Sunday, February 14, 2010

आज भी है वैलेन्टाइन दिवस...................................घुघूती बासूती

सोचती हूँ कि १० साल पहले आज के दिन कितने खतरे मोल लेकर हम दोनों मिले थे। तब कुछ ही महीने पुराना प्यार था। जानते थे कि मिलने में खतरा है, कि संस्कृति के रक्षक कभी भी पकड़ सकते हैं और फिर जलूस भी निकाल सकते हैं किन्तु लगता था कि उनसे डरना गलत होगा और हम मिले थे। मिलकर खाना भी खाया, संस्कृति के रक्षकों से बचने को थोड़े अधिक मंहगे रेस्टॉरेन्ट में गए थे।

कोई यह भी कह सकता है कि यह करना क्या इतना ही आवश्यक था? हमें लगता है कि आवश्यक था। यदि हममें उस दिन साथ खड़े होने का साहस न होता तो शायद हममें इसके परिवार के कुछ लोगों के विरोध के सामने खड़े होने का भी साहस न होता। यदि एक बार साहस दिखा दो तो बार बार साहस दिखाने का साहस आ जाता है। यदि शुरु में ही डर जाओ तो सदा ही डरने की आदत बन जाती है।

आज उसने माँ को फोन किया था, रसोई के बारे में बताया था और रसोई के ओटे, अलमारी आदि के फोटो भेजे हैं, नेट पर देखने को कह रहा था। फिर मैंने बात की। पूछ रही थीं कि वैलेन्टाइन दिवस कैसा मन रहा है तो मैं अपनी नई रसोई के लिए की जा रही भाग दौड़ के बारे में बता रही थी। वे हँस रही थीं और कह रही थीं आह, बच्चों का वैलेन्टाइन दिवस ऐसा दौड़ भाग वाला ! पीछे से वह कहे जा रहा था कि नहीं, हमने मनाया, हमने मनाया और हम मना रहे हैं और मनाएँगे।

सच तो यह है कि आज का वैलेन्टाइन दिवस उन सभी पिछले १० वैलेन्टाइन दिवसों की पराकाष्ठा है, चरम है। उस सबसे पहले वाले का, प्रेम के पहले वर्षों में मनाए गयों का जब पता था कि चाहे जो हो जाए विवाह करेंगे ही, फिर विवाह करने की स्वीकृति के बाद वाले का,सगाई के बाद पहला वाला, विवाह के बाद पहला वाला और कई और भी जब हम साथ भी थे परन्तु अलग अलग अपना भविष्य बनाते, पढ़ते, काम करते, संघर्ष करते। अब जीवन में स्थायित्व आ रहा है। अपना घर बन रहा है, रसोई बन रही है। आज जल्दी से एक रेस्टॉरेन्ट में जाकर हड़बड़ी में डोसे खाए, लिफ्ट न चलने पर नए बनते अपने घर ९ मंजिल हाथ पकड़ सीढ़ी चढ़कर गए, और जो फोटो हमने मिलकर अपनी रसोई में खींचे, वह सब क्या वैलेन्टाइन दिवस नहीं था? और अभी मिलकर हमने जो खाना बनाया और कुछ अधजली मोमबत्तियों को ढूँढकर, मेज पर एक इकलौता गुलाब लगाकर हम मिलकर खाना खा रहे हैं यह भी वैलेन्टाइन दिवस है। मैं यह नहीं कहूँगी कि यह ही वैलेन्टाइन दिवस है, क्योंकि तब वे पहले वाले सब दिवस छोटे पड़ जाएँगे और वे सब खतरे जो हमने उठाए थे वे भी छोटे बन जाएँगे। परन्तु यह भी वैलेन्टाइन दिवस है। जैसे आज पिछले सब दिवस याद आ रहे हैं वैसे ही यह भी कभी भविष्य में याद आएगा और शायद यह भी एक मील का पत्थर कहलाए।


घुघूती बासूती

22 comments:

  1. यूं तो प्रणय के लिए तीन सौ पैसंठ सही एक बटा चार दिन ही वेलेंटाइन्स डे हैं पर यह दिन इसलिए खास हो गया क्योंकि प्रेम रिक्त लोगों का विरोध इसे खास बना देता है ! कौन जाने उन्हें यह भ्रम क्यों है कि वे प्रणय शुचिता के ठेकेदार हैं ! आपको यह जानकार आश्चर्य होगा कि पिछले वेलेंटाइन्स डे पर विरोध का सुर फूकने वाले एक संस्कृति रक्षक ठीक अगले ही दिन अपनी प्रेयसी के साथ गुपचुप रवानगी डाल गए :)
    आप जब भी लिखती हैं ...जिस विषय पर भी लिखती हैं...सुचिंतित ढंग से लिखती हैं ! यही जीवन है , कुछ गुलाब , कुछ मोमबत्तियां और कुछ पिछले दिनों का स्मरण करते हुए जोड़े ! हर बार , हर साल , हमेशा हमेशा !

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  2. मेरे ख़्याल से ये सबसे ज़्यादा रोमैंटिक कहानी है और सबसे रोमैंटिक वैलेण्टाइन डे. प्यार करने वालों के लिये हर दिन ख़ास होता है और जो दिन सबके लिये ख़ास है, वो प्यार करने वालों के लिये सबसे ज़्यादा ख़ास होता है. शुभकामना है आने वाला हर वैलेंटाइन डे इसी तरह मनाया जाता रहे.

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  3. आज मैने शब्दों में बुने हुये प्यार को महसूस किया
    वेलेंटाइन मनाते रहिये हर शाम हर सुबह
    बहुत किस्मत वालों को मिलते है प्यार करने वाले

    एक गीत सुन रहा हूँ अभी
    हर किसी को मुक्मल्ल जहाँ नहीं मिलता
    कहीं जमीं तो कहीं आसमा नहीं मिलता

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  4. गीत के बोल है
    कभी किसी को मुक्म्मल जहाँ नहीं मिलता
    कहीं जमीं तो कहीं आसमा नहीं मिलता

    जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
    जबाँ मिली है मगर हमजुबाँ नहीं मिलता

    बुझा सका है भला कौन वक्त के शोले
    ये ऐसी आग है जिसमें धुआ नहीं मिलता

    तेरे जहाँ में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
    जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता

    .........बस लिख गया पूरा गीत सुनते सुनते और आपको पढ़ते हुये

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  5. देखिये अब कौन सा गीत शुरु हुआ.....

    ....कागज कलम दवात ले ये किस्सा लिखे कोई.....
    .....रांझा रांझा करते फिर एक हीर दिवानी हुई....

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  6. hridayangam prem katha..
    bahut hi accha laga padhna ..

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  7. अजी, बस रोमांटिक ताना बाना चलता रहे तो हर दिवस वेनेन्टाईन डे है..वैसे हम भी आज घर पर होटल से आर्डर करके खाना मंगा कर मना ही डाले. :)

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  8. प्यार का कोई एक दिन मुक़र्रर तो है नहीं जब भी मन लीजिये वालेंटायींन
    जितनी भी नावों में जितनी भी बार(अज्ञेय से साभार )

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  9. अली जी की बात दोहराना चाहूँगा - "आप जब भी लिखती हैं ...जिस विषय पर भी लिखती हैं...सुचिंतित ढंग से लिखती हैं !"

    प्रेम सर्वत्र उपस्थिति, सदैव उपस्थित है । हर क्षण प्रेम की चासनी में पगा हुआ । हमें उस क्षण से एक कर लेना है अपने आपको ।

    प्रविष्टि का आभार ।

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  10. अविस्मरणीय! कल जोधपुर में था और घर का फोन बंद। शोभा से बात तक नहीं हो पाई। यह भी एक वैलेंटाइन दिवस था।

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  11. हमें कोई अच्‍छा लग जाए तो हम तो वेलेन्‍टाइन डे का इंतजार नहीं कर सकते उसी दिन उससे कहेंगे कि तू बड़ा प्‍यारा है। हाँ उस दिन रस्‍मअदायगी जरूर कर देंगे।

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  12. जब घर वालों से बचते बचाते कहीं मिलते थे, वेलेंटाइन डे जैसा कुछ होता है पता ही न था. शादी के बाद पहली बार श्रीमतिजी इस दिन दुसरे शहर है. वीस करना भी याद न रहा... :)

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  13. रोज ही मनायें, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं.

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  14. प्रेम में स्थिरता रहे तो हर दिन वैलेंटाइन रहता है।

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  15. सुंदर शब्द चित्रों के साथ उकेरी गयी है पोस्ट.

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  16. prem ke liye to kai umr bhi kam padti hai to 365 din se kya hoga ?

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  17. हमारी शरीके-हयात ने तो हमें अपने ग्यारह साल के कोर्ट-शिप में भी कभी इस दिवस को मनाने नहीं दिया....

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  18. एक फोटो लगा दी होती तो पोस्ट वासंती, सॉरी, वैलेण्टाइनी हो जाती!

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  19. कम से कम एक दिन तो ऐसा होना ही चाहिए जिसे हम पूरी तरह से अपने प्रेमी / प्रेमिका के साथ बिता सकेl वैसे तो समय के साथ- साथ इस भागम -भाग वाले जीवन में उसके साथ बिताए गए सुकून के कुछ पल भी कई बार काफी होते हैंl

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  20. HAPPY VALENTINE DAY.

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