्तिज़ार करवाता है.. सच है.
ReplyDeleteJab 'uska sath' hai to 'chir pratiksha' kaisi!!!
ReplyDeleteSanjay ji se thoda alag kavita samjhta bhi bhi hu mahsoos jyada karta hu....It says lot.
ReplyDeleteThere are number of wellwishers....Hope Every thing is fine.
स्वाति नक्षत्र में
ReplyDeleteबोता सीप में मोती सा,
चिर प्रतीक्षा कराता
दिन २९ फरवरी सा ।
घुघूती बासूती
wah
aap ke pas shabadh pani ki tarah bah niklate he
kabhi humare blog pr aaye
dabba he pr dekh le kuch sudhar ho jayega
regards
thanks people like u visit my blog and u r right my translation by google convertor is not proper many times i will my best in next post
ReplyDeleteregards
सुंदर कविता। हमेशा की तरह।
ReplyDeleteचिर प्रतीक्षा कराता
ReplyDeleteदिन २९ फरवरी सा ।
ahaa kya kalpana hi di.....isiliye to aap best ho...badhai
बेहद खूबसूरत शब्दों में आपने यह दिल को छूने वाली बात कही। यही तो कविता की सच्चाई है।
ReplyDeletebahut hi samvedansheel aur bhaavpurna....meri shubhkaamnaye....
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