tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post5957164128795363421..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: पैन्ड्युलमghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-55945740369160343222008-07-22T15:46:00.000+05:302008-07-22T15:46:00.000+05:30बहुत खूबसूरत रचना जो जीवन दर्शन के प्रति चिंतन करन...बहुत खूबसूरत रचना जो जीवन दर्शन के प्रति चिंतन करने को बाध्य करती है.... <BR/>परम सुख या परम दुख<BR/>खौलना या हिम सा जमना ----- <BR/>दोनों ही चरमावस्था...अति...<BR/>क्यों न थोड़ा सुख, थोड़ा दुख हो.... <BR/>गुनगुना पानी जैसा जीवन जिसे आसानी से <BR/>गहराई तक महसूस किया जा सकता है....मीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-70859222758676009922008-07-21T17:58:00.000+05:302008-07-21T17:58:00.000+05:30ऐसा पानीना जिसमें कभी उबाल आएऐसा पानीना जिसमें कभी...ऐसा पानी<BR/>ना जिसमें कभी उबाल आए<BR/>ऐसा पानी<BR/>ना जिसमें कभी जमाव आए।<BR/>हाँ, पहुँचना है<BR/>अनुभूति के शिखर पर बेहद दिल को अभिभूत कर लेने वाली सुंदर रचनारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-54932146592586727862008-07-21T13:27:00.000+05:302008-07-21T13:27:00.000+05:30achchi kavita...samajhne ke liye do baar padha. ac...achchi kavita...samajhne ke liye do baar padha. achchi lagi.pallavi trivedihttps://www.blogger.com/profile/13303235514780334791noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-69690448169367666572008-07-21T13:12:00.000+05:302008-07-21T13:12:00.000+05:30बहुत ही सुंदर. भावपूर्ण कविताबहुत ही सुंदर. भावपूर्ण कविताRajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-7561067257667781592008-07-21T12:17:00.000+05:302008-07-21T12:17:00.000+05:30कभी गुलज़ार की इसी विषय पर लिखी एक त्रिवेणी पढियेगा...कभी गुलज़ार की इसी विषय पर लिखी एक त्रिवेणी पढियेगा .....आपकी कविता बेहद सुंदर है ...गहरे अर्थ समेटे हुए है अपने आप मेंडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-25600983135003459602008-07-21T11:37:00.000+05:302008-07-21T11:37:00.000+05:30गहरी प्रश्नाकुलता झलक रही है ! सुन्दर कविता !गहरी प्रश्नाकुलता झलक रही है ! सुन्दर कविता !Neelimahttps://www.blogger.com/profile/14606208778450390430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-28366448200896145432008-07-21T11:18:00.000+05:302008-07-21T11:18:00.000+05:30as always beautiful composition of words and emoti...as always beautiful composition of words and emotionsRachna Singhhttps://www.blogger.com/profile/15393385409836430390noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-28523140943943223282008-07-21T10:53:00.000+05:302008-07-21T10:53:00.000+05:30sundarsundarसंजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10374843971738674492008-07-21T09:32:00.000+05:302008-07-21T09:32:00.000+05:30बहुत बढिया अभिव्यक्ति है।परम सुख या परम दुखखौलना य...बहुत बढिया अभिव्यक्ति है।<BR/><BR/>परम सुख या परम दुख<BR/>खौलना या हिम सा जमना<BR/>क्या नहीं बेहतर है यूँ<BR/>बस केवल गुनगुने पानी सा<BR/>बना रहने से?परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-45705344481435886952008-07-21T07:12:00.000+05:302008-07-21T07:12:00.000+05:30सशक्त अभिव्यक्ति जीवन का सत्य उजागर हुआ है कविता म...सशक्त अभिव्यक्ति जीवन का सत्य उजागर हुआ है कविता मेँ -<BR/>आपके लेखोँ के साथ कविता भी पढवातीँ रहियेगा <BR/>स्नेह,<BR/>-लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-87500729190625598002008-07-21T06:40:00.000+05:302008-07-21T06:40:00.000+05:30तकनीकी तौर पर मुझे सबसे नीचे की अवस्था सबसे रोचक ल...तकनीकी तौर पर मुझे सबसे नीचे की अवस्था सबसे रोचक लगती है - जो अंतत सबसे स्थिर होनी है; पर दोलन की अवस्था में सबसे अस्थिर और सबसे ज्यादा गति वाली होती है।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-5351512285710040862008-07-21T06:23:00.000+05:302008-07-21T06:23:00.000+05:30मृत्यु ग्राह्य है परन्तुपलपल मरना और मरकर जीनानहीं...मृत्यु ग्राह्य है परन्तु<BR/>पलपल मरना और मरकर जीना<BR/>नहीं कभी होता रुचिकर।<BR/><BR/>शानदार ...Ramashankarhttps://www.blogger.com/profile/09873866884519903643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-54863769574370295042008-07-21T05:46:00.000+05:302008-07-21T05:46:00.000+05:30परम सुख या परम दुखखौलना या हिम सा जमनाक्या नहीं बे...परम सुख या परम दुख<BR/>खौलना या हिम सा जमना<BR/>क्या नहीं बेहतर है यूँ<BR/>बस केवल गुनगुने पानी सा<BR/>बना रहने से?<BR/><BR/>--बहुत भावपूर्ण - अद्भुत. बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18083532538685313972008-07-21T02:48:00.000+05:302008-07-21T02:48:00.000+05:30जीना पर न जीनामरना पर न मरना।क्यों नहीं पैन्ड्युलम...<I><B>जीना पर न जीना<BR/>मरना पर न मरना।<BR/>क्यों नहीं पैन्ड्युलम जाकर<BR/>एकबार अन्तिम छोर पर ले जाता<BR/>और वहीं सदा के लिए अटकाता?</B> </I><BR/><BR/><BR/><BR/><BR/><BR/> <I>अभिभूत हूँ..<BR/>पर मेरे पास तो इतने ख़ूबसूरत शब्द भी नहीं हैं, इसे व्यक्त करने को ! </I>डा. अमर कुमारhttps://www.blogger.com/profile/12658655094359638147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-42503178506749527622008-07-21T01:36:00.000+05:302008-07-21T01:36:00.000+05:30पिछले दो दिन पहले आपकी एक पोस्ट देखी थी, कुछ कहना ...पिछले दो दिन पहले आपकी एक पोस्ट देखी थी, कुछ कहना नही हो पाया उस पर. इस कविता में भी वैसे ही भावों की छाया दिखायी दे रही है, लेकिन इसमें सवाल है. और उस भाव से बाहर निकलने की छटपटाहट भी. शुभकामनायें.विजय गौड़https://www.blogger.com/profile/01260101554265134489noreply@blogger.com