मेरे शहर में अब तक
वसन्त तो आया नहीं
आम्रमंजरी खिली नहीं
कोयल कभी कूकी नहीं।
सरसों कभी फूली नहीं
गेहूँ बालियाँ दिखी नहीं
खेत में फसल झूमी नहीं
पुरवाई ढंग से चली नहीं।
न कहीं गुलाब खिले
न कहीं कमल खिले
तितलियाँ उड़ी नहीं
भँवरें भी दिखे नहीं।
भूमि पर कुतरे खाए
अमरूदों का चूरा तो
अब तक गिरा नहीं
मिट्ठू भी दिखा नहीं।
पवन में पराग कण
अब तक उड़े नहीं
धरती पर टेसू पुष्प
एक भी बिछे नहीं।
रंग, सुगन्ध बिखरे नहीं
मन तो मिले नहीं
सेमर भी खिला नहीं
रेशमी रूई उड़ी नहीं।
भीड़ तो खूब लगी
मीत ही बने नहीं
चेहरे तो अनगिनित हैं
एक भी परिचित नहीं।
मेरे इस बेरंग शहर में
वसन्त तो आया नहीं,
होली तुम क्या आ पाओगी
प्रकृति ने ही रंग खेला नहीं।
घुघूती बासूती
Friday, March 18, 2011
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.......चेहरे तो अनगिनित हैं
ReplyDeleteएक भी परिचित नहीं।......
वर्तमान का सही चित्रण , यही सच है ,सुंदर कविता .
(पिछली पोस्ट (भूकम्प......) चंडीगढ़ से प्प्रकाशित समाचारपत्र 'आज समाज'में पढने को मिली ,
बसंत आये ना आये आपको सपरिवार होली की हार्दिक शुभकामनाये .
आपकी इस खबरदारिया कविता से राशेल कार्शन की प्रसिद्द कृति साईलेंट स्प्रिंग -खामोश बसंत की याद आ गयी !
ReplyDeleteऐसे नीरव खामोश बसंत के शहर में होली होने से रही -मगर ये भी कोई बात हुयी भला होली पर !
आपके माथे आदर भरा अबीर गुलाल -होली है !
अब क्या करें... कुछ भी नहीं.. फिर भी होली तो खेलनी ही है न..... :)
ReplyDeleteशहरीकरण का प्रतिफल होली के आगमन पर शंकाएं पैदा करता है आपका चिंतन जायज है होली की शुभ कामनायें
ReplyDeleteकसक का बेहद उम्दा चित्रण मगर फिर भी होली को तो आना है ……………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDelete--
उनको रंग लगाएँ, जो भी खुश होकर लगवाएँ,
बूढ़ों और असहायों को हम, बिल्कुल नहीं सताएँ,
करें मर्यादित हँसी-ठिठोली।
आओ हम खेलें हिल-मिल होली।।
--
होलिकोत्सव की सुभकामनाएँ!
यह रचना तो रियाद के लिए एकदम सटीक है... होली का एकाध रंग वहाँ तो फिर दिखाई दे जाएगा.... लेकिन यहाँ....ऐसा कुछ भी नहीं...
ReplyDeleteहोली के विविध रंग मुबारक...
होली की हार्दिक शुभकामनायें...
ReplyDeleteक्या कहें..
जब पिया नहीं पास
ReplyDeleteतो सब लगे उदास ।
होली की शुभकामनायें ।
शहर की बेरंग ज़िंदगी का अच्छा प्रस्तुतिकरण है ...
ReplyDeleteभीड़ तो खूब लगी
मीत ही बने नहीं
चेहरे तो अनगिनित हैं
एक भी परिचित नहीं।
सच बड़े शहरों में यही महसूस होता है ..फिर भी होली की शुभकामनायें
भूल जा झूठी दुनियादारी के रंग....
ReplyDeleteहोली की रंगीन मस्ती, दारू, भंग के संग...
ऐसी बरसे की वो 'बाबा' भी रह जाए दंग..
होली की शुभकामनाएं.
वर्तमान का सही चित्रण, सुंदर कविता|
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें|
भीड़ तो खूब लगी
ReplyDeleteमीत ही बने नहीं
चेहरे तो अनगिनित हैं
एक भी परिचित नहीं।
मेरे इस बेरंग शहर में
वसन्त तो आया नहीं,
होली तुम क्या आ पाओगी
प्रकृति ने ही रंग खेला नहीं।
Rachana behad achhee lagee.
शायद सब तुम्हारे आने की प्रतीक्षा में हैं .... होली
ReplyDeleteलगता है बसंत के दफ्तर में जा कर रजिस्ट्रेशन कराना भूल गईं आप। हर शहर में बसंत ने अपना दफ्तर खोल रखा है। कई रूप हैं उसके। जैसे महिला संगठन, मोहल्ला विकास समीति, मंदिर या फिर आध्यात्मिक संस्था। शहर में बसंत बिना इनकी इजाजत किसी के घर में प्रवेश नहीं कर पाता। किसी ने कहा है...
ReplyDeleteयह नया शहर है कुछ दोस्त बनाए रहिए
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए।
.....आपकी कविता मार्मिक है। होली आए और ढेर सारी खुशियाँ साथ लाये। शुभकामनाएँ..।
पलाश के रंग नहीं तो मन के रंगों से होली खेलना होगा।
ReplyDeleteनिगेटिव नी सोच्या करते। बी पोजीटिव।
ReplyDeletebahut khoobsurat.....
ReplyDeleteमन चंगा कर कठौती में गंगा ले आइये.
ReplyDeleteयह सब तो गांव में ही मिलेगा..
ReplyDeleteआप भी महानगर में रहती हैं, मैं भी महानगर के उपनगर में,
ReplyDeleteहमारी वसंत-होली ऐसी ही होती है...
फिर भी इंटरनेटवा पर आभासी होली तो खेल ही सकते हैं-
तन रंग लो जी आज मन रंग लो,
तन रंग लो,
खेलो,खेलो उमंग भरे रंग,
प्यार के ले लो...
खुशियों के रंगों से आपकी होली सराबोर रहे...
जय हिंद...
होली पर शुभकामनायें स्वीकार करें !
ReplyDeleteहां अक्सर ऐसा आभास होने लगा है, होली पर्व की घणी रामराम.
ReplyDeleteहोली की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteघुघूती जी इस शहर को एक कृषि के अच्छे जानकार माली की सख्त आवश्यकता है. आपको और आपके परिवार को होली की बहुत बहुत बधाई और शुभ कामनाएं.
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी कविता। वसंत/होली/रंगों की आस तो मानव मन में सदा ही रहेगी।
ReplyDeleteहोली की शुभकामनायें!
मर्मस्पर्शी कविता ,प्रकृति से मानवीय छेड़छाड़ और परिणतियों को उजागर करती हुई ! सुचिंतित रचना ,सार्थक रचना !
ReplyDeleteरंगपर्व की शुभकामनायें !
आपको होली की हार्दिक शुभकामनाये .
ReplyDeleteआपको होली की हार्दिक शुभकामनाये .
ReplyDelete.होली पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं ...
ReplyDeleteThe season of spring has come, and all the plants have blossomed forth.
ReplyDeleteThis mind blossoms forth, in association with the True Guru.
So meditate on the True Lord, O my foolish mind.Only then shall you find peace, O my mind
nice poem but to much passion in not so positive form, basant is associated with new Beginning and hope,the vegetation grew green again bring hope................ happy holi
मेरे इस बेरंग शहर में
ReplyDeleteवसन्त तो आया नहीं,
होली तुम क्या आ पाओगी
प्रकृति ने ही रंग खेला नहीं।
सुन्दर।
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
ReplyDeletebhavpuran kavita...
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