बहुत दिन से ब्लॉगवाणी चुप है। अपना कोई प्रिय चुप हो जाए तो कुछ समय तक तो हम यह सोचे रहते हैं कि व्यस्त होगा, कोई समस्या होगी, कुछ समय बाद स्वयं बोलने लगेगा। फिर पूछते हैं कि क्या बात हुई। तब भी न बोले तो चिन्ता शुरू होती है। फिर मनाने का सिलसिला चालू होता है। ऐसा ही कुछ अब ब्लॉगवाणी के साथ हो रहा है। अभी तो चिन्ता और पूछने वाली स्थिति है।
ब्लॉगवाणी मेरे और मेरे जैसे बहुत से लोगों के लिए ब्लॉगजगत की खिड़की बन गई थी। इस खिड़की से सबके ब्लॉग्स में झाँककर कहाँ क्या हो रहा है देखा जा सकता था। किसी भी औजार की सफलता उसके उपयोग की सुगमता पर निर्भर करती है। औजार तो बहुत लोग बना लेते हैं और बाजार में उनकी भरमार भी होती है किन्तु कुछ औजार ऐसे लगते हैं कि जैसे आपकी सुविधा को ही देखकर बनाए गए हों। लगता है जैसे यदि आप स्वयं औजार बनाने की योग्यता रखते और अपने उपयोग के लिए बनाते तो ठीक ऐसा ही औजार बनाते। बस यही बात ब्लॉगवाणी के साथ भी है। मैं 'थी' नहीं कहूँगी क्योंकि मैं यही मानना चाहूँगी कि सिरिल समय मिलने पर हमारे लिए और भी बेहतर ब्लॉगवाणी लेकर आएँगे।
तबतक जो बहुत से नए एग्रीगेटर्स आ रहे हैं उन्हें भी फलने फूलने, पल्लवित होने का अवसर मिलेगा। कभी ब्लॉगवाणी भी यूँ ही नई नई हमारे बीच आई थी और हमने उसका दिल खोलकर स्वागत किया और उसे अपने नेट जीवन का एक अभिन्न अंग बना लिया था। हिन्दी ब्लॉगिंग से जितने लोग जुड़ेंगे उतना ही बेहतर होगा। सो नए एग्रीगेटर्स व नए ब्लॉगर्स का सदा स्वागत ही होगा। (बस ढेर सारे नए पाठक भी आ जाएँ तो बात बन जाएगी।)
हमने ब्लॉगवाणी से कभी शिकायतें कीं तो कभी उसे सराहा,कभी मनुहार की तो कभी कुछ नया जोड़ने का अनुरोध किया। सिरिल व ब्लॉगवाणी ने हमें कभी निराश नहीं किया। इसलिए इस बार भी आशा है कि वे दोनों हमें निराश नहीं करेंगे और कुछ दिन का आराम कर लौटकर आएँगे पहले से भी स्वस्थ व तरोताजा!
सो आशा ही नहीं, विश्वास है कि शीघ्र ही फिर मिलते हैं, तब तक के लिए आभार मैथिली जी, सिरिल और ब्लॉगवाणी!
घुघूती बासूती
Monday, June 28, 2010
ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना.............................घुघूती बासूती
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
हमें इस प्रवासी के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं बस दुआ कर सकते है क्योंकि वो आपको प्रिय है !
ReplyDeleteमन उन्मन है गीत चुप है और गजल है उदास
ReplyDeleteऐसे मौके पर ब्लॉग वाणी को फिर बुलाया जाए ..
मगर किसकी बात मानेगी वो ....
उम्मीद है सब जल्द ठीक होगा !
ReplyDeleteलगता है ब्लॉगवाणी वाले मेरी ही तरह अपना घर बदलने में व्यस्त हैं। वर्धा में जबतक मेरी गृहस्थी पूरी तरह नहीं जमेगी तबतक यह ब्लॉगवाणी भी मौन रहेगी। :)
ReplyDeleteमुझे तो विचित्र सुखानुभूति हो रही है। यह ठीक रहती तो भी मैं नहीं देख पाता। अब सभी वंचित हैं। :)
एक एग्रीगेटर जो निस्वार्थ ..फ्री सेवाए देता है ....वो भी लोगो में परेशानी का सबब कैसे बन सकता है .? उम्मीद करता हूँ के वे वापस लौटेगे ....
ReplyDeleteआमीन..
ReplyDeletepahad ke lokgeeton me hee nanhi balki jan- jan ke man me ghar banaye baithi hai ghughuti. jab tak ghughuti ki ghur-ghur hai tab tak pahad me jeevan bhi hai aur ghughuti kamosh ho gai to........?
ReplyDeleteHam sab kee dua qubool ho!
ReplyDeleteउन्हें भी कहाँ चैन मिलेगा हमारे बिना ? जल्दी ही लौट कर आएगी ब्लोगवाणी , ऐसा विश्वास है ।
ReplyDeleteइसी विश्वास को सीने से लगाये बैठे हैं..राह तक रहे हैं.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteउन्होने वास्तव में बहुत अच्छा कार्य किया , मेरी शुभकामनायें !!
ReplyDeleteआपकी चिन्ता जायज है।
ReplyDeleteउम्मीद करता हूँ कि ब्लॉगवाणी फिर से जल्द शुरू होगी।
ReplyDeleteपूरा भरोसा है कि सिरिल चिट्ठेकारों के प्रेम को अनदेखा नहीं करेंगे । आदरणीय मैथिलीजी को प्रणाम।
ReplyDeleteब्लॉगवाणी से ही सभी हिंदी ब्लोगरों को पहचान मिली है .. हमारे लिए ब्लॉगवाणी को आना ही पडेगा !!
ReplyDeleteउम्मीद है सब जल्द ठीक होगा !
ReplyDeleteब्लॉगवाणी के इतने प्रेमी...!
ReplyDeleteउम्मीद करता हूँ कि ब्लॉगवाणी फिर से जल्द शुरू होगी।
ReplyDeleteaapse shabdshah, sehmat hu...
ReplyDeleteमुफ्त सेवाएँ व्यक्तिगत हों तो लम्बे समय तक नहीं चल सकती हैं। सदैव तो कोई भी जीवित नहीं रहता।
ReplyDeleteब्लागवाणी को सामूहिक या व्यवसायिक स्वरूप प्राप्त होगा तो वह पुनः लौट आएगी, अन्यथा पुनः लौट कर भी अधिक नहीं चल सकेगी।
जल्दी लौटने की दुआ ही की जा सकती है !
ReplyDeleteउम्मीद पे दुनिया कायम है ......
ReplyDeleteबहुत दिन बाद ब्लाग पर आ पाई क्षमा चाहती हूँ हमे तो अब भी विश्वास है कि मैथिली जी और सिरिल जी जरूर वापिस लायेंगे ब्लागवाणी वो इतने कठोर नही हो सकते कि कुछ लोगों की गलती की सजा हम सब को दें। धन्यवाद।
ReplyDeleteब्लोग्वानी ने ब्लॉग जगत के लिए बहुत काम किया है. आशा है यह जल्द ही वापसी करेगी, दोगुने जोश के साथ.
ReplyDeleteब्लोग्वानी और चिटठा जगत जैसे संकलकों ने हमें ब्लॉग जगत की आदत डाली है. जबसे ब्लोग्वानी बंद है, तभी से कुछ भी लिखने में मज़ा ही नहीं आ रहा है.
"सच बात तो यह है की ब्लोग्वानी की आदत है हमें."
ब्लोग्वानी पर मेरी हास्य कविता:
चर्चा-ए-ब्लॉगवाणी
ब्लॉगवाणी ने जो लोकप्रियता और मुकाम हासिल किया उतना पहले किसी भी एग्रीगेटर ने नहीं किया। अब नये आने वाले इंडली, हमारीवाणी आदि में भी कई लोचे हैं, मेरे मत में किसी भी एग्रीगेटर को सफ़ल होने के लिये कुछ बातें जरूरी हैं -
ReplyDelete1) सर्वर की स्पीड अच्छी होना चाहिये, अभी चिठ्ठाजगत भी काफ़ी स्लो चलता है, जबकि ब्लागवाणी के साथ यह समस्या नहीं थी…
2) एग्रीगेटर पर पोस्ट अपने-आप आ जाना चाहिये, या एक क्लिक करने से आ जायें, ऐसा नहीं कि इंडली की तरह लिंक भेजना पड़े…
3) रजिस्ट्रेशन और ब्लॉग का पंजीकरण एकदम आसान होना चाहिये।
4) पसन्द-नापसन्द अथवा ऊपर-नीचे वाला फ़ण्डा पूरी तरह खत्म करके, सिर्फ़ "अधिक पढ़े गये" या "इतनी बार पढ़े गये" का एक ही कालम होना चाहिये। इसमें भी यदि कोई एक ही कम्प्यूटर और आईपी से अपनी ही पोस्ट खोले-बन्द करे तो उसे "पढ़े गये" की गिनती में शामिल नहीं किया जाये। "टिप्पणी संख्या" वाली सुविधा भी बेकार सिद्ध हुई है, क्योंकि कुछ "मूर्ख" तो अपने ही ब्लॉग पर खामखा ही या तो बेनामी टिप्पणियाँ करते रहते हैं या उनके चमचे उसी लेख में से एक-दो लाइन उठाकर टिप्पणी के रुप में चेंप देते हैं।
5) आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि "यह मेरा एग्रीगेटर है, मैं जिसे चाहूंगा रखूंगा, जिसे चाहूंगा निकाल दूंगा, जिसे मेरी नीतियाँ पसन्द ना हो वह भाड़ में जाये…" वाला Attitude रखना पड़ेगा, पड़ने वाली गालियाँ ignore करने की क्षमता भी विकसित करनी होंगी, क्योंकि भारत के लोग "इतने हरामखोर" हैं कि मुफ़्त में मिलने वाली चीज़ में भी खोट निकालने से बाज नहीं आते।
जो भी एग्रीगेटर इन बिन्दुओं का ख्याल रख लेगा, वह निश्चित ही सफ़ल होगा…
लाख एग्रीगेटर आते जाते रहें मगर ब्लोगवाणी का जो स्थान था , है , वो अन्य किसी का भी नहीं हो सकता । ये निर्विवाद सत्य है
ReplyDeleteजब हम ही बार बार उस मै गलतिया ढुढेगे, उसे बुरा कहेगे, कभी भी हम ने इन्हे धन्यवाद नही कहा, बल्कि हर बार जुत्म बेर ही निकाला तो कोई कब तक सहे..... ओर मुझे लगता है ब्लांग बाणी भी रुठ गई है
ReplyDeleteblogvani ka to sabhii ko intzar hai.
ReplyDeleteमहज चन्द नासमझों की करनी का फल सबको भुगतना पड रहा है.....ब्लागवाणी के बिना तो मानों ब्लागिंग का रस ही जाता रहा.
ReplyDeleteखैर अभी भी उम्मीद कायम है.....
चिट्ठा जगत के रहते ब्लोगवाणी की कमी महसूस नहीं होनी चाहिए.
ReplyDeletemujhe to blogvani par post dalna aaya hi nahi kitu mai blogvani se hi sari post padhti thi ab kuchh kho gya lgta hai ,aur khoi cheej mil jati hai to khushi duguni ho jati hai .visvas hai blgvani ham sabki khushi par dhyandege .
ReplyDeleteहम भी प्रतीक्षारत हैं....
ReplyDeletemujhe blogvani par kya chal raha hai, kyon nahi dhikh raha hai iski puri jankari to nahi hai. kuch gdbad hai ye aapke blog se pata chala. khair jo bhi hoga achcha hoga.
ReplyDeleteaapne billi( cat) jote wali ko hata diya achcha kiya aur ab nai setting bhi pasand ayi