आ री चड़ी तेरे काटूँ मैं कान
तूने चुराए मेरी तन्नी के धान,
खाए पिए चड़ी मोटी भई
मटकत्ते मटकत्ते घर को गई।
(मैं तो मटकत्ते ही कहती हूँ, होता मटकते होगा।)
तन्वीः नानू, चड़ी कौन होती है?
चिड़िया।
नानू चिड़िया के कान क्यों काटेगी?
उसने तन्नी के धान जो चुराए।
धान क्या होता है?
छिलके वाला चावल।
चावल?
भात, राइस।
उसने तन्नी का भात नहीं चुराया।
चुराया।
नईंईँईं!
उसके कान नहीं काटना।
अच्छा नहीं काटूँगी।
तन्नी को यह गाना नहीं सुनना।
तन्नी को नहीं, मुझे।
तन्नी को नहीं सुनना।
तन्नी नहीं, मुझे।
मुझे यह गाना नहीं सुनना।
नहीं सुनाउँगी।
(तन्वी १साल साढ़े नौ महीने की है।)
घुघूती बासूती
तूने चुराए मेरी तन्नी के धान,
खाए पिए चड़ी मोटी भई
मटकत्ते मटकत्ते घर को गई।
(मैं तो मटकत्ते ही कहती हूँ, होता मटकते होगा।)
तन्वीः नानू, चड़ी कौन होती है?
चिड़िया।
नानू चिड़िया के कान क्यों काटेगी?
उसने तन्नी के धान जो चुराए।
धान क्या होता है?
छिलके वाला चावल।
चावल?
भात, राइस।
उसने तन्नी का भात नहीं चुराया।
चुराया।
नईंईँईं!
उसके कान नहीं काटना।
अच्छा नहीं काटूँगी।
तन्नी को यह गाना नहीं सुनना।
तन्नी को नहीं, मुझे।
तन्नी को नहीं सुनना।
तन्नी नहीं, मुझे।
मुझे यह गाना नहीं सुनना।
नहीं सुनाउँगी।
(तन्वी १साल साढ़े नौ महीने की है।)
घुघूती बासूती
Gyasu Shaikh said:
ReplyDeleteयहां दोनों तन्वी और नानी "बराबर से दिखे।"
सुंदर संवाद ! अच्छे क्षण जीवन के…जीवंत पल
तन्वी और नानी के ! बच्ची की नापसंद गी भी
कितनी नेचुरल ! सहज !
Gyasu Shaikh ji वह और मैं दोनो एक दूसरे को बराबर ही मानते हैं. मैं उसपर कभी भी अपना नानीपन नहीं थोपती. वह भी मेरा ख्याल रखती है. मेरे चेहरे पर उभरे हर भाव पर रिएक्ट करती है. मुझे अपने हाथ से दवा की गोलियां खिलाती है. चेहरे पर भाव बदलते ही क्या हुआ पूछना उसकी आदत है.
Deleteबहुत सुन्दर वार्तालाप!
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