tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post6410360975292371218..comments2023-10-29T13:18:36.222+05:30Comments on घुघूतीबासूती: पति की आँखों में आँसू .....................घुघूती बासूतीghughutibasutihttp://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-5371705879365957932012-05-29T04:12:00.593+05:302012-05-29T04:12:00.593+05:30समाज में कैसे कैसे अन्याय होते रहे हैं, क्या क्या ...समाज में कैसे कैसे अन्याय होते रहे हैं, क्या क्या अति होती है, यह अहसास दिला पाना एक बड़ी सफलता है। जिस कमी का अहसास ही न हो उसके सुधार की आशा कैसी। सहृदय लोग भावनात्मक रूप से परिपक्व होते हुए भी दूसरे के दर्द से पिघलते रहे हैं। रिटायरमेंट (और छुट्टियों) की यही बात मुझे अच्छी लगती है कि आमने सामने बैठने और भावनायें बाँटने के मौके बढ जाते हैं। आभार!Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-86233147828053058492012-05-29T00:18:51.839+05:302012-05-29T00:18:51.839+05:30सत्यमेव जयते वाकई समाज को झझकोर रहा है... समाज को ...सत्यमेव जयते वाकई समाज को झझकोर रहा है... समाज को सीख लेनी होगी वरना बहुत देर हो जाएगी...लोकेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/08323684688206959895noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-89193381766076432802012-05-25T07:42:17.313+05:302012-05-25T07:42:17.313+05:30मैं इस पोस्ट को सत्यमेव जयते की सफलता के रूप में द...मैं इस पोस्ट को सत्यमेव जयते की सफलता के रूप में देख रहा हूँ ...सचमुच बड़े भावपूर्ण दृश्य थे उस दिन ....Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-59718160710899798982012-05-24T17:25:06.819+05:302012-05-24T17:25:06.819+05:30सम्वेंदन शील विषय है सम्वेद्ना की आवश्यकता है ....सम्वेंदन शील विषय है सम्वेद्ना की आवश्यकता है .गिरधारी खंकरियालhttps://www.blogger.com/profile/07381956923897436315noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18113463967682908632012-05-24T16:06:17.611+05:302012-05-24T16:06:17.611+05:30कल 25/05/2012 को आपकी यह पोस्ट http://nayi-purani...<i><b> कल 25/05/2012 को आपकी यह पोस्ट <a href="http://nayi-purani-halchal.blogspot.in" rel="nofollow"> http://nayi-purani-halchal.blogspot.in </a> पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .<br />धन्यवाद! </b></i>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-78536236810871342372012-05-24T13:02:22.923+05:302012-05-24T13:02:22.923+05:30यह सब सुनकर दुख तो होता ही है, संवेदना भी जागती है...यह सब सुनकर दुख तो होता ही है, संवेदना भी जागती है..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-82621567635688220792012-05-24T12:16:40.552+05:302012-05-24T12:16:40.552+05:30घर में आंसुओं का सैलाब आता है हर रविवार ,,,,एक तसल...घर में आंसुओं का सैलाब आता है हर रविवार ,,,,एक तसल्ली है जो हमारे दर्द है वो सही तरीके से लोगों को दिखाई पड़ रहे है और उसे महसूस भी कर रहे हैsonalhttps://www.blogger.com/profile/03825288197884855464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-21697875701703251932012-05-24T11:57:46.922+05:302012-05-24T11:57:46.922+05:30"इन लड़कियों के जीवन के जो सबसे सुखद साल होने..."इन लड़कियों के जीवन के जो सबसे सुखद साल होने चाहिए थे यूँ रुला तड़पा कर बितवाए गए हैं। इस उम्र में मनुष्य कितना उल्लसित होता है, कितना आशावादी होता है।"<br /><br />मुझे भी सबसे ज्यादा यही बात खलती है...दोषी को सजा मिल गयी....पीड़ित को न्याय मिल गया...अंत में उसकी जीत हुई...उसने अपनी जिंदगी संभाल ली...पर उसके वे खोये वर्ष कौन लौटाएगा??..उसका हिसाब कौन देगा.??...अब लड़कियों का पालन-पोषण ही इस तरह से किया जाए...कि बचपन से उनकी एक आवाज़ हो.....अपना अच्छा बुरा समझने की क्षमता हो..अपने जीवन का निर्णय लेने का साहस हो.<br /><br />सत्यमेव जयते...प्रोग्राम कई ह्रदय को आंदोलित कर रहा है...पर एक डर ये भी लगा रहता है..कहीं ऐसा ना हो बस जबतक इस प्रोग्राम का प्रसारण हो लोग उन विषयों की चर्चा करें...सुधार लाने की कोशिश करें...और फिर 'रात ख़त्म..बात ख़त्म' की तरह प्रोग्राम की अवधि की समाप्ति पर सब भूल जाएँ. <br /><br />ये मुहिम जारी रहनी चाहिए.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-28426899439985257432012-05-24T01:00:25.697+05:302012-05-24T01:00:25.697+05:30राजन जी, क्षमा कीजिए, न जाने क्यों आजकल बहुत सी टि...राजन जी, क्षमा कीजिए, न जाने क्यों आजकल बहुत सी टिप्पणियाँ स्पैम में पहुँच जाती हैं, जहाँ से उन्हें निकालकर लाना पड़ता है। क्योंकि मैं प्रायः नेट पर नहीं होती तो वे वहीं पड़ी रह जाती हैं।<br />घुघूती बासूतीghughutibasutihttps://www.blogger.com/profile/06098260346298529829noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-15768579235448701712012-05-23T21:47:06.181+05:302012-05-23T21:47:06.181+05:30शायद कोई तकनीकी समस्या हैं,मेरी दोनों ही टिप्पणिया...शायद कोई तकनीकी समस्या हैं,मेरी दोनों ही टिप्पणियाँ दिखाई नहीं दे रही हैं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-52989370736265686282012-05-23T21:46:52.900+05:302012-05-23T21:46:52.900+05:30शायद कोई तकनीकी समस्या हैं,मेरी दोनों ही टिप्पणिया...शायद कोई तकनीकी समस्या हैं,मेरी दोनों ही टिप्पणियाँ दिखाई नहीं दे रही हैं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-51739756705222326192012-05-23T20:20:53.096+05:302012-05-23T20:20:53.096+05:30एक कलाकार, निर्माता, निर्देशक और प्रस्तोता के रूप ...एक कलाकार, निर्माता, निर्देशक और प्रस्तोता के रूप में आमिर सफल हो चुके हैं। इस से आगे की भूमिका अदा करने से उन्हों ने इन्कार कर दिया है. नाटक, फिल्म या पुस्तकें लोगों तक एक संदेश पहुँचाती हैं। लोगों को आंदोलित करती हैं। जो लोग आंदोलित होते हैं वे प्रेरक की ओर देखते हैं कि वह आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। लेकिन जब प्रेरक आगे का मार्ग नहीं दिखाता। आगे के मार्ग पर चलने के लिए नेतृत्व की आवश्यकता है। इस के लिए कोई रेडीमेड नहीं मिलता। उसे जरूरत के हिसाब से तैयार करना पड़ता है। नाटक, साहित्य और फिल्म के माध्यम से प्रेरित करने वालें को वह मार्ग भी दिखाने की आवश्यकता है जिस से ऐसा नेतृत्व तैयार किया जाता है जिस के पीछे लोग चल पड़ते हैं,एक बड़ी ताकत बन जाते हैं। तब परिवर्तन सामने दिखाई देने लगता है। लगता है उसे हासिल कर लिया जाएगा। तब आखिरी हमला बोलना पड़ता है। <br />आमिर ने तो नाटक दिखा कर हाथ ऊँचे कर लिए हैं। मैं समझता हूँ आमिर के अलावा भी देश में ऐसे बहुत लोग हैं जो आगे की भूमिका अदा कर सकने में सक्षम हैं उन्हें आगे आना चाहिए।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-14628187577147325032012-05-23T20:04:58.019+05:302012-05-23T20:04:58.019+05:30सुज्ञ जी,
आपकी बात बिल्कुल सही हैं मैं भी ऐसा ही स...सुज्ञ जी,<br />आपकी बात बिल्कुल सही हैं मैं भी ऐसा ही सोचता हूँ .लेकिन मुझे लगता हैं हमारे बीच लोगों की एक कैटेगरी और हैं.इन लोगों को न हम भावुक कह सकते हैं न असंवेदनशील ही,बस ये लोग इस तरह की समस्याओं के प्रति या तो अनजान हैं या बेफिक्र हैं.आपने भी देखा होगा आमिर खान बार बार युवाओं की बात पर बल दे रहे हैं उन्हें जागरुक करने की बात कर रहे हैं.यहाँ वो कच्चे घडे को मनचाहा आकार देने की बात आ जाती हैं.आपको बताऊँ मेरा एक छोटा भाई है जो करीब साढे अठारह साल का हैं और स्वभाव से मौजी हैं.क्रिकेट और फिल्मों में रुचि हैं,पढाई में औसत हैं.जब मैंने आमिर के शो का पहला एपिसोड देखा तब वह क्रिकेट खेलने गया था उसके आने के बाद मैंने इस शो की कुछ ज्यादा ही बडाई कर दी क्योंकि मुझे बहुत पसंद आया था और चाहता था कि वह भी देखे.फिर उसने रात को इसका रीपीट टेलीकास्ट देखा.मुझ समेत सारे घरवाले ये देखकर हैरान थे कि उसकी भी आँखों से आँसू बह रहे थे.जबकि आज तक हमने उसे ऐसा नहीं देखा.कन्या भ्रूण हत्या करने वालों के खिलाफ उसे बहुत गुस्सा आ रहा था.इस संबंध में उसने मुझसे बहुत से सवाल भी पूछे.इसके बाद उसने बाकी के दोनों ऐपिसोड भी अपने क्रिकेट प्रेम को भूलकर देखे.मुझे नहीं लगता अब ये बातें उसके दिमाग से आसानी से निकल पाएँगी.यह असर आमिर की उपलब्धि हैं.पता हैं कोई चमत्कार नहीं होने वाला लेकिन कुछ लोगों पर सकारात्मक असर पड रहा हैं तो भी कोई कम बात नहीं.राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-64102665966794242372012-05-23T19:40:24.167+05:302012-05-23T19:40:24.167+05:30घुघूती जी,
आपकी हर बात से सहमति हैं.आमिर खान का प्...घुघूती जी,<br />आपकी हर बात से सहमति हैं.आमिर खान का प्रस्तुतिकरण का अलग अंदाज लोगों को सचमुच सोचने को मजबूर कर रहा हैं.प्रोग्राम के लोकप्रिय होने में उनकी स्टार छवि का भी असर हैं लेकिन उनकी मेहनत को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता.मैंने यहाँ कई लोगों को इस आधार पर आमिर की आलोचना करते सुना हैं कि उन्होने पितृसत्ता की आलोचना नहीं की या दहेज या कन्या भ्रूण हत्या के कारणों की तरफ ध्यान नहीं दिलाया.तो मेरा ये मानना हैं कि कारणों के बारे में सबको पता हैं और जो लोग कारणों की बात कर रहे हैं उन्हें आमिर कौनसा रोक ही रहे है.और वैसे भी हर बात को हर बार केवल स्त्री पुरूष वाले नजरिये से ही देखना बोझिल सा भी लगने लगता हैं.मुझे नहीं लगता कि केवल इसी तरीके से लोगों को समझाया जा सकता हैं यदि आमिर के तरीके से कोई फायदा होता हैं तो इससे दिक्कत क्या है!राजनhttps://www.blogger.com/profile/05766746760112251243noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-65578718643853758912012-05-23T18:50:22.991+05:302012-05-23T18:50:22.991+05:30आपकी अंतिम पक्तियों से पूरा इत्तेफाक ..सही बात है ...आपकी अंतिम पक्तियों से पूरा इत्तेफाक ..सही बात है कोई नई बात नहीं, इन मुद्दों पर अरसे से लिखा जाता रहा है, मुहीम चलाई जाती रही है.परन्तु इतने प्रभावशाली ढंग से यदि कोई यह काम कर रहा है कि लोगों के दिल पर असर कर रही है तो इसमें बुरा क्या है.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-18291218925330725692012-05-23T18:25:10.658+05:302012-05-23T18:25:10.658+05:30मनुष्य के हृदय को निचोड़कर रख देने की कला की बात स...मनुष्य के हृदय को निचोड़कर रख देने की कला की बात सो सटीक है किन्तु प्राय: कोमल हृदय ही सम्वेदनाएं महसुस करते है। नासूर दिलो को कितना भी भावुक किया जाय, देखा और भूल गया। और असली जरूरत नासूर हृदय में उष्मा भरी सम्वेदनाएं जगाने की है।सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-61574154112916534882012-05-23T18:19:53.185+05:302012-05-23T18:19:53.185+05:30Bahut hee sahee likha hai aapne!Bahut hee sahee likha hai aapne!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-69235737618117555772012-05-23T18:05:32.281+05:302012-05-23T18:05:32.281+05:30बूंद बूंद से ही घडा भरता है ऐसे प्रयासों से यदि थो...बूंद बूंद से ही घडा भरता है ऐसे प्रयासों से यदि थोडा भी बदलाव आये या एक जीवन ही बदल जाये तो सार्थक है,।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-38818012.post-22106697901846390082012-05-23T18:04:35.680+05:302012-05-23T18:04:35.680+05:30बिलकुल सच कहा....
बात को इस तरह कहा जाये के जनमानस...बिलकुल सच कहा....<br />बात को इस तरह कहा जाये के जनमानस के ह्रदय तक पहुंचे तब तो सार्थकता है.....<br /><br />आपका आलेख बेहद सार्थक और सशक्त...<br /><br />सादर.<br /><br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.com