tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post6793602133184850836..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: चलती चक्की देख कर .........घुघूती बासूतीghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger33125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-2728326014653064412010-01-27T13:33:13.061+05:302010-01-27T13:33:13.061+05:30बहुत सटीक लिखा आपने .. महंगाई हद को पार कर रही हैबहुत सटीक लिखा आपने .. महंगाई हद को पार कर रही हैसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-23304393153771468662010-01-21T18:35:31.528+05:302010-01-21T18:35:31.528+05:30गरीबों का खाना खाना भी मुस्किल होता जा रहा है!!!गरीबों का खाना खाना भी मुस्किल होता जा रहा है!!!Murari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-34610899336175818312010-01-15T15:33:31.688+05:302010-01-15T15:33:31.688+05:30loktantr me sabko saman ya barabar adhikar hai
bh...loktantr me sabko saman ya barabar adhikar hai <br />bhagyodayorganicblogspot.comBhagyodayhttps://www.blogger.com/profile/00523433686616990071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-15818303344270665242010-01-14T13:35:43.287+05:302010-01-14T13:35:43.287+05:30बहुत ही बेहतरीन तरीके से आम जनता के दर्द को पेश कि...बहुत ही बेहतरीन तरीके से आम जनता के दर्द को पेश किया है... वैसे हमें तो अब चक्की पर गये हुए भी ज़माना हो गया..अबयज़ ख़ानhttps://www.blogger.com/profile/06351699314075950295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-80670756439378058762010-01-14T13:07:28.900+05:302010-01-14T13:07:28.900+05:30कबीरदास होते तो उनके भी आँसू सूख जाते यह सब देखकर ...कबीरदास होते तो उनके भी आँसू सूख जाते यह सब देखकर ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-91803789448946768132010-01-13T10:10:48.730+05:302010-01-13T10:10:48.730+05:30ओह, कोई समाधान नजर नहीं आता!
आपके स्वास्थ लाभ के ...ओह, कोई समाधान नजर नहीं आता!<br /><br />आपके स्वास्थ लाभ के लिये शुभकामनायें।Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-38134443710402973902010-01-12T22:53:04.403+05:302010-01-12T22:53:04.403+05:30सभी अपनी राह चल रहे हैं। महंगाई भी, गरीबी भी और धन...सभी अपनी राह चल रहे हैं। महंगाई भी, गरीबी भी और धनवान भी। सब प्रगति कर रहे हैं- भ्रष्टाचार भी, सरकारी ठेके भी, जमाखोर भी, नेता और नौकरशाहों की तिजोरी भी, और राजनीति का लॉलीपॉप भी। सबके लिए गुन्जाइश है इस सबसे बड़े लोकतंत्र में।सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/04825484506335597800noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-22798427734089808342010-01-12T15:31:14.418+05:302010-01-12T15:31:14.418+05:30सुन्दर रचना
इस अच्छी रचना के लिए
आभार ..............सुन्दर रचना <br />इस अच्छी रचना के लिए<br />आभार .................Pushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-61598053610982242952010-01-12T14:44:02.846+05:302010-01-12T14:44:02.846+05:30आपकी चिंता बिलकुल जायज है....मैं भी अक्सर सोचती हू...आपकी चिंता बिलकुल जायज है....मैं भी अक्सर सोचती हूँ.....ये मजदूर और कामवालियां क्या खाते होंगे...सब्जी,दाल के दाम तो आसमां छू रहें हैं... ..अब गेहूं की पिसाई का भी ये हाल...इनका मेहनताना उस हिसाब से तो नहीं बढ़ता...जिस हिसाब से महंगाई है और खासकर महानगरों मेंrashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-24956370680534332462010-01-12T14:41:52.195+05:302010-01-12T14:41:52.195+05:30आपने बिलकुल सही कहा है |क्या क्या खाना छोड़ेगे ?गि...आपने बिलकुल सही कहा है |क्या क्या खाना छोड़ेगे ?गिरिजेश रावजी कि बात से पूर्णत सहमत ऐसे ही लग एक तरफ तो टुन्न होते है और उनके परिवार जगह जगह मंदिरों में भंडारों पर खाना खाते हुए और भीख मांगते हुए मिल जायेगे |इतनी असमानता देख विद्रूपता देख सचमुच दिमाग कि नसे कोंधने लगती है |<br />जब हमारे शहर में तीन चार साल पहले रिलांस फ्रेश कि शुरुआत हुई थी तब रो ज अख़बार में आता था chaहे आलू प्याज कितने भी मंहगे हो जाय रिलायंस हमेशा ५ रूपये में ही बेचेगा |आज तक कभी ५ में नहीं बीके १९ .९० रपये के किलो ही बिकते है और सीधे किसान से खरीदे जाते है वहां /और जनता हार समय ठगी जाती है आवाज उठाने वाला कोई नहीं |शोभना चौरेhttps://www.blogger.com/profile/03043712108344046108noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-17710666485062847252010-01-12T14:12:54.247+05:302010-01-12T14:12:54.247+05:30आपने बहुत सही तरीके से बात रखी है . महंगाई अपने-आप...आपने बहुत सही तरीके से बात रखी है . महंगाई अपने-आप में चिंताजनक है, पर शासकवर्ग की उदासीनता शायद उस से भी अधिक चिंताजनक और क्रूर हो चुकी है.Dinesh Dadhichihttps://www.blogger.com/profile/09576306239825711925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-42343596651127587352010-01-12T07:30:08.308+05:302010-01-12T07:30:08.308+05:30दिनेशराय जी से पूर्ण सहमति।दिनेशराय जी से पूर्ण सहमति।Dr. Amar Jyotihttps://www.blogger.com/profile/08059014257594544439noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-59484070914161373872010-01-12T05:28:22.564+05:302010-01-12T05:28:22.564+05:30दो रुपये किलो गेंहूँ उनके लिए है जो राशन के धंधे म...दो रुपये किलो गेंहूँ उनके लिए है जो राशन के धंधे में हैं न कि उन गरीबों के लिए जिनका बहाना है. गिरिजेश की बात में भी दम है मगर जहां सस्ता गेहूं बेचा जा सकता है वहां सस्ता आता भी तो बेचा जा सकता है. लेकिन आखिर में बात निहित स्वार्थ पर आकर ही विश्राम करती है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-85768492512701309942010-01-11T23:35:39.856+05:302010-01-11T23:35:39.856+05:30यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका जो मुद्दा ही बना रहता है...यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका जो मुद्दा ही बना रहता है. प्रश्न होते हैं, मस्तिष्क झनझनाने लगता है किन्तु उत्तर या हल फिर से प्रश्नवाचक चिन्ह बनकर सामने रह जाता है. कैसी विडंबनाहै!<br /><a href="http://mahavirsharma.blogspot.com" rel="nofollow">महावीर शर्मा</a>महावीरhttps://www.blogger.com/profile/00859697755955147456noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-13669206866294166262010-01-11T22:38:28.038+05:302010-01-11T22:38:28.038+05:30बहुत सटीक लिखा आपने .. महंगाई हद को पार कर रही है ...बहुत सटीक लिखा आपने .. महंगाई हद को पार कर रही है .. कैसे कटेंगे गरीबों के दिन ??संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-58576002689996677292010-01-11T22:00:37.938+05:302010-01-11T22:00:37.938+05:30Hope your plaster come off soon Ghughuti ji
yes, ...Hope your plaster come off soon Ghughuti ji <br />yes, <br />the poor & even ordinery people are suffering due to many diffrent hardships nowadays. <br /><br />warm regards to you & wishing for aPeaceful & healthful 2010.लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्`https://www.blogger.com/profile/15843792169513153049noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-22456395396150644852010-01-11T21:54:28.109+05:302010-01-11T21:54:28.109+05:30वाजिब चिंता है। गिरिजेश जी ने मेरे मन की बात कह ही...वाजिब चिंता है। गिरिजेश जी ने मेरे मन की बात कह ही दी है। उसी में इतना और जोडना चाहूँगा कि महाराष्ट्र सरकार ने अनाज से शराब बनाने की योजना को मंजूरी दी थी लेकिन अदालत ने रोक लगा दी। <br /><br /> शायद सरकार अपनी ही मद में मस्त है और उसे हर ओर मदांध ही दिख रहे हैं ।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-60374351904085190502010-01-11T20:35:52.814+05:302010-01-11T20:35:52.814+05:30तनख्वाह बढ़ा।
एक हाथ दे, दो हाथों ले।
सरकारी खर्च...तनख्वाह बढ़ा।<br /><br />एक हाथ दे, दो हाथों ले। <br />सरकारी खर्चे कम नहीं हो रहे। महँगाई तो बढ़ेगी ही। वैसे 2 रु. किलो एक कृत्रिम मूल्य है उसके लिए पिसाई की दर भी कृत्रिम रूप से कम कैसे हो सकती है? क्या पिसाई पर भी सब्सिडी होनी चाहिए? यह तो एक अनंत दुष्चक्र होगा। <br />और अब मजदूरी भी बढी है। गाँव में 110 रु और शहरों में 175 रु से कम नहीं। काम देखो तो हैरानी होती है। मुद्रास्फीति का असर तो पड़ेगा ही। <br />शहर का मजदूर बढ़ी हुई मजदूरी का प्रयोग दारू के ब्राण्ड बढ़ाने में कर रहा है न कि अपना हाल सुधारने में। गाँवों में मजदूर नहीं मिलते। <br />मेरे घर के आगे पार्क में कई बार रात को हमलोगों ने मजदूरों को महँगी कैन वाली बियर के साथ भुना मुर्गा खाते पाया है, तन पर ढंग के कपड़े नहीं,सिर पर छत नहीं, बीवी बिमारी से मर रही है, बच्चे सड़कों पर घूमते मर्द/औरत, मर्द/मर्द सम्बन्धों के पाठ पढ़ रहे हैं और मजदूर जी रोज कैन वाली दारू पी कर टल्ली हो घर लौट रहे हैं। यह मंजर अब आम हो चला है।<br />कहीं बहुत भयानक गड़बड़ है। मैं सोचता हूँ तो पगलाने लगता हूँ। <br />कई पहलू हैं लेकिन यह सत्य है कि कहीं भारी खोट अवश्य है। धनी दिन दूने रात चौगुने रफ्तार से और धनी हो रहे हैं और गरीब वहीं के वहीं हैं। राम जाने मामला क्या है? <br /> .. उफ !गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-19336862705672236802010-01-11T19:47:05.237+05:302010-01-11T19:47:05.237+05:30चलती चक्की देख कर दिया कबीर रोय
महगाई की मार से स...चलती चक्की देख कर दिया कबीर रोय <br />महगाई की मार से साबूत बचा न कोयदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-77229580736678205272010-01-11T19:46:59.699+05:302010-01-11T19:46:59.699+05:30कितनी मँहगाई बढ़ गई है....कितनी मँहगाई बढ़ गई है....Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-53567918162966951822010-01-11T19:34:57.813+05:302010-01-11T19:34:57.813+05:30उन्हे तो तब भी 5-6 रुपये किलो पड़ रही है असली मार ...उन्हे तो तब भी 5-6 रुपये किलो पड़ रही है असली मार तो माध्यम वर्ग खा रहा है . देखिये कब तक बरदास्त करता हैडॉ महेश सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/18264755463280608959noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-36960021516956565892010-01-11T19:16:24.800+05:302010-01-11T19:16:24.800+05:30जिस हिसाब से मंहगाई बढ़ रही है लगता है सिर्फ हवा प...जिस हिसाब से मंहगाई बढ़ रही है लगता है सिर्फ हवा पर गुज़ारा करना पड़ेगा गरीब लोगों को...बहुत अच्छी और सार गर्भित पोस्ट...ये आपके हाथका फ्रेक्चर कब हो गया...???<br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-28256357691117913012010-01-11T18:55:53.506+05:302010-01-11T18:55:53.506+05:30चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोय..
तीन रुपए पिसाई ...चलती चक्की देख कर दिया कबीरा रोय..<br />तीन रुपए पिसाई के दे, रोना हो तो रोय!.......<br />सही है,<br />जमीनी हालात तो और भी निराशा जनक हो चले हैं.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-6585778227596051542010-01-11T18:08:39.824+05:302010-01-11T18:08:39.824+05:30धान से मँहगी पिसाई!!!
जनता जब लेती है.....पता नह...धान से मँहगी पिसाई!!!<br /><br /><br />जनता जब लेती है.....पता नहीं कब लेगी...संजय बेंगाणीhttps://www.blogger.com/profile/07302297507492945366noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-83414753208028079362010-01-11T17:55:23.884+05:302010-01-11T17:55:23.884+05:30रंजू जी, कार दुर्घटना हुई।
>यहाँ दी है।
घुघूत...रंजू जी, कार दुर्घटना हुई। <a href="http://ghughutibasuti.blogspot.com/2009/12/blog-post_22.html" rel="nofollow"> <br />>यहाँ</a> दी है।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.com