tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post5090140128997256606..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: कविता : वह मैं भी तो हो सकती थीghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-36128716665204324352008-12-29T19:43:00.000+05:302008-12-29T19:43:00.000+05:30श्रेष्ठतम रचनाओं में से एक!श्रेष्ठतम रचनाओं में से एक!indianrjhttps://www.blogger.com/profile/16452757563692397750noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-44915524684150067112007-02-23T02:00:00.000+05:302007-02-23T02:00:00.000+05:30धन्यवाद मोहिन्दर जी, कोई पढ़े व उस पर विवेचना करे, ...धन्यवाद मोहिन्दर जी, कोई पढ़े व उस पर विवेचना करे, यह तो सौभाग्य की बात है ।अन्यथा कैसे ले सकती हूँ । आपके सुझाव का ध्यान रखूँगी । <BR/>घुघूती बासूती<BR/>ghughutibasuti.blogspot.com<BR/>miredmiragemusings.blogspot.com/ghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-569125707214697202007-02-20T15:39:00.000+05:302007-02-20T15:39:00.000+05:30आपकी रचना बहुआयामी एव सराहनीय है. मेरा एसा मानना ह...आपकी रचना बहुआयामी एव सराहनीय है. मेरा एसा मानना है कि यदि एक ही प्रसन्ग का प्रसार किया जाये तो रचना अधिक प्रभावी हो जाती है, हो सकता है मेरा विचार सही न हो, इसकोए अन्य्था न ले.Mohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-33363104027611254892007-02-17T19:43:00.000+05:302007-02-17T19:43:00.000+05:30उपस्थित जी, यदि आप जैसे पढ़ने वाले हों तो लिखना सार...उपस्थित जी, यदि आप जैसे पढ़ने वाले हों तो लिखना सार्थक हो जाता है । आपकी विवेचना स्वयं मुझे एक बार फिर अपनी कविता व अपने स्व पर विचार करने को बाध्य करते हैं । इतना विचारशील विश्लेषण करने के लिए धनयवाद । भविष्य में भी करते रहें तो आपका आभार होगा । <BR/>घुघूती बासूती<BR/>ghughutibasuti.blogspot.comghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-59902048553277997222007-02-17T03:19:00.000+05:302007-02-17T03:19:00.000+05:30कविता पढ कर बस ऐसा लगा कि कवि हर कहीं जो भी है, सब...कविता पढ कर बस ऐसा लगा कि कवि हर कहीं जो भी है, सब कुछ, हर कुछ बस एक chemical लोचा भर मानने पर भी उतारू क्यों है । सच जाने क्या है, पर अपने स्व का इतना उदारीकरण की वह कुछ भी हो सकता था, बस हालात, जीन्स, शुक्राणु-अन्ड कहीं इधर से उधर होते, मैं पूरी तरह से इत्तिफ़ाक नहीं रखता । हर बार हम वही नहीं होते जो हमारे हालात हमे बनाते हैं, हमार स्व हम भी काफ़ी हद तक बनाते हैं । खैर यह बात आपकी कविता से थोड़ी इतर हो गयी । <BR/> "आत्मानं सर्व्भूतेषु" जैसी बात अनुभव कर सका हूं, जाने यही कवि की भी मन्शा रही या नहीं । फ्रणी मात्र मे बस अपने को ही देखो...<BR/> वैचारिक कविता पर विचार जागे, शायद यही इस कविता की सफ़लता है...और सबसे बड़ी बात ये लगी कि प्रश्न हैं बस, उत्तरों के प्रति कोई आग्रह नहीं.... कवि की विचार शून्यता भी हो सकती है, विचारों की इस हद तक आ चुकने के बाद या उत्तर पाने का कोई मोह ही ना रहा हो..कविता बान्धती है..जोड़ती है अपने साथ अपने महौल मे..Upasthithttps://www.blogger.com/profile/14139346378568249916noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-58729582377561717682007-02-17T01:01:00.000+05:302007-02-17T01:01:00.000+05:30धन्यवाद स्वर्ण ज्योति जी व रचना जी । आपने कविता को...धन्यवाद स्वर्ण ज्योति जी व रचना जी । आपने कविता को पढ़ा भी व समझा भी व सराहा भी । <BR/>घुघूती बासूती <BR/>ghughutibasuti.blogspot.comghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-90530039970627822902007-02-16T21:08:00.000+05:302007-02-16T21:08:00.000+05:30आधुनिक समाज का हर पहलू छुआ है आपने!सबसे ज्यादा मुझ...आधुनिक समाज का हर पहलू छुआ है आपने!सबसे ज्यादा मुझे ये बात पसँद आई कि आपने कहा वो मै भी हो सकती थी! बहुत से अपराध परिस्थितिवश होते हैं शायद.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-36193788849822074202007-02-16T11:37:00.000+05:302007-02-16T11:37:00.000+05:30उन सारे समाचारों को मैनें पढ लिया देख लिया जिसे मै...उन सारे समाचारों को मैनें पढ लिया देख लिया जिसे मैंने न ही पढा था और न ही देखा था जिसका कारण यही है कि वह मैं भी हो सकती थी <BR/>मैंने उनकापन नहीं जिया है <BR/>सच है परिस्थितियाँ और संदर्भ शायद मुझे भी वे बना सकते थे <BR/>मेरे विचार आप से मिलते हैं <BR/>बहुत सुन्दर सरल और सत्य कविता बधाई <BR/>मेरी कविताओं पर आप के विचारों का इंतज़ार रहेगाSwarna Jyothihttps://www.blogger.com/profile/15254342507077918254noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-63755651350579102762007-02-16T00:42:00.000+05:302007-02-16T00:42:00.000+05:30धन्यवाद संजीत जी व मान्या जी । आपने तो बहुत उदार ट...धन्यवाद संजीत जी व मान्या जी । आपने तो बहुत उदार टिप्पणियाँ की हैं । बहुत बहुत धन्यवाद । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-61389563804472626322007-02-15T23:03:00.000+05:302007-02-15T23:03:00.000+05:30बहुत कुछ समेट लिया आपकी कविता ने अपने आप मे.. सवाल...बहुत कुछ समेट लिया आपकी कविता ने अपने आप मे.. सवाल भी कर गयी और जवाब भी बनी रही.. सच्मुच जीवंत है हर भाव.. अभिभूत हुं..Monika (Manya)https://www.blogger.com/profile/02268500799521003069noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-66782651186793131712007-02-15T20:09:00.000+05:302007-02-15T20:09:00.000+05:30घुघूती बासूती जी, किसी के कुछ से कुछ हो जाने और इस...घुघूती बासूती जी, किसी के कुछ से कुछ हो जाने और इस हो जाने में हालात के कारक होनेका सही चित्रण आपकी रचना में। हर एक लाईन दुसरे लाईन के लिए उत्सुकता सी जगाती है, और यही एक अच्छी कविता की पहचान होती है।<BR/>समीक्षक या आलोचक वाले दृष्टिकोण के अभाव में बतौर एक पाठक बस यही कह सकता हुं।<BR/>शुभकामनाओं के साथAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-41577322752019252702007-02-15T17:15:00.000+05:302007-02-15T17:15:00.000+05:30धन्यवाद अनुराग जी और रंजू जी ।घुघूती बासूतीghughut...धन्यवाद अनुराग जी और रंजू जी ।<BR/>घुघूती बासूती<BR/>ghughutibasuti.blogspot.comghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-68434206717848276112007-02-15T14:53:00.000+05:302007-02-15T14:53:00.000+05:30शुरू से अंत तक इस रचना ने बाँधे रखा ...सही और सच स...शुरू से अंत तक इस रचना ने बाँधे रखा ...सही और सच से परिचित कराती आपकी यह रचना बहुत कुछ कह गयी ...शुक्रियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-31005704278221805332007-02-14T09:49:00.000+05:302007-02-14T09:49:00.000+05:30बहुत बढ़िया.बहुत बढ़िया.अनुराग श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/03416309171765363374noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-26650293504103752752007-02-14T02:24:00.000+05:302007-02-14T02:24:00.000+05:30बिल्कुल समझ गई । और लगता है एक हथियार हाथ लग गया ह...बिल्कुल समझ गई । और लगता है एक हथियार हाथ लग गया है , उड़न तश्तरी जी ! खैर, बहुत धन्यवाद । :)<BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-36202261523539121692007-02-14T01:22:00.000+05:302007-02-14T01:22:00.000+05:30बहुत सधी हुई रचना है, बधाई और यह कहलाई ६ में से पह...बहुत सधी हुई रचना है, बधाई और यह कहलाई ६ में से पहली टिप्पणी. :) आप तो समझ ही गई होंगी. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-16439774688768784352007-02-13T22:11:00.000+05:302007-02-13T22:11:00.000+05:30धन्यवाद श्रीश जी । घुघूती बासूतीधन्यवाद श्रीश जी । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-44157828492998802452007-02-13T22:04:00.000+05:302007-02-13T22:04:00.000+05:30धन्यवाद शुएब जी । धन्यवाद मन जी । आपकी बात बिल्कुल...धन्यवाद शुएब जी । <BR/>धन्यवाद मन जी । आपकी बात बिल्कुल सही है । हो सका तो सुधारने की चेष्टा करूँगी । मुझे प्रसन्नता है कि आपने धयान से कविता पढ़ी और उसके त्रुटियाँ मुझे बताईं । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-26605789877545026122007-02-13T21:52:00.000+05:302007-02-13T21:52:00.000+05:30सुन्दर कविता, शुरु से अंत तक बांधे रखा।सुन्दर कविता, शुरु से अंत तक बांधे रखा।ePandithttps://www.blogger.com/profile/15264688244278112743noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10233642469457917152007-02-13T21:40:00.000+05:302007-02-13T21:40:00.000+05:30you touch toomany topics be concentrate on one and...you touch toomany topics be concentrate on one and cut them short in starting it look like you telling the conditiond of a woman which you recognice around you and then the poem turns to be the present condition of the country corupption and suddenty it get internainal incident involved. start was good but i can say very god then it s lost its strength and shows vague uneasinessAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-56411433649304760662007-02-13T19:24:00.000+05:302007-02-13T19:24:00.000+05:30बहुत बढिया कविता है, बधाईबहुत बढिया कविता है, बधाईAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-47954483266206846472007-02-13T16:51:00.000+05:302007-02-13T16:51:00.000+05:30धन्यवाद डिवाइन इन्डिया जी , आपकी विवेचना की सदा प...धन्यवाद डिवाइन इन्डिया जी , आपकी विवेचना की सदा प्रतीक्षा रहेगी । <BR/>घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-8747881032332430512007-02-13T03:55:00.000+05:302007-02-13T03:55:00.000+05:30यूं होता तो क्या होता…?नये तरीके से की गई प्रस्तुत...यूं होता तो क्या होता…?<BR/>नये तरीके से की गई प्रस्तुती सराहनीय है…लगभग हर कोणे को छूआ है…कुछ भाव को तो जी गईं हैं आप…यह भी एक कला है अच्छे लेखन की…बधाई!!Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.com