Saturday, May 05, 2007

हमारे लाड़ले पर हमला एक वाइरस का

एक वाइरस मनुष्य को और उसके कम्प्यूटर को कितना दयनीय बना सकता है इसका जीता जागता उदाहरण हमने परसों देखा । और दुर्भाग्य से वह मनुष्य हम थे और वह कम्प्यूटर हमारा ल।ड़ला ।
हुआ कुछ यों कि हम बड़े प्रेम से अपने मित्रों से, हाँ यहीं के साइबर मित्रों से, वार्तालाप कर रहे थे । आने वाले संकट का कोई भी अंदेशा नहीं था । हम, हमारा संसार, हमारे मित्र सब मजे में थे । जैसे आने वाले भूकम्प की कोई सूचना नहीं होती वैसे ही हम भी अपने प्रिय कम्प्यूटर पर होने वाले हमले से अनजान थे । गूगल चैट व याहू मेसेन्जर दोनों ही खुले थे । याहू मेसेन्जर तो अभी अभी लम्बी बीमारी से उठ सक्रिय हुआ था । अचानक एक मित्र का संदेश आया कि वे अमुक टी वी चैनल पर आने वाले हैं । जल्दी जल्दी टी वी पर उस चैनल को खोजना आरम्भ किया । अब टी वी के मामले में हम बिल्कुल अनाड़ी हैं ।
अनाड़ी तो कम्प्यूटर के मामले में भी हैं । कुछ दिन पहले तक अपने बारह चौदह चैनल पर ही इतराते थे । हाल में ही टाटा स्काई लगवा कर हमारा टी वी भी नए नए चैनल दिखाने लगा है । सो हमें पूर्ण विश्वास था कि अमुक चैनल भी हमारे टी वी में मिलेगा । वह नहीं मिला तो दनादन मित्रों से पूछना आरम्भ किया कि क्या यह चैनल नेट पर उपलब्ध है । सब हमारी सहायता में जुट गए और धड़ाधड़ लिंक भेजने लगे । हम एक के बाद एक लिंक आजमा रहे थे, इतने में ही किसी वाइरस दानी ने हमारी ओर वाइरस वाला लिंक भी भेज दिया । हम इतने जोश से लिंक खोल रहे थे कि भेजने वाले का नाम देखे बिना लिंक खोल डाला । और फिर क्या था हमारा याहू मेसेन्जर तो जैसे पगला गया । धड़ाधड़ हमारी स्टेटस बार बदलती जा रही थी । दनादन हमारी मित्रों की लिस्ट में सबको किसी महान साइट,नाम न ही लूँ तो बेहतर, देखने के लिए बुलावा जाने लगा । हम तो सकपका गए और दूसरी तरफ से एक दो मित्रों के संदेश आने लगे कि यह सब क्या देखना शुरू कर दिया है । किसी ने सलाह दी फौरन कम्प्यूटर बन्द करो और किसी कम्प्यूटर डॉक्टर को बुलाओ । इससे पहले कि हमें होश आता कि यह क्या हो रहा है बिटिया का संदेश आया । हा हा माँ, मेरे पति को यह सब क्या देखने को बोल रही हो ? पति ने फोन पर कहा है कि माँ से बोलो नेट बंद करें । मेसेन्जर को हटा दें । नया बाद में लगा लें पर सबसे पहले यह ही करें ।
वाह ! सासू माँ की स्थिति तो आप सोच ही सकते हैं हँसे या रोएँ । खैर हमने इस विषय में निर्णय स्थगित किया और फटाफट नेट बंद किया और कम्प्यूटर भी । पति जब घर आए तो अपनी दुख गाथा उनको सुनाई । उनका हँसना जले पर नमक सा तो था किन्तु जब वे भी हमारे कम्प्यूटर को वाइरस मुक्त करने के अभियान में लग गए तो कुछ सांत्वना मिली । आज डॉक्टर को बुला कर भी दिखाया था तब जाकर कुछ चलने की स्थिति में हुआ है । अब वह कल फिर आकर पूरा निदान करेगा । शायद कुछ एन्टी टिटेनस या एन्टी रेबीज टाइप दवा भी देगा । दुआ माँगिए कि हमारा यह लाड़ला पूरी तरह से स्वस्थ हो जाए । अब तो याहू मेसेन्जर फिर से लगाना है । वह तो हो जाएगा किन्तु हम सोच रहे हैं अपनी सूची के मित्रों को कैसे यह दुख भरी कहानी सुनाएँगे और कैसे क्षमा माँगेगे । हाँ और जँवाई बाबू क्या अब हमारा भेजा कोई संदेश पढ़ने की हिम्मत जुटा पाएँगे ?
वैसे अब हम यह गीत गुनगुना रहे हैं.........
कम्प्यूटर बनाने वाले
क्या तेरे दिल में समाया
काहे को कम्प्यूटर बनाया
तूने काहे को कम्प्यूटर बनाया
कम्प्यूटर बनाया तूने तो काहे को वाइरस बनाया
तूने काहे को वाइरस बनाया
वाइरस बनाया तूने तो काहे को वाइरस फैलाया
तूने काहे को वाइरस फैलाया.........
काहे को कम्प्यूटर बनाया ????????????
वैसे हमें पता है कम्प्यूटर बनाने वाले और वाइरस फैलाने वाले अलग अलग लोग हैं पर कविता या गीत में कुछ पोएटिक फ्रीडम तो होती ही है ।
घुघूती बासूती

20 comments:

  1. घुघूती बासूती जी, ऎसा अनुभव हमे भी हो चुका है।कुछ वायरस तो ऎसे है कि सीधा हार्ड डिस्क खराब कर जाते हैं। इनसे बचने का कोई उपाए खोजिए।

    ReplyDelete
  2. Anonymous3:49 pm

    हा हा! इस परेशानी से इंटेरनेट को प्रयोग करने वाले कभी न कभी जरूर गुजरते हैं मगर कई लोग कह नहीं पाते। आपने बहुत मजेदार तरीके से अपनी परेशानी का ब्यान लिया।

    ReplyDelete
  3. Anonymous4:25 pm

    दुख को मजेदार बना कर बयान किया है, वैसे इस प्रकार की घ्टनाओं से दो-चार होने वाले खराब मेल पा कर बुरा नहीं मानते क्योंकि उन्हे पता होता है कि यह सब अनजाने में हो जाता है.

    ReplyDelete
  4. ये हर जगह होते है कही दिखाइ देते है कही नही
    इनसे बचने के लिय आप नारद के तकनीकी सहयोगियो से सहायता ले सकती है वैसे मै भारत सरकार की तरह वाईरस के हमले की निन्दा करना चाहूगा कडे शब्दो मे अगर ये दुबारा आक्रमण करे तो आप हमे अवश्य बताये ताकि हम और अधिक कडे शब्दो मे निन्दा कर सके .दरअसल हम इस मामले मे इस से ज्यादा कुछ कर ही नही सकते

    ReplyDelete
  5. हा हा हा

    कम्प्यूटर वायरस से बचकर काम करना है तो लिनक्स अपनाएं.

    और, अपने उन्मुक्त भाई तो कई दफ़ा इसकी वकालत कर चुके हैं. :)

    ReplyDelete
  6. बढ़िया रही वायरस व्यथा कथा.

    वैकसीन (ऍंटी वायरस ) लगवा लें. फिर उसे अपडेट करते रहें . वायरस की दशा में नेट को सबसे पहले बन्द करें.

    वैसे रवि जी का सुझाव भी अच्छा है . लिनक्स पर (अभी तक) इस तरह के हमले नहीं होते.

    ReplyDelete
  7. रवी जी ठीक कह रहें हैं लिनेक्स पर आइये।

    ReplyDelete
  8. वायरस के हमले की इस दुखद घटना को सुन मन विचलीत हुआ जाता है. यह एक प्रकार का आतंकवाद है. हमारी संवेदनायें आपकी ओर मुख करके बैठी हैं मगर मौन हैं हमेशा की तरह.

    लिनिक्स का तो पता नहीं. मगर विन्डोज में भी बेक अप वगैरह करते रहें, थोड़ा एन्टी वायरस वगैरह चलायें, थोड़ी सतर्कता रखें-तो इस समस्या से काफी हद तक निजाद मिल सकती है.

    :) :)

    ReplyDelete
  9. Anonymous7:41 pm

    मेरी टिप्पणी कहाँ गई? बासूतीजी आपने इसे हटाया है या वायरस...?

    ReplyDelete
  10. जानकर बड़ा दु:ख हुआ.. फूंक-फूंककर कदम धरियेगा।

    ReplyDelete
  11. क्या हो अब तबीयत तो कभी न कभी सब की खराब होती है…और WBC पुन: नये तेवर से लड़ना शुरु करता है… :) :) :)

    ReplyDelete
  12. बड़े अच्छे ढ़ंग से आपने वायरस के आक्रमण के बारे में बताया । मेरे PC में भी एक जीव है जिसका बस चले तो हमेशा PC standby मोड में ही रहे और जहाँ तहाँ /-bn टाइप करने लगता है । खैर हमारा आपसी संघर्ष जारी है ...

    ReplyDelete
  13. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  14. यह तो समुद्र-मंथन है, यहां अमृत है.. तो विष भी.. क्‍या करियेगा। किसी की लाइन याद आ गयी आपका ब्‍लाग पढ्कर... गोया हम भी कोई साज के तार थे..चोट खाते रहे गुनगुनाते रहे।

    ReplyDelete
  15. हा हा घुघूती जी अपनी समस्या का खूब मनोरंजक वर्णन किया आपने। अब क्या कहें इस तरह की चीजों से हम भी शर्मिंदा हो चुके हैं।

    बिन बुलाए खुलने वाली पॉपअप विंडो से तो आप वाकिफ ही हैं। नैट पर मालूम नहीं किस सिरे से आकर क्या खुल जाए। एक बार मेरा भानजा मेरे साथ था दूसरी बार रिश्ते का छोटा भाई कि अचानक एक विंडो खुद ही खुलती जाए और उसमें क्या होगा अंदाजा लगाया ही जा सकता है वो भी सचित्र ! वैसे बताता चलूं कि इस तरह की पॉपअप विंडो आदि खुलती हैं अक्सर पाइरेटिड सॉफ्टवेयर वाली साइटों से और फिर जहाँ एक बार बंदा इन रंगीन साइटों पर गया ये सौ तरह के वायरस, ट्रोजन, स्पाईवेयर वगैरा सौगात में ले आती हैं।

    इनसे बचने के दो तरीके हैं एक तो फायरफॉक्स ब्राउजर इस्तेमाल करो। वैसे अब IE 7 में भी एन्टीफिशिंग फीचर्स और पॉपअप ब्लॉकर हैं। IE वर्जन 5 और 6 इस तरह की चीजों का हमला बहुत आसानी से होते हैं। जब से मैं फायरफॉक्स पर गया बहुत आराम हो गया।

    दूसरा तरीका है अपने पीसी में फायरवाल इंस्टाल करना। यह अधिकतर नए एन्टीवायरसों McAfee, Norton आदि में होती ही है। अन्यथा ZoneAlarm आदि का उपयोग किया जा सकता है। फायरवाल हर अनधिकार इनकमिंग-आइटगोंइग कनैक्शनों पर नजर रखता है और आपसे पूछने पर ही उन्हें चलने की अनुमति देता है।

    वैसे आम तौर पर सिर्फ ब्राउजर बदलने से या वर्जन ७ अपग्रेड करने से ही काम चल जाता है।

    ReplyDelete
  16. Anonymous1:24 pm

    कृपया सार्वजनिक तौर पर लिंक्स,वह भी नेट पर टे.वि. चैनल्स के
    न माँगिए।
    बाँग्ला का एक आम इस्तेमाल वाला शब्द है - 'अप्रस्तुत'। आपको अप्रस्तुत होना पड़ा । दिली सहानुभूति है ।
    लिनक्स-प्रेमी दावे के साथ सलाह देंगे कि वाइरस-मुक्ति का सही इलाज लिनक्स-मोज़िला है ।

    ReplyDelete
  17. Anonymous3:25 pm

    मेरी टिप्पणी जो बहुत खोजने के बाद मिल गई :)

    कभी-कभी इस प्रकार की दूर्घटनाएँ हो जाती है और हमें बेवजह शर्मिन्दा होना पड़ता है...मगर आपका व्यक्तित्व ऐसा है कि पल भर में ही सभी मित्र समझ गये होंगे...आपने जिस प्रकार का प्रस्तुतीकरण किया है उसे पढ़कर हँसी आ रही है...मगर मैं समझ सकता हूँ, इस प्रकार की घटनाएँ उस पल कितने मुश्किल हालात पैदा कर देती हैं....

    ReplyDelete
  18. :)यह समस्या सच में बहुत विकट है ..पर इस को लिखने से बहुत से उपाय मिल गये आपको [:)]

    ReplyDelete
  19. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  20. Hey,

    Hope you don't mind that I'm not commenting in Hindi. And a very funny post, Ghughuti"JI."

    Now that we've established an appropriate tone of respect and formality, here's what you need to do. Just go to www.getridofallmicrobes.com and click as directed. Your comp. will never get any sort of cold again.

    That was a test! If you had the slightest urge to go to that fake website, we suggest deep meditation and introspection, communing with your inner being and various art of living courses before you get within 5 feet of yahoo messenger again.

    You can go to www.meditation_introspection_artofliving.com for a better life.

    And again, rocking post..

    Neha

    ReplyDelete