Wednesday, March 05, 2008

शिवरात्री के लिए फलाहारी व्यंजन

परसों शिवरात्री है और मुझे याद आए कुछ अपने बचपन में खाए व कुछ अपने बच्चों को बचपन में खिलाए विशेष उपवास के व्यंजन !
शिवरात्री के बारे में सोचकर बहुत सी यादें ताजा हो आईं हैं । मन लिखने को कर भी रहा है,परन्तु लगता है कि वह सब तो बाद में भी लिख सकती हूँ , पहले तो आपको हमारे घर में इस दिन से जुड़े व्यजंनों के बारे में व उन्हें बनाने की विधि बता दूँ ।
चौलाई (रामदाने,राजगीरे) के लड्डू
ये मेरी बच्चियों को बहुत प्रिय थे व अपने बचपन में मुझे व मेरी सहेलियों को भी । ये एक बार बना कर बहुत दिनों तक रखे जा सकते हैं ।
चौलाई एक हरी भाजी का बीज है । यह देखने में खसखस के दानों से थोड़ा बड़ा होता है ।
सामग्री
२५० ग्राम चौलाई
२५० ग्राम गुड़
चौलाई को छानकर व फटककर मिट्टी आदि निकाल लें फिर उसे बीन लें । एक कड़ाही आँच पर गरम करें । उसमें लगभग एक बड़ी चम्मच चौलाई डालें व एक बड़े पुराने साफ कपड़े को मोड़कर गद्दी सी बनाते हुए हाथों को जलने से बचाते हुए,कपड़े से चौलाई को लगातार चलाते जाइये । यह फूलकर फूटेगी व पॉपकॉर्न की तरह उड़ेगी अतः कपड़े से ही उड़ने से भी रोकते रहिये । जब लगभग सारे दानें फूट जाएँ तो कपड़े से ही इन्हें कड़ाही से बाहर निकाल लीजिये । फिर से एक चम्मच दानें भूनें । काम कठिन है, नया नया खाना बनाने वाले/वाली इसका प्रयास ना करें, केवल पुराने सिद्धहस्त ही करें । वैसे ओवन वाले दस्ताने पहन कर यदि कपड़े से फुला पाएँ तो हाथ नहीं जलेगा । और यदि गैस स्टोव के नीचे पेपर बिछा दें तो उड़े दाने भी पयोग में ला सकेंगे ।
सारे दानें भून जानें पर इन्हें एकबार फिर छलनी से छान लें । (मैं जो तरीका उपयोग करती हूँ उसमें पहले एक थोड़े मोटे छेद की छलनी से कच्चे दानों को छानकर कचरा ऊपर रहने देती हूँ व छने दानों को भूनती हूँ । फिर फूलने पर एक बार फिर उसी छलनी से छानती हूँ व केवल ऊपर रहे को रखती हूँ व नीचे छूटे को फेंक देती हूँ ।)
गुड़ को पानी में डालकर गरम करें । घुल जाने पर छान लें । फिर एक या आधे तार की चाशनी बनाएँ ।
एक परात या तसले में फूले दानें डाल दें व अन्दाज से थोड़ा ठंडी हुई चाशनी उसमें डालें व मिलाएँ । एक बड़ी कटोरी में पानी रखें व पानी से हाथ गीले कर बड़े बड़े लड्डू बनाएँ । यदि मिश्रण सूखने लगे या जब भी आवश्यकता लगे तो थोड़ी और चाशनी परात में डाल कर मिला लें । सारे दानों के लड्डू बना लें ।
नोटः ये लड्डू एक या दो से अधिक ना खाएँ अन्यथा पेट साफ करने का काम करेंगे ।
आलू के गुटके
आलुओं को छीलकर बड़ा बड़ा काट लें । थोड़ा अदरक बारीक पीस लें । थोड़े अदरक को कद्दूकस कर लें । कटे आलू में अदरक,धनिया पावडर, मिर्च व नमक डाल दें । अब इन्हें अच्छे से मिला लें । एक घंटे तक ऐसे ही रहने दें । आलू में मसाला अच्छे से मिल जाएगा । एक मोटे तले की कड़ाही या पतीले में बघार लायक तेल गरम करें । यदि हींग जीरा उपवास में खाते हैं तो वह डालें अन्यथा ऐसे ही आलू इसमें पलटकर अच्छे से मिला लें । हलकी आँच में नरम होने तक पकाएँ । (यदि आप कुमाऊनी हों और घर में जम्बू हो तो उसका छौंका लगाएँ, हो सके तो थोड़ा जम्बू मेरे लिए भी रखें । मैं इस माह के अन्त में दिल्ली आकर यह ले सकती हूँ । )
मखानों की खीर
मखानों को तोड़कर, ना टूटें तो चाकू से काटकर अन्दर से साफ कर लें । कभी कभी इनके बीच में जाला या कीड़ा हो सकता है । दूध को उबालकर कम आँच पर मखाने डालकर पकने दीजिये । जब दूध काफी गाढ़ा हो जाए तो किशमिश, कटे बादाम व शक्कर डाल दें । ठंडा होने पर यह खीर चौलाई के लड्डू के साथ बहुत अच्छी लगती है ।
समाँ के चावल (उपवास के चावल जो बहुत बारीक व छोटे होते हैं ) की खीर
दूध को उबाल लें । चावल बीनकर धो लें और दूध में डालकर पकने दें । जब यह चावल की खीर सा गाढ़ा हो जाए तो किशमिश, कटे बादाम व शक्कर डालकर ठंडा होने को रख दें ।
समाँ के चावल की फिरनी
चावल धोकर सुखा लैं । अब बारीक पीस लें । दूध उबालकर गाढ़ा होने दें । कस्टर्ड की तरह एक कटोरी में ठंडे दूध में चावल का पावडर मिला लें । अब इस मिश्रण को गरम दूध में डालकर पकाएँ । चावल अच्छे से मिल जाए व दानेदार कस्टर्ड सा बन जाए । चाहें तो अलग अलग कटोरी या मिट्टी के सकोरों में डालकर ठंडा करें । ऊपर से बारीक कटे बादाम डाल दें ।
साबूदाने की खिचड़ी
एक कटोरी साबूदाने को आधा कटोरी से थोड़े कम पानी में भिगोएँ । चार पाँच घंटे भीगने दें । एक कटोरी कच्ची मूँगफली को मोटे तले वाली कड़ाही में कम आँच में बराबर चलाते हुए भून लें । मूँगफली जलनी या काली नहीं होने देनी चाहिये । भुन जाने पर ठंडी होने दें । एक कपड़े पर रखकर इनपर बेलन चलाएँ । छिलके उतर जाने पर सूप या थाली में डाल फटककर छिलके हटा लें । अब इन्हें दरदरा पीस लें । जब साबूदाना भीगकर नरम हो जाए तो उसमें यह पावडर मिला लें । नमक ,मिर्च, अमचूर या चाटमसाला मिला लें । एक कड़ाही में तीन बड़े चम्मच तेल गरम करने रखें, दो तीन सूखी लाल मिर्च बीच में से दो टुकड़े कर तेल में डालकर भून लें । (साबुत मिर्च भूनने से फटकर उड़ती है व चाहरे पर आती है। ) इन्हें बाहर निकाल लें और गरम तेल में सरसों, हींग फोड़ें और साबूदाने का मिश्रण डालकर चलाएँ । बीच बीच में पलटते रहें । ढक्कन ना लगाएँ । करीब दस मिनट में पक जाने पर आग से उतार लें । खाने से पहले भूनी मिर्च डाल दें।
साबूदाने की वड़ियाँ
एक कटोरी साबूदाने का आधा कटोरी से थोड़े कम पानी में भिगोएँ । चार पाँच घंटे भीगने दें । आधा किलो आलू उबालें । गरम आलुओं को ही छील लें । अब इन्हें जब गरम हों तभी कांटे या मैशर से मैश कर लें । ध्यान रहे मैश करें ना कि कचूमर बनाएँ । (चाहे कटलेट के लिये हों या टिक्की या बोंडों के लिए, इन्हें कभी भी चिपचिपा नहीं होने देना चाहिये।) मैश किए आलू में छोटे छोटे से कण दिखने चाहिए। नमक मिर्च मिलाएँ । अब १/4 साबूदाना छोड़कर बाकी को आलू में मिलाएँ । हाथ से गोल गोल टिक्कियाँ बना लें । कड़ाही में तलने के लिए तेल गरम करें । बचे हुए साबूदाने को एक छोटी थाली में बिछा लें । अब हर टिक्की को हलके से बिछाए हुए साबूदाने पर दबाएँ । साबूदाने टिक्की की सतह पर चिपक जाएँगे । तेल गरम होने पर एक टिक्की डालें थोड़ी पक जाए तो दूसरी फिर तीसरी । एक साथ डालने से ये आपस में चिपक जाती हैं । सुनहरा होने पर पेपर नैपकिन पर निकालें । अलग से जो साबूदाना लगाया गया था वह फूलकर वड़ी के ऊपर कुरकुरा व सफेद दिखता है खाने में स्वाद व देखने में सुन्दर भी ।
कहने को ये सब उपवास का भोजन है परन्तु यह आम दिन के भोजन से अधिक गरिष्ठ व कैलोरी वाला हो जाता है । अतः केवल शिवरात्री, जन्माष्टमी जैसे त्यौहारों के लिए उपयुक्त हे आम उपवास के लिए नहीं।
नोटः मधुमेह,उच्च रक्तचाप व हृदय रोगी इस भोजन को ना ही खाएँ तो बेहतर है । खीर व फ़िरनी में शक्कर के स्थान पर पकने के बाद शुगर फ्री आदि का उपयोग किया जा सकता है ।
कम कैलोरी वाला भी कुछ ....
फलों की चाट...
सेब, केले, अमरूद, के छोटे छोटे टुकड़े कर लीजिये । सबको एक बर्तन में डालकर नमक, काला नमक, मिर्च,शक्कर (या शूगर फ्री )मिला दीजिये । नींबू का रस निचोड़ कर अच्छे से मिला लीजिये । अब चाहें तो संतरे का केसर और अंगूर पूरे या काटकर आधे करके डाल दीजिये । फ्रिज में रखिये । दो घंटे बाद काफी रसीला बन जाएगा तब खाइये ।
यदि कोई भी इनमें से कुछ भी बनाए व पसन्द आये तो मुझे बताना ना भूलियेगा ।
किसी दिन स्वास्थ्य के लिए,मधुमेह के लिए, उच्च रक्तचाप व हृदय रोग के लिए भोजन व घरेलू नुस्खे दूँगी । कब, पता नहीं । परन्तु यह मत कहियेगा 'औरों को तो राह बताए आप अंधेरे जाए !'
घुघूती बासूती

9 comments:

  1. घुघूती जी ,
    आज की पोस्ट से पक्का पता चल गया आपके पाक कला विशारद होने का ! :-)

    सच कहूं तब, चोलों के बीज के लड्डू न कभी सुने ना ही खाए ..अन्य सभी बानगी अत्यन्त लजीज होंगीं ये भी समझ रही हूँ परन्तु, आपके हाथों से बने ये सब खाने को मिल जाएं तो, कहना ही क्या !!
    बहुत स्नेह ,

    -- लावण्या

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  2. वाह जी वाह, लालच लग गई...

    हम तो फ्रूट सलाद खायेंगे. :)

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  3. hamare liye to sab din hot ek samana, aapne bataya to pata chal gaya ki shivratri aane wali hai.

    Bachpan me shivratri ke din BER wala fruit bahut khate thai kyonki ye khas tabhi market me dikhayi deta tha.

    Baaki to shivratri ke din bhi appan ka normal routine chalta hai....fasting wasting se door hi rehte hain.

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  4. ghughuti jee,
    vrat ke agle din aapke ghar aaungaa, jitnee cheezein bataaee hai taiyaar rakhiyegaa.

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  5. लपक के आ रिया हूं मैं तो खाने के लिए

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  6. shukriya itne acche vyanjan batane ke liye.

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  7. मान गए आप ना केवल लेखन मे बल्कि खाना पकाने मे भी निपुण है। इतने सारे व्यंजन बताने का शुक्रिया।
    हम लोगों के घर मे रामदाने को भूनते समय थाली से ढक कर पौने से चलाते रहते है । रामदाने को दूध मे चीनी के साथ डालकर खाने मे भी बड़ा मजा आता है। या सिर्फ़ चीनी के साथ भी खाते है।

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  8. ham laddu nahi katli banatey hain raamdaaney ki,badi swaad lagti hai...aapkey vrat ke aluu zaruur banaugi....padhney me badey lazeez sound kar rahey hain..thx

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  9. वाह, मेरी अम्मा जी को काम मिल गया लड्डू बनाने का!

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