Friday, May 16, 2008

एक बन्दर मेरे बगीचे के अन्दर

आज दोपहर हम खाना खाने बैठने ही वाले थे कि भीम भाई ने आकर बताया कि एक बन्दर बगीचे के अन्दर आया है। भगाना नहीं, कहकर मैं व बिटिया कैमरा लेकर बाहर भागे। पति को भी मैंने कह दिया कि साथ बाहर आ जाएँ क्योंकि मनुष्यों की तरह ही बन्दर भी स्त्रियों से डरते नहीं व कभी भी हमला कर सकते हैं। बाहर आकर देखा तो वहाँ बन्दर नहीं एक लंगूर था। वह हमारे केसर आम के पेड़ पर बैठा आम खा रहा था। आम अभी पकने में कुछ दिन बाकी हैं, परन्तु वह कच्चे आमों का स्वाद ले रहा था। बिटिया लगातार उसकी फोटो व वीडियो क्लिपिंग बनाए जा रही थी। भीम भाई रसोई से जाकर ब्रैड ले आए व जैसे ही उसे ब्रैड दिखाई वह झपटकर दो टुकड़े ले भागा। दोनों को इकट्ठे मुँह में भरकर पास की ही एक डाली पर बैठकर खाने लगा। जब ब्रैड से ऊब गया तो ब्रैड भीम भाई की ओर उछाल दी। ब्रैड खाकर जायका बदलने के लिए एक आम तोड़कर खाने लगा।

वह कुछ इस अंदाज में पेड़ पर भोजन कर रहा था जैसे अपना ही घर हो। आम से जब मन भर गया तो उसे फैंककर अपने पाँव पसारकर सुस्ताने लगा, जैसे कोई व्यक्ति आरामकुर्सी पर बैठकर टाँगें मेज पर रख कर आराम करे। कुछ क्षण के लिए उसने एक झपकी भी ली। फिर उठा और अपने पाँवों पर से जूएँ बीनने लगा। इस पूरे समय वह इतने आराम से फोटो लेने दे रहा था जैसे कोई मँझा हुआ मॉडेल हो।

ये रहे हमारे मॉडेल के फोटो....

बिटिया के कैमरे से :

घुघूती बासूती

15 comments:

  1. अब तो बन्दरो को शहरो का ही आसरा है। हमारे शहर मे भी बन्दर इंसानी आबादी के आस-पास पहुँच गये है। फसलो को नुकसान पहुँचा रहे है। और गर्मी मे खपरैल तोड रहे है।

    चित्र बहुत सुन्दर आये है। आम कौन से किस्म का है? फल बडे आकार के है।

    चित्रो को फिर से देखे तो आपको शाखाओ मे गठाने दिंखेंगी। इन्हे एकत्र कर सरसो तेल मे गर्म कर पारम्परिक चिकित्सक एक तेल बनाते है जो जोडो के दर्द के लिये कारगर है।

    क्षमा करे यदि लेक्चर ज्यादा लम्बा हो गया हो तो। :)

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  2. वाह !
    बँदर जी के करतब देखकर
    मन प्रसन्न हो गया :)
    -- लावण्या

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  3. Anonymous4:31 am

    aji bandar kya jaane bread ka swad, hum se poochhiye jo amreeki hotel mein rah kar bread kha kha kar, aam ka swad bhool chuke hain! Guess that's the a price of evolution :) !

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  4. जंगल तो छिन गए हैं वानरों-लंगूरों से। अब तो नगरों के उपवन ही उन का सहारा हैं। यहाँ अदालत में बहुत पेड़ हैं तो रोज ही लंगूरों और वानरों की टोलियाँ आती हैं, पर एक साथ नहीं। बारी बारी से। कभी आती हैं तो दोनों में से एक मैदान छोड़ जाती है।

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  5. बहुत सही हैं, सुन्दर हैं बंदर जी.

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  6. Anonymous10:34 am

    "...क्योंकि मनुष्यों की तरह ही बन्दर भी स्त्रियों से डरते नहीं..."
    मनुष्य स्त्रियों से नही डरते?
    थोडा प्रकाश डालिये प्लीज.. :)

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  7. वाह ! वाह ! बहुत सुंदर. बन्दर जी ने खुश कर दिया.

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  8. वाह ! बहुत सुंदर

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  9. Anonymous11:12 am

    भीम का रामायणकालीन भाई भी तो ...
    मँजे हुए मॉडल के विडियो क्लिप ?

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  10. लदे आम से वृक्ष मनोहर
    सघन वाटिका इतनी सुंदर
    फिर कैसे ना आयें बन्दर.

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  11. वाह!
    घोस्ट बस्टर जी ने एकदम सही कहा

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  12. वाह मजा आ गया। फोटो काफी अच्‍छी है।

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  13. पोस्ट बढिया थी जी, लेकिन ये बंदर कहा है मुझे तो कही दिखाई नही दिया, हा एक लंगूर जरूर दिखाई दे रहा था, जो बडे स्टाईल से बडी सुंदर सुंदर फ़ोटॊ खिचवा रहा था, कृपया बंदर कहा गया, अवश्य बताये :)

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  14. अरुण जी ने सही कहा है ये लंगूर मालूम पड़ता है ,पर आपका बगीचा भी बढ़िया है ओर कैमरा भी ....यहाँ तो एक साथ इतने आते है ..मेनका गाँधी से डर लगता है......

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  15. लंगूर और बंदर की बहस में ना पड कर सीधे सीधे कह दूं, इतने बडे साइज का सुंदर आम मिल जाय तो मैं भी बंदर बन कर फ़ोटू खिंचवाने को तैय्यार हूं.

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