Saturday, August 15, 2015

हँसना, खाँसना, छींकना, हिचकी लेना मना है।

बुधवार की शाम हम घर आ रहे थे। बूँदाबादी हो रही थी। हम उस इलाके से निकल रहे थे जहाँ बहुत से इन्फोर्मेशन टेक्नॉलोजी के दफ्तर हैं। शाम को जबर्दस्त ट्रैफिक हो जाता है। सड़क के दूसरी तरफ एक मोटरसायकिल की दुर्घटना दिखी। अवश्य कोई युवा होगा या होगी। मन ही मन मनाया कि चोट अधिक ना लगी हो। बहुत सी मोटरसायकिल भी रुक रही थीं। फिर मन ही मन मनाया कि कोई दोस्त भी रुका हो।
रास्ते में बड़ी बेटी का घर है। उसके घर कुछ काम से गए। निकलते निकलते रात हो गई।
पति कार धीरे ही चलाते हैं। कारों के बीच में प्रायः स्कूटर या मोटर सायकिल को जगह नहीं मिलती। वे किनारे किनारे ही चलाते जाते हैं। हमारी कार के सामने उन्हें जगह मिल जाती है और सदा दो पहिया वाहनों का एक झुँड हमारी और अगली कार के बीच जगह पा जाता है। उन्हें देख यही लगता है कि ये हमारे ही तो बच्चे हैं। जब से हमारे बच्चे बड़े हुए हैं हर युवा अपनी संतान सा ही लगता है।
हम अपनी सोसायटी के काफी पास आ गए थे। भीड़ भी कम हो गई थी। एक पुल के नीचे दाएँ बाएँ विभाजन हैं। एक छोटा ट्रक गलत तरफ से हमारे सामने आया। फिर एक कार। दोनो की हेडलाइट फुल बीम पर थीं। वे आँखों को चुँधिया कर चली गईं। कार रोक कर उनको जाने दिया। हम चले ही थे कि एक और की हेडलाइट ने लगभग अन्धा ही कर दिया। बारिश और इन दोनो के चलते बिना किसी रोशनी, बिना किसी पेन्ट या लाइट रिफ्लेक्टिव पेन्ट के डिवाइडर के नाम पर बने कन्क्रीट की छोटे सी दीवार नुमा सिमेन्ट के रंग के डिवाइडर को पति देख नहीं पाए और जहाँ वह शुरु हुआ उसी जगह उस से कार टकरा गई। यह डिवाइडर हर कुछ दिनों बाद कुछ और लम्बा कर दिया जाता है। सड़क पर ना तो कोई लाइट हैं और ना ही डिवाइडर आने की कोई चेतावनी।
हमने सीट बेल्ट तो पहन रखी थीं इसलिए चोट नहीं आई। एकदम से तीन युवक अपनी अपनी मोटर सायकिल रोक सहायता के लिए आ गए। हमें कार से उतारा। पति का सीट के नीचे गिरा चश्मा ढूँढ कर दिया। हमें चोट तो नहीं लगी, हस्पताल ले चलें आदि पूछा। एक का घर पास था, वहाँ ले चलने को कहा। घर से पानी लाने का प्रस्ताव रखा। पानी है कहने पर हमारी कार से पानी निकाल कर हमें पिलाया। बारिश में ही खड़े हमारा साथ देते रहे। एक ने फोन कर टो ट्रक को बुलाया। हम दोनो को भीगने से मना कर कार में बैठने को कह स्वयं भीगते रहे। हमें हमारे घर पहुँचाने का भी प्रस्ताव रखा। हमारे जवाँई के आ जाने के बाद भी टो ट्रक के आकर कार ले जाने तक हमारे साथ बने रहे। कार को धक्का देकर टो ट्रक के सामने किया। अन्त में जब हम जवाँई की कार में बैठने लगे तब हाथ मिलाकर ही वे अपने घर गए।
हमें चोट तो नहीं लगी थी। शायद सीट बेल्ट से ही या व्हिप लैश के कारण छाती में काफी दर्द था। डॉक्टर को दिखाया एक्स रे आदि करवाया। सब ठीक है। बस मेरी छाती में काफी दर्द है। पाँच दिन की दवा दी, दर्द का इन्जेक्शन लगाया गया। कुछ दिन काम करना मना है। केवल लेटना या बैठना है। झुकना, वजन उठाना मना है। बेटियाँ इस बात से खुश हैं कि आखिर माँ को किसी ने तो आराम करने को बाध्य कर दिया। हाँ, हँसना, खाँसना, छींकना, हिचकी लेना मना है।
जिन युवाओं की मैं सदा तरफदारी करती रहती हूँ, जिनमें मैं अपनी संतान ही देखती रहती हूँ, उन्होंने अपने प्रति मेरे विश्वास और स्नेह को एक बार फिर सही सिद्ध कर दिया। उन तीनो युवकों को मेरा बहुत बहुत धन्यवाद। आगे बढ़ते रहो, उन्नति करो, मस्ती करो और समय आने पर यूँ ही किसी परेशान की सहायता करते रहो।
घुघूती बासूती

10 comments:

  1. ओह यह अच्छा हुआ कि आपने सीट बेल्ट लगा रखी थी, बहुत सा नुक्सान होने से बच जाता है, मैं इसीलिये भी शहर में गाड़ी धीमी ही चलाता हूँ।

    आप जल्दी ही स्वस्थ्य हों ।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (16-08-2015) को "मेरा प्यार है मेरा वतन" (चर्चा अंक-2069) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    स्वतन्त्रतादिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. उपरोक्त घटना से यह तो साफ़ हो जाता है कि सीट बेल्ट पुलिस वाले के डर से नहीं अपनी सुरक्षा के लिए पहनना चाहिए.

    अच्छा हुआ ज्यादा चोट नहीं लगी. रात में छोटे एक्सीडेंट भी खतरनाक हो सकते हैं.

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  4. ईश्वर आपको जल्दी स्वस्थ करे। आजकल के बच्चे अहछे हैं, बहुत कुछ सीख रहे हैं और उसे अमल में भी ला रहे हैं। काश सभी वाहन चालक हाई बीम और खराब मौसम में दूसरों के अतिरिक्त ज़रूरी सावधानी का ख्याल भी रख पाएँ।

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  5. 'हाँ, हँसना, खाँसना, छींकना, हिचकी लेना मना है।'
    - यह पढ़ने पर लगता है मानो कोई विनोदपूर्ण स्थिति है।
    इन सामान्य क्रियाओं में भी कष्ट है ,यह आप नहीं कहना चाहतीं !

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  6. अच्छा तो यही है कि आप लोग सही सलामत है।

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  7. Main kuchh dino se aapka blog pad rahi hun.asha ab tak aapake health me sudhar ho gaya hoga.apke vicharo se bahut jyada prabhavit hu.mere mansik ,sahityik bhukh ko shant karane ke liye dhanyawad.

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  8. लेख अच्छा है ।Seetamni. blogspot. in

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  9. जसवंत लोधी has left a new comment on your post "हँसना, खाँसना, छींकना, हिचकी लेना मना है।":

    लेख अच्छा है ।Seetamni. blogspot. in
    सॉरी,यह स्पैम में चला गया था .

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  10. Susmita sul has left a new comment on your post "हँसना, खाँसना, छींकना, हिचकी लेना मना है।":

    Main kuchh dino se aapka blog pad rahi hun.asha ab tak aapake health me sudhar ho gaya hoga.apke vicharo se bahut jyada prabhavit hu.mere mansik ,sahityik bhukh ko shant karane ke liye dhanyawad.



    Posted by Susmita sul to घुघूतीबासूती at 1:31 p.m.
    सॉरी,यह स्पैम में चला गया था .

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