एक वाइरस मनुष्य को और उसके कम्प्यूटर को कितना दयनीय बना सकता है इसका जीता जागता उदाहरण हमने परसों देखा । और दुर्भाग्य से वह मनुष्य हम थे और वह कम्प्यूटर हमारा ल।ड़ला ।
हुआ कुछ यों कि हम बड़े प्रेम से अपने मित्रों से, हाँ यहीं के साइबर मित्रों से, वार्तालाप कर रहे थे । आने वाले संकट का कोई भी अंदेशा नहीं था । हम, हमारा संसार, हमारे मित्र सब मजे में थे । जैसे आने वाले भूकम्प की कोई सूचना नहीं होती वैसे ही हम भी अपने प्रिय कम्प्यूटर पर होने वाले हमले से अनजान थे । गूगल चैट व याहू मेसेन्जर दोनों ही खुले थे । याहू मेसेन्जर तो अभी अभी लम्बी बीमारी से उठ सक्रिय हुआ था । अचानक एक मित्र का संदेश आया कि वे अमुक टी वी चैनल पर आने वाले हैं । जल्दी जल्दी टी वी पर उस चैनल को खोजना आरम्भ किया । अब टी वी के मामले में हम बिल्कुल अनाड़ी हैं ।
अनाड़ी तो कम्प्यूटर के मामले में भी हैं । कुछ दिन पहले तक अपने बारह चौदह चैनल पर ही इतराते थे । हाल में ही टाटा स्काई लगवा कर हमारा टी वी भी नए नए चैनल दिखाने लगा है । सो हमें पूर्ण विश्वास था कि अमुक चैनल भी हमारे टी वी में मिलेगा । वह नहीं मिला तो दनादन मित्रों से पूछना आरम्भ किया कि क्या यह चैनल नेट पर उपलब्ध है । सब हमारी सहायता में जुट गए और धड़ाधड़ लिंक भेजने लगे । हम एक के बाद एक लिंक आजमा रहे थे, इतने में ही किसी वाइरस दानी ने हमारी ओर वाइरस वाला लिंक भी भेज दिया । हम इतने जोश से लिंक खोल रहे थे कि भेजने वाले का नाम देखे बिना लिंक खोल डाला । और फिर क्या था हमारा याहू मेसेन्जर तो जैसे पगला गया । धड़ाधड़ हमारी स्टेटस बार बदलती जा रही थी । दनादन हमारी मित्रों की लिस्ट में सबको किसी महान साइट,नाम न ही लूँ तो बेहतर, देखने के लिए बुलावा जाने लगा । हम तो सकपका गए और दूसरी तरफ से एक दो मित्रों के संदेश आने लगे कि यह सब क्या देखना शुरू कर दिया है । किसी ने सलाह दी फौरन कम्प्यूटर बन्द करो और किसी कम्प्यूटर डॉक्टर को बुलाओ । इससे पहले कि हमें होश आता कि यह क्या हो रहा है बिटिया का संदेश आया । हा हा माँ, मेरे पति को यह सब क्या देखने को बोल रही हो ? पति ने फोन पर कहा है कि माँ से बोलो नेट बंद करें । मेसेन्जर को हटा दें । नया बाद में लगा लें पर सबसे पहले यह ही करें ।
वाह ! सासू माँ की स्थिति तो आप सोच ही सकते हैं हँसे या रोएँ । खैर हमने इस विषय में निर्णय स्थगित किया और फटाफट नेट बंद किया और कम्प्यूटर भी । पति जब घर आए तो अपनी दुख गाथा उनको सुनाई । उनका हँसना जले पर नमक सा तो था किन्तु जब वे भी हमारे कम्प्यूटर को वाइरस मुक्त करने के अभियान में लग गए तो कुछ सांत्वना मिली । आज डॉक्टर को बुला कर भी दिखाया था तब जाकर कुछ चलने की स्थिति में हुआ है । अब वह कल फिर आकर पूरा निदान करेगा । शायद कुछ एन्टी टिटेनस या एन्टी रेबीज टाइप दवा भी देगा । दुआ माँगिए कि हमारा यह लाड़ला पूरी तरह से स्वस्थ हो जाए । अब तो याहू मेसेन्जर फिर से लगाना है । वह तो हो जाएगा किन्तु हम सोच रहे हैं अपनी सूची के मित्रों को कैसे यह दुख भरी कहानी सुनाएँगे और कैसे क्षमा माँगेगे । हाँ और जँवाई बाबू क्या अब हमारा भेजा कोई संदेश पढ़ने की हिम्मत जुटा पाएँगे ?
वैसे अब हम यह गीत गुनगुना रहे हैं.........
कम्प्यूटर बनाने वाले
क्या तेरे दिल में समाया
काहे को कम्प्यूटर बनाया
तूने काहे को कम्प्यूटर बनाया
कम्प्यूटर बनाया तूने तो काहे को वाइरस बनाया
तूने काहे को वाइरस बनाया
वाइरस बनाया तूने तो काहे को वाइरस फैलाया
तूने काहे को वाइरस फैलाया.........
काहे को कम्प्यूटर बनाया ????????????
वैसे हमें पता है कम्प्यूटर बनाने वाले और वाइरस फैलाने वाले अलग अलग लोग हैं पर कविता या गीत में कुछ पोएटिक फ्रीडम तो होती ही है ।
घुघूती बासूती
Saturday, May 05, 2007
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घुघूती बासूती जी, ऎसा अनुभव हमे भी हो चुका है।कुछ वायरस तो ऎसे है कि सीधा हार्ड डिस्क खराब कर जाते हैं। इनसे बचने का कोई उपाए खोजिए।
ReplyDeleteहा हा! इस परेशानी से इंटेरनेट को प्रयोग करने वाले कभी न कभी जरूर गुजरते हैं मगर कई लोग कह नहीं पाते। आपने बहुत मजेदार तरीके से अपनी परेशानी का ब्यान लिया।
ReplyDeleteदुख को मजेदार बना कर बयान किया है, वैसे इस प्रकार की घ्टनाओं से दो-चार होने वाले खराब मेल पा कर बुरा नहीं मानते क्योंकि उन्हे पता होता है कि यह सब अनजाने में हो जाता है.
ReplyDeleteये हर जगह होते है कही दिखाइ देते है कही नही
ReplyDeleteइनसे बचने के लिय आप नारद के तकनीकी सहयोगियो से सहायता ले सकती है वैसे मै भारत सरकार की तरह वाईरस के हमले की निन्दा करना चाहूगा कडे शब्दो मे अगर ये दुबारा आक्रमण करे तो आप हमे अवश्य बताये ताकि हम और अधिक कडे शब्दो मे निन्दा कर सके .दरअसल हम इस मामले मे इस से ज्यादा कुछ कर ही नही सकते
हा हा हा
ReplyDeleteकम्प्यूटर वायरस से बचकर काम करना है तो लिनक्स अपनाएं.
और, अपने उन्मुक्त भाई तो कई दफ़ा इसकी वकालत कर चुके हैं. :)
बढ़िया रही वायरस व्यथा कथा.
ReplyDeleteवैकसीन (ऍंटी वायरस ) लगवा लें. फिर उसे अपडेट करते रहें . वायरस की दशा में नेट को सबसे पहले बन्द करें.
वैसे रवि जी का सुझाव भी अच्छा है . लिनक्स पर (अभी तक) इस तरह के हमले नहीं होते.
रवी जी ठीक कह रहें हैं लिनेक्स पर आइये।
ReplyDeleteवायरस के हमले की इस दुखद घटना को सुन मन विचलीत हुआ जाता है. यह एक प्रकार का आतंकवाद है. हमारी संवेदनायें आपकी ओर मुख करके बैठी हैं मगर मौन हैं हमेशा की तरह.
ReplyDeleteलिनिक्स का तो पता नहीं. मगर विन्डोज में भी बेक अप वगैरह करते रहें, थोड़ा एन्टी वायरस वगैरह चलायें, थोड़ी सतर्कता रखें-तो इस समस्या से काफी हद तक निजाद मिल सकती है.
:) :)
मेरी टिप्पणी कहाँ गई? बासूतीजी आपने इसे हटाया है या वायरस...?
ReplyDeleteजानकर बड़ा दु:ख हुआ.. फूंक-फूंककर कदम धरियेगा।
ReplyDeleteक्या हो अब तबीयत तो कभी न कभी सब की खराब होती है…और WBC पुन: नये तेवर से लड़ना शुरु करता है… :) :) :)
ReplyDeleteबड़े अच्छे ढ़ंग से आपने वायरस के आक्रमण के बारे में बताया । मेरे PC में भी एक जीव है जिसका बस चले तो हमेशा PC standby मोड में ही रहे और जहाँ तहाँ /-bn टाइप करने लगता है । खैर हमारा आपसी संघर्ष जारी है ...
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ReplyDeleteयह तो समुद्र-मंथन है, यहां अमृत है.. तो विष भी.. क्या करियेगा। किसी की लाइन याद आ गयी आपका ब्लाग पढ्कर... गोया हम भी कोई साज के तार थे..चोट खाते रहे गुनगुनाते रहे।
ReplyDeleteहा हा घुघूती जी अपनी समस्या का खूब मनोरंजक वर्णन किया आपने। अब क्या कहें इस तरह की चीजों से हम भी शर्मिंदा हो चुके हैं।
ReplyDeleteबिन बुलाए खुलने वाली पॉपअप विंडो से तो आप वाकिफ ही हैं। नैट पर मालूम नहीं किस सिरे से आकर क्या खुल जाए। एक बार मेरा भानजा मेरे साथ था दूसरी बार रिश्ते का छोटा भाई कि अचानक एक विंडो खुद ही खुलती जाए और उसमें क्या होगा अंदाजा लगाया ही जा सकता है वो भी सचित्र ! वैसे बताता चलूं कि इस तरह की पॉपअप विंडो आदि खुलती हैं अक्सर पाइरेटिड सॉफ्टवेयर वाली साइटों से और फिर जहाँ एक बार बंदा इन रंगीन साइटों पर गया ये सौ तरह के वायरस, ट्रोजन, स्पाईवेयर वगैरा सौगात में ले आती हैं।
इनसे बचने के दो तरीके हैं एक तो फायरफॉक्स ब्राउजर इस्तेमाल करो। वैसे अब IE 7 में भी एन्टीफिशिंग फीचर्स और पॉपअप ब्लॉकर हैं। IE वर्जन 5 और 6 इस तरह की चीजों का हमला बहुत आसानी से होते हैं। जब से मैं फायरफॉक्स पर गया बहुत आराम हो गया।
दूसरा तरीका है अपने पीसी में फायरवाल इंस्टाल करना। यह अधिकतर नए एन्टीवायरसों McAfee, Norton आदि में होती ही है। अन्यथा ZoneAlarm आदि का उपयोग किया जा सकता है। फायरवाल हर अनधिकार इनकमिंग-आइटगोंइग कनैक्शनों पर नजर रखता है और आपसे पूछने पर ही उन्हें चलने की अनुमति देता है।
वैसे आम तौर पर सिर्फ ब्राउजर बदलने से या वर्जन ७ अपग्रेड करने से ही काम चल जाता है।
कृपया सार्वजनिक तौर पर लिंक्स,वह भी नेट पर टे.वि. चैनल्स के
ReplyDeleteन माँगिए।
बाँग्ला का एक आम इस्तेमाल वाला शब्द है - 'अप्रस्तुत'। आपको अप्रस्तुत होना पड़ा । दिली सहानुभूति है ।
लिनक्स-प्रेमी दावे के साथ सलाह देंगे कि वाइरस-मुक्ति का सही इलाज लिनक्स-मोज़िला है ।
मेरी टिप्पणी जो बहुत खोजने के बाद मिल गई :)
ReplyDeleteकभी-कभी इस प्रकार की दूर्घटनाएँ हो जाती है और हमें बेवजह शर्मिन्दा होना पड़ता है...मगर आपका व्यक्तित्व ऐसा है कि पल भर में ही सभी मित्र समझ गये होंगे...आपने जिस प्रकार का प्रस्तुतीकरण किया है उसे पढ़कर हँसी आ रही है...मगर मैं समझ सकता हूँ, इस प्रकार की घटनाएँ उस पल कितने मुश्किल हालात पैदा कर देती हैं....
:)यह समस्या सच में बहुत विकट है ..पर इस को लिखने से बहुत से उपाय मिल गये आपको [:)]
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteHey,
ReplyDeleteHope you don't mind that I'm not commenting in Hindi. And a very funny post, Ghughuti"JI."
Now that we've established an appropriate tone of respect and formality, here's what you need to do. Just go to www.getridofallmicrobes.com and click as directed. Your comp. will never get any sort of cold again.
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And again, rocking post..
Neha