Friday, January 27, 2012

कौन वसन्त?





कौन वसन्त
कैसा वसन्त
किसका वसन्त?
किसीका ड्राइवर
नौकर या कुक?
या फिर सोसायटी का कोई वॉचमेन?
देखा नहीं, सुना नहीं यह नाम!
ओह वह स्कूल की छुट्टी,
'वसन्त पन्चमी' वाला वसन्त!
वसन्त का प्रेम, प्रणय या विरह
से भी है कोई सम्बन्ध?
'वेलेन्टाइन डे' से पहले भी होता था
स्त्री पुरुष का प्यार?
क्या होता था हमारे देश में
इस प्रेम के लिए इक अलग नाम?
प्रणय?
यह तो लगता है किसी
व्यक्ति का नाम।
वसन्त उत्सव मनते थे?
मन मिलते थे?
कैसे?
बिन 'आइ लव यू' के
कैसे हो सकता था प्यार?
न,न,
केवल विवाह होते होंगे
लव, इश्क, मोहब्बत के आने से पहले
वसन्त उत्सव तो न मनते होंगे!
घुघूती बासूती

34 comments:

  1. बहुत सुन्दर. याद करने की कोशिश कर रहा हूँ. "लव, इश्क, मोहब्बत" से कभी वास्ता पड़ा भी या यों ही कोरे रह गए थे.

    ReplyDelete
  2. करारा कटाक्ष करती सुन्दर रचना।

    ReplyDelete
  3. वंदना जी से सहमत ...

    बहुत ही उम्द्दा रचना - कई लोगों पर कटाक्ष करती हुई.

    ReplyDelete
  4. Zordaar wyang hai!

    ReplyDelete
  5. वही वसन्त,तुम्हारा और मेरा वसन्त,
    लव,इश्क,मोहब्बत के भी पहले वाला शर्मिला वसन्त,
    बिना ‘आई लव यू’कहे "लव"वाला वसन्त,
    न किसी का नाम,ना किसी से काम ,
    बस एक मदहोश सा वासन्ती जाम..

    ReplyDelete
  6. लो फिर वसंत आई ....

    ReplyDelete
  7. अंतर्मन के प्रेम वाला बसंत.... सुंदर

    ReplyDelete
  8. फूलो के चित्रों से बसंत आया हुआ दिखाई दे रहा है.

    ReplyDelete
  9. आया रे आया, मन वसंत आया..

    ReplyDelete
  10. Basant ek prateek tha prem ka .. Us ke izhar ka .. Bas aaj badal ke valentine day ho Gaya hai ... West ki nakal Jo karni hai ....

    ReplyDelete
  11. मदनोत्सव पर शुभकामना

    ReplyDelete
  12. हम भूलें लाख मगर धरती माँ हर बार मनाती रहेंगी वसंतोत्सव।

    सुदंर तश्वीरें हैं, तीखे कटाक्ष के ऊपर सजकर ये भी कुछ अलग ही तेवर में लग रहे हैं!

    ReplyDelete
  13. चित्र बहुत सुन्दर हैं। तालेबान को उत्सव पसन्द नहीं, भले ही वसंतोत्सव क्यों न हो। प्यार? वह किस चिकन का नाम है?

    ReplyDelete
  14. बढ़िया...
    अच्छी व्यंगात्मक प्रस्तुति ...
    वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ..

    ReplyDelete
  15. सब तरफ बसंत बहार...वसंत पंचमी की शुभकामनाएँ..

    ReplyDelete
  16. बहुत प्यारी तस्वीरें हैं. हाँ, आई लव यू के बहुत पहले भी प्यार होता था, कभी अभिव्यक्ति हो पाती थी, तो कभी नहीं. लेकिन बागों-बगीचों में, छतों-झरोखों में, बालकनी-आँगन में प्यार तब भी पलता था :)

    ReplyDelete
  17. वाह!!
    सटीक चिकोटी काटी है!!

    कौन वसंत? कौन प्रणय?

    बहुत ही सार्थक संकेत!!

    ReplyDelete
  18. अजी यहाँ तो लोग 'प्रेमचन्द 'को नहीं जानते बसंता को कैसे जानेंगे .वेलेंटाइन डे ,प्रेम दिवस की और बात है 'मदन उत्सव 'का तो अर्थ भी नहीं जानती यह पूरी पीढ़ी .दिल विल प्यार -व्यार मैं बस जानूं रे ....

    ReplyDelete
  19. बिन 'आइ लव यू' के
    कैसे हो सकता था प्यार?

    सच...और जैसे बिना फेसबुक स्टेटस अपडेट्स के कैसे हो वसंत का आगमन

    ReplyDelete
  20. सही कहा जी , समय बदल गया है । वसंत अब वेलंटाइन हो गया है ।

    ReplyDelete
  21. बहुत तीखा कटाक्ष। बधाई।

    ReplyDelete
  22. तस्वीरें बढ़िया है, और लिखा तो आपने सच ही है।

    ReplyDelete
  23. प्यार के कई रूप रंग ..कौन सा रंग देखोगे...? :)

    ReplyDelete
  24. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
  25. यहाँ हमारे मन में तो आज भी वसंत आता है।

    ReplyDelete
  26. ढेर सारी परतों में लिखी गई कविता ..हर पंक्ति अपने आप में अलग और चित्र तो अनुपम है हीं

    ReplyDelete
  27. वसंत पंचमी पर जहाँ सरस्वती की पूजा होती है वहीँ प्रेम, प्रणय की पींगे भी वसंत में खिलती हैं संयोग ही हो सकता है कि वलेन टाइन डे भी वसंत के समय पर ही मनाया जाता है

    ReplyDelete
  28. आपने चिंता व्यक्त की इसके आभार . हाँ सब कुछ ठीक है किन्तु कार्यालयी उधेड़ बुन अधिक हो गयी है जिसके कारण लिख नहीं पा रहा हूँ शेष आपका आशीर्वाद .

    ReplyDelete
  29. sahee kaha.....
    basant ko dekhne kee fursat hee nahi hai...

    ReplyDelete
  30. वैलेंटाईन से पहले भी
    होता था प्यार
    बस नहीं होता था
    तो वो था इज़हार
    झुके नैनों से ही
    हो जातीं थीं
    बाते हज़ार
    बसंत आने का
    नहीं होता था शोर
    बस सुखद थी बासंती बयार ..

    बहुत तीक्ष्ण कटाक्ष करती रचना ... आभार

    ReplyDelete
  31. pyar to bas ahsas hota hai jo hamesha se raha hai...shabd koi bhi diye jaye kya fark padta hai....

    ReplyDelete
  32. बिन 'आइ लव यू' के
    कैसे हो सकता था प्यार?
    न,न,
    केवल विवाह होते होंगे
    लव, इश्क, मोहब्बत के आने से पहले
    वसन्त उत्सव तो न मनते होंगे!
    ....sach kuch aisa hi prachlan ban pada hai basant manane ka..
    ...sundar sam-samyik rachna..

    ReplyDelete
  33. रति के कहने पर शिव की साधना में व्यवधान पहुंचाने के कारण स्वयं कामदेव ही भस्म हो गए!
    और भस्मासुर भी भोलेनाथ से वरदान पा, श्रेष्ठतम स्थान पाने हेतु उन्हें ही भस्म करने के चक्कर में मोहिनी रूप धरे विष्णु की चाल न समझ खुद को ही भस्म कर गए!!!
    इसी लिए शायद 'प्राचीन भारत' में 'विष्णु की माया' से अनभिज्ञ, और 'शिव के तीसरे नेत्र' के खुल जाने की सम्भावना, से हमारे पूर्वज, तथाकथित माटी के पुतले, केवल मंदिरों तक ही प्रेम प्रदर्शन को शिव-पार्वती / देवताओं आदि की पत्थर से बनी मूर्तियों तक ही सीमित रखने में ही होशियारी समझे...:) कलियुग तो फिर कलियुग ही है - अज्ञानता की पराकाष्टा वाला ... :(

    ReplyDelete