Tuesday, February 14, 2012

पिकमना

यदि मन कोयल अचानक कूकने लगे,
मन पक्षी उन्मुक्त हो
आकाश में उड़ने लगे,
अधरों पर मुस्कान खिल उठे,
पैर भारहीन हो
धरती से कुछ इंच ऊँचे पड़ने लगें,
बिन पञ्चांग, बिन कैलेंडर देखे
बिन गाँव, वन उपवन जाए
अचानक इक सुबह मन कहे 
आह, आया वसंत आया !
और कहे,
काल, युग, स्थान, पर्यावरण
चाहे अवासन्ती हों,
मन आज भी वासन्ती है
समझे कि
क्यों हमारे किसी पुरखे ने
एक भोजपत्र पर लिखा ...
काकः कृष्णो पिकः कृष्णो को भेदो काकपिकयोः।
वसन्तसमये प्राप्तः काकः काकः पिकः पिकः।।
और क्यों किसी पिकमना को
पिक बनने को खिजाब नहीं
चाहिए बस इक वासन्ती मन।

घुघूती बासूती

 पुनश्चः
वैलेन्टाइन दिवस के उपलक्ष में बधाई के साथ साथ कुछ और पंक्तियाँ भी जोड़ रही हूँ अपनी वसन्त के आगमन पर लिखी कविता में.........

क्यों वैलेन्टाइन बनने को
इस शब्द का अर्थ नहीं जानना पड़ता
कि इस शब्द को सुनने से
दशकों पहले भी नित
मनता रहा वैलेन्टाइन दिवस।

घुघूती बासूती

21 comments:

  1. हम शाश्वत भावों के लिये दिन की प्रतीक्षा करते हैं, काल के पास इतना धैर्य कहाँ?

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  2. सही कहा-

    कि इस शब्द को सुनने से
    दशकों पहले भी नित
    मनता रहा वैलेन्टाइन दिवस।


    बेह्तरीन!!

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  3. शाश्वत भावों को पहचान देने की जरूरत भी तो नहीं होती।

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  4. ये उम्दा पोस्ट पढ़कर बहुत सुखद लगा!
    प्रेम दिवस की बधाई हो!

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  5. मन का वसंत हमेशा रहता है।

    कल ही फ़ुटपाथ पर चलते चलते
    वसंत के आगमन के फ़ूल
    सामने थे
    कब वसंत आया और
    कब निकल गया
    वसंत भी त्यौहार जैसा हो गया
    पर मन का वसंत हमेशा
    मन में रहता है।

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  6. अपनी परंपराओं को हम भूल गए, उन्हें याद रखने की जरूरत है..

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  7. वासन्ती मन और उसकी महक...बस एक वाह!
    ऊँची उड़ान और आँखों की चमक...बेपरवाह !!

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  8. ''कुछ कर गुजरने को मौसम नहीं मन चाहिए.''

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  9. अपनी परंपराओं को याद रखने की जरूरत है|

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  10. मन वासंती जग वासंती.

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  11. कि इस शब्द को सुनने से
    दशकों पहले भी नित
    मनता रहा वैलेन्टाइन दिवस।
    बहुत सही. प्रेम-दिवस मनाने का हमारे यहां बहुत पुराना इतिहास रहा है. मौर्य-काल में तो बाकायदा बसन्तोत्सव मनाया ही जाता था.

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  12. meri do rachnayein apki samalochna ke liye prastut hain ashirvad dijiyega.

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  13. मन वासंती हो तो एक दिन क्या ख़ास है !

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  14. मन आज भी वासन्ती है...बहुत सुन्दर प्रस्तुति....

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  15. :)
    वसंतागमन पर शुभकामनायें!
    कुछ लोगों को शिकायत है कि भारत में एक इंडिया बसता है, वहीं कुछ की चिंता है कि भारत में एक महाभारत बसाने/कराने का प्रयास चल रहा है।

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  16. बहुत सुन्दर ...
    मनोहारी रचना..

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  17. बसंत पर मेरी ओर से पिकमना यह सप्रेम भेंट:
    रे रे कोकिल मा भज मौनम
    किन्चिदुदंचय पंचम रागम
    नोचेत्वामहि को जानीते
    काककदम्बकपिहितरसाले ,,
    कोकिल! चुप क्यों हो ?कुछ बोलो, राग छेड़ो
    अपने पंचम स्वर में रस वर्षा करो ,इस तरह चुप रहने से
    तुम्हे जानेगा कौन ?आम पर बैठे हुए कौओं के जमघट में तुम्हे
    पहचानेगा कौन ?
    {कोकिल ने आखिर तान छेड़ ही दी :) }

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  18. आज 19/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (सुनीता शानू जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  19. बासनती मन हो तो हर दिन प्रेम दिवस है ॥अच्छी प्रस्तुति

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  20. सुन्दर रचना...
    सादर.

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