पश्चिम बंगाल के पहाड़ों और सिक्किम से लौट आई. किन्तु उस पर बाद में.
कई अन्य बातें हैं जो अपने को लिखवाना चाह रही हैं.
बागडोगरा हवाईअड्डे पर उतरने के बाद सिलिगुड़ी में एक रेस्टोरेंट में पहली मंजिल या उससे भी कुछ ऊपर( पहाड़ होने के कारण कुछ अधिक चढ़ना पड़ा) खाना खाने गए. खाना ख़त्म होने के बाद निकलने ही वाले थे और हाथ मुंह धो रहे थे कि अचानक पहले एक आदमी भागता हुआ सीढिया उतरने लगा फिर एक स्त्री और फिर कई और लोग. कुछ भगदड़ सी मचती देख मन आशंकित हुआ. पहले हुए फसादों का ध्यान आया. और बच्चों को सचेत किया.
नीचे उतरे तो पता चला कि दो साल का एक बच्चा ऊपर खिड़की से नीचे गिर गया था. इसलिए माता पिता नीचे भागे थे.
अब वे लोग बच्चे को अपनी कार में हस्पताल ले जाते दिखे.
किन्तु बच्चे को कुछ भी नहीं हुआ था. एक खरोंच भी नहीं लगी थी. बात अविश्वसनीय है .
नीचे भी खाना पकता है. वहाँ का कुक शायद धुएँ , गर्मी या फिर रसोई की बोरियत से बाहर साँस लेने आया. अचानक उसने ऊपर देखा और उसे बच्चा गिरता दिखा. उसने बच्चे को लपक लिया. अचानक से वह कुक उस परिवार के लिए न जाने क्या बन गया. भगवान, देवता, रक्षक या न जाने क्या?
मेरा बड़ा मन था कि उस कुक से मिलूँ. उसे देखूं. किसी के प्राण बचाने का अवसर सबको तो नहीं मिलता. न जाने वह स्वयं कितना स्तब्ध होगा. उसने जो किया वह शायद एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया थी और उसने अपने जीवन का सबसे बहुमूल्य काम एक पल में कर दिया.
अपने टी वी रिपोर्टर्स की तरह उससे पूछ सकती थी कि उसे कैसा लग रहा है. किन्तु स्त्री होने का सबसे बड़ा प्रशिक्षण हमें जो जन्म से मिलता है वह है मन की न करना. सो उससे नहीं मिली.
किन्तु अचंभित अब तक हूँ.
घुघूती बासूती
जाको राखे साइयां,मार सकें ना कोय।👌याद आया
ReplyDeleteलाजवाब लेखन। पढती भी होंगी आप ब्लोग ?
ReplyDeleteधन्यवाद . पहले नियमित पढ़ती और लिखती भी रहती थी आजकल नहीं हो रहा. एक बार फिर ब्लॉगिंग की ओर आना है.
Deleteगजब !संयोग का एक कारण आसपास मौजूद शख्सीयत भी थी।क्या यह 9 तारीख थी?
ReplyDelete:) यह ३ मई की बात है.
Deleteअविश्वसनीय।
ReplyDeleteधन्यवाद .
Deleteसच में ऐसा अवसर हर किसी को नहीं मिलता... कमाल का संयोग था ।
ReplyDeleteजी बिल्कुल . यह घटना भूअविस्मरनीय रहेगी.
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