This is a tribute to motherhood on Mothers'Day । How can we ever celebrate Mothers' Day if there were no children? We mothers are thankful to our children for giving us the opportunity to be mothers. Thank you children !
मेरी पिछली कविता क्षमा करना माँ मेरी बेटियों को अर्पित थी । आज की यह कविता उस बेटे को अर्पित है जिसे मैंने कभी देखा नहीं । जिसने मुझे मम्मा कह कर मेरे मातृत्व को सम्मान दिया । जिसे मैं केवल इस नेट पर मिली हूँ किन्तु जिसने मुझे अपने हृदय में स्थान दिया व जिसने मेरे हृदय में भी अपना स्थान बना लिया ।
समझ ना पाती मैं .................कविता
समझ ना पाती मैं बेटा
अपने आँचल में छिपने की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ
इतनी दूर हो तुम बेटा
माँ तक आने की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
समझ ना पाती मैं बेटा
ममत्व पाने की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ
इतनी दूर हो तुम बेटा
मन से मन के बीच की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
समझ ना पाती मैं बेटा
माँ से आँख मिचौली की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ।
इतनी दूर हो तुम बेटा
अपने आँचल के साये में आने की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
समझ ना पाती मैं बेटा
लाड़ पाने की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ
इतने दूर हो तुम बेटा
माँ बेटे के बीच की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
समझ ना पाती मैं बेटा
लोरी सुन सोने की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ
इतने दूर हो तुम बेटा
स्वर लहरी की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
समझ ना पाती मैं बेटा
अपने हाथ से बाल सहलाने की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ
इतने दूर हो तुम बेटा
अपने स्पर्श की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
समझ ना पाती मैं बेटा
अपने हाथ से ग्रास खिलाने की यह चाह
तुम्हारी कैसे मैं पूरी कर दूँ
इतने दूर हो तुम बेटा
दो देशों के बीच की कैसे
कुछ कम मैं दूरी कर दूँ ।
घुघूती बासूती
Sunday, May 13, 2007
समझ ना पाती मैं .................कविता
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घुघुति जी बहुत सुन्दर और भाव-प्रधान कविता है अपकी। विशेषकर इस प्रकार के अंतर्जाल पर आधारित ममतामयी सम्बन्ध को समर्पित करते हुए।
ReplyDeleteवाह दीदी फ़िर से एक बहुत अच्छी कविता इतनी अलसुबह पढने को मिली मजा आ गया जब मिलियेगा तो हम सब से मिलवाना मत भुलियेगा
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता है! बधाई!
ReplyDeleteअति सुन्दर कविता और कविता के भाव। mothers day की आपको बहुत- बहुत बधाई।
ReplyDeleteमदर डे की बहुत बहुत बधाई...सच में बहुत सुंदर भाव से सजाया है आपने इस
ReplyDeleteरचना को....कई रिश्ते सच में दिल से जुड़ जाते हैं ...
तारीफ में शब्द देकर कविता की सुंदरता को खराब नहीं कर सकता, यह मेरी मजबूरी है..क्षमा करें..बस आपको बधाई और माँ को शत शत नमन.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव..
ReplyDeleteएक बेटे का एक माँ को नमन..स्वीकार करें..
घुघूती बासूती जी,पुत्र - विरह के प्रति की गई अभिव्यक्ती अत्यंत सुन्दर बन पडी है।बहुत सुन्दर रचना है।आशा है और रचनाएं भी पढने को मिलेगी।
ReplyDeleteवाह कितने सुन्दर भाव है,..आप जैसी माँ को मेरा शत-शत नमन।
ReplyDeleteसुनीता(शानू)
सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteमदर्स डे की बधाई व मां की ममता को नमन
वाह घुघुति जी, जिससे आप मिली तक नही उनके लिये भी कितनी ममता है आपके मन मे!! यहां भी खूब रिश्ते बन जाते है, जैसा हमारा भी बन गया है आपसे!
ReplyDeleteआपको मां होने की और बेटे को आप जैसी मां पाने की बधाई!!
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ReplyDeleteममतामयी "माँ" को शत शत नमन!!!
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