Tuesday, April 06, 2010
अलीबाग का समुद्रतट ..............................घुघूती बासूती
होली के समय चार दिन को बड़ी बिटिया व उसका पति यहाँ आए। बच्चे जब घर आते हैं तो जीवन भी घर आता है। हम लोग होली से अगले दिन अलीबाग घूमने गए। सारा रास्ता प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ था। मुम्बई के पेड़ों व जंगली उगे पेड़ों को देखकर यही लगता है कि यहाँ का जलवायु पेड़ पौधों के लिए बहुत ही उपयुक्त है। यह बात और है कि मनुष्य ने पेड़ पौधों के लिए जगह ही बहुत कम छोड़ी है। सारे रास्ते मैं मोहित सी पेड़ों को देखती रही। कभी समुद्र तट दिखता तो मैनग्रोव दिखाई देते। यहाँ ये भी बची हुए हैं।
पिछली बार जब बिटिया आई थी तो हम उसे जुहू और वर्सोवा बीच ले गए थे और वे दोनों बेहद गंदी थीं। अलीबाग में भी हम वर्सोली बीच गए। यह बहुत साफ सुथरी थी। ना भीड़ थी ना किसी तरह का शोर शराबा। किनारे भर कैज्युरिना के बहुत ऊँचे पेड़ पंक्तिबद्ध लगे हुए थे। बच्चे पानी में खेलते रहे, मैं गीली रेत व खत्म होती लहरों में चलती रही, घुघूत किनारे पर लेटे रहे। मुझे गुजरात के पास की दियू बीच की याद आ रही थी। वहाँ पानी बहुत साफ होता है। खैर, यहाँ भी बहुत अच्छा लगा। मुझे पानी सदा निमन्त्रण देता सा लगता है। काफी देर यहाँ मस्ती कर हम लोग अलीबाग की मुख्य बीच गए। किन्तु वहाँ भीड़ थी, लगता था जैसे कीचड़ में आ गए हों सो वहाँ रुके बिना ही नागाँव बीच की ओर चल पड़े।
नागाँव बीच ढूँढने में काफी समय लगा। रास्ते भर लोग बताते रहे कि बस थोड़ी ही और दूर। यह भी बिल्कुल अलग थलग व शान्त थी। यहाँ रेत पर कैंकड़ों ने बहुत सुन्दर आकार बनाए हुए थे। सारा तट छोटे छोटे कैंकड़ों से भरा हुआ था। यहाँ साथ लाया हुआ कुछ नाश्ता किया व मच्छरों का हमला हो उससे पहले ही हम कार की तरफ भाग लिए। फिर भी कार में बैठते बैठते ही काफी रक्तदान करना पड़ा। वापसी मेरी खुजलाते हुए ही हुई।
हर बार की तरह इस बार की मुलाकात को भी बिटिया ने कैमरे में कैद कर मेरे कम्प्यूटर पर छोड़ दिया। जब तब देख लेती हूँ। आज ना जाने क्यों मन हुआ और अपने मोबाइल पर खींची अलीबाग के एक तट पर खींची नावों की फोटो को अपने ब्लॉग का हैडर बना दिया। फिर तो बस यादों ने घेर लिया। सो लिख डाला वह सब जो ध्यान में आया। उसमें से कुछ यहाँ भी डाल दिया। कुछ समेट कर रख लिया अपने ही लिए।
घुघूती बासूती
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बहुत सुन्दर फोटो..
ReplyDeleteआप ने चित्र बहुत सुंदर और स्पष्ट लिए हैं।
ReplyDeleteBahut hi sundar tasveeren hain..Alibag se mera bhi bachpan juda hua hai..
ReplyDeleteAur sahi kaha,jab bachhe ghar aate hain to zindagee ghar aati hai..
बड़े सुन्दर फोटोग्राफ्स हैं ! निसंदेह यादें भी सुन्दर होंगी !
ReplyDeleteइतने सुन्दर फोटो न डाला करें,..जलन होने लगती है,,,
ReplyDeleteमजा आ गया.......वाह....बहुत खूब......
http://laddoospeaks.blogspot.com/
सुंदर फोटोग्राफृस .. अच्छा विवरण !!
ReplyDeletebahut khub
ReplyDeletekhubsurat photo
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
अरे यहाँ तो मैं भी हो आया हूँ. खुबसूरत जगह है.
ReplyDeleteमनभावन चित्र!!
ReplyDeleteaapki bitiya rani ne tasveerein bahut badhiya li hain....
ReplyDeleteyaadein.............aakhirkar yahi yaadein milkar hi jeevan banati hai......
पोस्ट के साथ-साथ चित्र भी बहुत बढ़िया हैं!
ReplyDeletenice
ReplyDeleteपरिवार के साथ बिठाये छोटे छोटे लम्हे जब भी याद करो होंठो पर मीठी मुस्कान छोड़ जाते है
ReplyDeleteवो जीवित शंख की फोटो तो कमाल की है। आपने इतना रक्तदान किया तो क्या पहले डाक्टर मच्छर ने ब्लड ग्रुप चेक किया या नहीं? सीधे ही उदरस्थ कर लिया क्या?
ReplyDeleteअब मच्छरो के कोई हल बैल तो चल नही रहे है जो अपना पेट भर ले . हम और आप ही तो है जिन्के दम पर वह बेचारे पलते है
ReplyDeleteसमुद्र मुझे भी खींचता है अपनी ओर मगर ज़िंदगी की भगमभाग उधर जाने का मौका ही नही दे रही है।बहुत सालों पहले मुम्बई के बीच देखे थे।फ़िर से इच्छा जाग रही है देखने की,देखे कब मौका मिलता है,फ़िलहाल तो गर्मी है,फ़िर बरसात रहेगी और फ़िर ठंड बढ जायेगी,शायद ज़िंदगी ऐसे ही खतम हो जायेगी?
ReplyDeletenice photografs ...........
ReplyDeletend nice post .......
चित्र बहुत प्यारे हैं. और हेडर वाला तो सबसे अच्छा. मुझे याद है एक बार मैं दीदी के यहाँ उमरगाँव(वलसाड,गुजरात) गई थी. वहाँ का समुद्रतट भी बहुत साफ था और चीड़ के खूब सारे पेड़ भी थे. मुझे वो बीच जूहू से लाख गुना अच्छा लगा.
ReplyDeletebeautiful pictures....kabhi mauka mila to zaroor jayenge.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत दृश्य.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर तस्वीरें...अलीबाग ,कासिद के समुद्रतट की तो बात ही निराली है... जुहू और वर्सोवा का तो अब बस नाम ही रह गया है...मुंबई के भीतर ही अगर साफ़ पानी वाले समुद्रतट का आनंद उठाना है तो मनोरी बीच एक बढ़िया ऑप्शन है...पर नवी मुंबई से वह काफी दूर है.
ReplyDeleteसुन्दर नजारे हैं!
ReplyDeleteयह चर्चा मे भी लगी है-
http://charchamanch.blogspot.com/2010/04/blog-post_07.html
बहुत खूबसूरत फोटोग्राफ्स ....सुन्दर दृश्यों को संजोया है....
ReplyDeleteantim chitra mere desktop ka background ban gaya hai..
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट और सुन्दर चित्र
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