Wednesday, March 07, 2012

आजा, मन रंग डालें मिलकर।

मन कहता है, आज ये मेरा
रंग डालूँ तुझे रंगों से अपने
बैंगनी, हरे, लाल,नीले, पीले
रंगों से सजा दूँ चेहरा तेरा।

खेलूँ रंग यूँ साथ मैं तेरे
भीगे तू भी संग में मेरे
ना पहचाने जाएँ ये चेहरे
घुल मिल जाएँ तेरे मेरे।

खेलूँ होली ऐसी मैं यूँ रमकर
रंग जाए मन अन्तः भी तेरा
मैं भी रंग जाऊँ रंग में तेरे
खेलें होली दो मन जमकर।

तेरा मेरा भेद आज मिटाकर
इक दूजे की आत्मा भिगाकर
खेलें होली हम जग से हटकर
आजा, मन रंग डालें मिलकर।

छूट जाएँगे सब रंग चेहरे से
बदल जाएँगे कपड़े भी तन के
बीत जाएगा यह दिन होली का
कल हो जाएँगे सब पहले से।

भीगें जो दो मन इस होली में
सूखें नहीं कभी इस जीवन में
रंग लगाए इस बार जो हमने
छूट ना पाएँ वे कभी जीवन में।

घुघूती बासूती

सभी को होली की शुभकामनाएँ !
घुघूती बासूती

11 comments:

  1. तेरा मेरा भेद आज मिटाकर
    इक दूजे की आत्मा भिगाकर
    खेलें होली हम जग से हटकर
    आजा, मन रंग डालें मिलकर।

    बहुत सुन्दर.....

    आपको भी होली की अनेकों मंगलकामनाएं...
    सादर.

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  2. सभी के जीवन में एक नवीन सूर्य का उदय हो कल से, यही कामना है.

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  3. आपको भी रंग पर्व की ढेर सारी शुभकामनायें।

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  4. सुन्दर रचना...होली की शुभकामनाए...

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  5. भीगें जो दो मन इस होली में
    सूखें नहीं कभी इस जीवन में
    रंग लगाए इस बार जो हमने
    छूट ना पाएँ वे कभी जीवन में।

    बहुत खूबसूरत बहव .... होली की शुभकामनायें

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  6. भावमयी रचना। आपको भी होली की बधाई और शुभकामनायें!

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  7. आप स्वस्थ रहें और मुझे भूल ना पायें :)

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  8. रंगा हुआ आकाश मगन..

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  9. बड़ी रंगीन है . वैसे आसानी से नहीं छूटता. मुंबई के सी फेस में थोड़े ही यह मजा आएगा .

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  10. .


    सुंदर भावों में रंगी हुई बहुत अच्छी रचना है …
    आभार !


    स्वीकार करें मंगलकामनाएं आगामी होली तक के लिए …
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    ♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
    ♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥



    आपको सपरिवार
    होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
    - राजेन्द्र स्वर्णकार
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  11. खेलूँ होली ऐसी मैं यूँ रमकर
    रंग जाए मन अन्तः भी तेरा. अति सुन्दर.

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