क्या हो रहा है, हम कहाँ जा रहे हैं कुछ समझ में नहीं आता । हम केवल टी वी पर आँखें व कान लगाए यह देखते रहते हैं कि हमारे परिवार के लोग, हमारे मित्र सम्बन्धी सुरक्षित हैं और खैर मनाते हैं कि जो मरे या घायल हुए वे हमारे परिवार के नहीं हैं । जिस होटल में मेरा अपना है, वहाँ की कोई खबर नहीं आ रही और यही अच्छा है । परन्तु जो खून बह रहा है वह हमारे भारतीयों का ही है । वे भी किसी के अपने हैं । कोई परिवार बर्बाद हो गया केवल इसलिए कि उनका अभागा सम्बन्धी गलत समय पर गलत जगह पर था ।
आइए अब हम झगड़ें कि ये किसके आतंकवादी हैं, इस धर्म के या उस धर्म के ? क्या मरने वाले को इससे कोई अन्तर पड़ेगा? कोई लोगों से पूछे कि वे किस ब्रांड के आतंकवादी के हाथ मरना पसंद करेंगे ?
कुछ दिन पहले जब कोई इस बात से खुश हो रहे थे कि अब तुम्हारे धर्म के आतंकवादी भी पकड़े जा रहे हैं, मैंने यह टिप्पणी की थी जिसे उन्होंने दिखाने लायक नहीं समझा और बहुत दिन तक तो दिखाई नहीं दी । यह रही वह टिप्पणी ....
जैसे पहले कुछ लोगों के हाथ एक खिलौना लगा था जिसे हाथ में लेकर वे आपको मुँह चिढ़ा रहे थे और आप चिढ़ रहे थे, वैसे ही, लगभग वैसा ही खिलौना आपके हाथ भी लग गया है । बधाई ! अब दोनों एक दूसरे को चिढ़ा सकते हैं । खेल बढ़िया है चालू रहे । सच क्या है, अदालत क्या निर्णय करती है, इससे हमें क्या लेना देना ? हम तो 'तू डाल डाल मैं पात पात' के अन्दाज में यह खेल खेलते रहेंगे । समाज का ढाँचा भरभराकर गिरता है तो गिरे । महाराष्ट्र बिखरे, बिहार जले, पूरा भारत जल उठे, हम तो हाथ तापेंगे, तब तक जब तक हाथ जल ना जाएँ।
लगे रहें, खेल मजेदार है, हर हाल पर चलता रहना चाहिए । हमें तो तब भी लज्जा नहीं आती जब हम इस खेल में पहले भी पिट चुके हों । हमें तो अभियोग लगते ही सब जगह अपराधी ही नजर आते हैं, चाहे वह एक बेगुनाह या गुनहगार पिता हो जिसे गुनाह साबित होने से पहले ही गुनहगार साबित कर दिया गया हो या फिर कोई धार्मिक छोटा बड़ा स्वघोषित नेता हो । हम यह तो कह ही नहीं सकते कि 'यदि' साध्वी, पिता या मौलवी ने ऐसा किया तो बुरा किया । हमें तो पता है कि किया ही है । हम हर हाल में अपने व्यक्तिगत आनन्द से वंचित नहीं रह सकते । मजा तो चाहिए ही चाहिए । यह भूल जाते हैं कि जो घर जल रहा है वह हमारा ही है ।
वैसे अभी कई आतंकवाद शेष हैं, वे भी पंक्तिबद्ध आगे आने को लालायित हैं, क से ज्ञ तक सभी सामने आने चाहिए और यदि अभी पैदा नहीं हुए तो पैदा किए जाने चाहिए । कोई भी किसी से पीछे क्यों रहे ? वैसे भी क्या अंतर पड़ता है कि किस धर्म के बम से हमारे व हमारे बच्चों के परखच्चे उड़ें, बस उड़ने चाहिए। हमारे पास आग में डालने को बहुत घी है, रोटी (यदि वह हो तो)में लगाने को भले ही न हो। भविष्य में भी नए नए आतंकवाद के सबूत जुटते रहें और मजा आता रहे इस कामना के साथ,
किसी धर्म में विशेष विश्वास न रखने वाली,
घुघूती बासूती
आज मन बहुत विचलित व खिन्न है । ऐसे समय में भी हम तेरा मेरा का खेल खेल रहे हैं । हम और कुछ नहीं कर सकते तो कम से कम आपस में स्नेह व सौहार्द तो बढ़ा ही सकते हैं । एक दूसरे के आँसू बिना उनका धर्म जाति देखे तो पोछ ही सकते हैं ।
आम जनता मर रही है,पुलिस के जवान व वरिष्ठ अधिकारी मारे जा रहे हैं। डी आइ जी मारे जा रहे हैं। और ये सब हमारे अपने ही हैं । अशोक काम्टे भी हमारे ही थे,हेमन्त करकरे,सालस्कर भी और सारे मरने व घायल होने वाले नागरिक भी ।
कल तक यह सब आतंक दूर का समाचार था । मरने व घायल होने वाले केवल एक संख्या ही थे । धीरे धीरे यह सब हमारे निकट आता जा रहा है । दिल्ली में शहीद होने वाला पुलिस अधिकारी हमारी सोसायटी की एक महिला का भाई था । आज मुम्बई में जहाँ यह सब हो रहा है उसी इलाके के एक होटल में मेरे पति ठहरे हैं । बस यही कामना करती हूँ कि जिस होटल में मेरे पति हैं वहाँ के समाचार आने न शुरू हो जाए । स्वास्थ्य लाभ के बाद कल पहली बार एक मीटिंग के लिए मुम्बई गए हैं । बस यही बात कुछ सांत्वना दे रही है कि वे पाँच सितारा होटल में नहीं रुके हैं । वे ठीक हैं,उन्हीं ने फोन करके मुझे टी वी देखने को कहा । परन्तु बहुत से लोग जो होटलों में फंसे हैं वे ठीक नहीं हैं और वे सब भी हमारे ही हैं । किन्हीं ८० मृत व्यक्तियों के परिवारों का जीवन बदल गया है ।
घुघूती बासूती
Thursday, November 27, 2008
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आतंकवाद ने जिस तरह हमारे जीवन में एक अनदेखा डर शामिल कर दिया है उससे जीवन की खूबसूरती चली गयी है. कहीं जाइये, एक डर दिमाग में हमेशा बना रहता है. खौफ सा लगा रहता है कि कहीं कोई हादसा न हो जाए....आपने बहुत सही लिखा है....दिल को स्पर्श करने वाली पोस्ट...धन्यवाद
ReplyDeleteदुखद। कौन हैं ये लोग?
ReplyDeleteबिटिया मुम्बई में है, समाचार मिलने के ठीक पहले उस से बात हुई थी। रात भर समाचार आते रहे। इन्हें देखने के बाद नींद जैसी आनी चाहिए थी वैसी ही आई।
ReplyDeleteपर आप की पोस्ट पढ़ने पर एक विचार कौंधा कि धर्म की आज रात मृत्यु हो गई। अब जो धर्म का नाम ले रहे हैं वे सभी उस की अंत्येष्टी में लगे हैं।
dukhad ghatana aur kya karein
ReplyDeleteअस्सी नही आठ कम से कम हजार लोग इससे सीधे सीधे जुडे होगे, पर शायद देश के कर्ण धारो को इसमे भी ्साध्वी से जुडे लोगो को घेरने के अलावा कुछ ठोस नही करना होगा भाई चुनाव सामने है ना
ReplyDeleteसरकार सेना और संतो को आतंकवादी सिद्ध करने जैसे निहायत जरूरी काम मे अपनी सारी एजेंसियो के साथ सारी ताकत से जुटी थी ऐसे मे इस इस प्रकार के छोटे मोटे हादसे तो हो ही जाते है . बस गलती से किरेकिरे साहब वहा भी दो चार हिंदू आतंकवादी पकडने के जोश मे चले गये , और सच मे नरक गामी हो गये , सरकार को सबसे बडा धक्का तो यही है कि अब उनकी जगह कौन लेगा बाकी पकडे गये लोगो के जूस और खाने के प्रबंध को देखने सच्चर साहेब और बहुत सारे एन जी ओ तीस्ता सीतलवाड की अगुआई मे पहुच जायेगी , उनको अदालती लडाई के लिये अर्जुन सिंह सहायता कर देगे लालू जी रामविलास जी अगर कोई मर गया ( आतंकवादी) तो सीबीआई जांच करालेगे पर जो निर्दोष नागरिक अपने परिवार को मझधार मे छोड कर विदा हो गया उसके लिये कौन खडा होगा ?
ReplyDeleteअभी हम सारे आतंकवादियों की क्वालिटी जांच रहे हैं. नार्को टेस्ट के नाट्य रूपांतर देख रहे हैं. सभी के देखते-देखते हम मरने लायक उम्र में पहुँच जायेंगे. वैसे, तब तक किसी न किसी फैसले पर पहुँच जायेंगे.
ReplyDeleteबहुत दुखद है ! और ताज्जुब ये की १२ घंटे हो गए अभी तक युद्ध चालु है ! क्या अब भी किसी सबूत की जरुरत है ?
ReplyDeleteशर्मनाक और ह्र्दय्-विदारक घट्ना.... भारत के आम लोगों की सुरक्षा का सवाल मुंह बाये खडा है।
ReplyDeleteमूक पुलिस मूक शासन मूक जनता मूक लाशे
ReplyDeleteबिलकुल ठीक कहा है कि हम जहाँ भी जाते हैं वहीँ एक खौफ सा बना रहता है. आखिर कब तक हम इस खौफ के साये में जीते रहेंगे?
ReplyDeleteबहुत निंदनीय दर्दनाक हादसा है, अब तक कोई नतीजा नही निकला , दिल दहल जाता है सोच कर जो लोग वहां फसें जिन्दगी और मौत से जूझ रहें हैं ...रोज ही नये नये आतंकवादी तैयार हो रहे हैं , जल्दी ही बहुत सरे ब्रांड सामने आ जायेंगे ...और तो कुछ होने से रहा ...
ReplyDeleteसब कुछ सिर्फ़ चुपचाप देख रहे हैं ,,,जाने यह कभी ख़त्म होगा भी या नही
ReplyDeleteकौन हैं ये लोग? पाण्डेय जी, ये वही है जिनका न कोई धर्म है न जात, बस पैसा, ऐश और खून- यही है उनका शौक।
ReplyDeleteअभी हाल मे एक फिल्म आई थी, वेड्नसडे...! उसमें नसीरुद्दीन शाह का एक डायलॉग था कि हम अभ्यस्त हो चुके हैं इस तरह के हादसों चैनेल चेंज कर कर के खबरे देख के, फोन कर के अपने ये जान कर कि हमारे जानने वाले सुरक्षित हैं हम निश्चिंत हो जाते हैं। बहुत अधिक क्लिक किया था ये वाक्य..! आज भी जब सुबह अपने जानने वालो को फोन कर रही थी तब " शुक्र है कि मेरे अपने सुरक्षित हैं।" कहने और सोचने की हिम्मत नही पड़ रही थी।
ReplyDeleteपोस्ट के अंत तक आते आते दिल धड़कने लगा...! ईश्वर सब की रक्षा करे।
दर असल हम सब डरपोक है ...यहाँ भी जो भीतर गुस्सा है उसे कहने से डरते है.....कही न कही हमारे भीतर ये बात है की ये देश अब खोखला हो रहा है..कही न कही हम ये जानते है की आर्थिक स्तर पर विश्व में आई टी बूम वाल देश जो विकसित देशो की आँख की किरकिरी बन रहा था .....चंद सिरफिरे वाहियात जनूनी लोगो की बलि चढ़ जायेगा ......कब ओर कब चेतेगे वो लोग जिनके हाथ में पॉवर है....जो इस देश को चलाते है ...शायद हमारी किसी कठोर निर्णयों को लेने की अषमता इन आतंकवादियों के हौसले बुलंद कर रही है......इस वक़्त देश ऐसे मुहाने पर खड़ा है अब भी अगर हम नही चेते तो ये देश नही बचेगा .....अब सिर्फ़ कड़े ओर कड़े निर्णय लेने की जरुरत है ...कोई पंडित ,पैर पैगम्बर ,मौलाना ....अमर ,मुलायम ..आजमी ,कासमी कोई भी हो सबको लाठी से हांकना होगा...
ReplyDeleteओर सारे मानवाधिकारियों को ताज में लड़ती टास्क फाॅर्स से पहले उन आतंवादियों से बात चीत करने भेजना चाहिए .....
शोक में डूबा है मन, क्या टिप्पणी दूँ
ReplyDelete"हम इस घटना की कड़े शब्दों में निन्दा करते हैं, भारत एक सहिष्णु देश है लेकिन इस तरह के कायराना आतंकवादी हमलों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, इस हमले के लिये जिम्मेदार अपराधियों को खोजकर सजा दिलाई जायेगी…" अरेरेरेरेरे यह मैंने क्या किया, पाटिल साहब का बयान कॉपी-पेस्ट कर दिया… माफ़ करें घुघूती बासूती जी, अमीरों के पुठ्ठे पर लात पड़ते ही बरखा दत्त सहित सभी लोग आतंकवादियों को छोड़ने की गुहार करने लगे, यही खून चूसने वाले लोग उस वक्त पता नहीं कहाँ चले जाते हैं जब नक्सली लोग गरीब आदिवासियों का खून बहाते हैं… कौन कहता है कि भारत धर्म में बँटा हुआ है, भारत में दो ही धर्म हैं "अमीर" और "गरीब"…
ReplyDeleteबहुत सही कहा घुघती जी , लेख मन को छु गया ।
ReplyDelete.
ReplyDeleteक्षमा करें, घूघूती जी ! यह तक़्ररीरें और यह तहरीरें महज़ दिल बहलाव है..
एक भरोसो, एक बल, एक आस विश्वास.. " राम रचि राखा " है न हमारे पास, तो फिर पूछना क्या ?
हम आपसी भेद-भाव, चालबाज राजनीति के सम्मुख टिके अपने कमजोर घुटनों के चलते और अंतर्मन के नपुसंक सोच के आतंक से पहले ही मर चुके हैं, तो फिर पूछना क्या ? ।
स्वयं के अंदर इतने विविध ब्रांड के होते, हमें बाहर कोई अन्य ब्रांड ढूँढ़ने की आवश्यकता ही क्या है ?
मुर्दा कौमें बार बार नहीं मरा करतीं, तो फिर पूछना क्या ?
मौसी जी आज आपके लेख को पढ़कर दिल काफी भर आया, अब तक करीब 101 लोग मृतगति को प्राप्त हो चुके है, कोई भाई खोया तो किसी ने पति, आपने सही लिखा कि 80 लोगो का जीवन बिल्कुल बदल सा जायेगा। किन्तु ये सब कब तक होता रहेगा ?
ReplyDeleteसभी मृतात्माओं की आत्मा की शान्ति की कामना करता हूं।
श्रीराम जय राम जय जय राम
अब हर वक़्त हाई अलर्ट मे कैसे जी सकेंगे ,यही प्रश्न है !प्रशासन नाम की चिड़िया कहाँ रहते है ?
ReplyDeleteआइए अब हम झगड़ें कि ये किसके आतंकवादी हैं, इस धर्म के या उस धर्म के ? क्या मरने वाले को इससे कोई अन्तर पड़ेगा? कोई लोगों से पूछे कि वे किस ब्रांड के आतंकवादी के हाथ मरना पसंद करेंगे?
ReplyDeleteसही सवाल। आने वाले दिनों में नेतागण यही सवाल पूछते नजर आएंगे।
कांग्रेस को सबक सिखाओ- देश बचाओ।
ReplyDeleteअच्छी तहरीर है.
ReplyDeleteबम-वम फ़ोड़ देते थे तब तक तो ठीक था लेकिन अब प्रतिष्ठित होटलों में पहुँच कर बाकायदा फ़ायरिंग कर रहे हैं यानी पानी अब सर से उतर रहा है.आम आदमी अब कहाँ सुरक्षित है.पर्यटक क्यों आना चाहेंगे आपके देश में.कभी कभी लगता है कि ये पूरा ड्रामा अटेंशन खींचने के लिये किया जा रहा है और जाबाँज़ बन कर ये आतंकवादी अपने आपको शूरवीर कहलवाना चाहते हैं.आतंकवादी की कोई ज़ात नहीं होती , वह सिर्फ़ अमानवीय और बिना चेहरे का डरपोक समूह होता है.आपने ख़ूब अच्छा लिखा दीदी.
ReplyDeleteहैरत इस बात पर होती है कि एक-दो होटलों और कुछ लोगों को बचाने के लिये पूरे देश को दाँव पर लगा कर आतंकियों को हीरो बनाया जा रहा है. सेना या कमांडों क्यों नहीं तुरंत कार्यवाही करते.एक बार उड़ा दीजिये इस ठिकानों को पाटिल साहब, सबकी बोलती बंद हो जाएगी.कितने दिनों तक ये देश इस तरह की बेवकूफ़ियों को सहता रहेगा. लेकिन आपको तो वोट की राजनीति करनी हैं न साहब . और देखियेगा....इस हादसे से काँग्रेस को छह विधानसभा चुनावों में सत्ता गवाँनी पड़ सकती है. बस आठ दिन में रिज़ल्ट आने ही वाले हैं.दुम दबा कर बैठेंगे तो हमेशा कीमत चुकानी पड़ेगी साहब.राजनैतिक आकांक्षाओं को छोड़ने का समय आ गया है अब.आपकी व्यावसायिक राजधानी अब निशाने पर है.आज ताज,ओबेराय,कल नाथद्वारा,मथुरा,काशी,अजमेर शरीफ़ या वैष्णोदेवी की बारी हो तो क्या कर लेंगे आप ?
ReplyDeleteअफ्सोस है कि हम उस देश मे रहते है जिसने सारी दुनिया को शाँति और अहिँसा का पाठ पढाया है.
ReplyDeleteआज के ताजा हलात पे आपकी यह पोस्ट दिल को छू गयी । कोइ आर पार की लडाइ लडने की बात कहेगा । कोइ किसी पार्टी को कोस लेगा । खबरे पहले पन्ने से खिसक कर मध्य प्रष्ट के छोटे से बोक्स में सिमट जायेगी । होने वाला कुछ नही है
ReplyDeleteआईये हम सब मिलकर विलाप करें
ReplyDeleteआपने ठीक लिखा है लेकिन दिल बार बार यही कहता है आतंकवादियों का एक ही ब्रांड है और बाकि सारे नेताओं के बनाये हुए नकली ब्रांड हैं।
ReplyDeleteराजा अगर नपुंसक हो तो उसकी प्रजा का यही हश्र होता है, प्रजा को अगर जिंदा रहना है तो उसे ऐसे नपुंसक राजा और उसकी नपुंसक सेना दोनों के खिलाफ विद्रोह कर उन्हें गद्दी से हटा देना चाहिये।
अफ़सोस है....
ReplyDeleteशिवराज पाटिल को बहुत बहुत बधाई कि अपने समय में आतंकवादी हमलों का रिकार्ड तोड़ पाने में सफल रहे हैं ! शिवराज, डटे रहो, पाकिस्तान तुम्हारे साथ है !! इसके अलावा, लगे हाथों अर्जुन सिंह, मुलायम सिंह , लालू , राम विलास को भी बधाई दे दी जाए ! देशवासियों के मौत की सौदागरी का आनंद लेना तो कोई इनसे सीखे !!!
ReplyDeleteनव भारत टाइम्स में कुवैत से एक मुस्लिम पाठक ने तो यहां तक व्यक्त किया है कि श्री हेमंत करकरे को मारना हिंदुओं की चाल है क्योंकि श्री करकरे मालेगांव विस्फोटों की जांच कर रहे थे | देश का गृह मंत्री यदि हिज़डा हों तो देश की ऐसी दुर्गति कोई आश्चर्य नहीं |
शिवराज पाटिल कोई इकलोते मंत्री ऐसे हों ऐसा नही है | इतिहास में देश बेंचने वाले अनेक जयचंद हुए हैं | आज भी बिन पेंदी के राजनेताओं का खासा जमघट है | परम आदरणीय श्री लालू यादव्, मुलायम सिंह, अर्जुन सिंह, अमर सिंह और राम विलास पासवान हमारे देश के दैदीप्यमान नक्षत्र हैं जिन पर राष्ट्र साम्राज्ञी सोनिया गांधी को गर्व है | मन मोहन के लाडले ऐसे नेताओं को प्रणाम जिनके ब्रह्म वाक्यों के कारण ही हमारा देश आतंकियों से होने वाली मौतों के सारे रिकार्ड तोड सका है | हम इस दिशा में सर्वोपरि हैं | मोहन चंद शर्मा को तो अमर / अर्जुन पहले ही दोषी बता चुके हैं | सवाल यह कि हम प्रणाम किसको करें ? दिवंगत को या अमर - अर्जुन को ?
अब तो हद ही हो गयी। कुछ क्रान्तिकारी कदम उठाना चाहिए। कुछ भी...।
ReplyDeleteअब समय आ गया है कि देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को, राष्ट्रपति लालकृ्ष्ण आडवाणी को, रक्षामन्त्री कर्नल पुरोहित को, और गृहमन्त्री साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बना दिया जाय। सोनिया,मनमोहन,शिवराज पाटिल,और प्रतिभा पाटिल को अफजल गुरू व बम्बई में पकड़े गये आतंकवादियों के साथ एक ही बैरक में तिहाड़ की कालकोठरी में बन्द कर देना चाहिए। अच्छी दोस्ती निभेगी इनकी।
इनपर रासुका भी लगा दे तो कम ही है।
उन्होंने जंग में भारत को हरा दिया है.
ReplyDeleteअपने ड्राइंग रूम में बैठ कर भले ही कुछ लोग इस बात पर मुझसे इत्तेफाक न रखे मुझसे बहस भी करें लेकिन ये सच है उन्होंने हमें हरा दिया, ले लिया बदला अपनी....
आपके ब्लॉग से मेरा परिचय वेबदुनिया में हुआ था। मनीषा ने ब्लॉगवाले कॉलम में आपके ब्लॉग के बारे में लिखा था। तब मुझे आपका ब्लॉग बेहद अलग लगा था..आपकी तरह मुझे भी विश्वास है कि मैं जोनेथन और कैथी को इंडिया जरूर लाऊगीं...और मैं जानती हूँ आतंकवाद का न तो कोई धर्म होता है ...इनका एक ही उसूल है दहशत जिसका हमें समूल नाश करना है।
ReplyDeleteअब तो मारना होगा..ऐसे में बात नहीं होती...अब तक भी मैं बात का ही कायल था...मगर बात तो इंसानों से होती है...निर्दोष लोगों के हत्यारे हैवानों से नहीं...अब ये भी नहीं पूछा जन चाहिए कि भाई तुम्हारी समस्या क्या है...क्यूंकि समस्या चाहे जो भी हो उसे बताने का....उसे स्थापित करने का यह ढंग त्याज्य है...निंदनीय है....और उन्हें भी मार ही दिए जाने लायक है...जिन्होंने भी यह किया है...!!
ReplyDeleteकहीं जाने से अब डर लगता है। कहां क्या हो कुछ पता नहीं।
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही लिखा है, मै आपकी बात से पुरी तरह सहमत हू
ReplyDeleteअपने सवालॊं का जवाब भी जान लें मेरे ब्लोग पर जाकर