Wednesday, July 04, 2007

आह की चादर

इक आह चादर की तरह
मेरे पूरे अस्तित्व पर छाई हुई है
मेरे हर क्षण ,मेरी हर साँस पर
यह चादर पसरी हुई है ।
मेरे शब्दों में बसी है यह
मेरी गंध तक में
रची बसी है यह
मेरी आवाज और
मेरे कानों तक में
घुली है यह
चित्कार बनकर ।

मेरी दृष्टि में भी
इक कोहरे सी
घिरी है यह,
हर स्पर्श में
इक झुरझुरी बन
रहती है यह,
मेरे रोमों में भी
इक सिहरन बन
समायी है यह ।

हर आहट,हर पदचाप में
सुनाई देती है यह
मेरी राहों में खड़ी यह
मील का पत्थर बन कर,
मेरे गीतों में है
बसेरा इसका,
मेरे सपनों में
रहता है साया इसका ।

हर मोड़ पर
मिल जाती है
यह साथी बनकर,
मेरे हर बोल में
रिस जाती है
यह हाला बनकर,
मेरे रक्त में
बहती है यह
एक ज्वाला बनकर ।

मेरे हर पल पर अपना
अधिकार जमाए बैठी है
रहती है यह संग मेरे
मेरी परछाई बनकर
मेरे आज और मेरे कल में
रुसवाई बनकर ।

यह आह की चादर
लिपटी है मेरे जीवन से,
उलझी हुई है यह आह
मेरे आँचल में
काँटों की तरह,
मेरे आकाश,मेरे सूरज
मेरे चाँद तारों को
छिपा लेती है
यह इक बादल की तरह ।

मेरे वीरानों को
घेरा है इसने
एक गूँज बनकर
मेरे हृदय को
भेदा है इसने
एक शूल बनकर,
नज़र जहाँ तक जाती है
फैली हुई है यह
धूआँ बनकर ।

इस आह को सीने में
छिपा रखा है
सीपी में मोती की तरह
इसे दिल से
लगा रखा है
दीये में ज्योति की तरह,
इसे मन में
सजा रखा है
आँखों में अश्रु की तरह ।

घुघूती बासूती

5 comments:

  1. अच्छी कविता पर टिप्पणी के शब्द जुटाना मुश्किल काम होता है इसलिए सिर्फ यही कहा जा सकता है "एक बहुत गहरी व मार्मिक कविता "!

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  2. दीदी क्यों ओड़ी है ऐसी चादर.....वाह से आह को बढ़ावा नहीं दूँगी.....

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  3. सुख की अपेक्षा दुख हमारे मन का स्थायी भाव है।

    सुख की अनुभूतियां कम वक्फ़े के लिए रह पाती है जबकि दुख की ज्यादा समय के लिए!!

    सुख कितना बड़ा भी हो लेकिन दुख कितना भी छोटा हो बहुत बड़ा ही लगता है।

    पर इन सबके बावजूद आह से वाह तक की यात्रा हमारे मन से ही होती है शायद!!

    रचना बढ़िया है पर मै इसे बढ़िया नही कहूंगा क्योंकि मै आपको आह की बजाय वाह की चादर ओढ़े ही देखना चाहूंगा!!

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  4. जीवन है, मन है-
    कभी खुशी तो कभी गम है-
    जरा नजर उठाकर देखिये
    एक खुला असीम आकाश होता है-
    क्या फिर भी मन उदास होता है!!

    -जो भी हो, खुशी या उदासी-आप उन्हें बखूबी शब्द देती हैं, भाव बोल उठते हैं. नमन करता हूँ आपकी प्रतिभा को.

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  5. मजबूत कविता ,मजबूत भाव। साधुवाद ।

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