tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post9196212008523736510..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: 'जब थामा नहीं हाथ'ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger13125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-26934425904099151512007-10-26T16:56:00.000+05:302007-10-26T16:56:00.000+05:30चलने वाला लडखडा सकता है, लड्खडाने वाला गिर सकता ह...चलने वाला लडखडा सकता है, लड्खडाने वाला गिर सकता है... गिरने से चोट आ सकती है..मगर जिन्दगी का सफ़र रुकता नहीं .. हर चढाई के अन्त में एक ढलान शुरू होती है.. फ़िर ऊंचाई का गुमान व्यर्थ है..... परन्तु जो पीडा होती है वह है<BR/><BR/>गम नहीं इस बात का कि तलवे चाटे<BR/>मगर जो तलवे चाटे उनमें भी छेद थाMohinder56https://www.blogger.com/profile/02273041828671240448noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-65588591417541781562007-10-22T19:28:00.000+05:302007-10-22T19:28:00.000+05:30अच्छी अभिव्यक्ति,अच्छे भाव उभरे हैं.बधाई.अच्छी अभिव्यक्ति,अच्छे भाव उभरे हैं.बधाई.रवीन्द्र प्रभातhttps://www.blogger.com/profile/11471859655099784046noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-53972431897728005662007-10-22T16:11:00.000+05:302007-10-22T16:11:00.000+05:30बहुत अच्छाबहुत अच्छाSuvicharhttps://www.blogger.com/profile/16711640058971514851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-51659091109055968082007-10-17T21:26:00.000+05:302007-10-17T21:26:00.000+05:30बेहतरीन कविता…अच्छे भाव उभरे हैंअद्भुत!!!बेहतरीन कविता…<BR/>अच्छे भाव उभरे हैं<BR/>अद्भुत!!!Divine Indiahttps://www.blogger.com/profile/14469712797997282405noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-42357941626049632572007-10-17T17:52:00.000+05:302007-10-17T17:52:00.000+05:30बहुत गहरी भावपूर्ण रचना है, बधाई.जितना ऊँचा चढ़ोगे ...बहुत गहरी भावपूर्ण रचना है, बधाई.<BR/><BR/>जितना ऊँचा चढ़ोगे उतना ही<BR/>नीचे गिरा स्वयं को पाओगे ,<BR/>जितना लम्बे होओगे उतना ही<BR/>सिर जोर से जमीन से टकराएगा ।<BR/><BR/>--मीनाक्षी जी ने भी बहुत सुन्दर बात कही है, वाह!!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-91260845091371765522007-10-17T15:36:00.000+05:302007-10-17T15:36:00.000+05:30बहुत बढिया..खूबसूरत विचार खूबसूरत तरीके से पेश किय...बहुत बढिया..<BR/>खूबसूरत विचार खूबसूरत तरीके से पेश किया गया है...PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-30212749405151905522007-10-17T15:26:00.000+05:302007-10-17T15:26:00.000+05:30बहुत बढ़िया भावपूर्ण!!तो एक बात तो साबित हो रही जी ...बहुत बढ़िया भावपूर्ण!!<BR/><BR/>तो एक बात तो साबित हो रही जी कि कुछ दिन के लिए ब्लॉग से गायब रहने के बाद आप शानदार लिखती हैं।Sanjeet Tripathihttps://www.blogger.com/profile/18362995980060168287noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-19966548737108259692007-10-17T15:20:00.000+05:302007-10-17T15:20:00.000+05:30नीचे के भाव बहुत सुंदर…………मगर यहां से समझ नहि आया…...नीचे के भाव बहुत सुंदर…………मगर यहां से समझ नहि आया………'जब थामा नहीं हाथ'<BR/>मन कितना था,जानती हो?<BR/>यदि थाम लेती हाथ तो<BR/>दिल को भी थामना होता ,<BR/>यदि थाम लेते दिल<BR/>तो हाथ कैसे थामते ?<BR/>और यदि लड़खड़ा जाती<BR/>तो कैसे दे पाते सहारा?<BR/><BR/>मेरी ही गलती है क्यूकी जानती हू, कविता समझी नही जाती महसूस की जाती है। pls dont take it otherwiseपारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-73818983107278391832007-10-17T14:30:00.000+05:302007-10-17T14:30:00.000+05:30बहुत ही सरल शब्दों में बहुत ही गहरी बात कही है आप ...बहुत ही सरल शब्दों में बहुत ही गहरी बात कही है आप ने मैम, बहुत खूबAnita kumarhttps://www.blogger.com/profile/02829772451053595246noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-79405768092450961372007-10-17T12:58:00.000+05:302007-10-17T12:58:00.000+05:30जितना ऊँचा चढ़ोगे उतना हीनीचे गिरा स्वयं को पाओगे ,...जितना ऊँचा चढ़ोगे उतना ही<BR/>नीचे गिरा स्वयं को पाओगे ,<BR/><BR/>बहुत सटीक एवं भावभरी बातकंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-66177468441287413462007-10-17T10:06:00.000+05:302007-10-17T10:06:00.000+05:30अच्छी कविता..हमेशा की तरह.अच्छी कविता..हमेशा की तरह.काकेशhttps://www.blogger.com/profile/12211852020131151179noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-58891069774527710942007-10-17T09:24:00.000+05:302007-10-17T09:24:00.000+05:30लताओं सा कोमल रूप लेकर ऊचाँइयों को छूने पर गिरने क...लताओं सा कोमल रूप लेकर ऊचाँइयों को छूने पर गिरने का डर नहीं रहेगा. अहम लेकर ठूँठ सा बढ़ना गिराता ही नही तोड़ भी देता है.<BR/><BR/>सारगर्भित कवितामीनाक्षीhttps://www.blogger.com/profile/06278779055250811255noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-10390190494317506502007-10-17T09:03:00.000+05:302007-10-17T09:03:00.000+05:30जितना ऊँचा चढ़ोगे उतना हीनीचे गिरा स्वयं को पाओगे ,...जितना ऊँचा चढ़ोगे उतना ही<BR/>नीचे गिरा स्वयं को पाओगे ,<BR/>जितना लम्बे होओगे उतना ही<BR/>सिर जोर से जमीन से टकराएगा<BR/><BR/>अच्छा दर्शन! ख्याल रखा जायेगा :)गिरिराज जोशीhttps://www.blogger.com/profile/13316021987438126843noreply@blogger.com