सानिया वाले प्रसंग में जो कुछ बिन्दु महत्वपूर्ण हो सकते हैं उनमें से कुछ ये हैं.....
१.सानिया हम सबकी तरह स्वतन्त्र हैं किसी से भी विवाह करने या न करने के लिए।
२.यह बात सभी मानते नहीं तो जानते हैं किन्तु जब बात पाकिस्तान की आती है तो हम मस्तिष्क से नहीं मन से सोचते हैं।
३.सानिया केवल एक स्त्री, खिलाड़ी या भारतीय ही नहीं हैं वे एक नायिका बन गई हैं, हृदय साम्राज्ञी, भारतीय यूथ आइकन! उन्होंने इस प्रतिष्ठा की माँग की थी या नहीं यह अलग बात है किन्तु इसको उन्होंने भुनाया भी खूब है।
४. जब आप नायक या हृदय सम्राट या साम्राज्ञी बनते हैं तो उसके बहुत से लाभ व हानि होते हैं। लाभ के तौर पर लोगों का अपार प्यार, सम्मान, और इस कारण से ढेरों विज्ञापन व अपार धन व वी आइ पी स्टेटस मिलता है। हानि के रूप में आपको सार्वजनिक जीवन में वही करना पड़ता है जो आपके इन चाहने वालों को पसन्द हो। आप जिस स्थान पर हैं वे इन्हीं के कारण हैं। अन्यथा विश्व टैनिस में जो रैंकिंग सानिया की है वह ऐसी महान भी नहीं है। महान होती भी तो खेल के लिए तमगे, पुरुस्कार व डॉलर मिलते ही रहते हैं। जो विज्ञापन की कमाई व वी आइ पी स्टेटस मिला है वह इसी पागल, भावुक भीड़ के कारण मिला है।
भगवान भी भगवान इसलिए होता है क्योंकि उसके भक्त होते हैं। भक्ति करना छोड़ दीजिए तो भगवान की भगवानियत भी नाम की ही रह जाएगी। किसी महान नेता के सड़क से गुजरने पर नारे मत लगाइए, उसकी जय मत बोलिए और देखिए वह कैसे हीन भावना से ग्रस्त हो जाएगा।
५.सानिया कुछ भी कर लें उनकी टैनिस की उपलब्धियाँ उनके साथ रहेंगी किन्तु उनके चाहने वालों को यह अधिकार है कि वे उन्हें अपना प्यार देना बन्द कर दें, उन्हें अपने हृदय के साम्राज्य से बेदखल कर दें या उनसे रूठ जाएँ। कानूनन उन्हें सानिया के जीवन में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है। परन्तु कानूनन सानिया को भी लोकप्रिय रहने का कोई अधिकार नहीं है।
६.यह भी सोचने की बात है कि यदि ऐसे ही किसी पाकिस्तानी स्त्री से हमारे किसी नायक ने विवाह किया होता तो भी क्या इतनी हाय तौबा होती? या तब यह लगता कि चलो एक पाकिस्तानी को भारतीय बना दिया? पता नहीं।
७. सानिया ने भारतीयों की भावनाओं या अपने भविष्य को ध्यान में रखकर दुबई में रहने का निश्चय किया है या कम से कम ऐसी घोषणा की है। यह शायद उन्होंने 'जोर का झटका धीरे से लगे' के अन्तर्गत किया है।
८. जो सबसे बड़ी बात है वह यह है कि..
क. सानिया टैनिस अच्छा खेलती हैं या शायद बहुत अच्छा।
ख. उनकी शक्ल सूरत लोगों को पसन्द है।
ग. वे लोकप्रिय हैं।
घ. वे सफल टैनिस खिलाड़ी होने के साथ साथ सफल मॉडेल भी हैं।
ड़. वे धनवान हैं।
किन्तु जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वह यह है कि इतना सब होने पर भी वे न तो स्त्री के लिए आदर्श हैं न मनुष्य के लिए। वे उभरते टैनिस खिलाड़ियों, खिलाड़ी लड़कियों, मॉडेल्स आदि के लिए अपने प्रमुख क्षेत्रों खेल व मॉडेलिंग की आदर्श शायद हो सकती हैं।
वे इन बातों में भी आदर्श हो सकती हैं कि
१.अपना काम करो और किसी समाज के ठेकेदार पर कान न दो।
२.जो मन करे वह पहनो।
३.जितना धन कमा सकती हो कमाओ।
४.जिससे मन करे विवाह करो। यह निर्णय केवल उनका व उनके मंगेतर व उनके जीवन के महत्वपूर्ण लोगों से सम्बन्ध रखता है।
५.यदि किसी से सगाई हो भी जाए तो यदि लगे कि निभेगी नहीं तो उसे तोड़ दो ताकि बाद में दोनों का जीवन नर्क न बने।
६. अर्थात वे एक स्वतन्त्र व्यक्ति हैं व अपने ढंग से जीवन जीती हैं।
आदि आदि।
किन्तु वे कबसे कोई दार्शनिक या विचारक हो गईं कि वे हमारा आदर्श बन जाएँ? यदि आपको याद हो तो कुछ महीने पहले ही उन्होंने एक विचित्र इन्टरव्यू टी वी पर दिया था। शब्द इधर उधर हो सकते हैं किन्तु सार नहीं। उन्होंने कहा था.....
'यदि शादी करने के बाद भी खेलना है तो शादी करनी ही क्यों है?'और उसके बाद एक बेहद मूर्ख व फूहड़ हँसी। ऐसे जैसे जो ऐसा सोचती या करती हैं वे सब महामूर्खाएँ हैं। मैं प्रायः भुलक्कड़ हूँ किन्तु वह बात व हँसी इतनी मारक थी कि कभी भी नहीं भूल सकती। वह उन सब स्त्रियों का अनादर था जो विवाह के बाद नौकरी करती हैं, पढ़ाई करती हैं, रिसर्च करती हैं, अभिनय करती हैं, मॉडेलिंग करती हैं, चित्र बनाती हैं, पत्रकारी करती हैं आदि। वह मेरी जैविक व मानस बेटियों (या जो मेरी बेटी समान हैं) का अनादर था।
किन्तु उन्होंने कब कहा था कि वे प्रबुद्ध हैं? कि उनका कोई महान जीवन दर्शन है? जो उन्हें सही लगता है वे वह करें जो अन्य स्त्रियों को सही लगता है वे वह करेंगी।
यदि हम उन्हें उनके विचारों के लिए महान मानें या उनके विचार जानना चाहें तो यह कुछ वैसा होगा जैसा स्वामी रामदेव से विमान उड़ाना सीखना, तरला दलाल से पुलिस की समस्याएँ जानना, आदि आदि। बेहतर होगा कि हम उनका अनुसरण केवल उनके क्षेत्र में करें न कि अन्य क्षेत्रों में भी।
अन्त में, हमारे कुछ मित्रों व जम्मू कश्मीर की सरकार के विचारों में कोई विशेष अन्तर नहीं है। वहाँ वे यह बिल ला रहे थे, शायद कानून बन भी गया हो कि जो भी जम्मू कश्मीर की नागरिक स्त्री किसी जम्मू कश्मीर के बाहर के नागरिक से विवाह करेगी वह जम्मू कश्मीर की नागरिकता, वहाँ जमीन खरीदने का अधिकार आदि खो देगी, शायद मतदान का भी। मुझे तो आश्चर्य है कि जीवन का अधिकार क्यों बक्श दिया? खाप तो वह भी नहीं बक्शतीं! यहाँ हमारे मित्र यह सुझा रहे हैं कि उन्हें भारत की तरफ से न खेलने दिया जाए। वे भारतीय नागरिक रहना चाहें तो भी उन्हें यह अधिकार न दिया जाए। स्त्री के साथ जो उस पर हमारे या किसी अन्य के अधिकार, उसका हमारी या किसी अन्य की जागीर बनने का भाव मन में उपजता है वही सबसे बड़ी समस्या है। इसका समाधान बहुत सरल भी नहीं है। शायद बार बार झटके ही इसका इलाज हैं। और ये झटके तो अब समाज को लगते ही रहेंगे। सब सानिया भी नहीं होंगी जो 'जोर का झटका धीरे से लगे' में विश्वास करती हैं।
सानिया को भी अब अपने प्रशंसक खोने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने अपने अधिकार का उपयोग कर अपने मनपसन्द से विवाह करने का निर्णय किया है तो बहुत से प्रशंसकों ने प्रशंसक पद से त्यागपत्र देने का। दोनों को उनके निर्णय मुबारक!
घुघूती बासूती
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बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है। तारीफ के काबिल है आपका ये आलेख।
ReplyDeleteYE SAHEE KIYAA JEE
ReplyDeleteVAHAA COMMENT ME ITNA LAMBA HO GAYA.
आपने हर पहलू पर बड़ी अच्छी तरह प्रकाश डाला, है. आपका कहना बिलकुल सही है कि सानिया को एक साधारण मानवी की तरह देखें. वे अद्भुत टेनिस खेलती हैं. विश्व के ५० टॉप महिला टेनिस खिलाड़ियों में उनका नाम आ चुका है. यह उपलब्धि कम बड़ी नहीं है और इसके बल पर उन्हें ढेरों विज्ञापन भी मिले और सैकड़ों साक्षात्कार भी लिए गए. पर वे अनमोल वचन ही बोलेंगी और आदर्श व्यवहार का उदाहरण ही सामने रखेंगी,इसकी आशा कैसे की जा सकती है? किसी भी खिलाड़ी,कलाकार की निज़ी ज़िन्दगी भी होती है,उसका फैसला हम कैसे ले सकते हैं? एक तो उन्होंने महिला टेनिस के आकाश पर भारत का नाम उकेरा और अब उसकी कीमत भी चुकाएं.क्यूंकि ऐसा करके वे हमारी जागीर हो गयीं
ReplyDeleteऔर जो लोग इतना विरोध कर रहें हैं,मुझे नहीं लगता वे सब टेनिस या सानिया के इतने बड़े प्रक्शंसक रहें हैं. और सानिया के खेले गए मैचों का लेखा जोखा रखा है या उनकी पहले की या आज की विश्व रैंकिंग उन्हें पता है. पर विरोध में जरूर शामिल हो गए क्युकी वे किसी पाकिस्तानी से शादी कर रही हैं.
वे सानिया मिर्ज़ा हैं,इसलिए उनके विवाह का लोगों को पता चल गया,वरना आज भी ,कई लडकियां ऐसी हैं जिनका,मायका दिल्ली है और ससुराल लाहौर.
आपने सही कहा अगर यही , शाहरूख,किसी पाकिस्तानी लड़की से शादी कर लेते तो इतनी हाय-तौबा मचती क्या? आखिर फिल्म वीर-ज़ारा में तो उन्होंने किया ही,और उस फिल्म को भारतीय जनता ने हिट बनाया.उस समय तो कोई आवाज़ नहीं उठी
बिलकुल सहमत ...सानिया के निजी जीवन में सारे दखल देने में लगे है
ReplyDeleteपता नहीं क्यों इस विषय में कुछ सोचा नहीं अब तक ...कोई धारणा...कोई संस्थिति ( स्टेंड ) नहीं !
ReplyDeleteव्यक्तिगत रूप में सभी को अपने निर्णय लेने का अधिकार है।
ReplyDeleteसानिया को भी है।
सेलेब्रिटी है, इसलिए जनता का ध्यान जाना तो लाजिमी है।
बस एक ही बात समझ में नहीं आ रही कि ११७ करोड़ की आबादी वाले देश में उसे एक दूल्हा नहीं मिला ?
आप ने सारे पहलुओं को खूब खोल कर रख दिया है।
ReplyDeleteबहुत सटीक लेख....हम लोगों को व्यर्थ कि बातों पर हाय तौबा मचाने की आदत है.....देश में जो सम्सयायें हैं उन पर ध्यान नहीं जाता.
ReplyDeleteदराल जी, मुझसे भी कुमाऊँनियों ने यही प्रश्न ३३ साल पहले पूछा था। क्या इतने कुमाऊँनियों में एक भी लड़का नहीं मिला? ब्राह्मणों ने पूछा कि क्या एक भी ब्राह्मण नहीं मिला। यदि किसी अब्राह्मण कुमाँउनी से करती तो कहते कि क्या एक भी ब्राह्मण नहीं मिला? यदि ब्राह्मण भी होता तो कहते कि समकक्ष नहीं मिला था क्या? गधे व गधे के मालिक व उसके लड़के वाली कहानी वाली बात है। कुछ तो लोग कहेंगे। लोगों का काम है कहना।
ReplyDeleteवैसे मेरा कुमाँऊ प्रेम अन्तर्जातीय, अन्तर्प्रान्तीय विवाह करने से बिल्कुल भी कम नहीं हुआ। और जिसे देश या स्व धरती से प्रेम है ही नहीं वह ना बढ़ेगा ना कम होगा जिससे चाहे विवाह कर ले।
घुघूती बासूती
आपने तो कट्टरपंथियों को आइना दिखा दिया!
ReplyDeleteआपको भी मुबारक
ReplyDeleteसानिया अच्छा खेलती भले ही हों, पर वे इतनी प्रबुद्ध नहीं हैं कि प्रत्येक क्षेत्र में उनका अनुसरण किया जाये. फिर भी उन्होंने भारतीय महिला टेनिस को एक नया मुकाम दिया है, इसलिये उन्हें सम्मान और लोकप्रियता पाने का अधिकार है. लेकिन किसी भी सेलिब्रिटी से सामाजिक ज़िम्मेदारी निभाने की अपेक्षा करना एक बात है और उनके व्यक्तिगत जीवन को इस आधार पर कसना दूसरी बात.
ReplyDeleteसभी को अपने ढंग से जीवन जीने का अधिकार है. उनके व्यक्तिगत जीवन में दखलंदाजी नहीं करना चाहिये. सानिया ने न किसी का दिल दुखाया है, न अपमान किया है, एक पाकिस्तानी से विवाह का फ़ैसला मेरे ख्याल से तो ऐसा फ़ैसला नहीं है, जिसे सामाजिक ज़िम्मेदारी के विरुद्ध माना जाये
...खैर अब ये तो उनके प्रसंशकों पर है कि वे आगे कैसा व्यवहार करते हैं. न हम सानिया को उनके मनमुताबिक फ़ैसला लेने से रोक सकते हैं, न उनके प्रसंशकों के व्यवहार को.
पुनश्च:कुछ और घटनाक्रम जुड़ रहे हैं -बेचारी की शादी कहीं खटायी में पड जाय -
ReplyDeleteकाश मैं सानिया होता तो जनभावनाओं का सम्मान रख कर खुद ही इस रिश्ते से दर किनार कर लेता
लोकनायक और नेत्री को जन भावनाओं का ख़याल रखना चाहिए
कितना मुश्किल है न खुद की भावनाओं पर नियंत्रण रख आम जनता की बात रख पाना
सब भगवान् राम थोड़े ही हो सकते हैं जैसे मैं सानिया नहीं हो सकता
उसका जीवन, उसके फैसले..उसे मुबारक.
ReplyDeleteअच्छा लगा आपका आलेख!!
इस मुद्दे पर मेरा इतना सा मत है की सानिया जो चाहें वो कर सकती है उन्हें अपना जीवन अपने हिसाब से जीने की पूरी आजादी है। सुबह मैंने टीवी पर ठाकरे जी के विचार सुने और श्री राम सेना वालों के विचार भी सुने वो भी सानिया के विवाह के खिलाफ नहीं है। वे लोग सिर्फ इस बात का विरोध कर रहे है की सानिया को एक पाकिस्तानी से विवाह के उपरांत भारत की तरफ से नहीं खेलने दिया जायेगा। और मुझे भी यह बात बिलकुल ठीक लगाती है। मेरे विचार से सानिया विवाह के बाद भारत की तरफ से तभी टेनिस खेल सकती है जबकि शोएब इस शादी के बाद भारत का नागरिक हो जाये और यहीं पर रहे। पर शायद एसा नहीं होगा। बाकि जो कोई भी सानिया के विवाह के खिलाफ बोल रहा है वो गलत है। एसा नहीं करना चाहिए।
ReplyDeleteExtremely articulate article!
ReplyDeleteSaniaki aparipakwta mujhe Aishwarya Rai kee yaad dilaa gayi .kuchh saal pahle ek interview me Aishwarya aisihi foohad-si hansi hans rahi thi..
Saniane jis bhi kisi karan yah nirnay liya ho,wo wahi jane. Ham azaad hain ki,use 'poojy' na banaye!
shandar aur satik!
ReplyDelete> वे इन बातों में भी आदर्श हो सकती हैं कि
ReplyDelete१.अपना काम करो और किसी समाज के ठेकेदार पर कान न दो।
२.जो मन करे वह पहनो।
३.जितना धन कमा सकती हो कमाओ।
४.जिससे मन करे विवाह करो। यह निर्णय केवल उनका व उनके मंगेतर व उनके जीवन के महत्वपूर्ण लोगों से सम्बन्ध रखता है।
५.यदि किसी से सगाई हो भी जाए तो यदि लगे कि निभेगी नहीं तो उसे तोड़ दो ताकि बाद में दोनों का जीवन नर्क न बने।
६. अर्थात वे एक स्वतन्त्र व्यक्ति हैं व अपने ढंग से जीवन जीती हैं।
मेरे लिए इतना ही काफी है प्रशंसक बनाने के लिए.
सानिया की मर्जी वह अपने विवाह के मामले में जो मन आये वो करे।
ReplyDeleteमीडिया को मसाला मिला है। वह सानिया की शादी और उसके कुछ दिन बाद तक इसे जमकर दिखायेगी। कवियों और लेखकों की कलम भी चलेगी। चुटकुले बनेंगे सानिया और शोयेब के ऊपर।
आपकी सारी ही बातें मेरे मन की हैं। बहुत अच्छा लगा। बस एक बात कहना चाहती हूँ कि लोग अनावश्यक उसे तूल दे रहे हैं। भारत की लाखों लड़कियां पाकिस्तानी लड़कों से शादी कर रही हैं। तो वो भी कर लेगी तो क्या हो जाएगा? दूसरा प्रश्न कि वो किस देश के लिए खेलेग? अरे शादी के बाद वहाँ की मानसिकता तो माँ बनने की रहती है, उसे अब खेलने का अवसर ही कहाँ मिलेगा? बेकार में ही झगड़ रहे हैं।
ReplyDeleteपर ऐसा आदमी जिसने अपनी पहली पत्नी को यूँ ही छोड़ दिया हो?
ReplyDeleteऐसा क्यों है की अधिकतर सेलिब्रिटी महिलाओं को कुँवारों के बजाए शादीशुदा मर्द पसंद आते हैं? खैर पसंद अपनी अपनी. पुरुष मासूमियत को तजरीह देते हैं, महिलाएँ दुनियादारी को.
वैसे भी ट्रॉफ़ी वाईफ के लिए अपनी पहली पत्नी को यूँ ही छोड़ देना दुनियादार होने की बढ़िया निशानी है.
अच्छी प्रस्तुति.....विचारणीय पोस्ट....
ReplyDeleteसानिया को लेकर मचे घमासान को लेकर मेरे विचार मेरे इस पोस्ट पर देखें.................................
सानिया मिर्ज़ा---तुम जहाँ भी रहो खुश रहो..(पुरुषों ने तुम्हारे लिए किया क्या है.?
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/04/blog-post_03.html
हम सब कह रहे हैं कि बेकार का मुद्दा है इस पर क्या बहस करनी , मगर आपकी पोस्ट बता रही है कि कोई मुद्दा बेकार बेमानी नहीं होता ..हां उसके निहितार्थ तलाशने होते हैं । आपने बखूबी तलाशा उन्हें सानिया के बहाने ही सही बहुत सी बातें कही और पाठकों ने भी अपनी राय रखी ..इसलिए साथ साथ ये पूछता चलूं कि "ब्लोग बातें " स्तंभ के लिए अगला विषय सानिया मिर्ज़ा ही है तो ,जाहिर है कि आपकी पोस्ट का जिक्र कर सकता हूं न , इसके बिना अधूरी रहेगी वो इसलिए
ReplyDeleteअजय कुमार झा
अजय जी, ब्लॉग बातें के विषय में मैं नहीं जानती। अनुमान लगा सकती हूँ कि समाचार पत्र या वेब पत्रिका में स्तम्भ होगा। आप मेरे लेख का जिक्र कर सकते हैं। यदि मेरा लिंक भी दें तो बेहतर होगा।
ReplyDeleteघुघूती बासूती
यदि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के लिहाज से देखें तब तो सानिया के फैसले पर सवाल उठाना नाजायज है ही किंतु जब देशभक्ति के पैराडाइम में बात की जाती है तब भी ये पूछना जायज है कि भलेमानसों राष्ट्रवाद का विमर्श और उसके खेल स्त्री देह पर ही क्यों खेले जाते हैं (उसकी स्वतंत्रता, उसके प्राण, उसकी कोख...पर)पूरी दुनिया में राष्ट्रवाद की कीमत स्त्री चुकाती है जबकि ये अक्सर मेलईगो की निर्मिति होती है।
ReplyDeleteरहा सवाल सानिया के आदर्या होने न होने का... तो आदर्श निमा्रण की प्रक्रिया खुद आदर्शों द्वारा नहीं वरन समाज की जरूरतों से ही तय होती है। कोई भी आदर्श सार्वकालिक व सर्वांग नहीं होता, नहीं होना चाहिए। कोई फर्क नहीं पड़ता कि सानिया का स्वार्थ क्या है तथा उनका विवाह सफल होगा या असफल... फिलहाल वे बहस के केंद्र में एक प्रतीक के रूप में हैं तथा वे प्रतीक हों ये उनकी नहीं हमारे समाज की जरूरत है... समाज एक स्त्री को उसकी इच्छा से जीने की अनुमति देगा ये नहीं... फिलहाल केवल यही सवाल है। राष्ट्रवाद की नृशंसता पर स्त्री स्वातंत्र्य को अहमियत मिले, हमारी तो ये ही कामना है।
बिल्कुल सही कहा मसिजीवी जी ने 'राष्ट्रवाद' के लिए भी औरत की देह ही मिली महाशय ? सानिया का अपना जीवन है और उसे वो चाहे जैसे चाहे वैसे रखे .
ReplyDeleteघुघूती जी ज़िन्दाबाद!
ReplyDeleteशुक्रिया घुघुती जी , जी ये मेरे द्वारा पत्रों के लिए शुरू किया साप्ताहिक स्तंभ है जो शुरू हो चुका है इसमें न सिर्फ़ आपकी पोस्ट का जिक्र बल्कि उस ब्लोग के पते का जिक्र भी होगा और उन पोस्टों के अंश भी ..
ReplyDeleteये जो करना चाहे, करे। अपन को क्या?
ReplyDeleteसानिया का विवाह मीडिया में चर्चित है क्योंकि यह आम जन के लिए चटखारेदार खबर है
ReplyDeleteसाहित्यकार भी इसमें इतना सर खपाएंगे यह विस्मयकारी है।
आप सही कह रही हैं.
ReplyDeleteपढ़ा, हरबार की तरह खूब अच्छा भी लगा, जब कमें करने आया, तो इतना कुछ कहा जा चुका था कि कुछ कहना नहीं बन रहा था...और इतनी सारी सहमतियों से असहमति जताना भी नहीं बन रहा था...
ReplyDeleteइसलिए....कुछ नहीं
आलोक साहिल
बेड man -शन [shun ]
ReplyDeleteSO नया भी है पुराने जैसा,
मर्ज़ उनका है ज़माने जैसा,
अपने साथी को बदल कर दोनों,
खेल पायेंगे दीवाने जैसा!
-मंसूर अली हाशमी
http://aatm-manthan.com
बेकार की बातो मे हम लोग ज्यादा दिमाग लगाते है .
ReplyDeleteराष्ट्रवाद की नृशंसता शब्द का प्रयोग जिस भावना में किया गया है, उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. यह भी नहीं कहना चाहता कि सानिया का निर्णय कैसा है. लेकिन इस शब्द का प्रयोग चुभने वाला है. राष्ट्र से ही व्यक्ति की पहचान है. राष्ट्र के बिना सबकुछ बेकार है. कोई भी हों चाहे वह एक श्रमिक हो या प्लास्टिक पीटर, उसे जो भी मिला है राष्ट्र से ही मिला है और आधार भी राष्ट्र ही है...
ReplyDeleteसानिया मिर्जा अच्छी खिलाड़ी हैं ...इससे अधिक और कोई दिलचस्पी नहीं इस विषय में..
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