tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post3809673626790117316..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: वसन्त पंचमी, तख्ती, काली स्याही,गाचनी,पाठशाला और मैं।ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger35125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10948118104569322742009-02-17T15:05:00.000+05:302009-02-17T15:05:00.000+05:30हमारे तरफ़ वसंत पंचमी को खास तौर से लड़कियां साड़ी...हमारे तरफ़ वसंत पंचमी को खास तौर से लड़कियां साड़ी पहनती थी...छोटी बड़ी हर उम्र की, और फ़िर सब साथ में मेला देखने जाते थे...यही हमारे लिए मुख्य आकर्षण होता था. आपकी पोस्ट पढ़ कर फ़िर से बचपन याद आ गया. बहुत खूबसूरती से यादों को उकेरा है आपने.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-168686578879821262009-02-11T13:40:00.000+05:302009-02-11T13:40:00.000+05:30बचपन में बसंत को हम पतंग के रूप से पहचानते आ रहे ह...बचपन में बसंत को हम पतंग के रूप से पहचानते आ रहे है....माँ खास तौर से पूजा करके कुछ दान वान् करती है ....धीरे धीरे बड़े हुए तो पीले रंग से इसका सम्बन्ध पता चला ..आपकी पोस्ट भी बसंत्नुमा हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-34066260845092618322009-02-10T13:24:00.000+05:302009-02-10T13:24:00.000+05:30पढ़कर अच्छा लगा. अपना बचपन याद आ गया. ... बधाई.......पढ़कर अच्छा लगा. अपना बचपन याद आ गया. ... बधाई......प्रदीपhttps://www.blogger.com/profile/14143926920797834077noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-20609284663216653762009-02-10T12:35:00.000+05:302009-02-10T12:35:00.000+05:30बहुत बढ़िया...आभार..बहुत बढ़िया...आभार..राजीव करूणानिधिhttps://www.blogger.com/profile/01438700014693467726noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-31149771070439959822009-02-08T09:37:00.000+05:302009-02-08T09:37:00.000+05:30मज़ा आ गया जी!मज़ा आ गया जी!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-61134024488070050522009-02-07T10:21:00.000+05:302009-02-07T10:21:00.000+05:30आपने बसंत पंचमी के वो स्कूल वाले दिन याद दिला दिए....आपने बसंत पंचमी के वो स्कूल वाले दिन याद दिला दिए. जब इस दिन हमारे स्कूल में माता सरस्वती की पूजा होती थी. सच में क्या दिन थे. ना कोई भेदभाव ना कोई गिला न शिकवा... सारा मोहल्ला मिल कर मनाता था ये उत्सव.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-80551440684892852672009-02-06T15:27:00.000+05:302009-02-06T15:27:00.000+05:30समझदार लोगो को कैसे समझाया जाय कि लड़के औऱ लड़कियो...समझदार लोगो को कैसे समझाया जाय कि लड़के औऱ लड़कियों में क्या अंतर होता है । कैसे वह समझे कि कब तक यह किसका धर है । कैसे तय किया जाता है कि यह घर उसके लिए कब तक है । ऐसी आजादी तो कोट ने भी नही दे रखी है औ कहा है कि बाप की सम्पति पर जितना बेटे का अधिकार है उतना ही बेटी का भी अधिकार है जरा सोचिए । शु्क्रियाAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-49326477533518094682009-02-06T11:11:00.000+05:302009-02-06T11:11:00.000+05:30basant hai mausam mai aapki yah post padkar man pr...basant hai mausam mai aapki yah post padkar man prafullit ho gyaHarshvardhanhttps://www.blogger.com/profile/03416011520058251827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-57707276462715637272009-02-04T21:10:00.000+05:302009-02-04T21:10:00.000+05:30फिर याद आ गया बसंत।फिर याद आ गया बसंत।Richa Joshihttps://www.blogger.com/profile/05908845774715158021noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-62127338744115325892009-02-03T07:55:00.000+05:302009-02-03T07:55:00.000+05:30बचपन की कुछ भूली-बिसरी यादें ताज़ा करने के लिये हार...बचपन की कुछ भूली-बिसरी यादें ताज़ा करने के लिये हार्दिक आभार।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-27828080907724131202009-02-03T00:56:00.000+05:302009-02-03T00:56:00.000+05:30यादेँ ...याद आतीँ हैँ ..कितना सुख दे जातीँ हैँ बहु...यादेँ ...याद आतीँ हैँ ..<BR/>कितना सुख दे जातीँ हैँ <BR/>बहुत सुँदर<BR/> यादोँ की पोटली खोली है आपने <BR/> - लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-30463853186293934362009-02-01T23:02:00.000+05:302009-02-01T23:02:00.000+05:30अपने बचपन की यादों को अच्छी अभिव्यक्ति दी है.......अपने बचपन की यादों को अच्छी अभिव्यक्ति दी है....बहुत सुंदर लगा पढकर....हमें भी बचपन की याद आ गयी।संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-50999480463014044252009-02-01T20:58:00.000+05:302009-02-01T20:58:00.000+05:30बड़ी मीठी यादें हैं... अपनी भी यादें कुछ ऐसी ही ह...बड़ी मीठी यादें हैं... अपनी भी यादें कुछ ऐसी ही हैं पर अब तो वसंत पंचमी आकर चली भी जाती है पता ही नहीं चलता !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-78049900747095700822009-02-01T20:21:00.000+05:302009-02-01T20:21:00.000+05:30अच्छी लगीं आपकी यादें!अच्छी लगीं आपकी यादें!नितिन | Nitin Vyashttps://www.blogger.com/profile/14367374192560106388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-59622411662553327192009-02-01T16:21:00.000+05:302009-02-01T16:21:00.000+05:30याद आया - हमारी पट्टी तो करिखा मेँ चमकाई जाती थी औ...याद आया - हमारी पट्टी तो करिखा मेँ चमकाई जाती थी और सफेद चूने से लिखा जाता था। <BR/>अच्छी लगी यादें।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-16047948228090225052009-02-01T15:32:00.000+05:302009-02-01T15:32:00.000+05:30घुघूती जी, आप तो बसंत पंचमी की बताते बताते पुरानी ...घुघूती जी, <BR/>आप तो बसंत पंचमी की बताते बताते पुरानी यादों में खो गयी हो. <BR/>हमने भी तख्ती पर ही लिखना सीखा है. हम लोग तख्ती को तवे की कालस से काला करते थे और खडिया को पानी में घोलकर उससे लिखते थे.नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-40949802117147259902009-02-01T15:19:00.000+05:302009-02-01T15:19:00.000+05:30Aapne to bachpan ki yaade taza kar di...Aapne to bachpan ki yaade taza kar di...Vineeta Yashsavihttps://www.blogger.com/profile/10574001200862952259noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-75103786558548200252009-02-01T14:10:00.000+05:302009-02-01T14:10:00.000+05:30बसंत पंचमी की मीठी यादो भरी पोस्ट है यह ..अब कहाँ ...बसंत पंचमी की मीठी यादो भरी पोस्ट है यह ..अब कहाँ यह सब होता है ..बढ़िया लगा भूली बिसरी यादो को याद करना ..बधाई बंसत आगमन की आपकोरंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-22506920714983477362009-02-01T13:15:00.000+05:302009-02-01T13:15:00.000+05:30गाचनी शव्द पढ कर मुझे भी अपनी फ़ट्टी याद आ गई, इस क...गाचनी शव्द पढ कर मुझे भी अपनी फ़ट्टी याद आ गई, इस के साथ ही आप के लेख ने बचपन की तरफ़ लोटा दिया, बहुत सुंदर यादे समेटे है आप का यह लेख.<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-43735850785358446512009-02-01T12:53:00.000+05:302009-02-01T12:53:00.000+05:30बहुत बहुत ही सुंदर.......बचपन में लौट जाना...........बहुत बहुत ही सुंदर.......बचपन में लौट जाना.........फ़िर उसकी मधुर यादों को रीवाइंड करना..........धीरे धीरे उन मधुर पलों को कागज़ में सिमटना कितना सुखद लगता होगा. मुझे तो पढ़ कर ही ऐसा लग रहा है जैसे कोई चलचित्र मेरी आंखों के सामने से गुज़र रहा है और मैं भी उसके साथ एकरूप हो रहा हूँ.<BR/>धन्यवाद ऐसे मधुर स्मृति को बाँटने के लिए <BR/> <BR/>बसंत पंचमी की आप को बधाईदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18050421034397951312009-02-01T12:38:00.000+05:302009-02-01T12:38:00.000+05:30मेरी दशा भी आप जैसी ही है, यह जानते हुए भी कि यह स...मेरी दशा भी आप जैसी ही है, यह जानते हुए भी कि यह सब अब या तो अखबारों/चैनलों में दिखेगा या फिर इसी तरह ब्लाग पर।<BR/>समय के इस प्रसाद को प्रसन्नतापूर्वक, सर माथो चढाते हुए स्वीकार कर लेना ही हमारी नीयति भी है और प्रसन्न होने की विवशता भी।<BR/>बीते दिनों मे गुमा देने वाले सुन्दर वर्णन ने अभिभूत किया।विष्णु बैरागीhttps://www.blogger.com/profile/07004437238267266555noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-54198874834969931662009-02-01T12:30:00.000+05:302009-02-01T12:30:00.000+05:30बहुत अच्छा लगा पढ़कर.बहुत अच्छा लगा पढ़कर.पुरुषोत्तम कुमारhttps://www.blogger.com/profile/14737475432350019352noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-42677013417872333842009-02-01T11:19:00.000+05:302009-02-01T11:19:00.000+05:30अद्भुत सुन्दर पोस्ट । आभार !अद्भुत सुन्दर पोस्ट । आभार !Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-7140963736057153822009-02-01T11:07:00.000+05:302009-02-01T11:07:00.000+05:30पता ही नही चलता है कब हमारे त्योहार आते है और चले ...पता ही नही चलता है कब हमारे त्योहार आते है और चले जाते हैं। आई यानी मां ने पीला हलुआ बना कर खिलाया तो पता चला वर्ना कहां किसे फ़ुर्सत है।अच्छा लगा आपको पढ कर कुछ यादें ताज़ा हो गई।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-76779263075953664642009-02-01T10:41:00.000+05:302009-02-01T10:41:00.000+05:30बस यूँ ही लिखकर वसंत पंचमी फिर से जी ली। ना पीला प...बस यूँ ही लिखकर वसंत पंचमी फिर से जी ली। ना पीला पहना,ना देखा,ना खाया।...................................पता नहीं क्यूँ हम किसी के बचपन में अपना बचपन जी लेते हैं.......किसी और के जीवन को भी अपना कह लेते हैं...और सच भी है........सबका जीवन भी तो अपना ही जीवन है.......है ना.....!!??राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.com