ब्लॉगर्स मीट? नहीं, नहीं ! हम तो ब्लॉगर्स सब्जी/ ऊँधिया करेंगे !
हिन्दी चिट्ठाजगत इतना माँसाहारी क्यों होता जा रहा है ? जब देखो मीट ! अरे भाई, कभी तो सब्जी, दाल, कढ़ी आदि भी कर लिया करिये । नहीं तो पुलाव ठीक रहेगा । माँसाहारी अपने मीट के साथ और हम अपने मटर पनीर के साथ उसे खा लेंगे ।
हमारा गुजरात तो वैसे भी लगभग शाकाहारी है। देखना जब हम यहाँ मिलेंगे तो उसे मीट नहीं कहेंगे । उसे यहाँ का प्रसिद्ध ब्लॉगर्स ऊँधिया ही कह लेंगे पर मीट तो कतई नहीं कहेंगे । अन्डा करी तक तो हम बर्दाश्त भी कर लेते , पर मीट ! राम राम ! गाँधी की जन्म भूमि में इतनी हिंसा ! हम तो रोज यही भजन करते हैं .. “वैष्णव जन तो तैके कहिये जो पीर बकरे की जाने रे ।“
अगली बार जब कोई मीट करिये तो एक बकरे के मैमने को भी बुला लीजियेगा । उसकी मैं मैं से आपका माँसाहारी , हिंसक मन भी पसीज जायेगा ।
शीघ्र ही आपको एक चिट्ठाकार ऊँधिया का वर्णन देने का वादा रहा ।
घुघूती बासूती
Thursday, September 13, 2007
ब्लॉगर्स मीट? नहीं, नहीं ! हम तो ब्लॉगर्स सब्जी/ ऊँधिया करेंगे !
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थोड़ा सब्र धरिये. हम दिसम्बर प्रथम सप्ताह में आपसे मिलने अहमदाबाद आ रहे हैं, तभी ऊँधिया का कार्यक्रम रखियेगा. :)
ReplyDeleteमीट हम कहीं और देख लेंगे.
बकरे के मेमने को बुलाने का सुझाव उत्तम है।
ReplyDeleteठीक है । आप ब्लॉगर उंधिया दें या ढोकला या फिर ब्लॉगर खमण या ब्लॉगर खाकरा ।
ReplyDeleteहमें सब चलेगा ।
कहते हैं कि भुख्खड़ चूज़ी नहीं होते ।
हा हा हा ।
इंतजार है. मीट की जगह कुछ भी चलेगा.
ReplyDeleteआगे से ब्लॉगर/चिट्ठाकार "मिलन" कहा जाएगा. :)
ReplyDeleteउम्मीद है की आपका सुझाव लोग प्रयोग मे लाएंगे। :)
ReplyDeleteवाह आपने आज तीन बरस के बाद उंधिया की याद दिलवा दी, गुजरात छोड़ेने के बाद जैसे तरस से गये गुजराती पकवानों के। घारी, पेटीस, गोटा, खमण आदि ना जाने क्या क्या ..?
ReplyDeleteवैसे दक्षिण भारत में हम चिठ्ठाकार मिलन को क्या कहेंगे " चिठ्ठाकार इडली" या "ब्लॉगर डोसा"???
अब कुछ दिनों में पाठक ब्लागर्स पीट कार्यक्रम भी ऱखने वाले हैं।
ReplyDeleteहम तो पक्के चौबे हैं,मथुरा वाले. हमें प्रिय है मिठाई. हम तो इसे "ब्लौगर'स मीठ " कहना पसन्द करेंगे.
ReplyDeleteयह ऊँधिया के साथ जलेबी,पौंक और पतंग नहीं मिल सकती ??
ReplyDeleteसुझाव उत्तम है, उम्मीद है लोग प्रयोग मे लाएंगे।
ReplyDeleteवाह!!
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट के बाद गुजरात में चिट्ठाकार मिलन की संभावनाएं हमें दिख रही है।
वैसे आलोक पुराणिक जी ने सही कहा है!
अरे , लगता है आप ने दिल पे ले लिया ...
ReplyDeleteऔर अगर ऐसा ही है तो इलाहबाद कि चाट या बम्बई कि पाव - भाजी क्या बुरी है :)
tastey.
ReplyDeleteहिंदी दिवस पर मेरी तरफ़ से बधाई
ReplyDeleteदीपक भारतदीप्
आपके प्रयास सराहनीय है और में अपने ब्लॉग पर आपका ब्लॉग लिंक कर दिया है।
ReplyDeleteरवीन्द्र प्रभात
Good posting, tahnk you!
ReplyDeleteHave a good day
बहुत ही स्वाद मिलन रहेगा यह :) मुझे अभी से खुशबु आ रही है ..कब आना है जल्दी से तरीख बताये :)
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