मैंने पिछले मंगलवार २८ अक्तूबर को एक पोस्ट में घुघूत जी के स्वास्थ्य के बारे में लिखा था । यह पोस्ट मैंने तब लिखी जब मुझे एहसास हुआ कि ब्लॉगजगत के मित्र मेरी अनुपस्थिति को महसूस कर रहे हैं व कुछ मित्र तो चिंता भी कर रहे हैं । पल्लवी त्रिवेदी जी ने बकायदा एक पोस्ट घुघूती जी कहाँ हैं आजकल? लिखकर यह पता लगाने की कोशिश भी की । मैं तब नेट पर नहीं आ पा रही थी । मानसिक स्थिति भी इस लायक नहीं थी कि कुछ लिख पाती । जब स्थिति में कुछ सुधार हुआ तो मुझे महसूस हुआ कि मुझे अपने मित्रों को सूचित करना चाहिए और इसी प्रयास में मैंने अपनी पिछली पोस्ट घुघूत जी का स्वास्थ्य समाचार लिखी । एक मित्र, संजीत त्रिपाठी जी ने एक पोस्ट सूचना लिखकर सबको घुघूत जी के औपरेशन के बारे में सूचित किया ।
मुझे यह देखकर बहुत सुखद आश्चर्य हुआ कि ५३ साथियों ने मेरी उस पोस्ट पर टिप्पणी की और घुघूत जी के स्वास्थ्य के लिए अपनी शुभकामनाएं भेजीं । क्या ऐसा कहीं और हो सकता है ? यह हमारे ब्लॉगजगत में ही हो सकता है । मुझे तब लगा कि सच में यह आभासी संसार भी मानवीय संवेदनाओं व एहसासों से भरा हमारा एक वृहत् परिवार ही है । घुघूत जी को मैंने आप सबके संदेश दे दिए हैं व वे भी मेरी तरह आप सब साथियों का तहेदिल से धन्यवाद कर रहे हैं । आपके स्नेह व अपनेपन का यह एहसास हमें आने वाले दिनों की सभी चुनौतियों का सामना करने का साहस देगा । चुनौतियाँ तो सच में बहुत हैं, पास आती सेवानिवृत्ति का समय, जीवनशैली में बदलाव, एकबार फिर से अपना काम स्वयं करने व आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ते उनके कदम, और इस सबमें मेरा छोटा सा सहयोग ! परन्तु यह सब तब काफी सरल हो जाता है जब मित्रों की शुभकामनाएं भी हमारे साथ होकर हमारे कदमों को ताकत देती हैं । सच में इनकी शक्ति का अनुमान तभी लगाया जा सकता है जब इनकी आवश्यकता आन पड़ती है ।
पल्लवी जी, संजीत जी व मुझे पढ़नेवाले, टिप्पणी करने वाले व घुघूत जी के लिए शुभकामनाएं भेजने वाले व मन ही मन एक पल को उनका शुभ चाहने वाले सभी साथियों को हमारा हार्दिक आभार ।
भविष्य में भी ऐसे ही आपका स्नेह बना रहे यह कामना करती हुई,
घुघूती बासूती
Wednesday, November 05, 2008
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ऐसा अपनत्व और कहां?
ReplyDeleteमुझे भी लगने लगा है कि इस आभासी दुनिया में दर्द का एक रिश्ता है, जो लोगों को जोड़े रखता है।
ReplyDeleteसब कुछ स्वाभाविक है...आप बस उनका ध्यान रखिये
ReplyDeleteयही जूड़ाव ही तो मानव सभ्यता के विकास का कारक रहा है.
ReplyDeleteअब रिटायरमेंट के बाद की चिंता काहे? ब्लॉगिंग है ना :)
सब सहज है यह .जुडाव हो ही जाता है ..आशा है अब सब कुशल मंगल होगा
ReplyDeleteघुघुत जी बहुत जल्दी स्वस्थ होकर हमारे बीच पहले से भी ज्यादा स्फूर्ति से काम करेंगे ! असल में इस शल्य चिकित्सा के बाद आदमी की लाईफ स्टाइल और काम करने की क्षमता पहले से कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है !मेरा निजी अनुभव यही कहता है ! आत्म विशवास बनाए रखे ! दिन पर दिन चमत्कारिक असर वे महसूस कर पायेंगे ! हम सब की दुआ और शुभकामनाएं तो साथ हैं ही ! आपने सब भाई बहनों का शुक्रिया अदा किया ये आपकी महानता है ! प्रणाम !
ReplyDeleteऐसा ही तो होता है परिवार.
ReplyDeleteएक किताब कभी पढ़ी थी.. मेनेजमेन्ट गुरु शेरु रांगनेकर की..नाम था शायद ’Prepare Yourself For Retirement' एक सुपर पीस पुस्तक थी. पता करिये और आप और घघुत जी जरुर पढ़िये. ट्रांजिशन स्मूथ और मनोरंजक रहेगा.
शुभकामनाऐं.
रोग.जरा और मरण की, चिन्ता छोङॆं आप.
ReplyDeleteकरें शब्द की साधना,अमर बनेंगे आप.
अमर बनेंगे आप,कोई अच्छा विचार दें.
इसी ब्लाग पर,सबको अपना विरल प्यार दें.
कह साधक कवि,नाम और चेहरा भूल जायेगा.
घुघुती बासुती ब्लाग पर याद आयेगा.
अब आप से सच कहूँ तो
ReplyDeleteजब भी मेरे नाती की
तसवीर लगायी है,
मुझे कई टीप्पणियाँ मिलीँ -
हिन्दी ब्लोग जगत
परिवार जैसा ही है
और स्वभावानुसार नोँक -झोँक भी होती रहती है -
आप दोनोँ उम्र के इस पडाव मेँ स्वास्थ्य,आनँद व नवीन उर्जा का अनुभव करेँ यही शुभकामना है :)
स स्नेह,
-लावण्या
फ़िर से शुभकामनायें।
ReplyDeleteआपने कहा कि - मुझे यह देखकर बहुत सुखद आश्चर्य हुआ कि ५३ साथियों ने मेरी उस पोस्ट पर टिप्पणी की और घुघूत जी के स्वास्थ्य के लिए अपनी शुभकामनाएं भेजीं । क्या ऐसा कहीं और हो सकता है ? ...........सच में यह आभासी संसार भी मानवीय संवेदनाओं व एहसासों से भरा हमारा एक वृहत् परिवार ही है.... .....इस बात को मैने हाल ही मे शिद्दत से महसूस किया और जाना जब एक अटपटे ब्लॉगिया की सनक का शिकार हो गया......तब आप लोगों ने जो स्नेह दिया वह मैं शब्दो मे नहीं बयां कर सकता...शायद उस शीतल ऐहसास को जानने के लिये इसी तरह की चुभन और ताप की जरूरत थी जिस ताप से मैं गुजरा हूँ....सचमुच यह ब्लॉगजगत एक परिवार ही है।
ReplyDeleteअरे आप चिंता काहे करती हैं? देखियेगा कि कैसे हमारी दुवाओं से घूघुता जी चंगे होकर दौड़ने लगेंगे.. :)
ReplyDeleteयही है संवेदनाओं का संसार जो वर्चुअल नहीं रियल है.
ReplyDeleteधन्यवाद की जरुरत ही नही थी आप ने क्यूँ दिया ??!!!!!!
ReplyDeleteघुघती जी आप बहुत अच्छा लिखती हैं अभी कुछ समय से आपका ब्लॉग पढ़ रही हूँ ,मेरी बहुत सी शुभकामनाये एवं स्नेह
ReplyDeleteशुभकामनाएं। शीघ्र स्वस्थ्य हों यही ईश्वर से प्रार्थना।
ReplyDeleteआप दोनो अब बेहतर हैं यह जानकर अतीव प्रसन्नता हुई। शुभकामनाएं।
ReplyDeleteभई वाह्
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