हाँ, चाहिए ही चाहिए। चाँद ही क्या तारे भी चाहिए । बहुधा ऐसा होता है कि लगता है कि हमें चाँद या कुछ और इसलिए चाहिए क्योंकि तुम्हारे पास है या क्योंकि तुम्हें चाहिए तो हमें भी चाहिए । परन्तु मुझे तो चाहिए, तब भी जब तुम्हें इसकी चाहत हो या न हो, तुम्हारे पास हो या न हो । मुझे अपने लिए चाहिए, तुमसे बिल्कुल पृथक और स्वतंत्र । यदि मिल गया तो मेरा मन होगा तो तुमसे भी बाँटूगी या नहीं बाँटूगी । चाँद या किसी और की चाहत मेरा नितान्त निजी मामला है । इसमें किसी और की अनुमति या पसन्द नापसन्द का कोई प्रश्न ही नहीं उठता । मिल गया तो खुशी भी मेरी होगी, नहीं मिला तो दुख भी मेरा । इससे किसी अन्य को क्या लेना देना है ? हाँ यदि इसे पाने के लिए मैं कोई गैरकानूनी काम करूँ तो अवश्य शिकायत करना । और यदि मेरी इस चाहत का कोई अनुचित लाभ उठाने का प्रयास करे तो उसे रोकना भी होगा और यदि कोई मेरी इस चाहत का मूल्य परिश्रम से अधिक या इसके अतिरिक्त माँगे या जबरदस्ती ले तो उसे सजा भी मिलनी ही होगी ।
'एक बात तो तय है। किसी भी स्त्री से उसकी सहमति के बगैर संबंध नहीं बनाया जा सकता।' यह बात कही जा रही है 'इन्हें चांद चाहिए' में ! एक और बात भी तय है, एक ही क्या बहुत सी बातें तय हैं, किसी की सहमति के बिना उसकी हत्या नहीं हो सकती, चोरी या जेब कतरना नहीं हो सकता, डाका नहीं डल सकता, यहाँ तक कि कोई आतंकवादी उसे आतंकित नहीं कर सकता । यह तथ्य यदि पहले ही पता होते तो इतने सारे न्यायालय बनाकर क्यों पैसा डुबाया जाता ? वकीलों से कहो कोई और धंधा अपनाएँ । यह तथ्य जानने के बाद अब मैं पहले से काफी अधिक सुरक्षित अनुभव कर रही हूँ । मैं तो सोच रही हूँ कि 'मैं असहमत हूँ' की एक तख्ती लटकाकर निश्चिन्त हो कभी भी, कहीं भी घूमने निकल जाऊँ । पुरुष नामक जीव जब यह तख्ती पढ़ेगा तो मुझे कभी कोई हानि न पहुँचाकर एक अच्छे बच्चे सा अपने रास्ते या फिर सहमत स्त्रियों, पुरुषों की खोज में किसी अन्य रास्ते चला जाएगा। यह बात यदि पहले पता होती तो ताज, औबेरॉय आदि में भी बड़े बड़े अक्षरों में यह लिखकर टांग दिया जाता ।
कुछ अति तो मैं कर रही हूँ, लेख काफी अच्छा है, परन्तु सफलता यदि इन्हीं कारणों से मिलती तो हर सफल पुरुष या हर वह सफल पुरुष जो किसी पुरुष के अधीन काम कर रहा है, समलैंगिक होता । हर सफल स्त्री जो किसी स्त्री के अधीन काम कर रही है, भी समलैंगिक होती । एक मछली सारे तालाब के जल को गंदा तो करती ही है परन्तु इन अपवादों को इतना तूल देकर सफलता और सफल व्यक्ति पर ही प्रश्नचिन्ह लगाकर हम जल के नाम को ही गंदा कर रहे हैं । क्या यह असफल लोगों की 'खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे'वाली मानसिकता को इंगित नहीं करती ?
जहाँ भी शक्ति, विशेषकर अकूत शक्ति बिना किसी उत्तरदायित्व के केन्द्रित होगी उसका दुरुपयोग होने की संभावना भी होगी, विशेषकर तब जब शक्ति किसी कुपात्र के हाथ में होगी । यहाँ कुपात्र से भी अधिक दोष उसका है जिसने उस कुपात्र को ऐसी शक्ति पकड़ाई ।
शक्ति का दुरुपयोग होता है,मानवीय कमजोरियों का लाभ कुछ लोग अवश्य उठाते हैं, चाहे वे पुरुष हों या स्त्री ! इसमें चाँद की चाहत का दोष नहीं है, दोष है तो केवल गलत मार्ग का, यदि उसका उपयोग हुआ हो । बहुधा जब हम कुछ नहीं पा पाते तो हमारा अहम् हमें पाने वालों की योग्यता को स्वीकार नहीं करने देता । क्योंकि यदि हम यह स्वीकारेंगे तो हमें अपनी अयोग्यता भी स्वीकारनी होगी ।
घुघूती बासूती
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बहुत संतुलित आलेख, दोनों पक्षों को मद्देनजर रखते हुए.
ReplyDeleteआपसे सहमत हूँ.
बहुत अच्छा आलेख.
ReplyDelete"जहाँ भी शक्ति, विशेषकर अकूत शक्ति बिना किसी उत्तरदायित्व के केन्द्रित होगी उसका दुरुपयोग होने की संभावना भी होगी, विशेषकर तब जब शक्ति किसी कुपात्र के हाथ में होगी ।"
पूर्णतया सहमत हूं- ’नहिं कुमार्ग को ठांव’.
एक मछली सारे तालाब के जल को गंदा तो करती ही है परन्तु इन अपवादों को इतना तूल देकर सफलता और सफल व्यक्ति पर ही प्रश्नचिन्ह लगाकर हम जल के नाम को ही गंदा कर रहे हैं । क्या यह असफल लोगों की 'खिसियानी बिल्ली खंबा नोचे'वाली मानसिकता को इंगित नहीं करती ?
ReplyDeleteu r right and on dot
बहुधा जब हम कुछ नहीं पा पाते तो हमारा अहम् हमें पाने वालों की योग्यता को स्वीकार नहीं करने देता । क्योंकि यदि हम यह स्वीकारेंगे तो हमें अपनी अयोग्यता भी स्वीकारनी होगी ।
and most man are insecure with the rise of woman . rather then taking it as a routine and normal thing they feel challenged with it .
whether its wiring blog or running the country { pseudo primnister } we can see the power of woman every where yet we are not willing to accept it
so the easiest way out is to say that she got sucess because of her body.
if you recall mam , pramod mahajan compared sonia ghandhi to monica lewenski ???? why
we may not like sonia ghandhi as a leader ok , we may not want her to become Prime Minister but to malingn her character . its pitiable
sucess is achieved only thru hard work and if there are woman who achieve this success thru short cuts then there are man also who find short cuts to achieve sucess
sexual haraasment is more with woman and the BEST PART IS THOSE WHO HARAAS BLAME THE ONE THEY HARAAS
as usual a very balanced article mam and a befitting reply to Raj kIshores article, Bravo
मैने लिन्क पर जाकर पिछले लेख को पढने के बाद पाया कि इस पर आपने बहुत ही उचित लेख लिखा है ! आपसे सहमत हूं !
ReplyDeleteराम राम !
अपनी अयोग्यता को स्वीकार करने कि क्षमता हमें ईश्वर प्रदान करे. लेख तर्क संगत है. आभार.
ReplyDeleteजिस लेख पर यह लिखा है, उसे नहीं पढ़ा है, मगर आपके लिखे से सहमति है.
ReplyDeleteअरे घुघूती जी, एक बेहतरीन व उम्दा लेख.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसहमत हूँ आपकी पोस्ट के बहुत से बिन्दुओं से। "स्त्री की सहमति के बिना उससे सम्बन्ध नही बनाया जा सकता" ...-
ReplyDeleteयह वाक्य वाकई व्याख्यासापेक्ष है ,
किंतु सन्दर्भ लेख में अंतिम पंक्ति का सन्दर्भ विशिष्ट है ..केवल वे एक प्रतिशत स्त्रियाँ, जो डिसर्व करें न करें आसान और शीघ्र
सफलता पा लेना चाहती हैं वे ही लक्ष्य हैं ..लेखक ने शुरु मे ही स्पष्ट किया है कि वह केवल उन्हीं स्त्रियों के बारे मे कह रहा है जो यौन शोषण होने देती हैं ताकि उनका कोई काम सध सके।
दोषी वहाँ भी पुरुष ही है लेकिन उसके हौसलें बुलन्द करने मे इस प्रकार के मार्ग अपनने वाले भी साथी हैं।
इसी बात को समान्यत: स्त्री के व्यवहार और आकांक्षा से जोड़ दिये जाने से लेख के आशय को लेकर भ्रम पैदा हो रहा है।
सेक्शुअल हरासमेंट के मुद्दे का यह केवल एक पक्ष है,निष्कर्ष नही।
और यूँ भी यदि वह एक प्रतिशत स्त्रियाँ यदि बे ईमान हो जाती हैं ..तो यह "यह तुम्हारी {मर्दों की}दुनिया मे तुम्हारे{शरीर को तरजीह देने,भौतिकतावादी होने } तरीकों से अपने लिए चाँद{पॉवर,पोज़ीशन } हासिल करने जैसा है क्योंकि मेहनत और प्रतिभा के बावजूद तुम वह आसानी से नही दोगे " यह भी लेखक ने अंतिम पैरा मे स्पष्ट किया है
Bahut hi simit shabdo mai apne satik baat kahi hai.
ReplyDeleteघुघूती जी, मैं आपकी बातों से बिलकुल सहमत हूँ। चोखेरबाली पर पोस्टेड जिस पोस्ट पर आपने अपनी पोस्ट लिखी है उसने मुझे भी बेहद विचलित किया था. मैंने उस पोस्ट में कमेंट के रूप में लिखा था " स्त्रियों की स्थित नहीं बदली चाहे वह द्रोपदी हो या यंग डेशिंग वर्किंग वुमन।" क्योंकि द्रोपदी को भी अग्नि पुत्री कहा जाता था। एक तेजस्वी नारी, पाँच बलशाली पुरुषों की पत्नि। लेकिन वहाँ भी वह सैक्चुअल हैरेसमेंट से नही बच पाई...द्वापर युग के पुरषों की नजर भी द्रोपदी के शरीर पर ही थी...माफ कीजिएगा मैं कुछ खुला लिख रही हूँ। लेकिन यह सच्चाई है सैक्सचुअल हैरेसमेंट की गंभीरता को समझना होगा। यह हर जगह है। इतिहास की किसी भी शताब्दी में और विश्व के किसी भी हिस्से में स्त्री को उसके शरीर से जुदा करके नहीं देखा जाता...क्यों क्या हम सिर्फ हाड़-माँस का शरीर मात्र हैं...हमारी आत्मा नहीं है।
ReplyDeleteमेरी भी आपत्ति सबसे ज्यादा इस बात पर थी कि स्त्रियों की गरिमा इसलिए भंग होती है कि वह चाँद (अप्राप्य) की कामना करती हैं...क्यों भला! हम स्त्री हैं इसलिए चांद हमारा नहीं हो सकता। साथ ही स्त्री कि इच्छा के बिना उससे संबंध नहीं बनाया जा सकता....काश लेखक एक स्त्री होता। मेरे कई साथी जो मीडिया फील्ड से जुड़े हैं ऐसी ही बातें करते हैं...लेकिन उनसे भी विरोध जताते हुए अकसर मैं कहती हूँ कि सिर्फ यह मान लेना कि फलां स्त्री ने उच्च पद या प्रतिष्ठा पाने के लिए अपना शरीर दाँव पर लगाया है। बेहद गलत और निंदनीय हैं।
अपने छोटे से जीवन में कई ऐसी लड़कियों और महिलाओं को जानती हूँ जो अपने बल पर उच्च पदों पर हैं लेकिन उन्हें भी जमाना कहता है कि लड़की हैं ना इसलिए सफल हैं। माफ कीजिए...मैं इस बात के साफ खिलाफ हूँ कि हमारी सफलता को हमारे स्त्री होने से जोड़ा जाएँ। एक बात और जो स्त्रियों से जुदा आधी आबादी को समझनी चाहिए वह यह कि स्त्री भावुक होती हैं, शारीरिक रूप से कोमल होती है लेकिन मानसिक रुप से बेहद मजबूत है। हम आज की स्त्रियाँ हैं हमारी इच्छाओं का अपना चाँद है...और सबसे बड़ी बात हमें उसे हासिल करना आता है।
अत्यंत सन्तुलित आलेख । राजकिशोर की कुंठाओं का कोई क्या करे ?
ReplyDeleteकिसी भी स्त्री से उसकी सहमति के बगैर संबंध नहीं बनाया जा सकता।
ReplyDeleteइसमे से 'भी' हटा दिया जाए तो सहमत हू..
किसी स्त्री को मजबूर भी किया जा सकता है..
भविष्य के सपने दिखाकर बहलाया भी जा सकता है.
हेव फन के नाम पर भी होता है..
आगे बढ़ने के लिए भी लड़किया करती है.. और लड़के भी करते है.. फ़र्क सिर्फ़ इतना है लड़के अपने बॉस को खुश करने के लिए बाहरी लड़की की सेवाए लेते है.. ये लड़किया किसी भी पब, बार या फाइव स्टार होटल के लाउंज में मिल जाएगी..
बलात्कार और शारीरिक संबंध दो अलग बाते है.. लेखक दूसरे वाले की बात कर रहा है और आप पहले वाले की.. बलात्कार एक घिनौना अपराध है.. परंतु अपने मातहतो के साथ शारीरिक संबंध बनाना अभी तक तो अपराध के रूप में सामने नही आया है.. हा यौन शोषण ज़रूर अपराध है..
आप दोनो ने ही अपने पक्षो को उचित रूप से उजागर किया है.. परंतु कोई भी एक लेख दूसरे को खंडित नही करता..
आपने संतुलित लेख लिखा है.....शायद एक दूसरा पक्ष भी दिखाते है.....इसका कारण समाज के अपने अपने परिवेश की नैतिकताए है ..... श्रुति के तर्क भी वाजिब है पर वे पुरुषों से जुड़े है ,सच है पुरूष कभी देह से मुक्त नही हो सकता ..आख़िर में एक जरूरी बात -----
ReplyDeleteसशक्तिकरण का स्रोत ओर आधार मस्तिष्क है ,देह नही -मृदुला गर्ग
राजकिशोरजी जैसे वरिष्ठ साहित्यकार पर आक्षेप लगाने से पहले उनके पूरे लेख को पढ लें तो सुजाताजी की बात का समाधान हो जाएगा। संद्र्भ से अलग करके किसी वाक्य को उछालने से मुगालता हो जाता है।
ReplyDeleteगंभीर चिन्तन लेखन
ReplyDeleteचाँद की दरकार तो सब को है
ऐसे संवेदनशील विषय के चुनाव और विचारोत्तेजक लेखनी की दाद देनी ही होगी।
ReplyDeleteराजकिशोरजी जैसे वरिष्ठ साहित्यकार पर आक्षेप लगाने से पहले उनके पूरे लेख को पढ लें तो सुजाताजी की बात का समाधान हो जाएगा। संद्र्भ से अलग करके किसी वाक्य को उछालने से मुगालता हो जाता है।
ReplyDelete@cmpershad
i think your comment is not in line with bloging . bloging is a medium to express freely . many of us are not from hindi field so expecting us to read the entire writings of rajkishore , do research and then comment on it is a useless excerise because we are not going to either submit a paper on him or because saahitykaar ourselfs .
GB mam has given expression to what she made out of the post quoted by sujata on chokher bali
we all do the same , tommorrow if i gve my view point on the same i FEEL absolutely no need to read the entire rajkishore sahitya .
or next time if we write some on terorrist aatack some one will feel we dont have a right to because we are not from media .
bloging is a dairy or personal weblog and its discussed on post wise basis or blog wise basis .
any one who si doing research in hindi or rajkishores work may like ot make notings on the same but if you put something on blog , then its not necessary that the enitre collection has to be read before making a counter post
अच्छा लेख लिखा आपने भी! ये विशेषकर पसंद आयी:
ReplyDeleteजहाँ भी शक्ति, विशेषकर अकूत शक्ति बिना किसी उत्तरदायित्व के केन्द्रित होगी उसका दुरुपयोग होने की संभावना भी होगी, विशेषकर तब जब शक्ति किसी कुपात्र के हाथ में होगी । यहाँ कुपात्र से भी अधिक दोष उसका है जिसने उस कुपात्र को ऐसी शक्ति पकड़ाई ।
असहमति और आक्रोश की तकॆपूणॆ अभिव्यक्ति की उम्दा मिसाल। बहुत ही अच्छा लिखा है आपने। इन बातों से असहमत होने की कोई वजह नहीं।
ReplyDeleteऊपर इतना कुछ लिखा जा चुका...और सबने ही सार्गाभित बातें ही लिखीं....मैं सबसे सहमत हूँ.....और क्या कहूँ....!!
ReplyDeleteदोनों लेख अपने आप में एक ही सिक्के के दो पहलु प्रस्तुत करते हुये से....मैं तो आपकी इन पंक्तियों को पढ़ लोट-पोट हुआ जा रहा हूँ-"मैं तो सोच रही हूँ कि 'मैं असहमत हूँ' की एक तख्ती लटकाकर निश्चिन्त हो कभी भी, कहीं भी घूमने निकल जाऊँ । पुरुष नामक जीव जब यह तख्ती पढ़ेगा तो मुझे कभी कोई हानि न पहुँचाकर एक अच्छे बच्चे सा अपने रास्ते या फिर सहमत स्त्रियों, पुरुषों की खोज में किसी अन्य रास्ते चला जाएगा..."
ReplyDeleteसटीक अंदाज कहने का मैम