हमारे एक मित्र को एक परीक्षा पत्र बनाना था। जैसे वर्ष में छह ॠतुएँ आती हैं वैसे ही पाँच वर्ष में एक बार लोकसभा चुनाव की यह पावन ॠतु भी आती है। ॠतु अनुरूप उन्होंने जो परचा बनाया वह कुछ इस प्रकार था....
जंबू द्वीप के एक खंड में चुनाव होने वाले हैं। वहाँ कुल ४३५ सीटें हैं। लगभग इतने ही या दो चार कम या अधिक राजनैतिक दल भी हैं। लगभग सभी दल चुनाव लड़ रहे हैं। दलों के नाम हैं.....
कगश
टपलच
मतबल
बलतम
तगड़प
रतजग
लहचह
छरम
शरम
गरम
भरम
नरम
टपक
सनक
अनबन
बनठन
जतन
बरतन
ठकनक
करतब
परमच
मनक
यखट
नटकट
नटनट
टनटन
हरसद
दरद
आदि आदि।
यदि कगश दल को ७३ सीटें मिलती हैं और उसके बाद के हर दल को उससे १ कम फिर अगले को २ कम , ३ कम क्रमशः सीट मिलती हैं तो किस दल को शून्य सीटें मिलेंगी। कहाँ से क्रमशः १, ३, ५, ७ सीटें बढ़ती जाएँगी ? याद रहे ये दल एक पंक्ति में नहीं हैं अपितु वृत्त की परिधि में हैं। प्रत्येक दल अपने से क्रमशः तीसरे दल के साथ सरकार नहीं बनाएगा। प्रत्येक दल को अपने से क्रमशः सातवें दल के साथ गठबंधन करने की इच्छा है। किन्तु प्रत्येक दल क्रमशः अपने से चौथे दल के साथ बात करने वाले से कट्टी है। बताइए कौन सा गठबन्धन २१८ के जादुई आँकड़े को सबसे सरलता से पार कर जाएगा और क्यों ?
प्रश्न को हल करने वाले को चरटकनपट वाला राज्य कुशासन या सुशासन के लिए ५ वर्ष तक राज्य करने को दिया जाएगा।
सप्लाई से पहले कंडीशन्स एप्लाई होंगी।
दुर्भाग्य से एक ही बालक परीक्षा देने आया और तीन घंटे समाप्त होने पर यह लिखकर चला गया।
मुझे शासन नहीं चाहिए, न चरटकनपट का, न उठक या पटक का। मैं तो भटक कर यहाँ आ गया। मैं तो चला नारे लगाने और मतदान करने।
परीक्षार्थी का नामः उज़बक (अर्थ के लिए शब्दों का सफर पढ़िए।)
हमारे मित्र बहुत दुखी हैं। अब नया प्रश्नपत्र बना रहे हैं।
बहुत बकबक (ओह यह तो मेरे प्रिय दल का नाम है !) हो गई अब द ल ब द ल दल के बारे में समाचार पढ़ने जाती हूँ। नमस्कार।
घुघूती बासूती
Monday, April 13, 2009
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कुछ ऐसा ही चल रहा है भारतवर्ष में।
ReplyDeleteचुनावी सरकस में चटरपटर ने जब खटरपटर मचायी तो मकतब के करतब सरपट चल पड़े। और जबतब ने अबतब के फेर में हमसब को टकसन की खातिर बलभर सरक-सरक कर अजब नरक कर दिया। :)
ReplyDeleteचुनावी सरकस में चटरपटर ने जब खटरपटर मचायी तो मकतब के करतब सरपट चल पड़े। और जबतब ने अबतब के फेर में हमसब को टकसन की खातिर बलभर सरक-सरक कर अजब नरक कर दिया। :)
ReplyDeleteजो बोल्ड में है वह उन पार्टियों का नाम है जो घुघूती जी की लिस्ट में छूट गये लगते हैं।
waah ghughutee jee,
ReplyDeleteaaj ke raajnitik haalaat par ek aam bhaartiya kee manodashaa ka bilkul spasht chitran kiya hai wo bhee bade hee anokhe andaaj mein.
हम तो घुघूति जी की जैजैकार करेंगे। शानदार पोस्ट लिखी है जी। मज़ा आ गया।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ,मज़ा आ गया .
ReplyDelete'पोस्ट-पोल अलायंस' की बात नहीं है इस पोस्ट में. पोस्ट-पोल समय में पोस्ट को लेकर जो मारामारी हो सकती है उसका जिक्र भी पोस्ट में नहीं है. अगर हो सके तो इस वैरियेंस को पोस्ट कीजिये.
ReplyDeleteवैसे अगर कनकट दल नटखट दल के साथ मिल जाए और गरम होकर शरम छोड़ दे तो लगता है इस बनठन की वजह से अनबन हो जायेगा. वैसे अगर सनक टपक पड़े तो बरतन का काम आसान हो जायेगा. दरद छोड़ने से टनटन को हरसद की प्राप्ति हो सकती है. रतजग की वजह से लहचह को भरम बना रहेगा कि उसे तिहत्तर सीटें मिलेंगी. अब मान लीजिये कि शरम को दो सीटें ज्यादा मिलती हैं और वो गरम होकर भरम का शिकार हो जाता है तब क्या होगा? तब शायद कनकट दल को......
सॉरी पता नहीं कौन चुनाव के बाद सरकार बनाएगा? इतना कठिन प्रश्नपत्र हम नहीं सॉल्व कर सकेंगे. फेल होना मंज़ूर है.
मुझे शासन नहीं चाहिए, न चरटकनपट का, न उठक या पटक का। मैं तो भटक कर यहाँ आ गया। मैं तो चला नारे लगाने और मतदान करने।..
ReplyDeleteअपना भी यही हाल है :)
हा हा हा हा
ReplyDeleteबहुत रोचक पोस्ट...शब्दों का सुन्दर प्रयोग...वाह...
ReplyDeleteनीरज
रोचक पोस्ट है जी!
ReplyDeleteबहुत अच्छी पोस्ट , क्या खूब शब्दों का प्रयोग किया है .
ReplyDelete:)
राजनीति की उठापटक को शब्दोँ का अच्छा जामा पहनाया आपने - पोस्ट अच्छी लगी
ReplyDeleteMaine zyada detailme lekh nahee padha...subahke 4 bajneko hain..phirse padhungi...lekin aapko kaafee dinonse apne blogpe nahee paya...aapka maargdarshan behad sahee tha, jo aapne meree" Duvidha" malikape diya tha...aabharee hun...
ReplyDeleteGar samay ho to " Aaajtak yahantak" is blogpe "ye kahan aa gaye ham", ye chhotisi malika likh rahee hun..aapke sujhaw hamesha bade sanjeeda rehte hain.
dilchasp...
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