tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post965727210488589384..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: स्त्रियाँ, कपड़े, स्वात घाटी, स्त्रियों के प्रति यूज एन्ड थ्रो की मानसिकताghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger41125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-81566288579262775792009-04-20T09:03:00.000+05:302009-04-20T09:03:00.000+05:30BAHUT HEE TARKIKATA SE STHAPIT VICHAR .KOYEE SHANK...BAHUT HEE TARKIKATA SE STHAPIT VICHAR .KOYEE SHANKA NAHEEN KI APRADHIK DIMAG HEE KARAN HAI ISKE PEECHE .RAJ SINHhttps://www.blogger.com/profile/01159692936125427653noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-42412514077370910892009-04-10T22:59:00.000+05:302009-04-10T22:59:00.000+05:30आज की पोस्ट ने रुला दिया.....मुझे पता नहीं कि मुझे...आज की पोस्ट ने रुला दिया.....मुझे पता नहीं कि मुझे क्या कहना चाहिए..........कुछ कहना चाहिए भी कि या नहीं...आज चुप ही रहने को मन है....आज रोने को मन है.........मैं रो रहा हूँ.....मैं भी पुरुष हूँ.....मैं क्यूँ हूँ ??........मेरे होने का अर्थ क्या है....मैंने करना क्या है....मैं कुछ नहीं कर सकता तो मैंने होना ही क्यूँ है...........??घुघूती जी मैंने होना क्यूँ है.......!!.......सच आज रो लेने को मन है....मुझे रो लेने दो....थोडा सा दर्द पी लेने दो....खुद को दर्द से भर लेने दो.......सच तो यह है कि जीने से ज्यादा मरने को मन होता है........!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-73020344756404877902009-04-10T22:55:00.000+05:302009-04-10T22:55:00.000+05:30आज की पोस्ट ने रुला दिया.....मुझे पता नहीं कि मुझे...आज की पोस्ट ने रुला दिया.....मुझे पता नहीं कि मुझे क्या कहना चाहिए..........कुछ कहना चाहिए भी कि या नहीं...आज चुप ही रहने को मन है....आज रोने को मन है.........मैं रो रहा हूँ.....मैं भी पुरुष हूँ.....मैं क्यूँ हूँ ??........मेरे होने का अर्थ क्या है....मैंने करना क्या है....मैं कुछ नहीं कर सकता तो मैंने होना ही क्यूँ है...........??घुघूती जी मैंने होना क्यूँ है.......!!.......सच आज रो लेने को मन है....मुझे रो लेने दो....थोडा सा दर्द पी लेने दो....खुद को दर्द से भर लेने दो.......सच तो यह है कि जीने से ज्यादा मरने को मन होता है........!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10172834453321501402009-04-10T22:38:00.000+05:302009-04-10T22:38:00.000+05:30वैसे स्त्रियों के मामले में यूज एन्ड थ्रो की मानसि...वैसे स्त्रियों के मामले में यूज एन्ड थ्रो की मानसिकता नई नहीं है। तभी तो पत्नियों के हत्यारों की भी शादी हो जाती है। माता पिता तो अपनी दूसरी बेटी का विवाह तक उसी के साथ कर देते हैं। <BR/><BR/>जब भी कहीं स्त्रियों के दर्द की बात आती है मन भीतर तक आहात हो जाता है ...क्या कहूँ...आपने बेलफ़्ज़ कर दिया है ....!!हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-32393150268551600382009-04-10T22:24:00.000+05:302009-04-10T22:24:00.000+05:30स्वात तो हर समाज में है...किस किस स्वात की बात करि...स्वात तो हर समाज में है...किस किस स्वात की बात करियेगा.Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-87064288319471986372009-04-07T21:15:00.000+05:302009-04-07T21:15:00.000+05:30श्री राजकुमार ग्वालानी पेशेवर 'समाचार-लेखक' हैं और...श्री राजकुमार ग्वालानी पेशेवर 'समाचार-लेखक' हैं और उन्हें भली भांति पता है कि 'सेक्स' के मुद्दे पर पाठकों की भीड़ जुटाना कितना सहज है ! अतः उन्होंने किसी घटना को देखा या देखने का बहाना करते हुए 'काम-अपराध' के लिये उत्तरदाई 'एकमात्र कारण' की घोषणा कर दी ! <BR/><BR/>घुघूती जी आप भी समझती हैं कि श्री ग्वालानी की 'परिकल्पना' 'काम अपराधों' के लिए उत्तरदाई अनेकों स्थापित कारणों में से एक कारण हो सकती है ? चूंकि श्री ग्वालानी 'स्त्री पुरुष संबंधों' और 'विचलित व्यवहार' के अध्येता नहीं हैं इसलिए उनके सरलीकृत निष्कर्ष पर आश्चर्य कैसा ? उनके आलेख पर प्रतिक्रिया क्यों ?<BR/><BR/>घुघूती जी आप हमेशा की तरह इस बार भी तर्कसम्मत हैं किन्तु हमारे समाज के हालात इतने भी ख़राब नहीं <BR/>है कि स्त्रियों के वज़ूद पर ही प्रश्न चिन्ह लगाने का निराशावाद आप पर हावी हो रहा है ? क्या वाकई में काम अपराधों / उत्पीडन के आंकडे खतरे का निशान पार कर चुके हैं ? याकि समाज में सहज यौन व्यवहार और सकारात्मकता का प्रतिशत अभी भी संतोषप्रद है ?<BR/><BR/>मेरी व्यक्तिगत मान्यता है कि कुदरत नें स्त्री पुरुष की पारस्परिक निर्भरता का निज़ाम ( व्यवस्था ) बनाया है इसलिए पुरुष अधिनायकवाद अल्पकालिक तो हो सकता है पर स्थायी बिलकुल भी नहीं !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-41274159373205309562009-04-07T14:40:00.000+05:302009-04-07T14:40:00.000+05:30घूघुती बसुती जी,शायद आपने ही याद दिलाया था कि एक ?...घूघुती बसुती जी,<BR/><BR/>शायद आपने ही याद दिलाया था कि एक ? की जगह यह संबोधन लिखा जाया जा सकता है.<BR/><BR/>सबसे पहले तो इस तर्क भरे हुये लेख के लिये सादर अभिवादन / साधुवाद.<BR/><BR/>शायद यह पुरुष की लोलुप सोच ही सकती है कि वह किसी अपराध के दोष को स्वंय पीड़िता पर मढ कर बरी हो सकता है और समाज में स्वीकारा भी जाता है.<BR/><BR/>मै विनय की बात को नकारूंगा नही. यह अपवाद हो सकता है पर बहस का मुद्दा नही.<BR/><BR/>मुकेश कुमार तिवारीमुकेश कुमार तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/04868053728201470542noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-30707605574976552072009-04-07T01:16:00.000+05:302009-04-07T01:16:00.000+05:30बहुत ही दुख होता है यह देखकर की ग्वीलानी-मानसिकता ...बहुत ही दुख होता है यह देखकर की ग्वीलानी-मानसिकता वाले लोग ब्लॉगजगत में खुले आम बेखौफ़ आरम से घूम रहे हैं और आपनी गन्दी सोच भी डन्के की चोट पर कह रहे हैं।Reemahttps://www.blogger.com/profile/11983466677054631482noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-51418006182032117712009-04-07T01:06:00.000+05:302009-04-07T01:06:00.000+05:30भूमिजा हो गई थी भूमि पुत्री थीँ सीता,किँतु अभी उसक...भूमिजा हो गई थी <BR/>भूमि पुत्री थीँ सीता,<BR/>किँतु अभी उसका <BR/>परीक्षा काल नहीँ बीता <BR/>आपका आलेख तर्क सम्मत है -<BR/> स्त्री की सुरक्षा तथा सम्मान पूरे समाज को करना निताँत आवश्यक है <BR/><BR/>- लावण्यालावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-47458971358467264742009-04-06T21:07:00.000+05:302009-04-06T21:07:00.000+05:30भाई राजकुमार ग्वालानी मैं आप से पूछना चाहता हू कि...भाई राजकुमार ग्वालानी मैं आप से पूछना चाहता हू कि कम कपडे पहने देख कर आपकी कितनी महिलायों से बलात्कार करने कि इच्छा जागृत हुई. मेरा मानना है कि आप ही नहीं बल्कि ९९ प्रतिशत पुरुषों कि ऐसी कोई इच्छा जागृत नहीं होती हैं. मात्र विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण के कारण उत्तेजना का अनुभव भले ही हो. मेरे दोस्त रेप करने वाला अपराधी मानसिक रूप से कुंठित और बीमार होता है. ऐसे अपराधियों के पक्ष में इस तरह के बचाव को मात्र कुतर्क ही कहा जा सकता हैं. ऐसे अपराधी किसी भी प्रकार से और किसी भी आधार पर बचाव के योग्य नहीं हैं. ऐसे लोगो के बचाव में ऐसे मुहावरे गढ़ने वालो को अपनी सोच पर विचार करने कि आवयश्कता हैं.Rakesh Shekhawathttps://www.blogger.com/profile/17830031877729972398noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-82691536666580214312009-04-05T12:58:00.000+05:302009-04-05T12:58:00.000+05:30बालसुब्रमण्यम जी यह राम सेना कहां से आ गई बीच मै, ...बालसुब्रमण्यम जी यह राम सेना कहां से आ गई बीच मै, मै किसी राम सेना, या सीता सेना का स्मर्थक नही,ओर ना ही किसी खास ध्र्म से तालुकात है, मै सब से पहले एक इंसान हुं, फ़िर भारतीय, ओर फ़िर हिन्दू, लेकिन हिन्दू होने के नाते मै किसी अन्य को दुख दुं यह मुझे नही सिखाया गया, कृप्या ध्यान से टिपण्णी पढे .. ओर फ़िर उस पर अपना जबाब दे.. बिन सोचे समझे किसी की टांग मत खींचे...धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-72102788745057731872009-04-05T12:52:00.000+05:302009-04-05T12:52:00.000+05:30आपने सब कह दिया, कुछ भी जोड़ने को नहीं है मेरे पास...आपने सब कह दिया, कुछ भी जोड़ने को नहीं है मेरे पास.ओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-82503574571472598662009-04-05T11:41:00.000+05:302009-04-05T11:41:00.000+05:30नियम कायदे सभ्यता संस्क्रति दरअसल स्त्रियों को एक ...नियम कायदे सभ्यता संस्क्रति दरअसल स्त्रियों को एक ख़ास तरीके से शोषित करने का चतुर ओर चालाक तरीका है ...सभ्यता संस्क्रति ने पुरुष के लिए भी नियम बनाए है......आधुनिक विज्ञानं में हम चाँद पर भले ही पहुँच जाये पर समाज के एक बड़े तबके की सोच अभी वही खड़ी है....स्त्री के प्रति क्रोध पुरुष अपने बलवान होने का नाजायज फायदा उठाकर इसी तरीके से निकालता है ...सच तो ये है हर पुरुष एक चतुर स्त्री से घबराता है...नैतिकता का कोई तर्क नहीं होता......किसी धर्म या मजहब में उस वक़्त की भोगोलिक परिसिथितियो को देखकर जो नियम बनाये गए हम उनमे से अपने हिस्से का फायदा देख उन्हें अपनाते है....हंस में शीबा आलम का लेख आँख खोलने जैसा है......पर ये तय मानिए अपने हक की लडाई स्त्री को खुद लड़नी होगी.....पीड़ित को अपना युद्ध खुद लड़ना पड़ता है.....डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-47755286684198528962009-04-05T10:10:00.000+05:302009-04-05T10:10:00.000+05:30आप ने जो कहा हैं वो पहले भी बहुत लोगो ने कहा हैं औ...आप ने जो कहा हैं वो पहले भी बहुत लोगो ने कहा हैं और आगे भी कहते रहेगे । पुरूष को नंगा होने भी कभी उरेज नहीं हुआ और पुरूष को स्त्री को भी नंगा करने मे कभी उरेज नहीं हुआ सो इनको आप अपराधिक मान कर समाज से अलग मानते हैं और खुद ही आप कहते हैं ये लोग समाज का प्रतिनिधितव नहीं करते । आप के अंदर दोयम का भावः हैं स्त्री के लिये क्युकी आप के पूरी इस लेख मे या इस से पहले लेख मे या बासूती जी के यहाँ दिये गए आप के कमेन्ट मे आपने कही भी इस बात को नहीं माना हैं की स्त्री के पास एक दिमाग भी हैं और वो अपनी तरह जो अपने लिये सही हैं उसका फैसला कर सकती हैं ।<BR/><BR/>लेकिन आप जैसे लोगो के लिये बहुत खुशी की बात हैं की तालिबान हामी समयों तक पहुँच गया हैं और जल्दी ही आप की बहु बेटियों को सही करने के लिये आप के घरो तक भी आयेगा । उसदिन आप कितना लिख पायेगे इस विषय और क्या लिक पायेगे अभी से सोच कर रखे । <BR/><BR/><BR/>i hv posted this comment on the new post on RAJTANTR <BR/>which is reply to your post mamAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-42594506245568503482009-04-05T09:20:00.000+05:302009-04-05T09:20:00.000+05:30विकृत मानसिकता हर कही है .विकृत मानसिकता हर कही है .अरूणnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-45142155259249263312009-04-05T08:47:00.000+05:302009-04-05T08:47:00.000+05:30नारी का कोई विकल्प नहीं.शक्ति, शक्ति है...उसका विक...नारी का कोई विकल्प नहीं.<BR/>शक्ति, शक्ति है...उसका विकल्प कैसा ?<BR/>==============================<BR/>सधे विचारों वाली श्रेष्ठ प्रस्तुति का आभार.<BR/>डॉ.चन्द्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-75529046806317751912009-04-05T07:44:00.000+05:302009-04-05T07:44:00.000+05:30१) संस्कृतिकई लोगों को कहते सुना है, भई संस्कृति त...<B>१) संस्कृति</B><BR/>कई लोगों को कहते सुना है, भई संस्कृति तो भारत में है, इन विदेशियों की क्या संस्कृति है? लेकिन कुछ मामलों में देखता हूँ कि भारतीय "संस्कृति" में महिलाओं के लिये बहुत तंग जगह छोड़ी गयी है। विदेश में महिलाओं को हर तरह के कपड़े पहने (या न पहने) देख चुका हूँ। कुछ लोग घूरते भी हैं, लेकिन अमूमन वह भी चोरी-छिपे होता है, सरासर आंखों के सामने नहीं।<BR/><BR/><B>२) दोनों नंगे, लेकिन बलात्कार स्त्री का ही क्यों?</B><BR/>पुरुष अधनंगे घूम सकते हैं, कोई महिला उनको नहीं छेड़ सकती। लेकिन किसी महिला के छोटे कपड़ों को यदि कोई पुरुष देखे, तो बलात्कार हो जाता है। इसमें दोषी पुरुष ही है। क्योंकि बलात्कार उसी ने किया है। इस क्रिया का कर्ता वही है, दोष भी उसी के माथे होना चाहिये।<BR/><BR/><B>३) इस खोटी मानसिता से कैसे छुटकारा पाया जाये?</B><BR/>लोग कहते हैं कि "काम वासना" विकार हैं। लेकिन मेरा मानना है कि "काम" को "वासना" से अलग करना होगा। इसके लिये नैतिक शिक्षा बहुत जरूरी है, चाहे वह स्कूलों में दी जाये या परिवार में। <BR/><BR/>बहुत ही नाजुक विषय है, इसलिये सभी बातें एक बार में खुल कर होनी मुश्किल हैं। बहस जारी रहे!Anil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/06680189239008360541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-72317279938999758922009-04-05T07:23:00.000+05:302009-04-05T07:23:00.000+05:30अच्छा लेख लिखा है। लोगों के तर्क अजीब से हैं। क्या...अच्छा लेख लिखा है। लोगों के तर्क अजीब से हैं। क्या कहा जाये!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-1864134213915030892009-04-05T01:09:00.000+05:302009-04-05T01:09:00.000+05:30भाटिया जी, राम सेना में मुसलमान भी हैं, यह नई जानक...भाटिया जी, राम सेना में मुसलमान भी हैं, यह नई जानकारी आपने हमें दी।बालसुब्रमण्यम लक्ष्मीनारायणhttps://www.blogger.com/profile/09013592588359905805noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-31809398745775420372009-04-05T00:47:00.000+05:302009-04-05T00:47:00.000+05:30सभी मर्द एक जेसे नही, सभी नारिया एक जेसी नही, ओर स...सभी मर्द एक जेसे नही, सभी नारिया एक जेसी नही, ओर समाज, यह दुनियां एक दुसरे के बिना कभी भी नही चल सकती, अब जिन्हो ने किया है, यह उन की अपनी सोच थी... सभी मर्दो ने तो नही किया, अग्र सभी मर्द उन के कारण बदनाम होते है तो मै दसॊ नारिया गिनवाता हुं, जो इन मर्दो से बेगारती मै मर्दो से भी दस कदम आगे है, इस लिये हमे सिर्फ़ उस गलत बात का ही बिरोध करना चहिये, ना कि मर्द ओर ओरत पर निशाना लगाना चाहिये, मै बस यही कहुंगा जो हुआ वो बहुत गलत हुआ, ओर यह पहली बार नही हुआ, यह सब अरब देशो मै सदियो से हो रहा है, ओर पुरी दुनिया को पता भी है, ओर हमारे चीखने चिल्लाने से कुछ नही होने वाला, यह उन का देश है, वो जाने, ओर अगर हमे कोई दिक्कत है तो हमारे देश मै भी काफ़ी मुस्लिम है इस सोच के पहले उन्हे सुधारा जाये, तो करे शुरु यही से, जिन्हे इन सब बातो से बहुत ज्यादा शिकायत है, देर किस बात की, यह तो भालाई का काम है, सिर्फ़ बातो से कुछ नही होने वाला, आपस मै लडने से भी बात नही बनाने वाली.... कुछ करे...<BR/>धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-3561047747612643382009-04-04T23:31:00.000+05:302009-04-04T23:31:00.000+05:30इस तर्क और उसके पीछे की विचारधारा को यूं ही हिन्द...इस तर्क और उसके पीछे की विचारधारा को यूं ही हिन्दू तालिबान नाम नहीं दिया जा रहा है। आपका जवाब एकदम सही है।कपिलhttp://andarkeebaat.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-50130990992922557832009-04-04T23:27:00.000+05:302009-04-04T23:27:00.000+05:30Both parties are right ,but Gvalani is more right ...Both parties are right ,but Gvalani is more right ! Decency & decorum should not be compromised.मुनीश ( munish )https://www.blogger.com/profile/07300989830553584918noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-67612400485785150422009-04-04T23:20:00.000+05:302009-04-04T23:20:00.000+05:30ऐसा सिर्फ़ एक तरफ़ से होता है कहना उचित नहीं, आज की ...ऐसा सिर्फ़ एक तरफ़ से होता है कहना उचित नहीं, आज की खुले दिमाग़ की लड़कियाँ तो ऐसा करने में ख़ूब माहिर हैं, मेरे पास ऐसे कई जीवंत उदाहरण हैं!Vinayhttps://www.blogger.com/profile/08734830206267994994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-35439264958486988672009-04-04T22:34:00.000+05:302009-04-04T22:34:00.000+05:30हम कुछ कहेंगे तो कहीं और कोट कर दिए जाएंगे:) तो फि...हम कुछ कहेंगे तो कहीं और कोट कर दिए जाएंगे:) तो फिर, हम चले...:):)चंद्रमौलेश्वर प्रसादhttps://www.blogger.com/profile/08384457680652627343noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-69164143987567397222009-04-04T21:41:00.000+05:302009-04-04T21:41:00.000+05:30aapka blog padhne fir aaugi filhal ye btane aayi h...aapka blog padhne fir aaugi filhal ye btane aayi hun link tasveer ke upar diya gya hai.हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com