कार्ला ब्रूनी व सार्कोज़ी फतेहपुर सीकरी गए और कहा जा रहा है कि वहाँ उन्होंने पुत्र के लिए प्रार्थना भी की। पहले विवाह से एक का एक पुत्र व दूसरे के तीन पुत्र हैं किन्तु पुत्रों से भी कभी मन भरता है? सो उन्होंने भी एक 'हमारे' पुत्र की माँग ऊपर वाले से कर ली।
यह बात चाहे यह सिद्ध करे कि फ्रान्स व भारत में बहुत साम्य है या हमारी व उनकी जीवन से अपेक्षाएँ एक सी हैं या नहीं, बस एक बात तो सिद्ध हो जाती है कि यदि समाचार सच है तो मेरी सविताबेन कामवाली और इन फ्रान्सीसी बी में कोई विशेष अन्तर नहीं है।
पाँच छः बच्चों की माँ सविताबेन जब फिर से गर्भवती हुई तो मैंने उससे पूछा कि बार बार (लगभग हर साल) माँ बनने से उसके स्वास्थ्य, परिवार के स्वास्थ्य व आर्थिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है, बच्चियों को भी काम करना पड़ता है तो क्या रुक जाना बेहतर नहीं? सविताबेन ने कहा कि उसे एक बेटा चाहिए सो वह कोशिश करे जा रही है। मैंने जब कहा कि बेटा तो तुम्हारा है। वह बोली कि एक ही है, एक तो और तो चाहिए ही क्योंकि अभी दिल भरा नहीं है।
बहुत सम्भव है कि राष्ट्रपति व उनकी पत्नी को जब अकबर वाला किस्सा सुनाया गया हो तो मजाक में या यूँ ही पति या पत्नी या दोनों ने कहा हो कि उन्हें भी अकबर की तरह संतान चाहिए या शायद पुत्र ही कहा हो। किन्तु सुनने वाले को लगा हो कि वाह देखो ये भी हमारी तरह पुत्र की चाहत रखते हैं। सो सब समाचारपत्र इसकी चर्चा कर रहे हैं।
कल शायद जब कोई दम्पत्ति केवल पुत्री या पुत्रियों से सन्तुष्टि की बात करेगा तो घर के बड़े कह सकेंगे कि फ्रान्स के राष्ट्रपति तक का मन तीन पुत्र पाकर भी पुत्रों से नहीं भरा तो तुम, किस खेत की मूली(या गाजर?) हो?
घुघूती बासूती
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इतने लम्बे लम्बे अन्तराल के बाद लिखेंगी तो हमारा दिल कैसे भरेगा ।
ReplyDeleteमियाँ बीबी राज़ी तो क्या करेगा काज़ी? उनका व्यक्तिगत मामला है, हमें क्या?
ReplyDeleteयह समाचार सुन भारत की जनसंख्या अपना औचित्य सिद्ध करने में लग गयी है।
ReplyDeleteअखबार से तो यही सुन रहे हैं...
ReplyDeleteएक चुटकुला याद आ रहा है पाश्चात्य जीवन शैली पर.- पत्नी पति से- हाय डार्लिंग, ज़रा देखो तो, तुम्हारे बच्चे और मेरे बच्चे मिलकर हमारे बच्चो को पीट रहे हैं.
ReplyDeleteशुभ कामनाये आपकी बाई और सरकोजी- कार्ला ब्रूनी के लिए . दोनों फलीभूत हों
ReplyDeleteभारत में कई कहावते है कई पुत्रो के लिए , जैसे एक आंख भी आँख होती है आँखे तो दो अच्छी होती है यानी दो पुत्र होने चाहिए | दूसरा तो बिल्कूल ताना है की सुबह सुबह बाँझ ( जिसको कोई बच्चा ही ना हो ) का मुह देखना ठीक पर एक पुत्र की माँ का मुह देखन ठीक नहीं है | बोलिये अब क्या कह सकते है किसी भी हाल में लोग खुश नहीं है | हम तो अंधे ही सही है :-)
ReplyDeleteक्या कहा जाए....एक बार कादम्बनी में बच्चन जी का इंटरव्यू पढ़ा था...उनसे पूछा.."आपको अगर लक्ष्मी जी तीन वर मांगने के लिए कहें...तो क्या मांगेंगे?"
ReplyDeleteउन्होंने कहा..."मेरे बड़े पुत्र के एक बेटा और एक बेटी है..छोटे पुत्र की तीन बेटियाँ ....मैं लक्ष्मी जी से तीन बेटे मांगूंगा..मेरे परिवार का समीकरण बिगड़ गया है. "
उन्होंने मजाक में ही कही होगी ये बात पर क्यूँ कही...
:) पोस्ट तो पोस्ट ..टिप्पणियाँ भी कमाल :)
ReplyDeleteमैं जानता था कि इस खबर पर कौन रिएक्ट करेगा :) अच्छी पोस्ट / सार्थक पोस्ट !
ReplyDeleteशुक्र है... कोई तो बात विदेशियों ने हमसे सीखी है
ReplyDeleteप्रभू सबकी मनोकामनाएं पूरी करें:)
ReplyDeleteसविताबेन और कार्ला ब्रोनी दोनों को हमारी शुभकामनाएँ|
ReplyDeleteaapke lekh kamaal upar se itni mazedaar tipanniya ...kyaa kare comment subscribe kiye lete hai
ReplyDeleteशायद ताज़महल में जाकर मन्नत मांगने की बात ही कुछ और है । कम से कम सरकोजी जी ऐसा ही सोचते होंगे ।
ReplyDeleteभला हो सरकोजी-सरकोजियाइन का।
ReplyDeleteजहाँ तक मैं समझता हूँ कि इनकी पूर्व संतानें इनके पहले के विवाहों से उत्पन्न हई होंगी. अब ये दोनों भी अपने प्रेम को कोई ठोस सबूत इस दुनिया में छोड़ जाना चाहते हैं. हाँ इस लिए एक पुत्र कि इच्छा रखना समझ नहीं आया. कहीं दुभाषिये से कोई गलती तो नहीं हुई.
ReplyDeleteभारत भूमि की कुछ तो विरासत वो साथ लेकर जायेंगे........... धन्य हो फ्रांस, धन्य हो यूरोप.........
ReplyDeleteसही लिखा है. एकदम सही. भारत हो कि फ्रांस पर बेटों से किसी का जी नहीं भरता.
ReplyDeleteवाह बेटों की महानता ....!!!!!
ReplyDeleteबेटा बेटा ही होता हैं जी
ReplyDeleteआप नहीं समझेगी
नहीं सुधरेगी !!!!!!!!!!!!!!!!
सुबीर रावत जी ने सही कहा। शुभकामनायें।
ReplyDeleteभाई वाह विदेशी भी हमारी दाद देते हैं.!
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