आप दुकान पर जाती हैं। कुछ खरीदती हैं और ५०० रुपए का नोट देती हैं। दुकानदार उसे देखता है, ध्यान से देखता है, आपको देखता है, फिर ध्यान से देखता है। नोट बाहर उजाले में ले जाकर देखता है। गनीमत है कि आपको भी बाहर ले जाकर नहीं देखता। दुकान में किसी और विक्रेता को दिखाता है, सिर हिलाता है और कहता है कि मैडम, दूसरा नोट दीजिए। आप चुपचाप बटुए में से एक और नोट निकाल कर दे देती हैं।
यदि एक ही नोट लेकर गई होतीं तो क्या होता? सामान वापिस दे देतीं। उससे भी बुरा होता यदि किसी रेस्टॉरेन्ट में खाना खा चुकी होतीं और वही इकलौता नोट होता तब क्या करतीं? नोट तो आप स्वयं बनाती नहीं। वे तो आपको अधिकतर बैंक से ही प्राप्त होते हैं। नौकरी पेशा लोगों का तो वेतन बैंक में ही जाता है और आप अधिकतर ए टी एम से नोट प्राप्त करती हैं। बैंक जाकर भी लें तो वहाँ खड़े होकर एक एक नोट को तो ट्यूबलाइट की तरफ करके असली है या नकली देखने से रहीं। और जो नोट किसी एक विक्रेता ने लेने से मना कर दिया उसे भी आप घर पर तो रखेंगी नहीं। वह विक्रेता भी कौन सा नोट पहचानने की मशीन है? वह भी तो शायद नकली नोटों के भय से यूँ ही सहमा हुआ कुछ अधिक ही चौंकन्ना तो नहीं हो रहा? यह सोच आप वह नोट किसी और विक्रेता को पकड़ा ही देंगी। सो ये नकली नोट हमारी अर्थव्यवस्था में प्रवाहित होते रहते होंगे।
स्वयं वित्तमंत्री श्री प्रणव मुखर्जी कहते हैं कि स्थिति चिन्ताजनक है। वे मानते हैं कि ०.००१% नोट जाली हो सकते हैं। याने एक लाख नोटों में से एक जाली होता है। यदि वह आपके पास ही आ जाए तो?
जाली नोटों से हमारी अर्थ व्यवस्था को तो खतरा है ही किन्तु आपके सम्मान को भी काफी खतरा हो सकता है।
क्या यह बेहतर नहीं होगा कि सरकार बैंकों से कहे कि वे नोट पहचानने वाले उपकरणों का उपयोग कर नकली नोट अलग कर दे? बैंक यह हानि उठाना नहीं चाहेंगे किन्तु नकली नोट आम जनता को भी तो नहीं पकड़ाए जा सकते। शायद यह हानि सरकार को ही उठानी होगी।
अब तक नकली दूध, नकली घी तो चल ही रहा था अब नकली नोट भी!
समस्या का कोई समाधान तो होना ही चाहिए।
घुघूती बासूती
Wednesday, December 16, 2009
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Ab ke yaad rakhungi ki saath kamse kam kuchh to any note hone chahiyen! 500 ke nahi to 100 ke sahi!
ReplyDeleteहां घुघुती जी ,
ReplyDeleteबिल्कुल यही स्थिति है आज ..और कमाल इतना ही नहीं है अब तो ये नकली नोटों की फ़सल ए टी एम और बैंको से भी लहलहा रही है ....बस कट आम लोग रहे हैं
घुघूती बासूती जी,
ReplyDeleteअसली क्या रहा इस देश में, मेरी तरह आपको भी कभी कभार ऐसा नहीं लगता कि प्रधान*** भी नकली है ? :)
दूध दही नकली यहाँ साथ में नकली नोट।
ReplyDeleteवोट हमारे लूट कर करते हम पर चोट।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
खुद ही छापें, खुद ही छपावें
ReplyDeleteहाथ में लें तो आंख दिखावें।
क्या यह बेहतर नहीं होगा कि सरकार बैंकों से कहे कि वे नोट पहचानने वाले उपकरणों का उपयोग कर नकली नोट अलग कर दे?
ReplyDeleteबिल्कुल सहमत हूं। ऐसा होने से कुछ तो राहत मिलेगी।
सही कहा आपने लेकिन सही बात आज कल सुनता कौन है...रोचक पोस्ट...
ReplyDeleteनीरज
तुम डाल डाल तो मैं पात पात वाले हालात हैं. बड़ा मुश्किल काम लगता है सरकार के लिए. और इतने मुश्किल काम हो तो सरकार पहले ही हाथ खड़े कर देती है,.
ReplyDeleteनौकरी की शुरुआत में ख्याल नहीं किया ,यूं लगता था की बैंक से लिया है तो ठीक ही होगा , लेकिन अब डर लगता है , क्या पता कब कोई कह दे ,ये नोट सही नहीं है !
ReplyDeleteनकली घी / दूध तो शायद तो पच भी जाये लेकिन नकली नोट ? ये तो , कोर्ट कचेहरी का रास्ता दिखा देगा , इज्जत उतार देगा , भले ही अपना कोई कुसूर न हो ! फिलहाल कैश डीलिंग से डर लगता है सो ज्यादातर करते नहीं !
हाँ एक बात जरुर कह दूं ये भय हर महीने की बीस तारीख तक ही रहता है ! अगले दस दिन ना नोट ना भय ! हाहाहा....
This comment has been removed by the author.
ReplyDeleteनकली नोट की श्रंखला में नुकसान अंतिम धारक का चुकाना पड़ता है। आपके यहॉं पता नहीं पर दिल्ली के बैंकों का निर्देश है कि नकली नोटों को वापस सर्कुलेशन में न जाने दें... कैशियर ऐसे नोटों पर नकली होने की मुहर लगा देते हैं ताकि वापस सर्कुलेशन मे न आएं।
ReplyDeleteइज्जत पर बट्टा लगना कमजोर सरकारों के देश में रहने के साइड इफेक्ट हैं.. सो सहते रहो :)
नकली नोट प्रचलन में हैं, यह सरकार की विफलता है लेकिन उसे भुगत रहा है आम आदमी। इस से बड़ी नाइंसाफी क्या हो सकती है?
ReplyDeleteआनेवाले समय में देश के लिए यह मुद्दा और चिंताजनक बन सकता है .. देश के लिए नहीं तो आम जनता के लिए अवश्य बनेगा !!
ReplyDeleteज़माना खराब है!
ReplyDelete"क्या यह बेहतर नहीं होगा कि सरकार बैंकों से कहे कि वे नोट पहचानने वाले उपकरणों का उपयोग कर नकली नोट अलग कर दे?"
ReplyDelete..यह तो होना ही चाहिए, इसके अलावा एक ऐसे उपकरण का भी आविष्कार किया जाना चाहिए जो इतना सस्ता हो कि जिसे सभी आसानी से खरीद कर अपने घर में रख सकें।
--ज्वलंत समस्या पर आपका लेख अच्छा लगा।
आपके ब्लाग में पहली बार आया 'घूघुती बासूती' शब्द ने आकर्षित किया इसका अर्थ भी जानना चाहता हूँ।
देवेन्द्र जी, घुघूती बासूती का अर्थ व घुघुति नामक पक्षी की कहानी मैंने अपने ब्लॉग पर
ReplyDelete>यहाँ दी है।
घुघूती बासूती
ऐसा बहुत बार होता है। लेकिन बुरे फंसे नहीं, जब फंसे तो मुश्किल हो जाएगी। खासकर खाना खाने के बाद फंसे तो
ReplyDeleteवो होना चाहती हैं टॉपलेस
असली आदमी को भी तो घुमा फ़िरा कर चेक किया जाता है और उसे भी शक की नज़रो से देखा जाता है और खारिज कर दिया जाता है नोट की तरह
ReplyDeletetheek kaha. Bank main 500 ya 1000 ka note do to tab tak dar laga rahta hai jab tak cashier santusht ho kar use tijoree main na dal de, tab tak dene wala dara rahta hai apraadhi ki tarah.
ReplyDeleteNavin Joshi, Nainital.
हम तो भुगत चुके है.......नोट तो डाकघर और बैंक से ही निकल कर आते हैं आम आदमी के हाथ....
ReplyDeleteहम तो इन लोगों को बहुत अच्छे से जानते हैं कि ये लोग कभी सुधर ही नहीं सकते मतलब कि "बैंक वाले" उनके ए.टी.एम. से नकली नोट निकलेगा और अगर आप साबित नहीं कर पाये तो इज्जत खराब और अगर आप साबित कर पाये तो चुपचाप से दूसरे नोट दे देंगे। दुकानदार तो बेचारा केवल थोड़ी बहुत जाँच परख कर लेता है, हमने तो इसीलिये पिछले ३-४ साल से प्लास्टिक मनी का उपयोग करना शुरु कर दिया है, जिससे ये नकली नोट की समस्या का सामना न करना पड़े और न ही अपनी इज्जत खराब होने का डर। ए.टी.एम. से भी ४०० रुपये ही निकालते हैं एक बार में, कि १०० रुपये के नोट आयें।
ReplyDeleteआम आदमी तो हर जगह शिकार होता ही है ।
ReplyDeleteहमारी जानकारी में एक बैंक में तो बकायदा बैंक का एक कर्मचारी नकली नोट मिला कर ग्राहकों को देने के शक में दंडित भी किया जा चुका है । जनता ने भी उसे खूब पीटा ।
वित्तमंत्री के साथ स्वर मिलाता हूँ कि स्थिति चिन्ताजनक है।
ReplyDelete--कुछ न कुछ ठोस कदम उठाने होंगे.
पिछली भारत यात्रा के तीन ५०० वाले नोट अब भी भारत वाले पर्स से मूंह चिढ़ा रहे..जरा हमें बदलना!!
और हम मूंह फेरे बैठे हैं कि धत्त!! क्या बात करते हो!!!
जी सच है बहुत असहजता भरी स्थिति होती है ! बाज़ार में न जाने कहाँ से इतने ढेर सारे ५०० के नोट आ गए हैं !
ReplyDeleteनकली नोट सरकार की अक्षमता को दर्शाते हैं
ReplyDelete। इसकी जिम्मेदार सरकार है। जिसे नकली नोट मिले, उसे सरकार से मुआवजा मिलने का प्रावधान किया जाना चाहिये। जल्दी ही एक पोस्ट इस विषय पर लिखूंगा। विदेशों में ऐसा ही होता है इस पर उड़न तश्तरी जी और विदेशों में रह रहे सज्जन पूरी जानकारी भिजवायेंगे तो अनुगृहीत होऊंगा।
"वे मानते हैं कि ०.००१% नोट जाली हो सकते हैं।"
ReplyDeleteमानते हैं पर क्या करें इसे रोक पाने का दम नहीं है उनके पास
क्या यह देश देश रह गया है. इसकी अस्मिता की धज्जी दलाल उड़ा रहे हैं फिर चाहे वह नेता, अधिकारी या व्यापारी के रूप में ही क्यों न हों. अपना हिस्सा लीजिये और मौज करिये नहीं ले सकते तो खून चुसवाइये. क्या अफसरों की बिना मिलीभगत के बाहर से कोई चीज आ सकती है? क्या इनके निकम्मेपन के बिना देश में यह सब हो सकता है. क्या नेताओं की देश की ऐसी तैसी करने की इच्छा के बिना भ्रष्टाचार पनप सकता है. हम लोगों ने जिस कांग्रेसी संस्कृति को आत्मसात कर लिया है उसमें यही होना है. जब पिचानवे प्रतिशत लोग इसमें रंग चुके हैं तो पांच प्रतिशत क्या कर लेंगे. हालात और भयावह होने जा रहे हैं तैयार रहिये.
ReplyDeleteज्यादातर बैंकों में नकली नोट को जला दिया जाता है या स्टैम्प लगा दी जाती है। (ऐसा तभी होता है जब जमा कराने वाले के सामने ही नकली की पहचान हो जाती है) वरना बैंक भी अपना नुकसान करने की बजाय नकली को निकालने के चक्कर में रहते हैं।
ReplyDeleteसच है नकली नोट असली को चलन से बाहर कर देते हैं।
प्रणाम
स्थिति चिंताजनक तो है ही...और सरकार यहाँ भी..अनजान सी शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सर छुपाये बैठी है
ReplyDeleteयहाँ दुकानदार दूसरा नोट तो नहीं मांगता...बल्कि एक मशीन में डाल उस नोट को चेक करता है ...या फिर नोट का नंबर और आपका फ़ोन नंबर एक डायरी में नोट कर लेता है....पल भर को ही सही....अपराधी होने जैसा ख़याल तो मन में आ ही जाता है.
हालात वाकई चिंता जनक है ..
ReplyDeleteइस समस्या पर तत्काल ध्यान दे सरकार,,,
ReplyDeletehamara mahan desh bharat me purn loktantra hai achchhe, bure sabhi ko chalne ka saman adhikar hai,agar aap birodh karate hai to manaw adhikar aayog aap ke khilaf morcha khol sakata hai
ReplyDeletebhagyoorganicblogspot.com