Monday, April 16, 2007

मेहरबानी मेरे दोस्त

मेहरबानी मेरे दोस्त तूने मुझे उड़ना सिखा दिया,
चाँद सितारों की सैर करा स्वर्ग दिखा दिया,
सुनहरे सपनें दिखा मुझे प्यार करना सिखा दिया,
तूने ही तो मुझे प्रेम सोमरस प्याला पिला दिया,
जड़वत थी मैं अब तक तूने हिला दिया,
मर मर कर जी रही थी, जी जी कर मरना सिखा दिया ।

मेहरबानी मेरे दोस्त जो मरने के लिए तूने मुझे जिला दिया,
सतरंगी आसमाँ में संग उड़ कर इक नया जहां दिखा दिया,
फिर पंख कतर कर मेरे इस धरती पर ला दिया,
बन्धन सारे काट तूने मुझे जीना सिखा दिया,
जिस चाकू से काटे बन्धन उस चाकू को तूने दिल पर चला दिया,
जिस पन्ने पर लिखी थी प्रेम कहानी, उस पन्ने को ही जला दिया ।

मेहरबानी मेरे दोस्त जो तूने मेरे दिल को रोना सिखा दिया,
सूनी सी थी जो आँखें उनको आँसुओं से धो दिया,
झील से शान्त दिल को धड़कना सिखा दिया,
सोई हुई थी मैं अब तक तूने मुझे जगा दिया,
उदासीन से इस मन को खुशियों से भर दिया,
शून्य सा था मेरा जीवन उसे तूने फूलों से भर दिया,

मेहरबानी मेरे दोस्त जो तूने मुझे विरहन बना दिया,
जो बन्धन मेरे काट तूने मुझे अपना बन्दी बना लिया,
मूक थी मैं अब तक, तूने मुझे शब्दों से भर दिया,
जीवन की सीधी राहोँ को मुड़ना सिखा दिया,
बेरंग सा था जीवन तूने उसे रंगों से भर दिया ,
जो रंग कर मेरे मन को काली स्याही में डुबो दिया ।

18 comments:

  1. जड़वत थी मैं अब तक तूने हिला दिया,
    मर मर कर जी रही थी, जी जी कर मरना सिखा दिया ।


    ---बहुत उत्तम रचना के लिये बधाई!!

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  2. Anonymous6:39 am

    मेहरबानी मेरे दोस्त जो मरने के लिए तूने मुझे जिला दिया,
    सतरंगी आसमाँ में संग उड़ कर इक नया जहां दिखा दिया,
    फिर पंख कतर कर मेरे इस धरती पर ला दिया,
    बन्धन सारे काट तूने मुझे जीना सिखा दिया,


    बहुत सुन्दर रचना लिखी है ये। माफ कीजियेगा अगर मैने सुबह सुबह आपको रूला दिया

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  3. Anonymous7:11 am

    बहुत खूबसूरत ..बस आप ऎसे ही लिखते रहो.

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  4. " मूक थी मैं अब तक, तूने मुझे शब्दों से भर दिया"

    बहुत खूब, यह सिर्फ़ चंद शब्द नहीं पूरी एक अनुभूति है चाहें शब्दों को देखें या फ़िर शब्दों से पार जाकर भाव को देखें।
    सुंदर रचना

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  5. बहुत सुन्दर रचना।
    इमोशन्स को सटीक शब्दों से साथ व्यक्त किया है।

    बहुत सुन्दर।

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  6. अनुभूतियां हमें भी होती हैं - पर इतनी बढिया लेखनी कहां मिलती है?
    नया आयाम मिलने पर एक उन्मुक्तता का भाव आता है, फिर वह आयाम भी कम पडता है - उन्मुक्तता की सीमा नहीं होती. जीवन एक और नया आयाम खोजने में जुट जाता है... अब यह कविता में कैसे लिखें!
    (By the way, my mother asks : चौलाई का लड्डू कैसे बनता है?)

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  7. आपके इस दोस्त की मुझे भी तलाश है । उसका शुक्रिया अदा करना चाहता हूं ।

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  8. 'कितना सुख है बन्धन में ?'

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  9. 'मेहरबानी मेरे दोस्त मुझे मुझ से मिला दिया
    खोज रही थी भीड में जिसे ,उसे खुद में दिखा दिया.
    तुम मिल गए तो राहें बदल गयीं
    मेहरबानी मेरे दोस्त नये रास्ते दिखा दिये'

    दिल को छु गई आपकी कविता.

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  10. भाव भरी सुन्दर रचना...
    वैसे..किसी ने कहा है.. जड को चेतन करने के लिये
    "एहसास मर न जाये
    तो इन्सान के लिये
    काफ़ी है राग की
    इक ठोकर लगी हुयी"

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  11. Anonymous1:44 pm

    एसा ही मेरा दोस्त भी है! मिली थी ना आप उससे कुछ दिन पहले!!!

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  12. मेहरबानी मेरे दोस्त,
    इतना बढिया पढवा दिया...

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  13. सुंदर प्यार की पाती है
    य कि दिय की पुकार
    आपने निज शब्द से
    रचा नेक उपहार.
    रचा नेक उपहार आपको मिले बधाई.
    हमने आपकी कविता से स्फूर्ती पाई.

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  14. क्या कहें हम अब
    आपने हमें क्या क्या याद दिला दिया।

    सुन्दर रचनाके लिये बधाई, बासूती जी

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  15. प्रेम, दुख और जिजीविषा का ऐसा मेल.......

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  16. कविता मार्मिक है।

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  17. कई होते हैं जो दर्द का बिस्तरा दे जाते है
    और कई उसमें लिपट कर खुद को तमाम
    करने में ही जीवन समझते हैं...।
    गहरा व्यंग हुआ है दृश्य पर जो हम चाहते
    है बचते रहें।

    Gr8 poem Madam...!

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  18. Anonymous3:27 pm

    मेहरबानी मेरे दोस्त तूने मुझे उड़ना सिखा दिया,
    चाँद सितारों की सैर करा स्वर्ग दिखा दिया,
    सुनहरे सपनें दिखा मुझे प्यार करना सिखा दिया,
    तूने ही तो मुझे प्रेम सोमरस प्याला पिला दिया,
    जड़वत थी मैं अब तक तूने हिला दिया,
    मर मर कर जी रही थी, जी जी कर मरना सिखा दिया...


    बहुत ही काबिल दोस्त पाया है आपने बासूतिजी। जीवन-चक्र घटनाओं से ही आगे बढ़ता है, घटनाएँ परिणाम देती है... मुझे घटना की जानकारी तो नहीं है मगर परिणाम अवश्य देख पा रहा हूँ। आपकी कलम से सदैव भावों को टपकते देखा है, कभी-कभार कलम को मुस्कुराने का भी मौका दीजिये, हँसती हुई कलम बहुत खूबसूरत लगती है :)

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