tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post6875925372773445470..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: मेरे लिए झाँसी की रानी का पोस्टर क्यों नहीं ?ghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-58469442564159144552008-02-19T15:12:00.000+05:302008-02-19T15:12:00.000+05:30आपकी चिंता जायज है। समाज में हर घर की यही कहानी है...आपकी चिंता जायज है। समाज में हर घर की यही कहानी है। हमारे समझ से समाज में अब जागरूकता आ रही है। फिर भी महिला अधिकारों के लिए महिलाओं को ही आगे आना होगा।Premhttps://www.blogger.com/profile/18417780912926590320noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-80503227305583525232008-02-19T14:31:00.000+05:302008-02-19T14:31:00.000+05:30" जख़्मी हो कर वॉकर भागा , उसे गजब हैरानी थी"" जख़्मी हो कर वॉकर भागा , उसे गजब हैरानी थी"अफ़लातूनhttps://www.blogger.com/profile/08027328950261133052noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-55342315668594130252008-02-19T13:05:00.000+05:302008-02-19T13:05:00.000+05:30बचपन से लेकर शादी से पहले तक घर में हमारी ही तूती ...बचपन से लेकर शादी से पहले तक घर में हमारी ही तूती बोलती थी............. निखालिस दादागिरी। अब सोच कर मां के लिये गर्व होता है कि वो सदा हमारे साथ थी बिना किसी भेदभाव के।anuradha srivastavhttps://www.blogger.com/profile/15152294502770313523noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-26544776835906032772008-02-19T07:47:00.000+05:302008-02-19T07:47:00.000+05:30हम सोच रहे हैं कि अभी ये तेवर (हाल) हैं और अगर झां...हम सोच रहे हैं कि अभी ये तेवर (हाल) हैं और अगर झांसी की रानी का पोस्टर लगा होता तो ... हमारी तो सोचकर ही झुरझुरी उठ रही है। :)Tarunhttps://www.blogger.com/profile/00455857004125328718noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-13137170113103556902008-02-19T05:29:00.000+05:302008-02-19T05:29:00.000+05:30बहुत कुछ कहती है आप की यह पोस्ट। हर युग की हर महिल...बहुत कुछ कहती है आप की यह पोस्ट। हर युग की हर महिला से आप कैसे उम्मीद कर सकती हैं कि वे आप की उम्मीद के अनुरूप होंगी? समाज और उस के विकास की तत्कालीन स्थितियों के अनुरुप ही उन का मूल्यांकन करना होगा। फिर भी आप की माताजी प्रगतिशील थीं। और आप के व्यक्तित्व के निर्माण में उनका योगदान भी कम नहीं रहा होगा?दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com