कभी कभी
या शायद बहुधा
रिश्ते जलाए प्रेम पत्रों के अवशेष से रह जाते हैं
काले सलेटी इन अवशेषों के शब्द
अब भी खुदे रह जाते हैं जस के तस
कुछ वैसे ही जैसे स्मृति में बसी रहती हैं
वे पुरानी बातें, मीठी, खारी, खट्टी, कड़वी बातें
और अवशेषों के इन शब्दों में से पढ़ पाते हैं
हम वे ही शब्द जो वे हमें पढ़वाना,
समझाना, याद करवाना चाहें
केवल वे अंश जो सतह पर हों,
हम उन्हें उलट पलट कर
आगे पीछे का नहीं पढ़ सकते
चाहकर भी उन्हें चूम,
दुलार, सहेज नहीं सकते
ऐसा प्रयास भर उन्हें भुरभुरा कर
कुछ चुटकी भर राख बना देगा।
जिसमें उतने सीमित शब्द,
रिश्तों के वे महकते क्षण
न पढ़, न जी सकेंगे हम
सो लालची से हम
इन जले अवशेषों को ही
हृदय के खाली खाली
आले पर सजा लेते हैं
साँस रोक सी लेते हैं
ताकि ये उड़ न जाएँ
और उनके साथ उड़ न जाए
मरे रिश्तों की अवधारणा।
घुघूती बासूती
phantom limb relations i call them!
ReplyDeletewell said arvind ji...
Deleteबहुत खूबसूरत.....
ReplyDeleteये अवशेष राख होने से ठीक पहले की स्थिति लगते हैं......
सादर
अनु
जले रिश्तों की राख आँखों में चुभती है..दुखती है।
ReplyDeleteरिश्तों का यह रूप, यह हाल बहुत पीड़ादायी होता है ...
ReplyDeleteरिश्तों के रिश्ते बदलने लगे है राख भी बहुत है अहसास के लिए |
ReplyDeleteऐसे सभी रिश्ते चलते हैं उम्र भर साथ ... अवशेष कागज़ के जलाए जा सकते हैं ... मन से काट के नहीं फैंके जा सकते ...
ReplyDeleteगहरी बात है.. रिश्तों में बदलाव सहज ही महसूस किये जा सकते हैं.. पर अब सभी को आले में नहीं सजाया जा सकता है.. एक दो हों तो ठीक परंतु ज्यादा में तकलीफ़ है..
ReplyDeleteगहरी बात है.. रिश्तों में बदलाव सहज ही महसूस किये जा सकते हैं.. पर अब सभी को आले में नहीं सजाया जा सकता है.. एक दो हों तो ठीक परंतु ज्यादा में तकलीफ़ है..
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ReplyDeleteजो बच जाए वही बहुत है.
ReplyDeleteबहुत ही उलझा दिया है आपने। पता नहीं क्या है रिश्ता।
ReplyDeleteसच में रिश्तों की अवधारणा बदलने की सोचकर भी एक डर सा लगता है.
ReplyDeleteरामराम.
रिश्ते जलाए प्रेम पत्रों के अवशेष से रह जाते हैं
ReplyDeleteराख के ढेर में शोला है, न चिंगारी है
इन जले अवशेषों को ही
ReplyDeleteहृदय के खाली खाली
आले पर सजा लेते हैं
साँस रोक सी लेते हैं
ताकि ये उड़ न जाएँ
और उनके साथ उड़ न जाए
मरे रिश्तों की अवधारणा।
बहुत गहरी बात कह दी ..
Rishte ....kachche dhago ka bandhan..........tike to jeevan bhar tike .... n tike to pal bhr n tike.....
ReplyDeleteइन अवशेषो को तो गंगा जी में भी प्रवाहित नहीं कर सकते।
ReplyDeleteकुछ दिन तो अश्रु गंगा भी बहती है किन्तु ये नहीं बहते.
Deleteघुघूतीबासूती
जले रिश्ते ... खाक़ होकर भी खाक़ नहीं होते ये
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