Wednesday, November 18, 2009

आओ खेलें खेल

चलिए खेल खेलते हैं। नेट है और खेल हैं। और खेल भी कैसे? चलिए पहले किसी नारी को विभिन्न वस्त्र पहनाते हैं। अरे, इसमें किसी को क्या आपत्ति? वस्त्र पहनाएँगे तो निर्वस्त्र तो करना ही होगा! पहले वस्त्र पहनाएँ, निर्वस्त्र करें, फिर वस्त्र पहनाएँ, अपनी इच्छा के पहनाएँ फिर चलिए आगे चलें।

आगे खेल यह है कि हमें किसी स्त्री का बलात्कार करना है। चलिए यही खेल खेल लेते हैं। सच के जीवन में तो यह करना थोड़ा कठिन है फिर इस आभासी जगत में क्यों ना हाथ आजमाया जाए? चलिए उसका तो बलात्कार कर लिया अब उसकी बेटियों का भी क्यों न किया जाए?

भाई लोगो, अब आपके मनोरंजन के लिए और हाँ, लगे हाथ अभ्यास के लिए भी ऐसे खेल उपलब्ध हैं। सोच क्या रहे हैं, यह अभ्यास ही तो जीवन में काम आएगा। और हाँ, बेटियों को जन्म गलती से भी न दीजिएगा, क्योंकि यही खेल अन्य पुरुष भी खेल रहे हैं, तैयारी कर रहे हैं आपकी बेटी के बलात्कार के लिए।

हाल ही में खबर पढ़ी थी कि नेट पर ऐसे खेल उपलब्ध हैं। एक माँ अपने १५ वर्षीय बेटे में अजीब सा बदलाव देख रही थी। वह समझ नहीं पा रही थी कि उसे क्या हो रहा है। बदलाव तो वह देख रही थी किन्तु क्या व क्यों पर उँगली नहीं रख पा रही थी। फिर एक दिन उसने उसे नेट पर यह खेल खेलते देखा। पूछने पर उसने बताया कि एक दिन वह नेट पर घूम रहा था जब एक पॉप अप आया कि उसे एक स्त्री को वस्त्र पहनाने हैं। वह आकर्षित हुआ और खेल खेलने लगा और एक के बाद एक सीढ़ी चढ़ते हुए खेल में आगे बढ़ने लगा। स्वाभाविक है कि उसमें बदलाव आए। माँ उसे मनोष्चिकित्सक के पास ले गई।

आज के युग में जब हमारा बच्चा अपने घर में भी सुरक्षित नहीं है अभिभावकों के लिए कम्प्यूटर में अधिक से अधिक सुरक्षा का उपाय करना आवश्यक हो गया है। अब हम उसकी मासूमियत के कारण उसे सुरक्षित नहीं मानकर चल सकते। बाहर का खतरा और खतरनाक लोग अब नेट के जरिए हमारे घरों में प्रवेश कर चुके हैं।

घुघूती बासूती

24 comments:

  1. बिल्‍कुल ! बच्‍चों के लिए खतरे बहुत बढ गए हैं, नेट पर । जो उन्‍हें दिग्‍भ्रमित कर सकते हैं और उनके कोमल पर विकृतियॉं पैदा कर सकते हैं ।


    अभिभावकों को पता होना चाहिए की बच्‍चे क्‍या कर रहे हैं ।

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  2. नेट का उपयोग और दुरपयोग दोनों ही हैं।

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  3. दोष नेट का नहीं है.

    एक आदमी तालाब में डूब गया, तो क्या तालाब को ही पाट देंगे?

    एक खतरा गहरा हुआ है. बिना नेट के जीवन की कल्पना मुश्किल होती जा रही है. वहीं एक दुसरे से जुड़े होने के कारण कैसी जानकारी या जाल में कौन फँस जाए कह नहीं सकते.

    नजर रखो और कोई रास्ता नहीं. वहीं अनैतिक कामों को प्रोत्साहन देने वालों के विरूद्ध कार्यवाही होनी ही चाहिए.

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  4. हर चीज के दो पहलु हैं कौन उसको कैसे लेता है यह उसके ऊपर निर्भर करता है ..नेट पर सब सहज उपलब्ध है इस लिए बच्चे आसानी से उस से प्रभावित हो जाते हैं ..नजर रखनी जरुरी है ..बाकी उन्होंने जो करना है वह वे कर हो लेंगे .:)

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  5. क्रूर .... सच !
    इतना तक तो मै नहीं जानता था। सिर्फ चैटिंग-वैटिंग सुन रखा थ। और उसी के लिए बच्चों को मना करता रहा हूं। अब ये आलेख पढ़ कर तो मन कसैला हो रहा है। जीवन के अवसाद को चित्रित करता इस लेख का उद्देश्य उन शक्तियों के जाल में जकड़े समाज में छटपटाने की भावना और उस जाल को तोड़ने की शक्ति जागृत करना है। और इस उद्देश्य में असाधारण शक्ति का यह आलेख सफल है। कम से का मेरे मामले में तो है ही। इस लेख की शैली में जो आक्रमकता है वह इसे विशेष दर्जा प्रदान करती है।

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  6. सुरक्षा और अभिभावकीय नियंत्रण तो जैसे समाज में आवश्यक है, वैसे ही कम्प्यूटर पर भी.

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  7. घुघूती जी यह खतरा हमेशा रहा है मगर मानव प्रजाति फिर भी अपनी विजय यात्रा पर कायम है -आप आश्वस्त हो सकती हैं इन सब से भी उसका बाल बांका नहीं होने वाला है ! मानव मष्तिस्क ऐसे खेल न जाने कब से खेल रहा है -हम उसके गुलाम हैं ! पर हमरा मष्तिष्क किसी का गुलाम नहीं बना अब तक ! आपके सरोकार ,चिंतायें कतई वाजिब हैं मगर फिकर नाट !

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  8. आपकी चिंता जायज़ और सही भी हैं। लेकिन, हर वक़्त नज़र रख पाना लगभग नामुमकिन है। बच्चा घर पर नहीं देखेगा तो दोस्त के यहाँ देखेगा या फिर कैफ़े में या फिर मोबाइल पर। ज़रूरत है एक स्वस्थ पारिवारिक माहौल की। जहाँ बेहिचक माँ-बाप से बच्चे बात कर सके। ज़रूरत है कि बच्चों को घर में ही ऐसे दोस्त मिले जो उनकी भआवनाओं का सम्मान करे और उन्हें सही समझ दे।

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  9. मैंने भी यह खबर अखबार में पढ़ी थी..
    पहले लोग बच्चों को बाहर भेजने से डरते थे पर आज तो अन्दर रखना भी दुश्वार हो गया है...
    पता नहीं कहाँ पर उन्हें इन सब गंदगी से बचाया जाय..
    बाकी लोगों तक यह जानकारी पहुंचाने के लिए बधाई..

    आभार
    प्रतीक माहेश्वरी

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  10. बैलेंस नहीं रहेगा तो यांत्रिकी मानव
    के ऊपर अधिकार कर लेगी | शायद
    एतद्विषयक आशंका गाँधी जी ने बहुत
    पहले ही व्यक्त कर दी थी |
    अच्छा लगा ...

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  11. आपकी ये चिन्ता जायज है..किन्तु आज के इस अति व्यस्त जीवन में अभिभावक भी कहाँ तक बच्चों की निगरानी रख सकते हैं ।
    यदि अपने बच्चों को अच्छे से संस्कारित किया जाए तो ही कुछ हो सकता है अन्यथा भविष्य में इस प्रकार की न जाने ओर कितनी विकृ्तियाँ समाज के सामने मुँह बाए खडी मिलेंगीं ।

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  12. आपकी चिंता जायज है । पर नेट की आवश्यकता इतनी अधिक है कि हम इससे दूर नहीं रह सकते । मानव की चिरन्तन यात्रा सदैव ही चलती रहेगी - ऐसे अनगिन खतरों के बावजूद ।

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  13. क्या किसी ने पेरेन्टल कन्ट्रोल सॉफ़्टवेयर के बारे में नहीं सुना?

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  14. नेट पर मिलने वाली अची बातो के आगे इस तरह के काम समंदर में एक बूँद पानी का हजारवा भाग है..

    फिर भी आपका लेख बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है..

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  15. हर चीज के दो पहलू हैं । बच्चे जब नेट का उपयोग करते है तो शुरू में उन पर निगाह व नियंत्रण भी रखना आवशयक होता है।

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  16. कुछ दिन पहले यहां के किसी लोकल समाचार पत्र में इसी साफ्टवेयर के बारे में पढ़ा था.. शायद कोई जापानी गेम है.. जिसे भारत में बैन किया हुआ है.. मगर उसकी पायरेटेड सीडी चेन्नई में धड़ल्ले से बिक रही है.. जिस पायरेटेड सीडी वाले दुकानदार का स्टेटमेंट छपा हुआ था उसने आंकड़ा बताया था कि पिछले 1 महिने में उसने सिर्फ़ चेन्नई के लोगों को अभी तक 250 से ज्यादा सीडी बेची है और डिमांड अभी भी कम से कम 500 से अधिक की है..

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  17. badi vidambana hai aaj jo aap ne batai hai. sach me kya kahe........

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  18. अब उपाय सिर्फ यही है कि इससे पहले बच्चे नेट से सीखे ( और बिगडे ) उन्हे पहले ही सारी जानकारी दे दी जाये .. हाँ ऐसा किया जा सकता है .. किसान ज़मीन पर कैसे हल चलाता है कैसे बीज रोपता है कैसे फसल आती है ..नहीं बता सकते आप ?

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  19. यह खेल वाकई बहुत खतरनाक है।
    सच में, मेरे तो रोंगटे खड़े हो गये।
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    सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
    परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।

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  20. नेट तो तलवार है उसका उपयोग आप कैसे करते हैं ये आप पर निरभर है पर वाकई अभिभावकों को ध्यान तो रखना ही पडेगा कि बच्चा क्या कर रहा है नेट पर ।
    इस तरफ ध्यान दिलाने का आभार ।

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  21. humein iske bare mein aagaah karne ke liye shukriya

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