Friday, September 28, 2007
चकराये मित्रों के नाम
समीर जी, पूनम जी,संजीत जी व प्रभाकर जी,मुझे बहुत शर्मिंदगी है कि मैने अपनी 'उड़ने की चाहत' नामक कविता से आप सब को परेशान किया व चकरा दिया। पर खुशी भी है कि इस बहाने आपने यह कविता पढ़ तो ली। बात यह हुयी कि मेरे ब्लौग में यह पहली कविता थी और तब मुझे अपनी रचनाओं को लेबेल करने के बारे में पता नहीं था। कुछ मित्रों ने मेरी सब कविताएँ पढ़ी पर जिनमें लेबेल नहीं था वे नहीं पढ़ी। सो मैंने सोचा कि लेबेल कर दूँ और जब यह किया तो मेरी सबसे पहली पोस्ट यहाँ भी आ गयी। अत: आपको पुरानी टिप्पणियाँ पढ़नी पड़ी और चकरा गये।अब लगता है यह लेबेल अभियान बन्द करना पड़ेगा । घुघूती बासूती
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आप कोई भी संपादन कार्य करने से पहले अपने ब्लॉगर में भाषा इंगलिश का चुनाव कर लें इससे संपादन के बाद पोस्ट की तारीख नहीं बदलेगी।
ReplyDeleteह्म्म, तो यह माज़रा था!!
ReplyDeleteचलिए कोई बात नही इसी बहाने एक और अच्छी कविता हमें पढ़ने मिल गई और आपको मिली जगदीश जी से उपयोगी सलाह!
चलिये, अब चक्कर आना बंद हो गये.
ReplyDeleteजगदीश भाई को तो डॉक्टर होना था. मर्ज बताने के पहले ही दवा ले कर हाजिर हो जाते हैं. सच में, मैं इसी से परेशान था कि पुरानी ऎडिट कैसे करुँ. एक बार की थी तो यही परेशानी आ गई थी. आभार.
इस चक्कर में ब्लॉगर मिलन का विवरण अभी भी बाकी है, जी.
ReplyDeleteचलो यह बात हम भी याद रखेंगे...
ReplyDeleteचलो यह बात हम भी याद रखेंगे...
ReplyDeleteमेरे लिए भी एक सीख…।
ReplyDeleteप्रिय घुघूती बासूती जी,
ReplyDeleteमैं वेबदुनिया की ओर से आपको यह पत्र लिख रही हूं। हिंदी पोर्टल वेबदुनिया से तो आप वाकिफ ही होंगे। वेबदुनिया ने हिंदी ब्लॉग्स की दुनिया पर एक नया कॉलम शुरू किया है – ब्लॉग चर्चा। इस कॉलम में प्रत्येक शुक्रवार हिंदी के किसी एक ब्लॉग के बारे में चर्चा होती है और ब्लॉगर के साथ कुछ बीतचीत। अपने इस कॉलम में हम आपका ब्लॉग भी शामिल करना चाहते हैं। आप अपना ई-मेल का पता और मोबाइल नं. कृपया नीचे दिए गए पते पर मेल करें। फिर आपसे फोन पर बातचीत करके हम आपका ब्लॉग अपने इस कॉलम में शामिल करेंगे।
manisha.pandey@webdunia.net
manishafm@rediffmail.com
शुभकामनाओं सहित
मनीषा